सो यदि तुममें से किसी में विवेक की कमी है तो वह उसे परमेश्वर से माँग सकता है। वह सभी को प्रसन्नता पूर्वक उदारता के साथ देता है।
अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।
उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
यहोवा का भय मानना ज्ञान का आदि है किन्तु मूर्ख जन तो बुद्धि और अनुशासन को तुच्छ मानते हैं।
यहोवा कहता है, “मैं तुझे जैसे चलना चाहिए सिखाऊँगा और तुझे वह राह दिखाऊँगा। मैं तेरी रक्षा करुँगा और मैं तेरा अगुवा बनूँगा।
सुमति पर ध्यान दे और सुधार को अपना ले तू जिससे अंत में तू बूद्धिमान बन जाये।
मनुष्य अपने मन में क्या—क्या! करने की सोचता है किन्तु यहोवा का उद्देश्य पूरा होता है।
विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है। वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं। यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।
“बुद्धि का आरम्भ ये है: तू बुद्धि प्राप्त कर, चाहे सब कुछ दे कर भी तू उसे प्राप्त कर! तू समझबूझ प्राप्त कर।
यहोवा का आदर करना सुबुद्धि को हासिल करने का पहिला कदम है, यहोवा का ज्ञान प्राप्त करना समझबूझ को पाने का पहिला कदम है।
यहोवा कहता है, “तुम्हारे विचार वैसे नहीं, जैसे मेरे हैं। तुम्हारी राहें वैसी नहीं जैसी मेरी राहें हैं।
जैसे धरती से ऊँचे स्वर्ग हैं वैसे ही तुम्हारी राहों से मेरी राहें ऊँची हैं और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।” ये बातें स्वयं यहोवा ने ही कहीं हैं।
मैं यह इसलिये कहता हूँ क्योंकि मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाएं हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ।
इसलिए सावधानी के साथ देखते रहो कि तुम कैसा जीवन जी रहे हो। विवेकहीन का सा आचरण मत करो, बल्कि बुद्धिमान का सा आचरण करो।
जो हर अवसर का अच्छे कर्म करने के लिये पूरा-पूरा उपयोग करते हैं, क्योंकि ये दिन बुरे हैं
इसलिए मूर्ख मत बनो बल्कि यह जानो कि प्रभु की इच्छा क्या है।
जो समझदार हैं, उन्हें हम बुद्धि देते हैं किन्तु यह बुद्धि इस युग की बुद्धि नहीं है, न ही इस युग के उन शासकों की बुद्धि है जिन्हें विनाश के कगार पर लाया जा रहा है।
इसके स्थान पर हम तो परमेश्वर के उस रहस्यपूर्ण विवेक को देते हैं जो छिपा हुआ था और जिसे अनादि काल से परमेश्वर ने हमारी महिमा के लिये निश्चित किया था।
हे यहोवा, मेरी सहायता कर कि मैं तेरी राहों को सीखूँ। तू अपने मार्गों की मुझको शिक्षा दे।
अपनी सच्ची राह तू मुझको दिखा और उसका उपदेश मुझे दे। तू मेरा परमेश्वर मेरा उद्धारकर्ता है। मुझको हर दिन तेरा भरोसा है।
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा।
हे यहोवा, मुझे ज्ञान दे कि मैं विवेकपूर्ण निर्णय लूँ, तेरे आदेशों पर मुझको भरोसा है।
धैर्यपूर्ण व्यक्ति बहुत समझ बूझ रखता है, किन्तु ऐसा व्यक्ति जिसे जल्दी से क्रोध आये वह तो अपनी ही मूर्खता दिखाता है।
जो ज्ञान पाता है वह अपने ही प्राण से प्रीति रखता, वह जो समझ बूझ बढ़ाता रहता है फलता और फूलता है।
सुबुद्धि, रत्नों, मणि माणिकों से अधिक मूल्यवान है। तेरी ऐसी मनचाही कोई वस्तु जिससे उसकी तुलना हो।”
इसलिये मैं तुझसे माँगता हूँ कि तू मुझे बुद्धि दे जिससे मैं सच्चाई से लोगों पर शासन और उनका न्याय कर सकूँ। इससे मैं सही और गलत के अन्तर को जान सकूँगा। इस श्रेष्ठ बुद्धि के बिना इन महान लोगों पर शासन करना असंभव है।”
जहाँ मार्ग दर्शन नहीं वहाँ राष्ट्र पतित होता, किन्तु बहुत सलाहकार विजय को सुनिश्चित करते हैं।
तू हमको सिखा दे कि हम सचमुच यह जाने कि हमारा जीवन कितना छोटा है। ताकि हम बुद्धिमान बन सकें।
दानिय्येल ने कहा: “परमेश्वर के नाम की सदा प्रशंसा करो! शक्ति और सामर्थ्य उसमें ही होते हैं!
वह ही समय को बदलता है वह ही वर्ष के ऋतओं को बदलता है। वह ही राजाओं को बदलता है। वही राजाओं को शक्ति देता है और वही छीन लेता है। वही बुद्धि देता है और लोग बुद्धिमान बन जाते हैं। वही लोगों को ज्ञान देता है और लोग ज्ञानी बन जाते हैं।
यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था। यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।
क्या यहोवा ने किसी से सहायता माँगी? क्या यहोवा को किसी ने निष्पक्षता का पाठ पढ़ाया है? क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को ज्ञान सिखाया है? क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को बुद्धि से काम लेना सिखाया है? नहीं! इन सभी बातों का यहोवा को पहले ही से ज्ञान है!
तू बुद्धि प्राप्त कर और समझ बूझ प्राप्त कर! मेरे वचन मत भूल और उनसे मत डिग।
बुद्धि मत त्याग वह तेरी रक्षा करेगी, उससे प्रेम कर वह तेरा ध्यान रखेगी।
कब शुरू करेंगे लोग तेरा वचन समझना यह एक ऐसे प्रकाश सा है जो उन्हें जीवन की खरी राह दिखाया करता है। तेरा वचन मूर्ख तक को बुद्धिमान बनाता है।
क्योंकि परमेश्वर की तथाकथित मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से कहीं अधिक विवेकपूर्ण है। और परमेश्वर की तथाकथित दुर्बलता मनुष्य की शक्ति से कहीं अधिक सक्षम है।
बुद्धि तेरे मन में प्रवेश करेगी और ज्ञान तेरी आत्मा को भाने लगेगा।
तुझको अच्छे—बुरे का बोध बचायेगा, समझ बूझ भरी बुद्धि तेरी रखवाली करेगी,
और लोगों से परमेश्वर ने कहा था कि ‘यहोवा का भय मानो और उसको आदर दो। बुराईयों से मुख मोड़ना ही विवेक है, यही समझदारी है।’”
बुद्धि से घर का निर्माण हो जाता है, और समझ—बूझ से ही वह स्थिर रहता है।
मैं आलसी के खेत से होते हुए गुजरा जो अंगूर के बाग के निकट था जो किसी ऐसे मनुष्य का था, जिसको उचित—अनुचित का बोध नहीं था।
कंटीली झाड़ियाँ निकल आयीं थी हर कहीं खरपतवार से खेत ढक गया था। और बाड़ पत्थर की खंडहर हो रही थी।
जो कुछ मैंने देखा, उस पर मन लगा कर सोचने लगा। जो कुछ मैंने देखा, उससे मुझको एक सीख मिली।
जरा एक झपकी, और थोड़ी सी नींद, थोड़ा सा सुस्ताना, धर कर हाथों पर हाथ। (दरिद्रता को बुलाना है)
वह तुझ पर टूट पड़ेगी जैसे कोई लुटेरा टूट पड़ता है, और अभाव तुझ पर टूट पड़ेगा जैसे कोई शस्त्र धारी टूट पड़ता है।
ज्ञान के द्वारा उसके कक्ष अद्भुत और सुन्दर खजानों से भर जाते हैं।
क्योंकि मैं तुम्हें ऐसी बुद्धि और ऐसे शब्द दूँगा कि तुम्हारा कोई भी विरोधी तुम्हारा सामना और तुम्हारा खण्डन नहीं कर सकेगा।
अहंकार केवल झगड़ों को पनपाता है किन्तु जो सम्मति की बात मानता है, उनमें ही विवेक पाया जाता है।
परमेश्वर की करुणा, बुद्धि और ज्ञान कितने अपरम्पार हैं। उसके न्याय कितने गहन हैं; उसके रास्ते कितने गूढ़ है।
जो शिक्षा और अनुशासन से प्रेम करता है, वह तो ज्ञान से प्रेम यूँ ही करता है। किन्तु जो सुधार से घृणा करता है, वह तो निरा मूर्ख है।
धन के समान बुद्धि भी रक्षा करती है। बुद्धि के ज्ञान का लाभ यह है कि यह विवेकी जन को जीवित रखता है।
क्योंकि जो मुझको पा लेता वही जीवन पाता और वह यहोवा का अनुग्रह पाता है।
किन्तु जो मुझको, पाने में चूकता, वह तो अपनी ही हानि करता है। मुझसे जो भी जन सतत बैर रखते हैं, वे जन तो मृत्यु के प्यारे बन जाते हैं!”
आ हा, यहोवा तेरी शिक्षाओं से मुझे प्रेम है। हर घड़ी मैं उनका ही बखान किया करता हूँ।
हे यहोवा, तेरे आदेशों ने मुझे मेरे शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बनाया। तेरा विधान सदा मेरे साथ रहता है।
परमेश्वर चालाक व दुष्ट लोगों के कुचक्र को रोक देता है। इसलिये उनको सफलता नहीं मिला करती।
परमेश्वर चतुर को उसी की चतुराई भरी योजना में पकड़ता है। इसलिए उनके चतुराई भरी योजनाएं सफल नहीं होती।
मैं प्रार्थना किया करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर तुम्हें विवेक और दिव्यदर्शन की ऐसी आत्मा की शक्ति प्रदान करे जिससे तुम उस महिमावान परम पिता को जान सको।
मेरी विनती है कि तुम्हारे हृदय की आँखें खुल जायें और तुम प्रकाश का दर्शन कर सको ताकि तुम्हें पता चल जाये कि वह आशा क्या है जिसके लिये तुम्हें उसने बुलाया है। और जिस उत्तराधिकार को वह अपने सभी लोगों को देगा, वह कितना अद्भुत और सम्पन्न है।
इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।
“किन्तु कोई व्यक्ति विवेक कहाँ पा सकता है और हम कहाँ जा सकते हैं समझ पाने को
ज्ञान कहाँ रहता है लोग नहीं जानते हैं, लोग जो धरती पर रहते हैं, उनमें विवेक नहीं रहता है।
यदि कोई व्यक्ति यहोवा का अनुसरण करना चाहे, तो उसे परमेश्वर जीवन का उत्तम राह दिखाएगा।
वह व्यक्ति उत्तम वस्तुओं का सुख भोगेगा, और उस व्यक्ति की सन्ताने उस धरती की जिसे परमेश्वर ने वचन दिया था स्थायी रहेंगे।
अगर मनुष्य बुद्धिमान हो उसकी बुद्धि उसे धीरज देती है। जब वह उन लोगों को क्षमा करता है जो उसके विरूद्ध हो, तो अच्छा लगता है।
सर्वशक्तिमान यहोवा से यह पाठ मिलता है। यहोवा अद्भुत सलाह देता है। यहोवा सचमुच बहुत बुद्धिमान है।
भले—बुरे का ज्ञान जिसको नहीं होता है ऐसे मनुष्य को तो मूढ़ता सुख देती है, किन्तु समझदार व्यक्ति सीधी राह चलता है।
यहोवा की शिक्षायें सम्पूर्ण होती हैं, ये भक्त जन को शक्ति देती हैं। यहोवा की वाचा पर भरोसा किया जा सकता हैं। जिनके पास बुद्धि नहीं है यह उन्हैं सुबुद्धि देता है।
सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
ताकि वह स्वर्गिक क्षेत्र की शक्तियों और प्रशासकों को अब उस परमेश्वर के बहुविध ज्ञान को कलीसिया के द्वारा प्रकट कर सके।
यहोवा के नियम न्यायपूर्ण होते हैं, वे लोगों को प्रसन्नता से भर देते हैं। यहोवा के आदेश उत्तम हैं, वे मनुष्यों को जीने की नयी राह दिखाते हैं।
और तुझे पता है कि तू बचपन से ही पवित्र शास्त्रों को भी जानता है। वे तुझे उस विवेक को दे सकते हैं जिससे मसीह यीशु में विश्वास के द्वारा छुटकारा मिल सकता है।
हे यहोवा, तेरे आदेशों ने मुझे मेरे शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बनाया। तेरा विधान सदा मेरे साथ रहता है।
मैं अपने सब शिक्षाओं से अधिक बुद्धिमान हूँ क्योंकि मैं तेरी वाचा का पाठ किया करता हूँ।
हे परमेश्वर, तू मुझे मार्ग दिखलाता, और मुझे सम्मति देता है। अंत में तू अपनी महिमा में मेरा नेतृत्व करेगा।
हमें जो ज्ञान प्राप्त है उस समूचे का उपयोग करते हुए हम हर किसी को निर्देश और शिक्षा प्रदान करते हैं ताकि हम उसे मसीह में एक परिपूर्ण व्यक्ति बनाकर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें। व्यक्ति को उसी की सीख देते हैं तथा अपनी समस्त बुद्धि से हर व्यक्ति को उसी की शिक्षा देते हैं ताकि हर व्यक्ति को मसीह में परिपूर्ण बना कर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें।
उच्छृंखल बुद्धि को खोजता रहता है फिर भी नहीं पाता है; किन्तु भले—बुरे का बोध जिसको रहता है, उसके पास ज्ञान सहज में ही आता है।
दुष्ट जन न्याय को नहीं समझते हैं। किन्तु जो यहोवा की खोज में रहते हैं, उसे पूरी तरह जानते हैं।
जिस मन को भले बुरे का बोध होता है वह तो ज्ञान की खोज में रहता है किन्तु मूर्ख का मन, मूढ़ता पर लगता है।
क्योंकि मेरे द्वारा ही तेरी आयु बढ़ेगी, तेरे दिन बढ़ेंगे, और तेरे जीवन में वर्ष जुड़ते जोयेंगे।
किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है।
मूर्ख सुख वह शेखचिल्ली बनने में लेता है। सोचता नहीं है कभी वे पूर्ण होंगी या नहीं। सुख उसे समझदारी के बातें नहीं देती।
किन्तु परमेश्वर ने उन ही बातों को आत्मा के द्वारा हमारे लिये प्रकट किया है। आत्मा हर किसी बात को ढूँढ निकालती है यहाँ तक कि परमेश्वर की छिपी गहराइयों तक को।
परमेश्वर ने सुलैमान को उत्तम बुद्धि दी। सुलैमान अनेकों बातें समझ सकता था। उसकी बुद्धि कल्पना के परे तीव्र थी।
मुझको सहारा दे कि मैं उनको समझूँ और मैं तेरी शिक्षाओं का पालन करुँगा। मैं पूरी तरह उनका पालन करूँगा।
क्या सुबुद्धि तुझको पुकारती नहीं है? क्या समझबूझ ऊँची आवाज नहीं देती?
चाँदी नहीं बल्कि तू मेरी शिक्षा ग्रहण कर उत्तम स्वर्ग नहीं बल्कि तू ज्ञान ले।
सुबुद्धि, रत्नों, मणि माणिकों से अधिक मूल्यवान है। तेरी ऐसी मनचाही कोई वस्तु जिससे उसकी तुलना हो।”
“मैं सुबुद्धि, विवेक के संग रहती हूँ, मैं ज्ञान रखती हूँ, और भले—बुरे का भेद जानती हूँ।
यहोवा का डरना, पाप से घृणा करना है। गर्व और अहंकार, कुटिल व्यवहार और पतनोन्मुख बातों से मैं घृणा करती हूँ।
मेरे परामर्श और न्याय उचित होते हैं। मेरे पास समझ—बूझ और सामर्थ्य है।
मेरे ही साहारे राजा राज्य करते हैं, और शासक नियम रचते हैं, जो न्याय पूर्ण है।
मेरी ही सहायता से धरती के सब महानुभाव शासक राज चलाते हैं।
जो मुझसे प्रेम करते हैं, मैं भी उन्हें प्रेम करती हूँ, मुझे जो खोजते हैं, मुझको पा लेते हैं।
सम्पत्तियाँ और आदर मेरे साथ हैं। मैं खरी सम्पत्ति और यश देती हूँ।
मेरा फल स्वर्ण से उत्तम है। मैं जो उपजाती हूँ, वह शुद्ध चाँदी से अधिक है।
वह राह के किनारे ऊँचे स्थानों पर खड़ी रहती है जहाँ मार्ग मिलते हैं।
यदि यहोवा न चाहें तो, न ही कोई बुद्धि और न ही कोई अर्न्तदृष्टि, न ही कोई योजना पूरी हो सकती है।
भक्तिहीन की वाणी अपने पड़ोसी को ले डूबती है, किन्तु ज्ञान द्वारा धर्मी जन तो बच निकलता है।
योजनाएँ बनाने से पहले तू उत्तम सलाह पा लिया कर। यदि युद्ध करना हो तो उत्तम लोगों से आगुवा लें।
क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में सांसारिक चतुरता मूर्खता है। शास्त्र कहता है, “परमेश्वर बुद्धिमानों को उनकी ही चतुरता में फँसा देता।”
तेरी वाचा नित्य ही उत्तम है। अपनी वाचा को समझने में मेरी सहायता कर ताकि मैं जी सकूँ।
उस पुत्र में यहोवा की आत्मा होगी। वह आत्मा विवेक, समझबूझ, मार्ग दर्शन और शक्ति की आत्मा होगी। वह आत्मा इस पुत्र को यहोवा को समझने और उसका आदर करने में सहायता देगी।
हे यहोवा, तूने मुझे रचा है और निज हाथों से तू मुझे सहारा देता है। अपने आदेशों को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
अब तू मुझे बुद्धि और ज्ञान दे। तब मैं इन लोगों को सही राह पर ले चल सकूँगा। कोई भी तेरी सहायता के बिना इन पर शासन नहीं कर सकता!”
ताकि मनुष्य बुद्धि को पाये, अनुशासन को ग्रहण करे, जिनसे समझ भरी बातों का ज्ञान हो,
बुद्धि! तो मार्ग में ऊँचे चढ़ पुकारती है, चौराहों पर अपनी आवाज़ उठाती है।
शोर भरी गलियों के नुक्कड़ पर पुकारती है, नगर के फाटक पर निज भाषण देती है:
“अरे भोले लोगों! तुम कब तक अपना मोह सरल राहों से रखोगे? उपहास करनेवालों, तुम कब तक उपहासों में आनन्द लोगे? अरे मूर्खो, तुम कब तक ज्ञान से घृणा करोगे?
यदि मेरी फटकार तुम पर प्रभावी होती तो मैं तुम पर अपना हृदय उंडेल देती और तुम्हें अपने सभी विचार जना देती।
“किन्तु क्योंकि तुमने तो मुझको नकार दिया जब मैंने तुम्हें पुकारा, और किसी ने ध्यान न दिया, जब मैंने अपना हाथ बढ़ाया था।
तुमने मेरी सब सम्मत्तियाँ उपेक्षित कीं और मेरी फटकार कभी नहीं स्वीकारीं!
इसलिए, बदले में, मैं तेरे नाश पर हसूँगी। मैं उपहास करूँगी जब तेरा विनाश तुझे घेरेगा!
जब विनाश तुझे वैसे ही घेरेगा जैसे भीषण बबूले सा बवण्डर घेरता है, जब विनाश जकड़ेगा, और जब विनाश तथा संकट तुझे डुबो देंगे।
“तब, वे मुझको पुकारेंगे किन्तु मैं कोई भी उत्तर नहीं दूँगी। वे मुझे ढूँढते फिरेगें किन्तु नहीं पायेंगे।
क्योंकि वे सदा ज्ञान से घृणा करते रहे, और उन्होंने कभी नहीं चाहा कि वे यहोवा से डरें।
ताकि मनुष्य विवेकशील, अनुशासित जीवन पाये, और धर्म—पूर्ण, न्याय—पूर्ण, पक्षपातरहित कार्य करे,
क्योंकि वे, मेरा उपदेश कभी नहीं धारण करेंगे, और मेरी ताड़ना का तिरस्कार करेंगे।
वे अपनी करनी का फल अवश्य भोगेंगे, वे अपनी योजनाओं के कुफल से अघायेंगे!
“सीधों की मनमानी उन्हें ले डूबेगी, मूर्खों का आत्म सुख उन्हें नष्ट कर देगा।
किन्तु जो मेरी सुनेगा वह सुरक्षित रहेगा, वह बिना किसा हानि के भय से रहित वह सदा चैन से रहेगा।”
सरल सीधे जन को विवेक और ज्ञान तथा युवकों को अच्छे बुरे का भेद सिखा (बता) पायें।
कुशल जन जब किसी विपत्ति को देखता है, उससे बचने के लिये इधर उधर हो जाता किन्तु मूर्ख उसी राह पर बढ़ता ही जाता है। और वह इसके लिये दुःख ही उठाता है।
वह वस्तु सत्य है, तू इसको किसी भी मोल पर खरीद ले। ऐसे ही विवेक, अनुशासन और समझ भी प्राप्त कर; तू इनको कभी भी किसी मोल पर मत बेच।
इसी तरह यह भी तू जान ले कि आत्मा को तेरी बुद्धि मीठी लगेगी, यदि तू इसे प्राप्त करे तो उसमें निहित है तेरी भविष्य की आशा और वह तेरी आशा कभी भंग नहीं होगी।
किन्तु हमने तो सांसारिक आत्मा नहीं बल्कि वह आत्मा पायी है जो परमेश्वर से मिलती है ताकि हम उन बातों को जान सकें जिन्हें परमेश्वर ने हमें मुक्त रूप से दिया है।
तू अपनी शिक्षाएँ जो भरोसे योग्य है, मुझसे मत छीन। हे यहोवा, तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का मुझे भरोसा है।
हे यहोवा, मैं तेरी शिक्षाओं का पालन सदा और सदा के लिये करूँगा।
मुझको आशा है कि, मेरे वचन और चिंतन तुझको प्रसन्न करेंगे। हे यहोवा, तू मेरी चट्टान, और मेरा बचाने वाला है!
हे यरूशलेम, तू सम्पन्न है। तू परमेश्वर के ज्ञान और विवेक से सम्पन्न है। तू मुक्ति से भरपूर है। तू यहोवा का आदर करता है और वही आदर तुझे सम्पन्न बनाता है। इसीलिए तू जान सकता है कि तू सदा बना रहेगा।
अरे ओ आलसी, चींटी के पास जा। उसकी कार्य विधि देख और उससे सीख ले।
उसका न तो काई नायक है, न ही कोई निरीक्षक न ही कोई शासक है।
फिर भी वह ग्रीष्म में भोजन बटोरती है और कटनी के समय खाना जुटाती है।
ऐसा भला क्यों होगा? क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है और वह दुर्जनों का विनाश करता है।
हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे। मेरे वचनों को तू कान लगा कर सुन।
उन्हें अपनी दृष्टि से ओझल मत होने दे। अपने हृदय पर तू उन्हें धरे रह।
यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं। लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा का पालन कर और अपनी माता की सीख को कभी मत त्याग।
अपने हृदय पर उनको सदैव बाँध रह और उन्हें अपने गले का हार बना ले।
जब तू आगे बढ़ेगा, वे राह दिखायेंगे। जब तू सो जायेगा, वे तेरी रखवाली करेंगे और जब तू जागेगा, वे तुझसे बातें करेंगे।
मेरे लिये संकट अच्छ बन गया था। मैंने तेरी शिक्षाओं को सीख लिया।
हे यहोवा, तेरी शिक्षाएँ मेरे लिए भली है। तेरी शिक्षाएँ हजार चाँदी के टुकड़ों और सोने के टुकड़ों से उत्तम हैं।
हे मेरे पुत्र, यदि तेरा मन विवेकपूर्ण रहता है तो मेरा मन भी आनन्दपूर्ण रहेगा।
और तेरे होंठ जब जो उचित बोलते हैं, उससे मेरा अर्न्तमन खिल उठता है।
मैं तुझे अन्धेरे में रखी हुई दौलत दूँगा। मैं तुझको छिपी हुई सम्पत्ति दूँगा। मैं ऐसा करूँगा ताकि तुझको पता चल जाये कि मैं इस्राएल का परमेश्वर हूँ, और मैं तुझको तेरे नाम से पुकार रहा हूँ!
यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को प्रसन्न करता है तो परमेश्वर उसे बुद्धि, ज्ञान और आनन्द प्रदान करता है। किन्तु वह व्यक्ति जो उसे अप्रसन्न करता है, वह तो बस वस्तुओं के संचय और उन्हें ढोने का ही काम करता रहेगा। परमेश्वर बुरे व्यक्तियों से लेकर अच्छे व्यक्तियों को देता रहता है। इस प्रकार यह समग्र कर्म व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।
तेरी आँखों के आगे सदा सीधा मार्ग रहे और तेरी टकटकी आगे ही लगी रहें।
अपने पैरों के लिये तू सीधा मार्ग बना। बस तू उन राहों पर चल जो निश्चित सुरक्षित हैं।
दाहिने को अथवा बायें को मत डिग। तू अपने चरणों को बुराई से रोके रह।
मैं यहोवा के गुण गात हूँ क्योंकि उसने मुझे ज्ञान दिया। मेरे अन्तर्मन से रात में शिक्षाएं निकल कर आती हैं।
ज्ञानी जनों का ज्ञान इसी में है, कि वे अपनी राहों का चिंतन करें, मूर्खता मूर्ख की छल में बसती है।
हे यहोवा, मेरी सहायता कर ताकि मैं तेरी व्यवस्था का विधान समझूँ। मुझे उन अद्भुत कर्मो का चिंतन करने दे जिन्हें तूने किया है।
किन्तु व्यक्ति में परमेश्वर की आत्मा बुद्धि देती है और सर्वशक्तिशाली परमेश्वर का प्राण व्यक्ति को ज्ञान देता है।
समझदार पुत्र निज पिता की शिक्षा पर कान देता, किन्तु उच्छृंखल झिड़की पर भी ध्यान नहीं देता।
हे मेरे पुत्र, तू मेरी बुद्धिमता की बातों पर ध्यान दे। मेरे अर्न्तदृष्टि के वचन को लगन से सुन।
ऐसा न हो, तुम्हारे धन पर अजनबी मौज करें। तुम्हारा परिश्रम औरों का घर भरे।
जब तेरा माँस और काया चूक जायेंगे तब तुम अपने जीवन के आखिरी छोर पर रोते बिलखते यूँ ही रह जाओगे।
और तुम कहोगे, “हाय! अनुशासन से मैंने क्यों बैर किया क्यों मेरा मन सुधार की उपेक्षा करता रहा
मैंने अपने शिक्षकों की बात नहीं मानी अथवा मैंने अपने प्रशिक्षकों पर ध्यान नहीं दिया।
मैं सारी मण्डली के सामने, महानाश के किनारे पर आ गया हूँ।”
तू अपने जल—कुंड से ही पानी पिया कर और तू अपने ही कुँए से स्वच्छ जल पिया कर।
तू ही कह, क्या तेरे जलस्रोत राहों में इधर उधर फैल जायें और तेरी जलधारा चौराहों पर फैले
ये तो बस तेरी हो, एकमात्र तेरी ही। उसमे कभी किसी अजनबी का भाग न हो।
तेरा स्रोत धन्य रहे और अपने जवानी की पत्नी के साथ ही तू आनन्दित रह का रसपान।
तेरी वह पत्नी, प्रियतमा, प्राणप्रिया, मनमोहक हिरणी सी तुझे सदा तृप्त करे। उसके माँसल उरोज और उसका प्रेम पाश तुझको बाँधे रहे।
जिससे तेरा भले बुरे का बोध बना रहे और तेरे होठों पर ज्ञान संरक्षित रहे।
उसके भंडार में खरी बुद्धि उनके लिये रहती जो खरे हैं, और उनके लिये जिनका चाल चलन विवेकपूर्ण रहता है। वह जैसे एक ढाल है।
किन्तु हमको पता है कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें वह ज्ञान दिया है ताकि हम उस परमेश्वर को जान लें जो सत्य है। और यह कि हम उसी में स्थित हैं, जो सत्य है, क्योंकि हम उसके पुत्र यीशु मसीह में स्थिर हैं। परम पिता ही सच्चा परमेश्वर है और वही अनन्त जीवन है।
कुटिल की राहें काँटों से भरी होती है और वहाँ पर फंदे फैले होते हैं; किन्तु जो निज आत्मा की रक्षा करता है वह तो उनसे दूर ही रहता है।
नेक जन का पिता महा आनन्दित रहता और जिसका पुत्र विवेक पूर्ण होता है वह उसमें ही हर्षित रहता है।
जैसे उत्तराधिकार में सम्पत्ति का प्राप्त करना अच्छा है वैसे ही बुद्धि को पाना भी उत्तम है। जीवन के लिये यह लाभदायक है।
धन के समान बुद्धि भी रक्षा करती है। बुद्धि के ज्ञान का लाभ यह है कि यह विवेकी जन को जीवित रखता है।
यह मैं इसलिए कह रहा हूँ कि एक समय था जब तुम अंधकार से भरे थे किन्तु अब तुम प्रभु के अनुयायी के रूप में ज्योति से परिपूर्ण हो। इसलिए प्रकाश पुत्रों का सा आचरण करो।
हर प्रकार के धार्मिकता, नेकी और सत्य में ज्योति का प्रतिफलन दिखायी देता है।
हे यहोवा, तेरे उपदेश तेरे सेवक को आगाह करते है, और जो उनका पालन करते हैं उन्हें तो वरदान मिलते हैं।