परमेश्वर की व्यवस्था में आनंद आलेफ1 क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं। 2 क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी नीतियों को मानते हैं, और संपूर्ण मन से उसे खोजते हैं। 3 वे कुटिल कार्य नहीं करते, बल्कि उसके मार्गों पर चलते हैं। 4 तूने अपने उपदेश इसलिए दिए हैं कि उनका पालन यत्न से किया जाए। 5 भला हो कि तेरी विधियों को मानने के लिए मेरा चाल-चलन दृढ़ हो जाए। 6 यदि मैं तेरी सब आज्ञाओं पर ध्यान करूँगा तो मैं लज्जित न होऊँगा। 7 जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा, तब निष्कपट मन से तेरा धन्यवाद करूँगा। 8 मैं तेरी विधियों को मानूँगा; मुझे पूरी तरह से त्याग न दे। बेथ9 जवान अपनी चाल को कैसे शुद्ध रखे? तेरे वचन का पालन करके। 10 मैंने तुझे संपूर्ण मन से खोजा है; अपनी आज्ञाओं से तू मुझे भटकने न दे। 11 मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में संजोए रखा है कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ। 12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा। 13 तेरे कहे हुए सब नियमों का वर्णन मैंने अपने होंठों से किया है। 14 मैं तेरी नीतियों के मार्ग से ऐसा हर्षित हुआ हूँ जैसा सब प्रकार के धन से। 15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि लगाए रहूँगा। 16 मैं तेरी विधियों से आनंदित होऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा। गिमेल17 अपने दास पर उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ और तेरे वचन पर चलूँ। 18 मेरी आँखें खोल दे कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातों को देख सकूँ। 19 मैं पृथ्वी पर परदेशी हूँ; अपनी आज्ञाओं को मुझसे न छिपा। 20 मेरा मन तेरे नियमों के लिए हर समय तरसता रहता है। 21 तू शापित अभिमानियों को झिड़कता है, वे तेरी आज्ञाओं से भटके हुए हैं। 22 निंदा और अपमान को मुझसे दूर कर, क्योंकि मैंने तेरी नीतियों को माना है। 23 यद्यपि अधिपति बैठकर मेरे विरुद्ध बातें करते हैं, फिर भी तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता है। 24 तेरी नीतियाँ तो मेरा आनंद हैं; वे मुझे उचित सलाह देती हैं। दालेत25 मैं धूल में पड़ा हूँ; तू अपने वचन के अनुसार मुझे जिला। 26 मैंने अपने चाल-चलन का वर्णन तुझसे किया है, और तूने मुझे उत्तर दिया है; तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा। 27 मुझे अपने उपदेशों का मार्ग बता कि मैं तेरे आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँ। 28 दुःख के कारण मेरा प्राण व्याकुल है, अपने वचन के अनुसार मुझे संभाल। 29 मुझे झूठ के मार्ग से दूर कर, और कृपा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे। 30 मैंने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है; मैंने तेरे नियमों को अपने सामने रखा है। 31 मैं तेरी नीतियों को थामे रहता हूँ; हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे। 32 मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौड़ता हूँ, क्योंकि तू मेरा साहस बढ़ाता है। हे33 हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग बता, और मैं अंत तक उस पर चलूँगा। 34 मुझे समझ दे कि मैं तेरी व्यवस्था का पालन करूँ और संपूर्ण मन से उस पर चलूँ। 35 अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझे ले चल, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न होता हूँ। 36 मेरे मन को अनुचित लाभ की ओर नहीं, बल्कि अपनी नीतियों की ओर फेर दे। 37 मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; अपने मार्गों में मुझे जिला। 38 अपने वचन को अपने दास के लिए पूरा कर जिससे तेरा भय माना जाए। 39 मेरी निंदा को जिससे मैं डरता हूँ, दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं। 40 देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझे जिला। वाव41 हे यहोवा, तेरी करुणा, और तेरे वचन के अनुसार तेरा उद्धार मुझे मिले। 42 तब मैं अपने निंदा करनेवाले को उत्तर दे सकूँगा, क्योंकि मैं तेरे वचन पर भरोसा रखता हूँ। 43 सत्य के वचन कहने से मुझे वंचित न कर, क्योंकि मैं तेरे नियमों पर आशा रखता हूँ। 44 तब मैं तेरी व्यवस्था पर निरंतर और सदा-सर्वदा चलता रहूँगा। 45 मैं चौड़े स्थान में चलूँगा, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों का खोजी हूँ। 46 मैं तेरी नीतियों की चर्चा राजाओं के सामने करूँगा, और लज्जित न होऊँगा। 47 मैं तेरी आज्ञाओं में मगन रहूँगा, क्योंकि मैं उनसे प्रीति रखता हूँ। 48 मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिनसे मैं प्रीति रखता हूँ, हाथ फैलाऊँगा, और तेरी विधियों पर ध्यान करूँगा। ज़ाइन49 अपने दास को दिया वह वचन स्मरण कर, जिसके द्वारा तूने मुझे आशा दी है। 50 मेरे दुःख में मुझे शांति इसी से है कि तेरे वचन ने मुझे जीवन दिया है। 51 अभिमानियों ने मेरा बहुत ठट्ठा किया, फिर भी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा। 52 हे यहोवा, मैंने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शांति पाई है। 53 जिन दुष्टों ने तेरी व्यवस्था को छोड़ दिया है, उनके कारण मैं क्रोधाग्नि से जलता हूँ। 54 मेरी जीवन-यात्रा के डेरे में तेरी विधियाँ मेरे गीतों का विषय बनी हैं। 55 हे यहोवा, मैं रात को तेरा नाम स्मरण करता हूँ, और तेरी व्यवस्था पर चलता हूँ। 56 मेरे साथ इसलिए ऐसा हुआ है क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को मानता हूँ। ख़ेथ57 यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने की प्रतिज्ञा की है। 58 मैंने संपूर्ण मन से तुझसे विनती की है, अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर। 59 मैंने अपने चाल-चलन पर विचार किया, और अपने कदम तेरी नीतियों की ओर मोड़े। 60 मैंने तेरी आज्ञाओं को मानने में देर नहीं, शीघ्रता की है। 61 दुष्टों के बंधनों ने मुझे जकड़ लिया है, फिर भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला हूँ। 62 तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने के लिए उठूँगा। 63 मैं उन सब का साथी हूँ जो तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं। 64 हे यहोवा, पृथ्वी तेरी करुणा से भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा। टेथ65 हे यहोवा, तूने अपने वचन के अनुसार अपने दास के साथ भलाई की है। 66 मुझे अच्छी समझ और ज्ञान दे, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं पर विश्वास करता हूँ। 67 दुःखित होने से पहले मैं भटकता था; परंतु अब मैं तेरे वचन को मानता हूँ। 68 तू भला है, और भला करता है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा। 69 अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठी बात गढ़ी है, परंतु मैं तेरे उपदेशों को संपूर्ण मन से मानूँगा। 70 उनका मन मोटा हो गया है, परंतु मैं तेरी व्यवस्था में मगन रहूँगा। 71 मेरे लिए अच्छा ही था कि मैंने दुःख सहा ताकि तेरी विधियों को सीख सकूँ। 72 तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिए सोने और चाँदी के हज़ारों सिक्कों से भी उत्तम है। योध73 तेरे हाथों ने मुझे रचा है, और वे मुझे थामे रखते हैं; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूँ। 74 तेरा भय माननेवाले मुझे देखकर आनंदित होंगे, क्योंकि मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है। 75 हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तूने अपनी सच्चाई के अनुसार मुझे दुःख दिया है। 76 मुझे अपनी करुणा से शांति दे, क्योंकि तूने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है। 77 तेरी दया मुझ पर हो कि मैं जीवित रहूँ, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से आनंदित हूँ। 78 अभिमानी लज्जित हों, क्योंकि वे झूठ के द्वारा मुझे हानि पहुँचाते हैं; परंतु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा। 79 जो तेरा भय मानते हैं अर्थात् जो तेरी नीतियों को जानते हैं, वे मेरे पास आएँ। 80 मेरा मन तेरी विधियों को मानने में निर्दोष ठहरे, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े। काफ़81 मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिए व्याकुल है; मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है। 82 मेरी आँखें तेरे वचन के पूरे होने की प्रतीक्षा करते-करते धुँधला गई हैं; मैं कहता हूँ, “तू मुझे कब शांति देगा?” 83 यद्यपि मैं धुएँ में रखी मशक के समान हो गया हूँ, फिर भी तेरी विधियों को नहीं भूला हूँ। 84 तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे सतानेवालों को कब दंड देगा? 85 अभिमानी जो तेरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिए गड्ढे खोदे हैं। 86 तेरी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं; लोगों ने झूठ बोल बोलकर मुझे सताया है, मेरी सहायता कर। 87 वे तो मुझे पृथ्वी पर से मिटा डालने पर ही थे, परंतु मैंने तेरे उपदेशों को नहीं त्यागा। 88 मुझे अपनी करुणा के अनुसार फिर से जिला कि मैं तेरे दिए हुए नियम को मानूँ। लामेध89 हे यहोवा, तेरा वचन आकाश में सदा तक स्थिर है। 90 तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तूने पृथ्वी को स्थापित किया, और वह बनी हुई है। 91 सब कुछ तेरे नियमों के अनुसार आज तक बना हुआ है; क्योंकि वे तेरे अधीन हैं। 92 यदि तेरी व्यवस्था से मैं आनंदित न होता, तो अपने दुःख में नष्ट हो जाता। 93 मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा; क्योंकि तूने उन्हीं के द्वारा मुझे जीवन दिया है। 94 मैं तेरा हूँ, मुझे बचा, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों का खोजी हूँ। 95 दुष्ट मेरा नाश करने की ताक में हैं; परंतु मैं तेरी नीतियों पर ध्यान करता हूँ। 96 मैंने तो हर सिद्ध वस्तु की एक सीमा देखी है, परंतु तेरी आज्ञा तो असीम है। मेम97 आहा, मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूँ! मेरा ध्यान दिन भर उसी पर लगा रहता है। 98 तेरी आज्ञाएँ मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बनाती हैं, क्योंकि वे सदा मेरे साथ रहती हैं। 99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी नीतियों पर लगा रहता है। 100 मैं वृद्धों से भी अधिक समझदार हूँ, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को मानता हूँ। 101 मैंने अपने पैरों को प्रत्येक बुरे मार्ग से रोक रखा है, जिससे मैं तेरे वचन पर चलूँ। 102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तूने मुझे शिक्षा दी है। 103 तेरे वचन मुझे बहुत मीठे लगते हैं; वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं। 104 तेरे उपदेशों से मुझे समझ प्राप्त होती है; इसलिए मैं प्रत्येक झूठे मार्ग से घृणा करता हूँ। नून105 तेरा वचन मेरे पैरों के लिए दीपक, और मेरे पथ के लिए उजियाला है। 106 मैंने शपथ खाई है, और ठान लिया है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूँगा। 107 मैं बहुत पीड़ित हूँ; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला। 108 हे यहोवा, मेरे मुँह के स्तुति रूपी बलिदानों को ग्रहण कर, और मुझे अपने नियम सिखा। 109 मेरा प्राण निरंतर मेरी हथेली पर रहता है, फिर भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूलता। 110 दुष्टों ने तो मेरे लिए जाल बिछाया है, फिर भी मैं तेरे उपदेशों से नहीं भटका। 111 मैंने तेरी नीतियों को सदा के लिए अपना निज भाग बना लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं। 112 मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है कि अंत तक तेरी विधियों पर चलता रहूँ। सामेख़113 मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परंतु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ। 114 तू मेरा शरणस्थान और मेरी ढाल है; मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है। 115 हे कुकर्मियो, मुझसे दूर हो जाओ कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को थामे रहूँ। 116 हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे संभाल कि मैं जीवित रहूँ; और मेरी आशा के कारण मुझे लज्जित न होने दे। 117 मुझे संभाल कि मैं सुरक्षित रहूँ और निरंतर तेरी विधियों पर चित्त लगाए रहूँ। 118 जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनका छल व्यर्थ है। 119 तूने पृथ्वी के सब दुष्टों को मैल के समान निकाल दिया है; इस कारण मैं तेरी नीतियों से प्रीति रखता हूँ। 120 तेरे भय से मेरा शरीर काँप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूँ। आइन121 मैंने तो न्याय और धार्मिकता से कार्य किया है; तू मुझे अंधेर करनेवालों के हाथ में न छोड़। 122 अपने दास की भलाई को सुनिश्चित कर; अभिमानी मुझ पर अंधेर न कर पाएँ। 123 मेरी आँखें तेरे उद्धार और तेरे धर्ममय वचन की प्रतीक्षा करते-करते धुँधला गई हैं। 124 अपने दास के साथ अपनी करुणा के अनुसार व्यवहार कर, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा। 125 मैं तेरा दास हूँ, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी नीतियों को समझूँ। 126 यह समय है कि यहोवा कार्य करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था का उल्लंघन किया है। 127 मेरे लिए तो तेरी आज्ञाएँ सोने से, बल्कि कुंदन से भी अधिक प्रिय हैं। 128 इसलिए मैं तेरे सब उपदेशों को हर विषय में ठीक मानता हूँ, और प्रत्येक झूठे मार्ग से घृणा करता हूँ। पे129 तेरी नीतियाँ अद्भुत हैं; इसलिए मैं उन्हें मानता हूँ। 130 तेरे वचनों के खुलने से प्रकाश मिलता है, जिससे भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं। 131 मैं मुँह खोलकर हाँफता हूँ, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का अभिलाषी हूँ। 132 मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर, जैसा कि तू अपने नाम से प्रेम रखनेवालों के साथ करता है। 133 मेरे कदमों को अपने वचन पर दृढ़ कर, और किसी अधर्म को मुझ पर प्रबल होने न दे। 134 मुझे मनुष्य के अंधेर से छुड़ा ले कि मैं तेरे उपदेशों को मानूँ। 135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा। 136 मेरी आँखों से जल की धाराएँ बहती रहती हैं, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते। सादे137 हे यहोवा, तू धर्मी है, और तेरे नियम खरे हैं। 138 तूने अपनी नीतियों को धार्मिकता और पूरी विश्वासयोग्यता से स्थापित किया है। 139 मेरी धुन मुझे खाए जा रही है, क्योंकि मेरे शत्रु तेरे वचनों को भूल गए हैं। 140 तेरा वचन पूरी तरह से ताया हुआ है, इसलिए तेरा दास उससे प्रीति रखता है। 141 मैं छोटा और तुच्छ हूँ, फिर भी मैं तेरे उपदेशों को नहीं भूलता। 142 तेरी धार्मिकता तो सदा की है, और तेरी व्यवस्था सच्ची है। 143 संकट और क्लेश मुझ पर आ पड़े हैं, फिर भी मैं तेरी आज्ञाओं से आनंदित हूँ। 144 तेरी नीतियाँ सदा के लिए धर्ममय हैं; तू मुझे समझ दे कि मैं जीवित रहूँ। कोफ़145 मैंने संपूर्ण मन से तुझे पुकारा है; हे यहोवा, मुझे उत्तर दे। मैं तेरी विधियों को थामे रहूँगा। 146 मैंने तुझे पुकारा है; तू मुझे बचा ले, और मैं तेरी नीतियों को मानूँगा। 147 मैं भोर होने से पहले ही उठ जाता हूँ और सहायता के लिए तुझे पुकारता हूँ; मैं तेरे वचन पर आशा रखता हूँ। 148 मेरी आँखें रात के हर एक पहर खुली रहती हैं कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूँ। 149 अपनी करुणा के अनुसार मेरी पुकार सुन; हे यहोवा, अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला। 150 दुष्टता में लिप्त रहनेवाले मेरे निकट आ गए हैं; वे तो तेरी व्यवस्था से दूर हैं। 151 हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएँ सच्ची हैं। 152 मैं तेरी नीतियों के द्वारा बहुत पहले से जान गया हूँ कि तूने उन्हें सदा के लिए स्थापित किया है। रेश153 मेरे दुःख को देख और मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूला नहीं हूँ। 154 मेरा मुकदमा लड़ और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझे जिला। 155 उद्धार तो दुष्टों की पहुँच से दूर है, क्योंकि वे तेरी विधियों को नहीं खोजते। 156 हे यहोवा, तेरी दया तो अपार है; अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला। 157 मेरे सतानेवाले और मेरे विरोधी तो बहुत हैं, फिर भी मैं तेरी नीतियों से विमुख नहीं होता। 158 विश्वासघातियों को देखकर मैं दुःखी हुआ, क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते। 159 देख, मैं तेरे उपदेशों से कैसी प्रीति रखता हूँ! हे यहोवा, अपनी करुणा के अनुसार मुझे जिला। 160 तेरा संपूर्ण वचन सत्य है, और तेरा हर एक धर्ममय नियम सदाकाल तक अटल है। शिन161 प्रधान अकारण ही मुझे सताते हैं, परंतु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है। 162 जैसे कोई बड़ी धन-संपत्ति पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूँ। 163 झूठ से तो मैं बैर और घृणा करता हूँ, परंतु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ। 164 तेरे धर्ममय नियमों के कारण, मैं दिन में सात बार तेरी स्तुति करता हूँ। 165 तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शांति मिलती है, और उन्हें किसी बात से ठोकर नहीं लगती। 166 हे यहोवा, मैं तुझसे उद्धार पाने की आस लगाए हूँ, और मैं तेरी आज्ञाओं को मानता आया हूँ। 167 मैं तेरी नीतियों को मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता हूँ। 168 मैं तेरे उपदेशों और नीतियों को मानता हूँ; मेरा सारा चाल-चलन तो तेरे सामने प्रकट है। ताव169 हे यहोवा, मेरी पुकार तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे। 170 मेरी विनती तेरे सम्मुख पहुँचे; अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा। 171 मेरे होंठ तेरी स्तुति करें, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है। 172 मेरी जीभ तेरे वचन का गीत गाए, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएँ धर्ममय हैं। 173 तेरा हाथ मेरी सहायता करे, क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों पर चलने का निर्णय लिया है। 174 हे यहोवा, मैं तेरे उद्धार का अभिलाषी हूँ, और तेरी व्यवस्था मेरा आनंद है। 175 मुझे जीवन दे कि मैं तेरी स्तुति करता रहूँ; तेरे नियम मेरी सहायता करें। 176 मैं खोई हुई भेड़ के समान भटक गया हूँ; अपने दास को ढूँढ़, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूला नहीं हूँ। |