सोचो, उपवास हमें परमेश्वर के बच्चों के रूप में बढ़ने में कैसे मदद करता है। ये हमें परमेश्वर के और करीब लाता है, हमारे स्वर्गीय पिता के साथ हमारा रिश्ता और मजबूत करता है। उपवास सिर्फ़ अपने फायदे के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि परमेश्वर में अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए। ये एक ऐच्छिक चीज़ है, जब हम खाने की शारीरिक ज़रूरत को कुछ देर के लिए अनदेखा करते हैं और उस समय का उपयोग अपने आत्मा को पोषित करने और मजबूत करने के लिए करते हैं। ये परमेश्वर की उपस्थिति को खास तौर पर महसूस करने का समय होता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप उपवास किसी शांत जगह पर करें जहाँ आप अकेले में परमेश्वर से बात कर सकें। जैसे दानिय्येल 9:3 में लिखा है, "मैंने उपवास, टाट और राख में रहकर प्रार्थना और विनती करने के लिए अपना मुंह प्रभु परमेश्वर की ओर फेरा।"
“जब तुम उपवास करो तो मुँह लटकाये कपटियों जैसे मत दिखो। क्योंकि वे तरह तरह से मुँह बनाते हैं ताकि वे लोगों को जतायें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ उन्हें तो पहले ही उनका प्रतिफल मिल चुका है।किन्तु जब तू उपवास रखे तो अपने सिर पर सुगंध मल और अपना मुँह धो।ताकि लोग यह न जानें कि तू उपवास कर रहा है। बल्कि तेरा परम-पिता जिसे तू देख नहीं सकता, देखे कि तू उपवास कर रहा है। तब तेरा परम पिता जो तेरे छिपकर किए गए सब कर्मों को देखता है, तुझे उनका प्रतिफल देगा।
“मैं तुम्हें बताऊँगा कि मुझे कैसा विशेष दिन चाहिये—एक ऐसा दिन जब लोगों को आज़ाद किया जाये। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम लोगों के बोझ को उन से दूर कर दो। मैं एक ऐसा दिन चाहता हूँ जब तुम दु:खी लोगों को आज़ाद कर दो। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम उनके कंधों से भार उतार दो।मैं चाहता हूँ कि तुम भूखे लोगों के साथ अपने खाने की वस्तुएँ बाँटो। मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे गरीब लोगों को ढूँढों जिनके पास घर नहीं है और मेरी इच्छा है कि तुम उन्हें अपने घरों में ले आओ। तुम जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखो, जिसके पास कपड़े न हों तो उसे अपने कपड़े दे डालो। उन लोगों की सहायता से मुँह मत मोड़ो, जो तुम्हारे अपने हों।”
यहोवा का यह संदेश है: “अपने पूर्ण मन के साथ अब मेरे पास लौट आओ। तुमने बुरे कर्म किये हैं। विलाप करो और निराहार रहो!”अरे वस्त्र नहीं, तुम अपने ही मन को फाड़ो। तुम लौट कर अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाओ। वह दयालु और करूणापूर्ण है। उसको शीघ्र क्रोध नहीं आता है। उसका प्रेम महान है। सम्भव है जो क्रोध दण्ड उसने तुम्हारे लिये सोचा है, उसके लिये अपना मन बदल ले।
फिर मैं अपने स्वामी परमेश्वर की ओर मुड़ा और उससे प्रार्थना करते हुए सहायता की याचना की। मैंने भोजन करना छोड़ दिया और ऐसे कपड़े पहन लिये जिनसे यह लगे कि मैं दु:खी हूँ। मैंने अपने सिर पर धूल डाल ली।
वे जब उपवास करते हुए प्रभु की उपासना में लगे हुए थे, तभी पवित्र आत्मा ने कहा, “बरनाबास और शाऊल को जिस काम के लिये मैंने बुलाया है, उसे करने के लिये मेरे निमित्त, उन्हें अलग कर दो।”इस सब कुछ में कोई लगभग साढ़े चार सौ वर्ष लगे। “इसके बाद शमूएल नबी के समय तक उसने उन्हें अनेक न्यायकर्ता दिये।फिर उन्होंने एक राजा की माँग की, सो परमेश्वर ने बिन्यामीन के गोत्र के एक व्यक्ति कीश के बेटे शाऊल को चालीस साल के लिये उन्हें दे दिया।फिर शाऊल को हटा कर उसने उनका राजा दाऊद को बनाया जिसके विषय में उसने यह साक्षी दी थी, ‘मैंने यिशे के बेटे दाऊद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पाया है, जो मेरे मन के अनुकूल है। जो कुछ मैं उससे कराना चाहता हूँ, वह उस सब कुछ को करेगा।’“इस ही मनुष्य के एक वंशज को अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार परमेश्वर इस्राएल में उद्धारकर्ता यीशु के रूप में ला चुका है।उसके आने से पहले यूहन्ना इस्राएल के सभी लोगों में मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करता रहा है।यूहन्ना जब अपने काम को पूरा करने को था, तो उसने कहा था, ‘तुम मुझे जो समझते हो, मैं वह नहीं हूँ। किन्तु एक ऐसा है जो मेरे बाद आ रहा है। मैं जिसकी जूतियों के बन्ध खोलने के लायक भी नहीं हूँ।’“भाईयों, इब्राहीम की सन्तानो और परमेश्वर के उपासक ग़ैर यहूदियो! उद्धार का यह सुसंदेश हमारे लिए ही भेजा गया है।यरूशलेम में रहने वालों और उनके शासकों ने यीशु को नहीं पहचाना। और उसे दोषी ठहरा दिया। इस तरह उन्होंने नबियों के उन वचनों को ही पूरा किया जिनका हर सब्त के दिन पाठ किया जाता है।और यद्यपि उन्हें उसे मृत्यु दण्ड देने का कोई आधार नहीं मिला, तो भी उन्होंने पिलातुस से उसे मरवा डालने की माँग की।“उसके विषय में जो कुछ लिखा था, जब वे उस सब कुछ को पूरा कर चुके तो उन्होंने उसे क्रूस पर से नीचे उतार लिया और एक कब्र में रख दिया।सो जब शिक्षक और नबी अपना उपवास और प्रार्थना पूरी कर चुके तो उन्होंने बरनाबास और शाऊल पर अपने हाथ रखे और उन्हें विदा कर दिया।
वहाँ अहवा नदी के पास, मैंने (एज्रा) घोषणा की कि हमें उपवास रखना चाहिये। हमें अपने को परमेश्वर के सामने विनम्र बनाने के लिये उपवास रखना चाहिये। हम लोग परमेश्वर से अपने लिये, अपने बच्चों के लिये, और जो चीज़ें हमारी थीं, उनके साथ सुरक्षित यात्रा के लिये प्रार्थना करना चाहते थे।राजा अर्तक्षत्र से, अपनी यात्रा के समय अपनी सुरक्षा के लिये सैनिक और घुड़सवारों को माँगने में मैं लज्जित था। सड़क पर शत्रु थे। मेरी लज्जा का कारण यह था कि हमने राजा से कह रखा था कि, “हमारा परमेश्वर उस हर व्यक्ति के साथ है जो उस पर विश्वास करता है और परमेश्वर उस हर एक व्यक्ति पर क्रोधित होता है जो उससे मुँह फेर लेता है।”इसलिये हम लोगों ने अपनी यात्रा के बारे में उपवास रखा और परमेश्वर से प्रार्थना की। उसने हम लोगों की प्रार्थना सुनी।
यहोशापात डर गया और उसने यहोवा से यह पूछने का निश्चय किया कि मैं क्या करुँ उसने यहूदा में हर एक के लिये उपवास का समय घोषित किया।यही कारण है कि यहोशापात के राज्य में शान्ति रही। यहोशापात के परमेश्वर ने उसे चारों ओर से शान्ति दी।यहोशापात ने यहूदा देश पर शासन किया। यहोशापात ने जब शासन आरम्भ किया तो वह पैंतीस वर्ष का था। उसने पच्चीस वर्ष यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ का नाम अजूबा था। अजूबा शिल्ही की पुत्री थी।यहोशापात सच्चे मार्ग पर अपने पिता आसा की तरह रहा। यहोशापात, आसा के मार्ग का अनुसरण करने से मुड़ा नहीं। यहोशापात ने यहोवा की दृष्टि में उचित किया।किन्तु उच्च स्थान नहीं हटाये गये और लोगों ने अपना हृदय उस परमेश्वर का अनुसरण करने में नहीं लगाया जिसका अनुसरण उनके पूर्वज करते थे।यहोशापात ने आरम्भ से अन्त तक जो कुछ किया वह येहू की रचनाओं में लिखा है। येहू के पिता का नाम हनानी था। ये बातें इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखी हुई हैं।कुछ समय पश्चात यहूदा के राजा यहोशापात ने इस्राएल के राजा अहज्याह के साथ सन्धि की। अहज्याह ने बुरा किया।यहोशापात ने अहज्याह का साथ तर्शीश नगर में जहाज जाने देने में दिया। उन्होंने जहाजों को एस्योन गेबेर नगर में बनाया।तब एलीआजर ने यहोशापात के विरुद्ध कहा। एलीआजर के पिता का नाम दोदावाह था। एलीआजर मारेशा नगर का था। उसने कहा, “यहोशापात, तुम अहज्याह के साथ मिल गये हो, यही कारण है कि यहोवा तुम्हारे कार्य को नष्ट करेगा।” जहाज टूट गए, अत: यहोशापात और अहज्याह उन्हें तर्शीश नगर को न भेज सके।यहूदा के लोग एक साथ यहोवा से सहायता माँगने आए। वे यहूदा के सभी नगरों से यहोवा की सहायता माँगने आए।
मैंने जब यरूशलेम के लोगों और नगर परकोटे के बारे मैं वे बातें सुनीं तो में बहुत व्याकुल हो उठा। मैं बैठ गया और चिल्ला उठा। मैं बहुत व्याकुल था। बहुत दिन तक मैं स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए उपवास करता रहा।
पवित्र आत्मा से भावित होकर यीशु यर्दन नदी से लौट आया। आत्मा उसे वीराने में राह दिखाता रहा।क्योंकि शास्त्र में लिखा है: ‘वह अपने स्वर्गदूतों को तेरे विषय में आज्ञा देगा कि वे तेरी रक्षा करें।’ और लिखा है: ‘वे तुझे अपनी बाहों में ऐसे उठा लेंगे कि तेरे पैर तक किसी पत्थर को न छुए।’” यीशु ने उत्तर देते हुए कहा, “शास्त्र में यह भी लिखा है: ‘तुझे अपने प्रभु परमेश्वर को परीक्षा में नहीं डालना चाहिये।’” सो जब शैतान उसकी सब तरह से परीक्षा ले चुका तो उचित समय तक के लिये उसे छोड़ कर चला गया।फिर आत्मा की शक्ति से पूर्ण होकर यीशु गलील लौट आया और उस सारे प्रदेश में उसकी चर्चाएं फैलने लगी।वह उनकी आराधनालयों में उपदेश देने लगा। सभी उसकी प्रशंसा करते थे।फिर वह नासरत आया जहाँ वह पला-बढ़ा था। और अपनी आदत के अनुसार सब्त के दिन वह यहूदी आराधनालय में गया। जब वह पढ़ने के लिये खड़ा हुआतो यशायाह नबी की पुस्तक उसे दी गयी। उसने जब पुस्तक खोली तो उसे वह स्थान मिला जहाँ लिखा था:“प्रभु का आत्मा मुझमें समाया है उसने मेरा अभिषेक किया है ताकि मैं दीनों को सुसमाचार सुनाऊँ। उसने मुझे बंदियों को यह घोषित करने के लिए कि वे मुक्त हैं, अन्धों को यह सन्देश सुनाने को कि वे फिर दृष्टि पायेंगे, दलितो को छुटकारा दिलाने को औरप्रभु के अनुग्रह का समय बतलाने को भेजा है।” वहाँ शैतान ने चालीस दिन तक उसकी परीक्षा ली। उन दिनों यीशु बिना कुछ खाये रहा। फिर जब वह समय पूरा हुआ तो यीशु को बहुत भूख लगी।
मूसा वहाँ यहोवा के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहा। उस पूरे समय उसने न भोजन किया न ही पानी पिया। और मूसा ने साक्षीपत्र के शब्दों के (दस आदेशों) को, पत्थर की दो समतल पट्टियों पर लिखा।
हर कलीसिया में उन्होंने उन्हें उस प्रभु को सौंप दिया जिसमें उन्होंने विश्वास किया था।
उन पर जब दु:ख पड़ा, उनके लिए मैं दु:खी हुआ। मैंने भोजन को त्याग कर अपना दु:ख व्यक्त किया। जो मैंने उनके लिए प्रार्थना की, क्या मुझे यही मिलना चाहिए?उन लोगों के लिए मैंने शोक वस्त्र धारण किये। मैंने उन लोगों के साथ मित्र वरन भाई जैसा व्यवहार किया। मैं उस रोते मनुष्य सा दु:खी हुआ, जिसकी माता मर गई हो। ऐसे लोगों से शोक प्रकट करने के लिए मैंने काले वस्त्र पहन लिए। मैं दु:ख में डूबा और सिर झुका कर चला।
एलिय्याह के कथन के पूरा होने पर अहाब बहुत दुःखी हुआ। उसने अपने वस्त्रों को यह दिखाने के लिये फाड़ डाला कि उसे दुःख है। तब उसने शोक के विशेष वस्त्र पहन लिये। अहाब ने खाने से इन्कार कर दिया। वह उन्हीं विशेष वस्त्रों को पहने हुए सोया। अहाब बहुत दुःखी और उदास था।यहोवा ने एलिय्याह नबी से कहा,“मैं देखता हूँ कि अहाब मेरे सामने विनम्र हो गया है। अत: उसके जीवन काल में मैं उस पर विपत्ति नहीं आने दूँगा। मैं तब तक प्रतीक्षा करूँगा जब तक उसका पुत्र राजा नहीं बन जाता। तब मैं अहाब के परिवार पर विपत्ति आने दूँगा।”
फिर बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के शिष्य यीशु के पास गये और उससे पूछा, “हम और फ़रीसी बार-बार उपवास क्यों करते हैं और तेरे अनुयायी क्यों नहीं करते?”फिर यीशु ने उन्हें बताया, “क्या दूल्हे के साथी, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे जब दूल्हा उन से छीन लिया जायेगा। फिर उस समय वे दुःखी होंगे और उपवास करेंगे।
दानिय्येल का कहना है, “उस समय मैं, दानिय्येल, तीन सप्ताहों तक बहुत दु:खी रहा।सो उसने फिर कहा, “दानिय्येल, क्या तू जानता है, मैं तेरे पास क्यों आया हूँ फारस के युवराज (स्वर्गदूत) से युद्ध करने के लिये मुझे फिर वापस जाना है। मेरे चले जाने के बाद यूनान का युवराज (स्वर्गदूत) यहाँ आयेगा।किन्तु दानिय्येल अपने जाने से पहले तुम को सबसे पहले यह बताना है कि सत्य की पुस्तक में क्या लिखा है। उन बुरे राजकुमारों (स्वर्गदूतों) के विरोध में मीकाएल स्वर्गदूत के अलावा मेरे साथ कोई नहीं खड़ा होता। मीकाएल वह राजकुमार है (स्वर्गदूत) जो तेरे लोगों पर शासन करता है।उन तीन सप्ताहों के दौरान, मैंने कोई भी चटपटा खाना नहीं खाया। मैंने किसी भी प्रकार का माँस नहीं खाया। मैंने दाखमधु नही पी। किसी भी तरह का तेल मैंने अपने सिर में नहीं डाला। तीन सप्ताह तक मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।”
अब वे लोग कहते हैं, “तेरे प्रति आदर दिखाने के लिये हम भोजन करना बन्द कर देते हैं। तू हमारी ओर देखता क्यों नहीं तेरे प्रति आदर व्यक्त करने के लिये हम अपनी देह को क्षति पहुँचाते हैं। तू हमारी ओर ध्यान क्यों नहीं देता” किन्तु यहोवा कहता है, “उपवास के उन दिनों में उपवास रखते हुए तुम्हें आनन्द आता है किन्तु उन्हीं दिनों तुम अपने दासों का खून चूसते हो।जब तुम उपवास करते हो तो भूख की वजह से लड़ते—झगड़ते हो और अपने दुष्ट मुक्कों से आपस में मारा—मारी करते हो। यदि तुम चाहते हो कि स्वर्ग में तुम्हारी आवाज सुनी जाये तो तुम्हें उपवास ऐसे नहीं रखना चाहिये जैसे तुम आज कल रखते हो।तुम क्या यह सोचते हो कि भोजन नहीं करने के उन विशेष दिनों में बस मैं लोगों को अपने शरीरों को दु:ख देते देखना चाहता हूँ क्या तुम ऐसा सोचते हो कि मैं लोगों को दु:खी देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को मुरझाये हुए पौधों के समान सिर लटकाये और शोक वस्त्र पहनते देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को अपना दु:ख प्रकट करने के लिये राख में बैठे देखना चाहता हूँ यही तो वह सब कुछ है जो तुम खाना न खाने के दिनों में करते हो। क्या तुम ऐसा सोचते हो कि यहोवा तुमसे बस यही चाहता है
फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली।फ़िरौन को तूने दिखाये थे चमत्कार। तूने हाकिमों को उसके और उसके लोगों को दिखाये थे अद्भुत कर्म। तुझको यह ज्ञान था कि सोचा करते थे मिस्री कि वे उत्तम हैं हमारे पूर्वजों से। किन्तु प्रमाणित कर दिया तूने कि तू कितना महान है! और है उसकी याद बनी हुई उनको आज तक भी!सामने उनके लाल सागर को विभक्त किया था तूने, और वे पार हो गये थे सूखी धरती पर चलते हुए! मिस्र के सैनिक पीछा कर रहे थे उनका। किन्तु डुबा दिया तूने था शत्रु को सागर में। और वे डूब गये सागर में जैसे डूब जाता है पानी में पत्थर।मीनार जैसे बादल से दिन में उन्हें राह तूने दिखाई और अग्नि के खंभे का प्रयोग कर रात में उनको तूने दिखाई राह। मार्ग को तूने उनके इस प्रकार कर दिया ज्योर्तिमय और दिखा दिया उनको कि कहाँ उन्हें जाना है।फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से तूने था उनको सम्बोधित किया। उत्तम विधान दे दिया तूने उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको। व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम!तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में। तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये। व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ।जब उनको भूख लगी, बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से। जब उन्हें प्यास लगी, चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’ तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको!किन्तु वे पूर्वज हमारे, हो गये अभिमानी: वे हो गये हठी थे। कर दिया उन्होंने मना आज्ञाएँ मानने से तेरी।कर दिया उन्होंने मना सुनने से। वे भूले उन अचरज भरी बातों को जो तूने उनके साथ की थीं। वे हो गये जिद्दी! विद्रोह उन्होंने किया, और बना लिया अपना एक नेता जो उन्हें लौटा कर ले जाये। फिर उनकी उसी दासता में किन्तु तू तो है दयावान परमेश्वर! तू है दयालु और करुणापूर्ण तू है। धैर्यवान है तू और प्रेम से भरा है तू! इसलिये तूने था त्यागा नहीं उनको।चाहे उन्होंने बना लिया सोने का बछड़ा और कहा, ‘बछड़ा अब देव है तुम्हारा’ इसी ने निकाला था, तुम्हें मिस्र से बाहर किन्तु उन्हें तूने त्यागा नहीं!तू बहुत ही दयालु है! इसलिये तूने उन्हें मरुस्थल में त्यागा नहीं। दूर उनसे हटाया नहीं दिन में तूने बादल के खम्भें को मार्ग तू दिखाता रहा उनको। और रात में तूने था दूर किया नहीं उनसे अग्नि के पुंज को! प्रकाशित तू करता रहा रास्ते को उनके। और तू दिखाता रहा कहाँ उन्हें जाना है!वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया।
“याजकों और इस देश के अन्य लोगों से यह कहो: जो उपवास और शोक पिछले सत्तर वर्ष से वर्ष के पाँचवें और सातवें महीने में तुम करते आ रहे हो, क्या वह उपवास, सच ही, मेरे लिये थानहीं!
इस्राएली मिस्पा में एक साथ इकट्ठे हुए। वे जल लाये और यहोवा के सामने वह जल चढ़ाया। इस प्रकार उन्होंने उपवास का समय आरम्भ किया। उन्होने उस दिन भोजन नहीं किया और उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “हम लोगों ने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है।” इस प्रकार शमूएल ने मिस्पा में इस्राएल के न्यायाधीश के रूप में काम किया।
अपने आप को प्रार्थना में समर्पित करने के लिये थोड़े समय तक एक दूसरे से समागम न करने की आपसी सहमती को छोड़कर, एक दूसरे को संभोग से वंचित मत करो। फिर आत्म-संयम के अभाव के कारण कहीं शैतान तुम्हें किसी परीक्षा में न डाल दे, इसलिए तुम फिर समागम कर लो।
दाऊद ने बच्चे के लिये परमेश्वर से प्रार्थना की। दाऊद ने खाना—पीना बन्द कर दिया। वह अपने घर में गया और उसमें ठहरा रहा। वह रातभर भूमि पर लेटा रहा।
लोगों को बता दो कि एक ऐसा समय आयेगा जब भोजन नहीं किया जायेगा। एक विशेष सभा के लिए लोगों को बुला लो। सभा में मुखियाओं और उस धरती पर रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा करो। उन्हें अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर में ले आओ और यहोवा से विनती करो।
तब इस्राएल के सभी लोग बेतेल नगर तक गए। उस स्थान पर वे बैठे और यहोवा को रोकर पुकारा। उन्होंने पूरे दिन शाम तक कुछ नहीं खाया। वे होमबलि और मेलबलि भी यहोवा के लिये लाए।
क्योंकि मैं भूखा हूँ इसलिए मेरे घुटने दुर्बल हो गये हैं। मेरा भार घटता ही जा रहा है, और मैं सूखता जा रहा हूँ।
अत: एलिय्याह उठा। उसने खाया, पिया। भोजन ने उसे इतना शक्तिशाली बना दिया कि वह चालीस दिन और रात यात्रा कर सके। वह होरेब पर्वत तक गया जो परमेश्वर का पर्वत है।
इस पर कुरनेलियुस ने कहा, “चार दिन पहले इसी समय दिन के नवें पहर (तीन बजे) मैं अपने घर में प्रार्थना कर रहा था। अचानक चमचमाते वस्त्रों में एक व्यक्ति मेरे सामने आकर खड़ा हुआ।और कहा, ‘कुरनेलियुस! तेरी विनती सुन ली गयी है और दीन दुखियों को दिये गये तेरे दान परमेश्वर के सामने याद किये गये हैं।
इसके बाद राजा दारा अपने महल को वापस चला गया। उस रात उसने खाना नहीं खाया। वह नहीं चाहता था कि कोई उसके पास आये और उसका मन बहलाये। राजा सारी रात सो नहीं पाया।
परमेश्वर की ओर से मिले इस सन्देश पर, नीनवे के लोगों ने विश्वास किया और उन लोगों ने कुछ समय के लिए खाना छोड़कर अपने पापों पर सोच—विचार करने का निर्णय लिया। लोगों ने अपना दु:ख व्यक्त करने के लिये विशेष प्रकार के वस्त्र धारण कर लिये। नगर के सभी लोगों ने चाहे वे बहुत बड़े या बहुत छोटे हो, ऐसा ही किया।
ताकि लोग यह न जानें कि तू उपवास कर रहा है। बल्कि तेरा परम-पिता जिसे तू देख नहीं सकता, देखे कि तू उपवास कर रहा है। तब तेरा परम पिता जो तेरे छिपकर किए गए सब कर्मों को देखता है, तुझे उनका प्रतिफल देगा।
यहूदा के लोग उपवास कर सकते हैं और मुझसे प्रार्थना कर सकते हैं। किन्तु मैं उनकी प्रार्थनायें नहीं सुनूँगा। यहाँ तक कि यदि ये लोग होमबलि और अन्न भेंट चढ़ायेंगे तो भी मैं उन लोगों को नहीं अपनाऊँगा। मैं यहूदा के लोगों को युद्ध में नष्ट करुँगा। मैं उनका भोजन छीन लूँगा और यहूदा के लोग भूखों मरेंगे और मैं उन्हें भयंकर बीमारियों से नष्ट करुँगा।
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”
उन पर जब दु:ख पड़ा, उनके लिए मैं दु:खी हुआ। मैंने भोजन को त्याग कर अपना दु:ख व्यक्त किया। जो मैंने उनके लिए प्रार्थना की, क्या मुझे यही मिलना चाहिए?
सिय्योन पर नरसिंगा फूँको। उस विशेष सभा के लिये बुलावा दो। उस उपवास के विशेष समय का बुलावा दो।तुम, लोगों को जुटाओ। उस विशेष सभा के लिये उन्हें बुलाओ। तुम बूढ़े पुरूषों को एकत्र करो और बच्चे भी साथ एकत्र करो। वे छोटे शिशु भी जो अभी भी स्तन पीते हों, लाओ। नयी दुल्हन को और उसके पति को सीधे उनके शयन—कक्षों से बुलाओ।
बल्कि मैं तो अपने शरीर को कठोर अनुशासन में तपा कर, उसे अपने वश में करता हूँ। ताकि कहीं ऐसा न हो जाय कि दूसरों को उपदेश देने के बाद परमेश्वर के द्वारा मैं ही व्यर्थ ठहरा दिया जाऊँ!
मैंने जब यरूशलेम के लोगों और नगर परकोटे के बारे मैं वे बातें सुनीं तो में बहुत व्याकुल हो उठा। मैं बैठ गया और चिल्ला उठा। मैं बहुत व्याकुल था। बहुत दिन तक मैं स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए उपवास करता रहा।इसके बाद मैंने यह प्रार्थना की: “हे यहोवा, हे स्वर्ग के परमेश्वर, तू महान है तथा तू शक्तिशाली परमेश्वर है। तू ऐसा परमेश्वर है जो उन लोगों के साथ अपने प्रेम की वाचा का पालन करता है जो तुझसे प्रेम करते हैं और तेरे आदेशों पर चलते हैं।“अपनी आँखें और अपने कान खोल। कृपा करके तेरे सामने तेरा सेवक रात दिन जो प्रार्थना कर रहा है, उस पर कान दे। मैं तेरे सेवक, इस्राएल के लोगों के लिये विनती कर रहा हूँ। मैं उन पापों को स्वीकार करता हूँ जिन्हें हम इस्राएल के लोगों ने तेरे विरूद्ध किये हैं। मैंने तेरे विरूद्ध जो पाप किये हैं, उन्हें मैं स्वीकार कर रहा हूँ तथा मेरे पिता के परिवार के दूसरे लोगों ने तेरे विरूद्ध जो पाप किये हैं, मैं उन्हें भी स्वीकार करता हूँ।
हर वर्ष जब उनका परिवार शीलो में यहोवा के आराधनालय में जाता, पनिन्ना, हन्ना को परेशानी में डाल देती थी। एक दिन जब एल्काना बलि भेंट अर्पित कर रहा था। हन्ना परेशानी का अनुभव करने लगी और रोने लगी। हन्ना ने कुछ भी खाने से इन्कार कर दिया।उसके पति एलकाना ने उस से कहा, “हन्ना, तुम रो क्यों रही हो? तुम खाना क्यों नहीं खाती? तुम दुःखी क्यों हो? मैं, तुम्हारा पति, तुम्हारा हूँ। तुम्हें सोचना चाहिए कि मैं तुम्हारे लिए तुम्हारे दस पुत्रों से अच्छा हूँ।”
वे जब उपवास करते हुए प्रभु की उपासना में लगे हुए थे, तभी पवित्र आत्मा ने कहा, “बरनाबास और शाऊल को जिस काम के लिये मैंने बुलाया है, उसे करने के लिये मेरे निमित्त, उन्हें अलग कर दो।”
और फिर चौरासी वर्ष तक वह वैसे ही विधवा रही। उसने मन्दिर कभी नहीं छोड़ा। उपवास और प्रार्थना करते हुए वह रात-दिन उपासना करती रहती थी।
इसलिये हम लोगों ने अपनी यात्रा के बारे में उपवास रखा और परमेश्वर से प्रार्थना की। उसने हम लोगों की प्रार्थना सुनी।
पत्र में यह लिखा था: “यह घोषणा करो कि एक ऐसा दिन होगा जिस दिन लोग कुछ भी भोजन नहीं करेंगे। तब नगर के सभी लोगों की एक साथ एक बैठक बुलाओ। बैठक में हम नाबोत के बारे में बात करेंगे।
मैं परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए ये बातें कर रहा था। मैं इस्राएल के लोगों के और अपने पापों के बारे में बता रहा था। मैं परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर प्रार्थना कर रहा था।मैं अभी प्रार्थना कर ही हा था कि जिब्राएल मेरे पास आया। जिब्राएल वही स्वर्गदूत था जिसे मैंने दर्शन में देखा था। जिब्राएल शीघ्रता से मेरे पास आया। वह सांझ की बलि के समय आया था।मैं जिन बातों को समझना चाहता था, उन बातों को समझने में जिब्राएल ने मेरी सहायता की। जिब्राएल ने कहा, “हे दानिय्येल, मैं तुझे बुद्धि प्रदान करने और समझने में तेरी सहायता को आया हूँ।जब तूने पहले प्रार्थना आरम्भ की थी, मुझे तभी आदेश दे दिया गया था और देख मैं तुझे बताने आ गया हूँ। परमेश्वर तुझे बहुत प्रेम करता है! यह आदेश तेरी समझ में आ जायेगा और तू उस दर्शन का अर्थ जान लेगा।
वे बहुत दुःखी थे और रोये। उन्होंने शाम तक कुछ खाया नहीं। वे रोये क्योंकि शाऊल और उसका पुत्र योनातन मर गए थे। दाऊद और उसके लोग यहोवा से उन लोगों के लिये रोये जो मर गये थे, और वे इस्राएल के लिये रोये। वे इसलिये रोये कि शाऊल, उसका पुत्र योनातान और बहुत से इस्राएली युद्ध में मारे गये थे।
तब इस्राएल के सभी लोग बेतेल नगर तक गए। उस स्थान पर वे बैठे और यहोवा को रोकर पुकारा। उन्होंने पूरे दिन शाम तक कुछ नहीं खाया। वे होमबलि और मेलबलि भी यहोवा के लिये लाए।इस्राएल के लोगों ने यहोवा से एक प्रश्न पूछा। (इन दिनों परमेश्वर का साक्षीपत्र का सन्दूक बेतेल में था।पीनहास नामक एक याजक साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने सेवा करता था। पीनहास एलीआज़ार नामक व्यक्ति का पुत्र था। एलीआज़ार हारून का पुत्र था।) इस्राएल के लोगों ने पूछा, “क्या हमें बिन्यामीन के लोगों के विरूद्ध फिर लड़ने जाना चाहिए? वे लोग हमारे सम्बन्धी हैं या हम युद्ध करना बन्द कर दें?” यहोवा ने उत्तर दिया, “जाओ। कल मैं उन्हें हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”
लोगों को बता दो कि एक ऐसा समय आयेगा जब भोजन नहीं किया जायेगा। एक विशेष सभा के लिए लोगों को बुला लो। सभा में मुखियाओं और उस धरती पर रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा करो। उन्हें अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर में ले आओ और यहोवा से विनती करो।दु:खी रहो क्योंकि यहोवा का वह विशेष दिन आने को है। उस समय दण्ड इस प्रकार आयेगा जैसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कोई आक्रमण हो।
किन्तु वे दिन भी आयेंगे जब दूल्हा उनसे छीन लिया जायेगा। फिर उन दिनों में वे भी उपवास करेंगे।”
मोर्दकै ने पूरीम के उत्सव को शुरु करने के बारे में लिखा। इन दिनों को उनके निश्चित समय पर ही मनाया जाना था। यहूदी मोर्दकै और महारानी एस्तेर ने इन दो दिन के उत्सव को अपने लिये और अपनी संतानों के लिए निर्धारित किया। उन्होंने ये दो दिन निश्चित किये ताकि यहूदी उपवास और विलाप करें।
जोर से पुकारो, जितना तुम पुकार सको! अपने को मत रोको! जोर से पुकारो जैसे नरसिंगा गरजता है! लोगों को उनके बुरे कामों के बारे में जो उन्होंने किये हैं, बताओ! याकूब के घराने को उनके पापों के बारे में बताओ!तुम्हें भूखों की भूख के लिये दु:ख का अनुभव करते हुए उन्हें भोजन देना चाहिये। दु:खी लोगों की सहायता करते हुए तुम्हें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये। जब तुम ऐसा करोगे तो अन्धेरे में तुम्हारी रोशनी चमक उठेगी और तुम्हें कोई दु:ख नहीं रह जायेगा। तुम ऐसे चमक उठोगे जैसे दोपहर के समय धूप चमकती है।यहोवा सदा तुम्हारी अगुवाई करेगा। मरूस्थल में भी वह तेरे मन की प्यास बुझायेगा। यहोवा तेरी हड्डियों को मज़बूत बनायेगा। तू एक ऐसे बाग़ के समान होगा जिसमें पानी की बहुतायत है। तू एक ऐसे झरने के समान होगा जिसमें सदा पानी रहता है।बहुत वर्षों पहले तुम्हारे नगर उजाड़ दिये गये थे। इन नगरों को तुम नये सिरे से फिर बसाओगे। इन नगरों का निर्माण तुम इनकी पुरानी नीवों पर करोगे। तुम टूटे परकोटे को बनाने वाले कहलाओगे और तुम मकानों और रास्तों को बहाल करने वाले कहलाओगे।ऐसा उस समय होगा जब तू सब्त के बारे में परमेश्वर के नियमों के विरूद्ध पाप करना छोड़ देगा और ऐसा उस समय होगा जब तू उस विशेष दिन, स्वयं अपने आप को प्रसन्न करने के कामों को करना रोक देगा। सब्त के दिन को तुझे एक खुशी का दिन कहना चाहिये। यहोवा के इस विशेष दिन का तुझे आदर करना चाहिये। जिन बातों को तू हर दिन कहता और करता है, उनको न करते हुए तुझे उस विशेष दिन का आदर करना चाहिये।तब तू यहोवा में प्रसन्नता प्राप्त करेगा, और मैं यहोवा धरती के ऊँचे—ऊँचे स्थानों पर “मैं तुझको ले जाऊँगा। मैं तेरा पेट भरूँगा। मैं तुझको ऐसी उन वस्तुओं को दूँगा जो तेरे पिता याकूब के पास हुआ करती थीं।” ये बातें यहोवा ने बतायी थीं!वे सभी प्रतिदिन मेरी उपासना को आते हैं और वे मेरी राहों को समझना चाहते हैं वे ठीक वैसा ही आचरण करते हैं जैसे वे लोग किसी ऐसी जाति के हों जो वही करती है जो उचित होता है। जो अपने परमेश्वर का आदेश मानते हैं। वे मुझसे चाहते हैं कि उनका न्याय निष्पक्ष हो। वे चाहते हैं कि परमेश्वर उनके पास रहे।अब वे लोग कहते हैं, “तेरे प्रति आदर दिखाने के लिये हम भोजन करना बन्द कर देते हैं। तू हमारी ओर देखता क्यों नहीं तेरे प्रति आदर व्यक्त करने के लिये हम अपनी देह को क्षति पहुँचाते हैं। तू हमारी ओर ध्यान क्यों नहीं देता” किन्तु यहोवा कहता है, “उपवास के उन दिनों में उपवास रखते हुए तुम्हें आनन्द आता है किन्तु उन्हीं दिनों तुम अपने दासों का खून चूसते हो।जब तुम उपवास करते हो तो भूख की वजह से लड़ते—झगड़ते हो और अपने दुष्ट मुक्कों से आपस में मारा—मारी करते हो। यदि तुम चाहते हो कि स्वर्ग में तुम्हारी आवाज सुनी जाये तो तुम्हें उपवास ऐसे नहीं रखना चाहिये जैसे तुम आज कल रखते हो।तुम क्या यह सोचते हो कि भोजन नहीं करने के उन विशेष दिनों में बस मैं लोगों को अपने शरीरों को दु:ख देते देखना चाहता हूँ क्या तुम ऐसा सोचते हो कि मैं लोगों को दु:खी देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को मुरझाये हुए पौधों के समान सिर लटकाये और शोक वस्त्र पहनते देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को अपना दु:ख प्रकट करने के लिये राख में बैठे देखना चाहता हूँ यही तो वह सब कुछ है जो तुम खाना न खाने के दिनों में करते हो। क्या तुम ऐसा सोचते हो कि यहोवा तुमसे बस यही चाहता है“मैं तुम्हें बताऊँगा कि मुझे कैसा विशेष दिन चाहिये—एक ऐसा दिन जब लोगों को आज़ाद किया जाये। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम लोगों के बोझ को उन से दूर कर दो। मैं एक ऐसा दिन चाहता हूँ जब तुम दु:खी लोगों को आज़ाद कर दो। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम उनके कंधों से भार उतार दो।मैं चाहता हूँ कि तुम भूखे लोगों के साथ अपने खाने की वस्तुएँ बाँटो। मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे गरीब लोगों को ढूँढों जिनके पास घर नहीं है और मेरी इच्छा है कि तुम उन्हें अपने घरों में ले आओ। तुम जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखो, जिसके पास कपड़े न हों तो उसे अपने कपड़े दे डालो। उन लोगों की सहायता से मुँह मत मोड़ो, जो तुम्हारे अपने हों।”यदि तुम इन बातों को करोगे तो तुम्हारा प्रकाश प्रभात के प्रकाश के समान चमकने लगेगा। तुम्हारे जख्म भर जायेंगे। तुम्हारी “नेकी” (परमेश्वर) तुम्हारे आगे—आगे चलने लगोगी और यहोवा की महिमा तुम्हारे पीछे—पीछे चली आयेगी।तुम तब यहोवा को जब पुकारोगे, तो यहोवा तुम्हें उसका उत्तर देगा। जब तुम यहोवा को पुकारोगे तो वह कहेगा, “मैं यहाँ हूँ।” तुम्हें लोगों का दमन करना और लोगों को दु:ख देना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें लोगों से किसी बातों के लिये कड़वे शब्द बोलना और उन पर लांछन लगाना छोड़ देना चाहिये।
फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान के द्वारा उसे परखा जा सके।फिर यीशु ने उससे कहा, “शैतान, दूर हो! शास्त्र कहता है: ‘अपने प्रभु परमेश्वर की उपासना कर और केवल उसी की सेवा कर!’” फिर शैतान उसे छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आकर उसकी देखभाल करने लगे।यीशु ने जब सुना कि यूहन्ना पकड़ा जा चुका है तो वह गलील लौट आया।परन्तु वह नासरत में नहीं ठहरा और जाकर कफरनहूम में, जो जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र में गलील की झील के पास था, रहने लगा।यह इसलिए हुआ कि परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह के द्वारा जो कहा, वह पूरा हो:“जबूलून और नपताली के देश सागर के रास्ते पर, यर्दन नदी के पश्चिम में, ग़ैर यहूदियों के देश गलील में।जो लोग अँधेरे में जी रहे थे उन्होंने एक महान ज्योति देखी और जो मृत्यु की छाया के देश में रहते थे उन पर, ज्योति के प्रभात का एक प्रकाश फैला।” उस समय से यीशु ने सुसंदेश का प्रचार शुरू कर दिया: “मन फिराओ! क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।”जब यीशु गलील की झील के पास से जा रहा था उसने दो भाईयों को देखा शमौन (जो पतरस कहलाया) और उसका भाई अंद्रियास। वे झील में अपने जाल डाल रहे थे। वे मछुआरे थे।यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ, मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि लोगों के लिये मछलियाँ पकड़ने के बजाय मनुष्य रूपी मछलियाँ कैसे पकड़ी जाती हैं।”चालीस दिन और चालीस रात भूखा रहने के बाद जब उसे भूख बहुत सताने लगीउन्होंने तुरंत अपने जाल छोड़ दिये और उसके पीछे हो लिये।फिर वह वहाँ से आगे चल पड़ा और उसने देखा कि जब्दी का बेटा याकूब और उसका भाई यूहन्ना अपने पिता के साथ नाव में बैठे अपने जालों की मरम्मत कर रहे हैं। यीशु ने उन्हें बुलाया।और वे तत्काल नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे चल दिये।यीशु समूचे गलील क्षेत्र में यहूदी आराधनालयों में स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का उपदेश देता और हर प्रकार के रोगों और संतापों को दूर करता घूमने लगा।समस्त सीरिया देश में उसका समाचार फैल गया। इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे। यीशु ने उन्हें चंगा किया।इसलिये गलील, दस नगर, यरूशलेम, यहूदिया और यर्दन नदी पार के लोगों की बड़ी बड़ी भीड़ उसका अनुसरण करने लगी।तो उसे परखने वाला उसके पास आया और बोला, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो इन पत्थरों से कहो कि ये रोटियाँ बन जायें।”यीशु ने उत्तर दिया, “शास्त्र में लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता बल्कि वह प्रत्येक उस शब्द से जीता है जो परमेश्वर के मुख से निकालता है।’”
और मेरे नाम से पुकारे जाने वाले लोग यदि विनम्र होते तथा प्रार्थना करते हैं, और मुझे ढूंढ़ते हैं और अपने बुरे रास्तों से दूर हट जाते हैं तो मैं स्वर्ग से उनकी सुनूँगा और मैं उनके पाप को क्षमा करूँगा और उनके देश को अच्छा कर दूँगा।
भोर होने से थोड़ा पहले पौलुस ने यह कहते हुए सब लोगों से थोड़ा भोजन कर लेने का आग्रह किया कि चौदह दिन हो चुके हैं और तुम निरन्तर चिंता के कारण भूखे रहे हो। तुमने कुछ भी तो नहीं खाया है।मैं तुमसे अब कुछ खाने के लिए इसलिए आग्रह कर रहा हूँ कि तुम्हारे जीवित रहने के लिये यह आवश्यक है। क्योंकि तुममें से किसी के सिर का एक बाल तक बाँका नहीं होना है।
इसके बाद राजा दारा अपने महल को वापस चला गया। उस रात उसने खाना नहीं खाया। वह नहीं चाहता था कि कोई उसके पास आये और उसका मन बहलाये। राजा सारी रात सो नहीं पाया।अगली सुबह जैसे ही सूरज का प्रकाश फैलने लगा, राजा दारा जाग गया और शेरों की माँद की ओर दौड़ा।और इसके लिये उसने उन एक सौ बीस प्रांत—अधिपतियों के ऊपर शासन करने के लिये तीन व्यक्तियों को अधिकारी नि़युक्त कर दिया। इन तीनों देख—रेख करने वालों में एक था दानिय्येल। इन तीन व्यक्तियों की नियुक्ति राजा ने इसलिये की थी कि कोई उसके साथ छल न कर पाये और उसके राज्य की कोई भी हानि न हो।राजा बहुत चिंतित था। राजा जब शेरों की मांद के पास गया तो वहाँ उसने दानिय्येवल को ज़ोर से आवाज़ लगाई। राजा ने कहा, “हे दानिय्येल, हे जीवित परमेश्वर के सेवक, क्या तेरा परमेश्वर तुझे शेरों से बचा पाने में समर्थ हो सका है तू तो सदा ही अपने परमेश्वर की सेवा करता रहा है।”
फिर यीशु ने उन्हें बताया, “क्या दूल्हे के साथी, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे जब दूल्हा उन से छीन लिया जायेगा। फिर उस समय वे दुःखी होंगे और उपवास करेंगे।
यहोयाकीम के राज्यकाल के पाँचवें वर्ष के नवें महीने में एक उपवास घोषित हुआ। यह आज्ञा थी कि यरूशलेम में रहने वाले सभी लोग और यहूदा के नगरों से यरूशलेम में आने वाले लोग यहोवा के सामने उपवास रखेंगे।
सिय्योन पर नरसिंगा फूँको। उस विशेष सभा के लिये बुलावा दो। उस उपवास के विशेष समय का बुलावा दो।
नीनवे के राजा ने ये बातें सुनीं और उसने भी अपने बुरे कामों का शोक मनाया। इसके लिये राजा ने अपना सिंहासन छोड़ दिया। उसने अपने राजसी वस्त्र हटा दिये और अपना दु:ख व्यक्त करने के लिये शोकवस्त्र धारण कर लिये। इसके बाद वह राजा धूल में बैठ गया।राजा ने एक विशेष सन्देश लिखवाया और उस सन्देश की सारे नगर में घोषणा करवा दी: राजा और उसके बड़े शासकों की ओर से आदेश था: कुछ समय के लिये कोई भी पुरूष अथवा कोई भी पशु कुछ भी नहीं खायेगा। किसी रेवड़ या पशुओं के झुण्ड को चरागाहों में नहीं जाने दिया जायेगा। नीनवे के सजीव प्राणी न तो कुछ खायेंगे और न ही जल पीयेंगे।बल्कि हर व्यक्ति और हर पशु टाट धारण करेंगे जिससे यह दिखाई दे कि वे दु:खी हैं। लोग ऊँचे स्वर में परमेश्वर को पुकारेंगे। हर व्यक्ति को अपना जीवन बदलना होगा और उसे चाहिये कि वह बुरे कर्म करना छोड़ दे।तब हो सकता है कि परमेश्वर की इच्छा बदल जाये और उसने जो योजना रच रखी है, वैसी बातें न करे। हो सकता है परमेश्वर की इच्छा बदल जाये और कुपित न हो। तब हो सकता है कि हमें दण्ड न दिया जाये।
तब एज्रा परमेश्वर के भवन के सामने से दूर हट गया। एज्रा एल्याशीब के पुत्र योहानान के कमरे में गया। जब तक एज्रा वहाँ रहा उसने भोजन नहीं किया और न ही पानी पिया। उसने यह किया क्योंकि वह तब भी बहुत दु:खी था। वह इस्राएल के उन लोगों के लिये दु:खी था जो यरूशलेम को वापस आए थे।
तब इन लोगों ने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियाँ लीं और याबेश में पेड़ के नीचे दफनायीं। तब याबेश के लोगों ने शोक मनाया। याबेश के लोगों ने सात दिन तक खाना नहीं खाया।
फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली।फ़िरौन को तूने दिखाये थे चमत्कार। तूने हाकिमों को उसके और उसके लोगों को दिखाये थे अद्भुत कर्म। तुझको यह ज्ञान था कि सोचा करते थे मिस्री कि वे उत्तम हैं हमारे पूर्वजों से। किन्तु प्रमाणित कर दिया तूने कि तू कितना महान है! और है उसकी याद बनी हुई उनको आज तक भी!सामने उनके लाल सागर को विभक्त किया था तूने, और वे पार हो गये थे सूखी धरती पर चलते हुए! मिस्र के सैनिक पीछा कर रहे थे उनका। किन्तु डुबा दिया तूने था शत्रु को सागर में। और वे डूब गये सागर में जैसे डूब जाता है पानी में पत्थर।मीनार जैसे बादल से दिन में उन्हें राह तूने दिखाई और अग्नि के खंभे का प्रयोग कर रात में उनको तूने दिखाई राह। मार्ग को तूने उनके इस प्रकार कर दिया ज्योर्तिमय और दिखा दिया उनको कि कहाँ उन्हें जाना है।फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से तूने था उनको सम्बोधित किया। उत्तम विधान दे दिया तूने उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको। व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम!तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में। तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये। व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ।जब उनको भूख लगी, बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से। जब उन्हें प्यास लगी, चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’ तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको!किन्तु वे पूर्वज हमारे, हो गये अभिमानी: वे हो गये हठी थे। कर दिया उन्होंने मना आज्ञाएँ मानने से तेरी।कर दिया उन्होंने मना सुनने से। वे भूले उन अचरज भरी बातों को जो तूने उनके साथ की थीं। वे हो गये जिद्दी! विद्रोह उन्होंने किया, और बना लिया अपना एक नेता जो उन्हें लौटा कर ले जाये। फिर उनकी उसी दासता में किन्तु तू तो है दयावान परमेश्वर! तू है दयालु और करुणापूर्ण तू है। धैर्यवान है तू और प्रेम से भरा है तू! इसलिये तूने था त्यागा नहीं उनको।चाहे उन्होंने बना लिया सोने का बछड़ा और कहा, ‘बछड़ा अब देव है तुम्हारा’ इसी ने निकाला था, तुम्हें मिस्र से बाहर किन्तु उन्हें तूने त्यागा नहीं!तू बहुत ही दयालु है! इसलिये तूने उन्हें मरुस्थल में त्यागा नहीं। दूर उनसे हटाया नहीं दिन में तूने बादल के खम्भें को मार्ग तू दिखाता रहा उनको। और रात में तूने था दूर किया नहीं उनसे अग्नि के पुंज को! प्रकाशित तू करता रहा रास्ते को उनके। और तू दिखाता रहा कहाँ उन्हें जाना है!वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया।निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें। खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी!तूने रखा उनका ध्यान चालीस वरसों तक मरुस्थल में। उन्हें मिली हर वस्तु जिसकी उनको दरकार थी। वस्त्र उनके फटे तक नहीं पैरों में उनके कभी नहीं आई सूजन कभी किसी पीड़ा में।यहोवा तूने दिये उनको राज्य, और उनको दी जातियाँ और दूर—सुदूर के स्थान थे उनको दिये जहाँ बसते थे कुछ ही लोग धरती उन्हें मिल गयी सीहोन की सीहोन जो हशबोन का राजा था धरती उन्हें मिल गयी ओग की ओग जो बाशान का राजा था।वंशज दिये तूने अनन्त उन्हें जितने अम्बर में तारे हैं। ले आया उनको तू उस धरती पर। जिसके लिये उन के पूर्वजों को तूने आदेश दिया था कि वे वहाँ जाएँ और अधिकार करें उस पर।धरती वह उन वंशजों ने ले ली। वहाँ रह रहे कनानियों को उन्होंने हरा दिया। पराजित कराया तूने उनसे उन लोगों को। साथ उन प्रदेशों के और उन लोगों के वे जैसा चाहें वैसा करें ऐसा था तूने करा दिया।शक्तिशाली नगरों को उन्होंने हरा दिया। कब्जा किया उपजाँऊ धरती पर उन्होंने। उत्तम वस्तुओं से भरे हुए ले लिए उन्होंने घर; खुदे हुए कुँओं को ले लिया उन्होंने। ले लिए उन्होंने थे बगीचे अँगूर के। जैतून के पेड़ और फलों के पेड़ भर पेट खाया वे करते थे सो वे हो गये मोटे। तेरी दी सभी अद्भुत वस्तुओं का आनन्द वे लेते थे।और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था। तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था। ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को। जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर। किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ।सो तूने उन्हें पड़ने दिया उनके शत्रुओं के हाथों में। शत्रु ने बहुतेरे कष्ट दिये उनको जब उन पर विपदा पड़ी हमारे पूर्वजों ने थी दुहाई दी तेरी। और स्वर्ग में तूने था सुन लिया उनको। तू बहुत ही दयालु है भेज दिया तूने था लोगों को उनकी रक्षा के लिये। और उन लोगों ने छुड़ा कर बचा लिया उनको शत्रुओं से उनके।किन्तु, जैसे ही चैन उन्हें मिलता था, वैसे ही वे बुरे काम करने लग जाते बार बार। सो शत्रुओं के हाथों उन्हें सौंप दिया तूने ताकि वे करें उन पर राज। फिर तेरी दुहाई उन्होंने दी और स्वर्ग में तूने सुनी उनकी और सहायता उनकी की। तू कितना दयालु है! होता रहा ऐसा ही अनेकों बार!तूने चेताया उन्हें। फिर से लौट आने को तेरे विधान में किन्तु वे थे बहुत अभिमानी। उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को। यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर तेरे तो सचमुच जीएगा वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को। वे थे हठीले! मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे! तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया।वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था के विधान की पुस्तक का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया।
मैंने कड़ा परिश्रम करके थकावट से चूर हो कर जीवन जिया है। अनेक अवसरों पर मैं सो तक नहीं पाया हूँ। भूखा और प्यासा रहा हूँ। प्रायः मुझे खाने तक को नहीं मिल पाया है। बिना कपड़ों के ठण्ड में ठिठुरता रहा हूँ।
मैं पत्थर की शिलाओं को लेने के लिए पर्वत के ऊपर गया, जो वाचा यहोवा ने तुम्हारे साथ किया, उन शिलाओं में लिखे थे। मैं वहाँ पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा। मैंने न रोटी खाई, न ही पानी पिया।
तब इस्राएल के सभी लोग बेतेल नगर तक गए। उस स्थान पर वे बैठे और यहोवा को रोकर पुकारा। उन्होंने पूरे दिन शाम तक कुछ नहीं खाया। वे होमबलि और मेलबलि भी यहोवा के लिये लाए।इस्राएल के लोगों ने यहोवा से एक प्रश्न पूछा। (इन दिनों परमेश्वर का साक्षीपत्र का सन्दूक बेतेल में था।
किन्तु शाऊल ने उस दिन एक बड़ी गलती की। इस्राएली भूखे और थके थे। यह इसलिए हुआ कि शाऊल ने लोगों को यह प्रतिज्ञा करने को विवश कियाः शाऊल ने कहा, “यदि कोई व्यक्ति सन्ध्या होने से पहले भोजन करता है अथवा मेरे द्वारा शत्रु को पराजित करने के पहले भोजन करता है तो वह व्यक्ति दण्डित किया जाएगा!” इसलिए किसी भी इस्राएली सैनिक ने भोजन नहीं किया।
“जब तुम उपवास करो तो मुँह लटकाये कपटियों जैसे मत दिखो। क्योंकि वे तरह तरह से मुँह बनाते हैं ताकि वे लोगों को जतायें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ उन्हें तो पहले ही उनका प्रतिफल मिल चुका है।
उन तीन सप्ताहों के दौरान, मैंने कोई भी चटपटा खाना नहीं खाया। मैंने किसी भी प्रकार का माँस नहीं खाया। मैंने दाखमधु नही पी। किसी भी तरह का तेल मैंने अपने सिर में नहीं डाला। तीन सप्ताह तक मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।”
यहोवा तू मेरा स्वामी है। सो मेरे संग वैसा बर्ताव कर जिससे तेरे नाम का यश बढ़े। तेरी करूणा महान है, सो मेरी रक्षा कर।मैं बस एक दीन, असहाय जन हूँ। मैं सचमुच दु:खी हूँ। मेरा मन टूट चुका है।मुझे ऐसा लग रहा जैसे मेरा जीवन साँझ के समय की लम्बी छाया की भाँति बीत चुका है। मुझे ऐसा लग रहा जैसे किसी खटमल को किसी ने बाहर किया।क्योंकि मैं भूखा हूँ इसलिए मेरे घुटने दुर्बल हो गये हैं। मेरा भार घटता ही जा रहा है, और मैं सूखता जा रहा हूँ।
वहाँ अहवा नदी के पास, मैंने (एज्रा) घोषणा की कि हमें उपवास रखना चाहिये। हमें अपने को परमेश्वर के सामने विनम्र बनाने के लिये उपवास रखना चाहिये। हम लोग परमेश्वर से अपने लिये, अपने बच्चों के लिये, और जो चीज़ें हमारी थीं, उनके साथ सुरक्षित यात्रा के लिये प्रार्थना करना चाहते थे।
बल्कि हर व्यक्ति और हर पशु टाट धारण करेंगे जिससे यह दिखाई दे कि वे दु:खी हैं। लोग ऊँचे स्वर में परमेश्वर को पुकारेंगे। हर व्यक्ति को अपना जीवन बदलना होगा और उसे चाहिये कि वह बुरे कर्म करना छोड़ दे।
प्रमुखों ने घोषणा की कि एक दिन ऐसा होगा जब सभी व्यक्ति कुछ भी भोजन नहीं करेंगे। उस दिन उन्होंने सभी लोगों की बैठक एक साथ बुलाई। उन्होंने नाबोत को विशेष स्थान पर लोगों के सामने रखा।
फिर बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के शिष्य यीशु के पास गये और उससे पूछा, “हम और फ़रीसी बार-बार उपवास क्यों करते हैं और तेरे अनुयायी क्यों नहीं करते?”फिर यीशु ने उन्हें बताया, “क्या दूल्हे के साथी, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे जब दूल्हा उन से छीन लिया जायेगा। फिर उस समय वे दुःखी होंगे और उपवास करेंगे।“बिना सिकुड़े नये कपड़े का पैबंद पुरानी पोशाक पर कोई नहीं लगाता क्योंकि यह पैबंद पोशाक को और अधिक फाड़ देगा और कपड़े की खींच और बढ़ जायेगी।नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरा जाता नहीं तो मशकें फट जाती हैं और दाखरस बहकर बिखर जाता है। और मशकें भी नष्ट हो जाती हैं। इसलिये लोग नया दाखरस, नयी मशकों में भरते हैं जिससे दाखरस और मशक दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।”
हर किसी प्रांत में जहाँ कहीं भी राजा का यह आदेश पहुँचा, यहूदियों में रोना—धोना और शोक फैल गया। उन्होंने खाना छोड़ दिया और वे ऊँचे स्वर में विलाप करने लगे। बहुत से यहूदी शोक वस्त्रों को धारण किये हुए और अपने सिरों पर राख डाले हुए धरती पर पड़े थे।
यहोशापात डर गया और उसने यहोवा से यह पूछने का निश्चय किया कि मैं क्या करुँ उसने यहूदा में हर एक के लिये उपवास का समय घोषित किया।
दानिय्येल ने उस रखवाले से कहा, “कृपा करके दस दिन तक तू हमारी परीक्षा ले। हमे खाने को साग—सब्जी और पीने को पानी के सिवाय कुछ मत दे।
इस्राएली मिस्पा में एक साथ इकट्ठे हुए। वे जल लाये और यहोवा के सामने वह जल चढ़ाया। इस प्रकार उन्होंने उपवास का समय आरम्भ किया। उन्होने उस दिन भोजन नहीं किया और उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “हम लोगों ने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है।” इस प्रकार शमूएल ने मिस्पा में इस्राएल के न्यायाधीश के रूप में काम किया।पलिश्तियों ने यह सुना कि इस्राएली मिस्पा में इकट्ठा हो रहे हैं। पलिश्ती शासक इस्राएलियों के विरूद्ध आक्रमण करने गये। इस्राएलियों ने सुना कि पलिश्ती आ रहे हैं, और वे डर गए।इस्राएलियों ने शमूएल से कहा, “हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना हमारे लिये करना बन्द मत करो। यहोवा से माँगो कि वह पलिश्तियों से हमारी रक्षा करे!”
तब, जब सन्ध्या की बलि भेंट का समय हुआ, मैं उठा। मैं बहुत लज्जित था। मेरा लबादा और अंगरखा दोनों फटे थे और मैंने घुटनों के बल बैठकर यहोव अपने परमेश्वर की और हाथ फैलाये।
इस पर कुरनेलियुस ने कहा, “चार दिन पहले इसी समय दिन के नवें पहर (तीन बजे) मैं अपने घर में प्रार्थना कर रहा था। अचानक चमचमाते वस्त्रों में एक व्यक्ति मेरे सामने आकर खड़ा हुआ।
किन्तु परमेश्वर के व्यक्ति ने राजा से कहा, “मैं आपके साथ घर नहीं जाऊँगा। यदि आप मुझे अपना आधा राज्य भी दें तो भी मैं नहीं जाऊँगा। मैं इस स्थान पर न कुछ खाऊँगा, न ही कुछ पीऊँगा।यहोवा ने मुझे आदेश दिया है कि मैं कुछ न तो खाऊँ न ही पीऊँ। यहोवा ने यह भी आदेश दिया है कि मैं उस मार्ग से यात्रा न करूँ जिसका उपयोग मैंने यहाँ आते समय किया।”
इसके बाद दर्शन के उस पुरूष ने फिर बोलना आरम्भ किया। उसने कहा, “दानिय्येल, डर मत। पहले ही दिन से तूने यह निश्चय कर लिया था कि तू परमेश्वर के सामने विवेकपूर्ण और विनम्र रहेगा। परमेश्वर तेरी प्रार्थनाओं को सुनता रहा है। तू प्रार्थना करता रहा है, मैं इसलिये तेरे पास आया हूँ।किन्तु फारस का युवराज (स्वर्गदूत) इक्कीस दिन तक मेरे साथ लड़ता रहा और मुझे तंग करता रहा। इसके बाद मिकाएल जो एक अत्यंत महत्वपूर्ण युवराज (स्वर्गदूत) था। मेरी सहायता के लिये मेरे पास आया क्योंकि मैं वहाँ फारस के राजा के साथ उलझा हुआ था।
जैसे एक हिरण शीतल सरिता का जल पीने को प्यासा है। वैसे ही, हे परमेश्वर, मेरा प्राण तेरे लिये प्यासा है।मेरे शत्रुओं ने मुझे मारने का जतन किया। वे मुझ पर निज घृणा दिखाते हैं जब वे कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”मैं इतना दुखी क्यों हूँ? मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा। वह मुझे बचाएगा।मेरा प्राण जीवित परमेश्वर का प्यासा है। मै उससे मिलने के लिये कब आ सकता हुँ?
मैंने (एज्रा) उन सभी लोगों को अहवा की और बहने वाली नदी के पास एक साथ इकट्ठा होने को बुलाया। हम लोगों ने वहाँ तीन दिन तक डेरा डाला। मुझे यह पता लगा कि उस समूह में याजक थे, किन्तु कोई लेवीवंशी नहीं था।सो मैंने इन प्रमुखों को बुलाया: एलीएजेर, अरीएल, शमायाह, एलनातान, यारीब, एलनातान, नातान, जकर्याह और मशुल्लाम और मैंने योयारीब और एलनातान (ये लोग शिक्षक थे) को बुलाया।मैंने उन व्यक्तियों को इद्दो के पास भेजा। इद्दो कासिप्या नगर का प्रमुख है। मैंने उन व्यक्ति को बताया कि वे इद्दो और उसके सम्बन्धियों से क्या कहें। उसके सम्बन्धि कासिप्या में मन्दिर के सेवक हैं। मैंने उन लोगों को इद्दो के पास भेजा जिससे इद्दो परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करने के लिये हमारे पास सेवकों को भेजे।क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ था, इद्दो के सम्बन्धियों ने इन लोगों को हमारे पास भेजा: महली के वंशजों में से शेरेब्याह नामक बुद्धिमान व्यक्ति। महली लेवी के पुत्रों में से एक था। (लेवी इस्राएल के पुत्रों में से एक था।) उन्होंने हमारे पास शेरेब्याह के पुत्रों और बन्धुओं को भेज। ये सब मिलाकर उस परिवार से ये अट्ठारह व्यक्ति थे।उन्होंने मरारी के वंशजों में से हशब्याह और यशायाह को भी उनके बन्धुओं और उनके पुत्रों के साथ भेजा। उस परिवार से कुल मिलाकर बीस व्यक्ति थे।पीनहास के वंशजों में से गेर्शोम था: ईतामार के वंशजों में से दानिय्येल था: दाऊद के वंशजों में से हत्तूस था;उन्होंने मन्दिर के दो सौ बीस सेवक भी भेजे। उनके पूर्वज वे लोग थे जिन्हें दाऊद और बड़े अधिकारियों ने लेवीवंशियों की सहायता के लिये चुना था। उन सबके नाम सूची में लिखे हुए थे।वहाँ अहवा नदी के पास, मैंने (एज्रा) घोषणा की कि हमें उपवास रखना चाहिये। हमें अपने को परमेश्वर के सामने विनम्र बनाने के लिये उपवास रखना चाहिये। हम लोग परमेश्वर से अपने लिये, अपने बच्चों के लिये, और जो चीज़ें हमारी थीं, उनके साथ सुरक्षित यात्रा के लिये प्रार्थना करना चाहते थे।राजा अर्तक्षत्र से, अपनी यात्रा के समय अपनी सुरक्षा के लिये सैनिक और घुड़सवारों को माँगने में मैं लज्जित था। सड़क पर शत्रु थे। मेरी लज्जा का कारण यह था कि हमने राजा से कह रखा था कि, “हमारा परमेश्वर उस हर व्यक्ति के साथ है जो उस पर विश्वास करता है और परमेश्वर उस हर एक व्यक्ति पर क्रोधित होता है जो उससे मुँह फेर लेता है।”इसलिये हम लोगों ने अपनी यात्रा के बारे में उपवास रखा और परमेश्वर से प्रार्थना की। उसने हम लोगों की प्रार्थना सुनी।
फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान के द्वारा उसे परखा जा सके।फिर यीशु ने उससे कहा, “शैतान, दूर हो! शास्त्र कहता है: ‘अपने प्रभु परमेश्वर की उपासना कर और केवल उसी की सेवा कर!’” फिर शैतान उसे छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आकर उसकी देखभाल करने लगे।
उन्होंने यीशु से कहा, “यूहन्ना के शिष्य प्राय: उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। और ऐसा ही फरीसियों के अनुयायी भी करते हैं किन्तु तेरे अनुयायी तो हर समय खाते पीते रहते हैं।”यीशु ने उनसे पूछा, “क्या दूल्हे के अतिथि जब तक दूल्हा उनके साथ है, उपवास करते हैं?किन्तु वे दिन भी आयेंगे जब दूल्हा उनसे छीन लिया जायेगा। फिर उन दिनों में वे भी उपवास करेंगे।”
इस्राएल के लोगों ने यहोवा से एक प्रश्न पूछा। (इन दिनों परमेश्वर का साक्षीपत्र का सन्दूक बेतेल में था।पीनहास नामक एक याजक साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने सेवा करता था। पीनहास एलीआज़ार नामक व्यक्ति का पुत्र था। एलीआज़ार हारून का पुत्र था।) इस्राएल के लोगों ने पूछा, “क्या हमें बिन्यामीन के लोगों के विरूद्ध फिर लड़ने जाना चाहिए? वे लोग हमारे सम्बन्धी हैं या हम युद्ध करना बन्द कर दें?” यहोवा ने उत्तर दिया, “जाओ। कल मैं उन्हें हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”
राजा दारा के शासन के पहले वर्ष के दौरान ये बातें घटी थीं। दारा क्षयर्ष नाम के व्यक्ति का पुत्र था। दारा मादी लोगों से सम्बन्धित था। वह बाबुल का राजा बना।हमने अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा का पालन नही किया। यहोवा ने अपने सेवकों, अपने नबियों के द्वारा हमें व्यवस्था का विधान प्रदान किया। किन्तु हमने उसकी व्यवस्थाओं को नहीं माना।इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे। उन्होंने तेरे आदेशों का पालन नहीं किया। मूसा, (जो परमेश्वर का सेवक था) की व्यवस्था के विधान में शापों और वादों का उल्लेख हुआ है। वे शाप और वादे व्यवस्था के विधान पर नहीं चलने के दण्ड का बखान करते हैं और वे सभी बातें हमारे संग घट चुकी हैं क्योंकि हमने यहोवा के विरोध में पाप किये हैं।“परमेश्वर ने बताया था कि हमारे साथ और हमारे मुखियाओं के साथ वे बातें घटेंगी और उसने उन्हें घटा दिया। उसने हमारे साथ भयानक बातें घटा दीं। यरूशलेम को जितना कष्ट उठाना पड़ा, किसी दूसरे नगर ने नहीं उठाया।वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते।यहोवा ने वे भयानक बाते तैयार रख छोड़ी थीं और उसने हमाने साथ उन बातों को घटा दिया। हमारे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा इसलिये किया था कि वह तो जो कुछ भी करता है, न्याय ही करता है। किन्तु हम अभी भी उसकी नहीं सुनते।“हे हमारे परमेश्वर, यहोवा, तूने अपनी शक्ति का प्रयोग किया और हमें मिस्र से बाहर निकाल लाया। हम तो तेरे अपने लोग हैं। आज तक उस घटना के कारण तू जाना माना जाता है। हे यहोवा, हमने पाप किये हैं। हमने भयानक काम किये हैं।हे यहोवा, यरूशलेम पर क्रोध करना छोड़ दे। यरूशलेम तेरे पवित्र पर्वतों पर स्थित है। तू जो करता है, ठीक ही करता है। सो यरूशलेम पर क्रोध करना छोड़ दे। हमारे आसपास के लोग हमारा अपमान करते हैं और हमारे लोगों की हँसी उड़ाते हैं। हमारे पूर्वजों ने तेरे विरूद्ध पाप किया था। यह सब कुछ इसलिये हो रहा है।“अब, हे यहोवा, तू मेरी प्रार्थना सुन ले। मैं तेरा दास हूँ। सहायता के लिये मेरी विनती सुन। अपने पवित्र स्थान के लिए तू अच्छी बातें कर। वह भवन नष्ट कर दिया गया था। किन्तु हे स्वामी, तू स्वयं अपने भले के लिए इन भली बातों को कर।हे मेरे परमेश्वर, मेरी सुन! जरा अपनी आँखें खोल और हमारे साथ जो भयानक बातें घटी हैं, उन्हें देख! वह नगर जो तेरे नाम से पुकारा जाता था, देख उसके साथ क्या हो गया है! मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि हम अच्छे लोग हैं। इसलिये मैं इन बातों की याचना कर रहा हूँ। यह याचना तो मैं इसलिये कर रहा हूँ कि मैं जानता हूँ कि तू दयालु है।हे यहोवा मेरी सुन, हे यहोवा, हमें क्षमा कर दें। यहोवा, हम पर ध्यान दे, और फिर कुछ कर! अब और प्रतीक्षा मत कर! इसी समय कुछ कर! उसे तू स्वयं अपने भले के लिये कर! हे परमेश्वर, अब तो अपने नगर और अपने उन लोगों के लिये, जो तेरे नाम से पुकारे जाते हैं, कुछ कर।”दारा के राजा के पहले वर्ष में मैं, दानिय्येल कुछ किताबें पढ़ रहा था। उन पुस्तकों में मैंने देखा कि यहोवा ने यिर्मयाह को यह बताया है कि यरूशलेम का पुनःनिर्माण कितने बरस बाद होगा। यहोवा ने कहा था कि इससे पहले कि यरूशलेम फिर से बसे, सत्तर वर्ष बीत जायेंगे।मैं परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए ये बातें कर रहा था। मैं इस्राएल के लोगों के और अपने पापों के बारे में बता रहा था। मैं परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर प्रार्थना कर रहा था।मैं अभी प्रार्थना कर ही हा था कि जिब्राएल मेरे पास आया। जिब्राएल वही स्वर्गदूत था जिसे मैंने दर्शन में देखा था। जिब्राएल शीघ्रता से मेरे पास आया। वह सांझ की बलि के समय आया था।मैं जिन बातों को समझना चाहता था, उन बातों को समझने में जिब्राएल ने मेरी सहायता की। जिब्राएल ने कहा, “हे दानिय्येल, मैं तुझे बुद्धि प्रदान करने और समझने में तेरी सहायता को आया हूँ।जब तूने पहले प्रार्थना आरम्भ की थी, मुझे तभी आदेश दे दिया गया था और देख मैं तुझे बताने आ गया हूँ। परमेश्वर तुझे बहुत प्रेम करता है! यह आदेश तेरी समझ में आ जायेगा और तू उस दर्शन का अर्थ जान लेगा।“हे दानिय्येल, परमेश्वर ने तेरी प्रजा और तेरी नगरी के लिए सत्तर सप्ताहों का समय निश्चित किया है। सत्तर सप्ताहों के समय का यह आदेश इसलिये दिया गया है कि बुरे कर्म करना छाड़ दिया जाये, पाप करना बन्द कर दिया जाये, सब लोगों को शुद्ध किया जाये, सदा—सदा बनी रहने वाली नेकी को लाया जाये, दर्शन और नबियों पर मुहर लगा दी जाये, और एक अत्यंत पवित्र स्थान को समर्पित किया जाये।“दानिय्येल, तू इन बातों को समझ ले। इन बातों को जान ले! वापस आने और यरूशलेम के पुननिर्माण की आज्ञा को समय से लेकर अभिषिक्त के आने के समय तक सात सप्ताह बीतेंगे। इसके बाद यरूशलेम फिर से बसाया जायेगा। यरूशलेम में लोगों के परस्पर मिलने के स्थान फिर से ब जायेंगे। नगर की रक्षा करने के लिये नगर के चारों ओर खाई भी होगी। बासठ सप्ताह तक यरूशलेम को बसाया जायेगा। किन्तु उस समय बहुत सी विपत्तियाँ आयेंगी।बासठ सप्ताह बाद उस अभिषिक्त पुरूष की हत्या कर दी जायेगी। वह चला जायेगा। फिर होने वाले नेता के लोग नगर को और उस पवित्र ठांव को तहस—नहस कर देंगे। वह अंत ऐसे आयेगा जैसे बाढ़ आती है। अंत तक युद्ध होता रहेगा। उस स्थान को पूरी तरह तहस—नहस कर देने की परमेश्वर आज्ञा दे चुका है।“इसके बाद वह भावी शासक बहुत से लोगों के साथ एक वाचा करेगा। वह वाचा एक सप्ताह तक चलेगा। भेंटे और बलियाँ आधे सप्ताह तक रूकी रहेंगी और फिर एक विनाश कर्त्ता आयेगा। वह भयानक विध्वंसक बातें करेगा। किन्तु परमेश्वर उस विनाश कर्ता के सम्पूर्ण विनाश की आज्ञा दे चुका है।”फिर मैं अपने स्वामी परमेश्वर की ओर मुड़ा और उससे प्रार्थना करते हुए सहायता की याचना की। मैंने भोजन करना छोड़ दिया और ऐसे कपड़े पहन लिये जिनसे यह लगे कि मैं दु:खी हूँ। मैंने अपने सिर पर धूल डाल ली।
तब नातान अपने घर गया और यहोवा ने दाऊद और ऊरिय्याह की पत्नी से जो पुत्र उत्पन्न हुआ था उसे बहुत बीमार कर दिया।दाऊद ने बच्चे के लिये परमेश्वर से प्रार्थना की। दाऊद ने खाना—पीना बन्द कर दिया। वह अपने घर में गया और उसमें ठहरा रहा। वह रातभर भूमि पर लेटा रहा।दाऊद के परिवार के प्रमुख आये और उन्होंने उसे भूमि से उठाने का प्रयत्न किया। किन्तु दाऊद ने उठना अस्वीकार किया। उसने इन प्रमुखों के साथ खाना खाने से भी इन्कार कर दिया।सातवें दिन बच्चा मर गया। दाऊद के सेवक दाऊद से यह कहने से डरते थे कि बच्चा मर गया। उन्होंने कहा, “देखो, हम लोगों ने दाऊद से उस समय बात करने का प्रयत्न किया जब बच्चा जीवित था। किन्तु उसने हम लोगों की बात सुनने से इन्कार कर दिया। यदि हम दाऊद से कहेंगे कि बच्चा मर गया तो हो सकता है वह अपने को कुछ हानि कर ले।”किन्तु दाऊद ने अपने सेवकों को कानाफूसी करते देखा। तब उसने समझ लिया कि बच्चा मर गया। इसलिये दाऊद ने अपने सेवकों से पूछा, “क्या बच्चा मर गया?” सेवको ने उत्तर दिया, “हाँ वह मर गया।”धनी आदमी के पास बहुत अधिक भेड़ें और पशु थे।दाऊद फर्श से उठा। वह नहाया। उसने अपने वस्त्र बदले और तैयार हुआ। तब वह यहोवा के गृह में उपासना करने गया। तब वह घर गया और कुछ खाने को माँगा। उसके सेवकों ने उसे कुछ खाना दिया और उसने खाया।दाऊद के नौकरों ने उससे कहा, “आप यह क्यों कर रहे हैं? जब बच्चा जीवित था तब आपने खाने से इन्कार किया। आप रोये। किन्तु जब बच्चा मर गया तब आप उठे और आपने भोजन किया।”दाऊद ने कहा, “जब बच्चा जीवित रहा, मैंने भोजन करना अस्वीकार किया, और मैं रोया क्योंकि मैंने सोचा, ‘कौन जानता है, संभव है यहोवा मेरे लिये दुःखी हो और बच्चे को जीवित रहने दे।’किन्तु अब बच्चा मर गया। इसलिये मैं अब खाने से क्यो इन्कार करूँ? क्या मैं बच्चे को फिर जीवित कर सकता हूँ? नहीं! किसी दिन मैं उसके पास जाऊँगा, किन्तु वह मेरे पास लौटकर नहीं आ सकता।”
हे याजकों, शोक वस्त्र धारण करो, जोर से विलाप करो। हे वेदी के सेवकों, जोर से विलाप करो। हे मेरे परमेश्वर के दासों, अपने शोक वस्त्रों में तुम सो जाओगा। क्योंकि अब वहाँ अन्न और पेय भेंट परमेश्वर के मन्दिर में नहीं होंगी।लोगों को बता दो कि एक ऐसा समय आयेगा जब भोजन नहीं किया जायेगा। एक विशेष सभा के लिए लोगों को बुला लो। सभा में मुखियाओं और उस धरती पर रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा करो। उन्हें अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर में ले आओ और यहोवा से विनती करो।
मैं तो पुकारता हूँ और उपवास करता हूँ, इसलिए वे मेरी हँसी उड़ाते हैं।मैं निज शोक दर्शाने के लिए मोटे वस्रों को पहनता हूँ, और लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं।
तुम्हें भूखों की भूख के लिये दु:ख का अनुभव करते हुए उन्हें भोजन देना चाहिये। दु:खी लोगों की सहायता करते हुए तुम्हें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये। जब तुम ऐसा करोगे तो अन्धेरे में तुम्हारी रोशनी चमक उठेगी और तुम्हें कोई दु:ख नहीं रह जायेगा। तुम ऐसे चमक उठोगे जैसे दोपहर के समय धूप चमकती है।यहोवा सदा तुम्हारी अगुवाई करेगा। मरूस्थल में भी वह तेरे मन की प्यास बुझायेगा। यहोवा तेरी हड्डियों को मज़बूत बनायेगा। तू एक ऐसे बाग़ के समान होगा जिसमें पानी की बहुतायत है। तू एक ऐसे झरने के समान होगा जिसमें सदा पानी रहता है।
किन्तु जब तू प्रार्थना करे, अपनी कोठरी में चला जा और द्वार बन्द करके गुप्त रूप से अपने परम-पिता से प्रार्थना कर। फिर तेरा परम-पिता जो तेरे छिपकर किए गए कर्मों को देखता है, तुझे उन का प्रतिफल देगा।
मैंने (एज्रा) उन सभी लोगों को अहवा की और बहने वाली नदी के पास एक साथ इकट्ठा होने को बुलाया। हम लोगों ने वहाँ तीन दिन तक डेरा डाला। मुझे यह पता लगा कि उस समूह में याजक थे, किन्तु कोई लेवीवंशी नहीं था।
दाऊद ने याजक एब्यातार से कहा, “एपोद लाओ।”तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।” यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”
हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है। वैसे कितना मैं तुझको चाहता हूँ। जैसे उस प्यासी क्षीण धरती जिस पर जल न हो वैसे मेरी देह और मन तेरे लिए प्यासा है।उनको तलवारों से मार दिया जायेगा। उनके शवों को जंगली कुत्ते खायेंगे।किन्तु राजा तो अपने परमेश्वर के साथ प्रसन्न होगा। वे लोग जो उसके आज्ञा मानने के वचन बद्ध हैं, उसकी स्तुति करेंगे। क्योंकि उसने सभी झूठों को पराजित किया।हाँ, तेरे मन्दिर में मैंने तेरे दर्शन किये। तेरी शक्ति और तेरी महिमा देख ली है।तेरी भक्ति जीवन से बढ़कर उत्तम है। मेरे होंठ तेरी बढाई करते हैं।हाँ, मैं निज जीवन में तेरे गुण गाऊँगा। मैं हाथ उपर उठाकर तेरे नाम पर तेरी प्रार्थना करूँगा।मैं तृप्त होऊँगा मानों मैंने उत्तम पदार्थ खा लिए हों। मेरे होंठ तेरे गुण सदैव गायेंगे।
उसने यहोवा से शिकायत करते हुए कहा, “मैं जानता था कि ऐसा ही होगा! मैं तो अपने देश में था, और तूने ही मुझसे यहाँ आने को कहा था। उसी समय मुझे यह पता था कि तू इस पापी नगर के लोगों को क्षमा कर देगा। मैंने इसलिये तर्शीश भाग जाने की सोची थी। मैं जानता था कि तू एक दयालु परमेश्वर है! मैं जानता था कि तू करूणा दर्शाता है और लोगों को दण्ड देना नहीं चाहता! मुझे पता था कि तू करूणा से पूर्ण है! मुझे ज्ञान था कि यदि इन लोगों ने पाप करना छोड़ दिया तो तू इनके विनाश की अपनी योजनाओं को बदल देगा।
हे यहोवा, मैं तेरे मन्दिर में रहना चाहता हूँ। मैं तेरी बाट जोहते थक गया हूँ! मेरा अंग अंग जीवित यहोवा के संग होना चाहता है।
परमेश्वर का धन्यवाद करो उसके प्रेम के लिये और उन अद्भुत कर्मों के लिये जिन्हें वह अपने लोगों के लिये करता है।प्यासी आत्मा को परमेश्वर सन्तुष्ट करता है। परमेश्वर उत्तम वस्तुओं से भूखी आत्मा का पेट भरता है।
वहीं हन्नाह नाम की एक महिला नबी थी। वह अशेर कबीले के फनूएल की पुत्री थी। वह बहुत बूढ़ी थी। अपने विवाह के बस सात साल बाद तक ही वह पति के साथ रही थी।और फिर चौरासी वर्ष तक वह वैसे ही विधवा रही। उसने मन्दिर कभी नहीं छोड़ा। उपवास और प्रार्थना करते हुए वह रात-दिन उपासना करती रहती थी।
नहेमायाह ने कहा, “जाओ, और जाकर उत्तम भोजन और शर्बत का आनन्द लो। और थोड़ा खाना और शर्बत उन लोगों को भी दो जो कोई खाना नहीं बनाते हैं। आज यहोवा का विशेष दिन है। दु:खी मत रहो! क्यों? क्योंकि परमेश्वर का आनन्द तुम्हें सुदृढ़ बनायेगा।”
फिर यहोवा अपनी धरती के बारे में बहुत अधिक चिन्तित हुआ। उसे अपने लोगों पर दया आयी।यहोवा ने अपने लोगों से कहा। वह बोला, “मैं तुम्हारे लिये अन्र, दाखमधु और तेल भिजवाऊँगा। ये तुमको भरपूर मिलेंगे। मैं तुमको अब और अधिक जातियों के बीच में लज्जित नहीं करूँगा।
जो कुछ घटा था, उसकी हर बात को मोर्दकै ने लिख लिया और फिर उसे महाराजा क्षयर्ष के सभी प्रांतों में बसे यहूदियों को एक पत्र के रूप में भेज दिया। दूर पास सब कहीं उसने पत्र भेजे।मोर्दकै ने यहूदियों को यह बताने के लिए ऐसा किया कि वे हर साल अदार महीने की चौदहवीं और पन्द्रहवीं तारीख को पूरीम का उत्सव मनाया करें।यहूदियों को इन दिनों को पर्व के रूप में इसलिए मनाना था कि उन्हीं दिनों यहूदियों ने अपने शत्रुओं से छुटकारा पाया था। उन्हें उस महीने को इसलिए भी मनाना था कि यही वह महीना था जब उनका दु:ख उनके आनन्द में बदल गया था। वही यह महीना था जब उनका रोना—धोना एक उत्सव के दिन के रूप में बदल गया था। मोर्दकै ने सभी यहूदियों को पत्र लिखा। उसने उन लोगों से कहा कि वे उन दिनों को उत्सव के रूप में मनाएँ। यह समय एक ऐसा समय हो जब लोग आपस में एक दूसरे को उत्तम भोजन अर्पित करें तथा गरीब लोगों को उपहार दें।
अन्ताकिया के कलीसिया में कुछ नबी और बरनाबास, काला कहलाने वाला शमौन, कुरेन का लूकियुस, देश के चौथाई भाग के राजा हेरोदेस के साथ पालितपोषित मनाहेम और शाऊल जैसे कुछ शिक्षक थे।“सभी प्रकार के छलों और धूर्तताओं से भरे, और शैतान के बेटे, तू हर नेकी का शत्रु है। क्या तू प्रभु के सीधे-सच्चे मार्ग को तोड़ना मरोड़ना नहीं छोड़ेगा?अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर आ पड़ा है। तू अंधा हो जायेगा और कुछ समय के लिये सूर्य तक को नहीं देख पायेगा।” तुरन्त एक धुंध और अँधेरा उस पर छा गया और वह इधर-उधर टटोलने लगा कि कोई उसका हाथ पकड़ कर उसे चलाये।सो नगर-पति ने, जो कुछ घटा था, जब उसे देखा तो उसने विश्वास धारण किया। वह प्रभु सम्बन्धी उपदेशों से बहुत चकित हुआ।फिर पौलुस और उसके साथी पाफुस से नाव के द्वारा पम्फूलिया के पिरगा में आ गये। किन्तु यूहन्ना उन्हें वहीं छोड़ कर यरूशलेम लौट आया।उधर वे अपनी यात्रा पर बढ़ते हुए पिरगा से पिसिदिया के अन्ताकिया में आ पहुँचे। फिर सब्त के दिन यहूदी आराधनालय में जा कर बैठ गये।व्यवस्था के विधान और नबियों के ग्रन्थों का पाठ कर चुकने के बाद यहूदी प्रार्थना सभागार के अधिकारियों ने उनके पास यह संदेश कहला भेजा, “हे भाईयों, लोगों को शिक्षा देने के लिये तुम्हारे पास कहने को कोई और वचन है तो उसे सुनाओ।”इस पर पौलुस खड़ा हुआ और अपने हाथ हिलाते हुए बोलने लगा, “हे इस्राएल के लोगों और परमेश्वर से डरने वाले ग़ैर यहूदियों सुनो:इन इस्राएल के लोगों के परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुना था और जब हमारे लोग मिसरमें ठहरे हुए थे, उसने उन्हें महान् बनाया था और अपनी महान शक्ति से ही वह उनको उस धरती से बाहर निकाल लाया था।और लगभग चालीस वर्ष तक वह जंगल में उनके साथ रहा।और कनान देश की सात जातियों को नष्ट करके उसने वह धरती इस्राएल के लोगों को उत्तराधिकार के रूप में दे दी।वे जब उपवास करते हुए प्रभु की उपासना में लगे हुए थे, तभी पवित्र आत्मा ने कहा, “बरनाबास और शाऊल को जिस काम के लिये मैंने बुलाया है, उसे करने के लिये मेरे निमित्त, उन्हें अलग कर दो।”इस सब कुछ में कोई लगभग साढ़े चार सौ वर्ष लगे। “इसके बाद शमूएल नबी के समय तक उसने उन्हें अनेक न्यायकर्ता दिये।फिर उन्होंने एक राजा की माँग की, सो परमेश्वर ने बिन्यामीन के गोत्र के एक व्यक्ति कीश के बेटे शाऊल को चालीस साल के लिये उन्हें दे दिया।फिर शाऊल को हटा कर उसने उनका राजा दाऊद को बनाया जिसके विषय में उसने यह साक्षी दी थी, ‘मैंने यिशे के बेटे दाऊद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पाया है, जो मेरे मन के अनुकूल है। जो कुछ मैं उससे कराना चाहता हूँ, वह उस सब कुछ को करेगा।’“इस ही मनुष्य के एक वंशज को अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार परमेश्वर इस्राएल में उद्धारकर्ता यीशु के रूप में ला चुका है।उसके आने से पहले यूहन्ना इस्राएल के सभी लोगों में मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करता रहा है।यूहन्ना जब अपने काम को पूरा करने को था, तो उसने कहा था, ‘तुम मुझे जो समझते हो, मैं वह नहीं हूँ। किन्तु एक ऐसा है जो मेरे बाद आ रहा है। मैं जिसकी जूतियों के बन्ध खोलने के लायक भी नहीं हूँ।’“भाईयों, इब्राहीम की सन्तानो और परमेश्वर के उपासक ग़ैर यहूदियो! उद्धार का यह सुसंदेश हमारे लिए ही भेजा गया है।यरूशलेम में रहने वालों और उनके शासकों ने यीशु को नहीं पहचाना। और उसे दोषी ठहरा दिया। इस तरह उन्होंने नबियों के उन वचनों को ही पूरा किया जिनका हर सब्त के दिन पाठ किया जाता है।और यद्यपि उन्हें उसे मृत्यु दण्ड देने का कोई आधार नहीं मिला, तो भी उन्होंने पिलातुस से उसे मरवा डालने की माँग की।“उसके विषय में जो कुछ लिखा था, जब वे उस सब कुछ को पूरा कर चुके तो उन्होंने उसे क्रूस पर से नीचे उतार लिया और एक कब्र में रख दिया।सो जब शिक्षक और नबी अपना उपवास और प्रार्थना पूरी कर चुके तो उन्होंने बरनाबास और शाऊल पर अपने हाथ रखे और उन्हें विदा कर दिया।
ऐसा उस समय होगा जब तू सब्त के बारे में परमेश्वर के नियमों के विरूद्ध पाप करना छोड़ देगा और ऐसा उस समय होगा जब तू उस विशेष दिन, स्वयं अपने आप को प्रसन्न करने के कामों को करना रोक देगा। सब्त के दिन को तुझे एक खुशी का दिन कहना चाहिये। यहोवा के इस विशेष दिन का तुझे आदर करना चाहिये। जिन बातों को तू हर दिन कहता और करता है, उनको न करते हुए तुझे उस विशेष दिन का आदर करना चाहिये।तब तू यहोवा में प्रसन्नता प्राप्त करेगा, और मैं यहोवा धरती के ऊँचे—ऊँचे स्थानों पर “मैं तुझको ले जाऊँगा। मैं तेरा पेट भरूँगा। मैं तुझको ऐसी उन वस्तुओं को दूँगा जो तेरे पिता याकूब के पास हुआ करती थीं।” ये बातें यहोवा ने बतायी थीं!
कुछ समय पश्चात मोआबी, अम्मोनी और कुछ मूनी लोग यहोशापात के साथ युद्ध आरम्भ करने आए।“किन्तु इस समय यही अम्मोन, मोआब और सेईर पर्वत के लोग चढ़ आए हैं! तूने इस्राएल के लोगों को उस समय उनकी भूमि में नहीं जाने दिया जब इस्राएल के लोग मिस्र से आए। इसलिए इस्राएल के लोग मुड़ गए थे और उन लोगों ने उनको नष्ट नहीं किया था।किन्तु देख कि वे लोग हमें उन्हें नष्ट न करने का किस प्रकार का पुरस्कार दे रहे हैं। वे हमें तेरी भूमि से बाहर होने के लिए विवश करने आए हैं। यह भूमि तूने हमें दी है।हमारे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे! हम लोग उस विशाल सेना के विरुद्ध कोई शक्ति नहीं रखते जो हमारे विरुद्ध आ रही है! हम नहीं जानते कि क्या करें! यही कारण है कि हम तुझसे सहायता की आशा करते हैं।”यहूदा के सभी लोग यहोवा के सामने अपने शिशुओं, पत्नियों और बच्चों के साथ खड़े थे।तब यहोवा की आत्मा यहजीएल पर उतरी। यहजीएल जकर्याह का पुत्र था। (जकर्याह बनायाह का पुत्र था बनायाह यीएल का पुत्र था और यीएल मत्तन्याह का पुत्र था।) यहजीएल एक लेवीवंशी था और आसाप का वंशज था।उस सभा के बीच यहजीएल ने कहा “राजा यहशापात तथा यहूदा और यरूशलेम में रहने वाले लोगो, मेरी सुनो! यहोवा तुमसे यह कहता है: ‘इस विशाल सेना से न तो डरो, न हों परेशान होओ क्योंकि यह तुम्हारा युद्ध नहीं है। यह परमेश्वर का युद्ध है!कल तुम ही वहाँ जाओ और उन लोगों से लड़ो। वे सीस के दर्रे से होकर आएँगे। तुम लोग उन्हें घाटी के अन्त में यरूएल मरुभूमि की दूसरी ओर पाओगे।इस युद्ध में तुम्हें लड़ना नहीं पड़ेगा। अपने स्थानों पर दृढ़ता से खड़े रहो। तुम देखोगे कि यहोवा ने तुम्हें बचा लिया। यहूदा और यरूशलेम के लोगो, डरो नही परेशान मत हो! यहोवा तुम्हारे साथ है अत: कल उन लोगों के विरुद्ध जाओ।’”यहोशापात अति नम्रता से झुका। उसका सिर भूमि को छू रहा था और यहूदा तथा यरूशलेम में रहने वाले सभी लोग यहोवा के सामने गिर गए और उन सभी ने यहोवा की उपासना की।कहाती परिवार समूह के लेवीवंशी और कहाती लोग, इस्राएल के यहोवा परमेश्वर की स्तुति के लिये खड़े हुए। उन्होंने अत्यन्त उच्च स्वर में स्तुति की।कुछ लोग आए और उन्होने यहोशापात से कहा, “तुम्हारे विरुद्ध एदोम से एक विशाल सेना आ रही है। वे मृत सागर की दूसरी ओर से आ रहे हैं। वे हसासोन्तामार में पहले से ही हैं।” (हसासोन्तामार को एनगदी भी कहा जाता है)यहोशापात की सेना तकोआ मरुभूमि में बहुत सवेरे गई। जब वे बढ़ना आरम्भ कर रहे थे, यहोशापात खड़ा हुआ और उसने कहा, “यहूदा और यरूशलेम के लोगो, मेरी सुनो। अपने यहोवा परमेश्वर में विश्वास रखो और तब तुम शक्ति के साथ खड़े रहोगे। यहोवा के नबियों में विश्वास रखो। तुम लोग सफल होगे!”यहोशापात ने लोगों का सुझाव सुना। तब उसने यहोवा के लिये गायक चुने। वे गायक यहोवा की स्तुति के लिये चुने गए थे क्योंकि वह पवित्र और अद्भुत हैं। वे सेना के सामने कदम मिलाते हुए बढ़े और उन्होने यहोवा की स्तुति की। इन गायकों ने गाया, “परमेश्वर को धन्यवाद दो क्योंकि उसका प्रेम सदैव रहता है!” ज्योंही उन लोगों ने गाना गाकर यहोवा की स्तुति आरम्भ की, यहोवा ने अज्ञात गुप्त आक्रमण अम्मोन, मोआब और सेईर पर्वत के लोगों पर कराया। ये वे लोग थे जो यहूदा पर आक्रमण करने आए थे। वे लोग पिट गए।अम्मोनी और मोआबी लोगों ने सेईर पर्वत से आये लोगों के विरुद्ध युद्ध आरम्भ किया। अम्मोनी और मोआबी लोगों ने सेईर पर्वत से आए लोगों को मार डाला और नष्ट कर दिया। जब वे सेईर के लोगों को मार चुके तो उन्होंने एक दूसरे को मार डाला।यहूदा के लोग मरुभूमि में सामना करने के बिन्दु पर आए। उन्होंने शत्रु की विशाल सेना को देखा। किन्तु उन्होंने केवल शवो को भूमि पर पड़े देखा। कोई व्यक्ति बचा न था।यहोशापात और उसकी सेना शवों से बहुमूल्य चीजें लेने आई। उन्हें बहुत से जानवर, धन, वस्त्र और कीमती चीज़ें मिलीं। यहोशापात और उसकी सेना ने उन्हें अपने लिये ले लिया। चीज़ें उससे अधिक थीं जितना यहोशापात और उसकी सेना ले जा सकती थी। उनको शवों से कीमती चीज़ें इकट्ठी करने में तीन दिन लगे, क्योंकि वे बहुत अधिक थीं।चौथे दिन यहोशापात और उसकी सेना बराका की घाटी में मिले। उन्होंने उस स्थान पर यहोवा की स्तुति की। यही कारण है कि उस स्थान का नाम आज तक “बराका की घाटी” है।तब यहोशापात यहूदा और यरूशलेम के लोगों को यरूशलेम लौटा कर ले गया। यहोवा ने उन्हें अत्यन्त प्रसन्न किया क्योंकि उनके शत्रु पराजित हो गये थे।वे यरूशलेम में वीणा सितार और तुरहियों के साथ आये और यहोवा के मन्दिर में गए।सभी देशों के सारे राज्य यहोवा से भयभीत थे क्योंकि उन्होंने सुना कि यहोवा इस्राएल के शत्रुओं से लड़ा।यहोशापात डर गया और उसने यहोवा से यह पूछने का निश्चय किया कि मैं क्या करुँ उसने यहूदा में हर एक के लिये उपवास का समय घोषित किया।यही कारण है कि यहोशापात के राज्य में शान्ति रही। यहोशापात के परमेश्वर ने उसे चारों ओर से शान्ति दी।
इसके बाद दानिय्येल ने अपने देखभाल करने वाले से बातचात की। अशपनज ने उस रखवाले को दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह के ऊपर ध्यान रखने को कहा हुआ था।दानिय्येल ने उस रखवाले से कहा, “कृपा करके दस दिन तक तू हमारी परीक्षा ले। हमे खाने को साग—सब्जी और पीने को पानी के सिवाय कुछ मत दे।
एलिय्याह के कथन के पूरा होने पर अहाब बहुत दुःखी हुआ। उसने अपने वस्त्रों को यह दिखाने के लिये फाड़ डाला कि उसे दुःख है। तब उसने शोक के विशेष वस्त्र पहन लिये। अहाब ने खाने से इन्कार कर दिया। वह उन्हीं विशेष वस्त्रों को पहने हुए सोया। अहाब बहुत दुःखी और उदास था।
इस्राएल के लोग बेतेल नगर तक गए। बेतेल में उन्होंने परमेश्वर से पूछा, “कौन सा परिवार समूह बिन्यामीन के परिवार समूह पर प्रथम आक्रमण करेगा?” यहोवा ने उत्तर दिया, “यहूदा का परिवार समूह प्रथम जाएगा।”अगली सुबह इस्राएल के लोग उठे। उन्होंने गिबा के निकट डेरा डाला।इस्राएल के परिवार समूहों के सभी प्रमुख वहाँ थे। वे परमेश्वर के सारे लोगों की सभा में अपने—अपने स्थानों पर बैठे। उस स्थान पर तलवार के साथ चार लाख सैनिक थे।तब इस्राएल की सेना बिन्यामीन की सेना से युद्ध के लिये निकल पड़ी। इस्राएल की सेना ने गिबा नगर में बिन्यामीन की सेना के विरुद्ध अपना मोर्चा लगाया।तब बिन्यामीन की सेना गिबा नगर के बाहर निकली। उन्होंने उस दिन की लड़ाई में इस्राएल की सेना के बाईस हजार लोगों को मार डाला।इस्राएल के लोग यहोवा के सामने गए। वे शाम तक रोकर चिल्लाते रहे। उन्होंने यहोवा से पूछा, “क्या हमें बिन्यामीन के विरुद्ध लड़ने जाना चाहिए? वे लोग हमारे सम्बन्धी हैं।” यहोवा ने उत्तर दिया, “जाओ और उनके विरुद्ध लड़ो। इस्राएल के लोगों ने एक दूसरे का साहस बढ़ाया। इसलिए वे पहले दिन की तरह फिर लड़ने गए।”तब इस्राएल की सेना बिन्यामीन की सेना के पास आई। यह युद्ध का दूसरा दिन था।बिन्यामीन की सेना दूसरे दिन इस्राएल की सेना पर आक्रमण करने के लिये गिबा नगर से बाहर आई। इस समय बिन्यामीन की सेना ने इस्राएल की सेना के अन्य अट्ठारह हजार सैनिकों को मार डाला। इस्राएल की सेना के वे सभी प्रशिक्षित सैनिक थे।तब इस्राएल के सभी लोग बेतेल नगर तक गए। उस स्थान पर वे बैठे और यहोवा को रोकर पुकारा। उन्होंने पूरे दिन शाम तक कुछ नहीं खाया। वे होमबलि और मेलबलि भी यहोवा के लिये लाए।
चालीस दिन और चालीस रात भूखा रहने के बाद जब उसे भूख बहुत सताने लगीउन्होंने तुरंत अपने जाल छोड़ दिये और उसके पीछे हो लिये।फिर वह वहाँ से आगे चल पड़ा और उसने देखा कि जब्दी का बेटा याकूब और उसका भाई यूहन्ना अपने पिता के साथ नाव में बैठे अपने जालों की मरम्मत कर रहे हैं। यीशु ने उन्हें बुलाया।और वे तत्काल नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे चल दिये।यीशु समूचे गलील क्षेत्र में यहूदी आराधनालयों में स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का उपदेश देता और हर प्रकार के रोगों और संतापों को दूर करता घूमने लगा।समस्त सीरिया देश में उसका समाचार फैल गया। इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे। यीशु ने उन्हें चंगा किया।इसलिये गलील, दस नगर, यरूशलेम, यहूदिया और यर्दन नदी पार के लोगों की बड़ी बड़ी भीड़ उसका अनुसरण करने लगी।तो उसे परखने वाला उसके पास आया और बोला, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो इन पत्थरों से कहो कि ये रोटियाँ बन जायें।”यीशु ने उत्तर दिया, “शास्त्र में लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता बल्कि वह प्रत्येक उस शब्द से जीता है जो परमेश्वर के मुख से निकालता है।’”
लोगों को बता दो कि एक ऐसा समय आयेगा जब भोजन नहीं किया जायेगा। एक विशेष सभा के लिए लोगों को बुला लो। सभा में मुखियाओं और उस धरती पर रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा करो। उन्हें अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर में ले आओ और यहोवा से विनती करो।दु:खी रहो क्योंकि यहोवा का वह विशेष दिन आने को है। उस समय दण्ड इस प्रकार आयेगा जैसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कोई आक्रमण हो।हमारा भोजन हमारे देखते—देखते चट हो गया है। हमारे परमेश्वर के मन्दिर से आनन्द और प्रसन्नता जाती रही है।
वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था के विधान की पुस्तक का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया।
तब नातान अपने घर गया और यहोवा ने दाऊद और ऊरिय्याह की पत्नी से जो पुत्र उत्पन्न हुआ था उसे बहुत बीमार कर दिया।दाऊद ने बच्चे के लिये परमेश्वर से प्रार्थना की। दाऊद ने खाना—पीना बन्द कर दिया। वह अपने घर में गया और उसमें ठहरा रहा। वह रातभर भूमि पर लेटा रहा।
इसके बाद राजा दारा अपने महल को वापस चला गया। उस रात उसने खाना नहीं खाया। वह नहीं चाहता था कि कोई उसके पास आये और उसका मन बहलाये। राजा सारी रात सो नहीं पाया।अगली सुबह जैसे ही सूरज का प्रकाश फैलने लगा, राजा दारा जाग गया और शेरों की माँद की ओर दौड़ा।और इसके लिये उसने उन एक सौ बीस प्रांत—अधिपतियों के ऊपर शासन करने के लिये तीन व्यक्तियों को अधिकारी नि़युक्त कर दिया। इन तीनों देख—रेख करने वालों में एक था दानिय्येल। इन तीन व्यक्तियों की नियुक्ति राजा ने इसलिये की थी कि कोई उसके साथ छल न कर पाये और उसके राज्य की कोई भी हानि न हो।राजा बहुत चिंतित था। राजा जब शेरों की मांद के पास गया तो वहाँ उसने दानिय्येवल को ज़ोर से आवाज़ लगाई। राजा ने कहा, “हे दानिय्येल, हे जीवित परमेश्वर के सेवक, क्या तेरा परमेश्वर तुझे शेरों से बचा पाने में समर्थ हो सका है तू तो सदा ही अपने परमेश्वर की सेवा करता रहा है।”दानिय्येल ने उत्तर दिया, “राजा, अमर रहे!मेरे परमेश्वर ने मुझे बचाने के लिये अपना स्वर्गदुत भेजा था। उस स्वर्गदूत ने शेरों के मुँह बन्द कर दिये। शेरों ने मुझे कोई हानि नही पहुँचाई क्योंकि मेरा परमेश्वर जानता है कि मैं निरपराध हूँ। मैंने राजा के प्रति कभी कोई बुरा नही किया है।”राजा दारा बहुत प्रसन्न था। राजा ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे दानिय्येल को शेरों की माँद से बाहर खींच लें। जब दानिय्येल को शेरों की माँद से बाहर लाया गया तो उन्हें उस पर कहीं कोई घाव नहीं दिखाई दिया। शेरों ने दानिय्येल को कोई हानि नहीं पहुँचाई थी क्योंकि दानिय्येल को अपने परमेश्वर पर विश्वास था।इसके बाद राजा ने उन लोगों को जिन्होंने दानिय्येल पर अभियोग लगा कर उसे शेरों की माँद में डलवाया था, बुलवाने का आदेश दिया और उन लोगों को, उनकी पत्नियों को और उनके बच्चों को शेरों की माँद में फेंकवा दिया गया। इससे पहले कि वे शेरों की मांद में धरती पर गिरते, शेरों ने उन्हें दबोच लिया। शेर उनके शरीरों को खा गये और फिर उनकी हड्डियों को भी चबा गये।
वहाँ शैतान ने चालीस दिन तक उसकी परीक्षा ली। उन दिनों यीशु बिना कुछ खाये रहा। फिर जब वह समय पूरा हुआ तो यीशु को बहुत भूख लगी।
फिर तुरंत छिलकों जैसी कोई वस्तु उसकी आँखों से ढलकी और उसे फिर दिखाई देने लगा। वह खड़ा हुआ और उसने बपतिस्मा लिया।फिर थोड़ा भोजन लेने के बाद उसने अपनी शक्ति पुनः प्राप्त कर ली। वह दमिश्क में शिष्यों के साथ कुछ समय ठहरा।
तब एज्रा परमेश्वर के भवन के सामने से दूर हट गया। एज्रा एल्याशीब के पुत्र योहानान के कमरे में गया। जब तक एज्रा वहाँ रहा उसने भोजन नहीं किया और न ही पानी पिया। उसने यह किया क्योंकि वह तब भी बहुत दु:खी था। वह इस्राएल के उन लोगों के लिये दु:खी था जो यरूशलेम को वापस आए थे।तब उसने एक सन्देश यहूदा और यरूशलेम में हर एक स्थान पर भेजा। सन्देश में बन्धुवाई से वापस लौटे सभी यहूदी लोगों को यरूशलेम में एक साथ इकट्ठा होने को कहा।कोई भी व्यक्ति जो तीन दिन के भीतर यरूशलेम नहीं आएगा, उसे अपनी सारी धन सम्पत्ति दे देनी होगी। बड़े अधिकारियों और अग्रजों (प्रामुखों) ने यह निर्णय लिया और वह व्यक्ति उस व्यक्ति समूह का सदस्य नहीं रह जायेगा जिनके मध्य वह रहता होगा।
यहोवा का यह संदेश है: “अपने पूर्ण मन के साथ अब मेरे पास लौट आओ। तुमने बुरे कर्म किये हैं। विलाप करो और निराहार रहो!”
कुस्रू फारस का राजा था। कस्रू के शासन काल के तीसरे वर्ष दानिय्येल को इन बातों का पता चला। (दानिय्येल का ही दूसरा नाम बेलतशस्सर था) ये संकेत सच थे और ये एक बड़े युद्ध के बारे में थे। दानिय्येल उन्हें समझ गया। वे बातें एक दर्शन में उसे समझाई गई थीं।फिर एक हाथ ने मुझे छू लिया। ऐसा होने पर मैं अपने हाथों और अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया। मैं डर के मारे थर थर काँप रहा था।दर्शन के उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “दानिय्येल, तू परमेश्वर का बहुत प्यारा है। जो शब्द मैं तुझसे कहूँ उस पर तू सावधानी के साथ विचार कर। खड़ा हो। मुझे तेरे पास भेजा गया है।” जब उसने ऐसा कहा तो मैं खड़ा हो गया। मैं अभी भी थर—थर काँप रहा था क्योंकि मैं डरा हुआ था।इसके बाद दर्शन के उस पुरूष ने फिर बोलना आरम्भ किया। उसने कहा, “दानिय्येल, डर मत। पहले ही दिन से तूने यह निश्चय कर लिया था कि तू परमेश्वर के सामने विवेकपूर्ण और विनम्र रहेगा। परमेश्वर तेरी प्रार्थनाओं को सुनता रहा है। तू प्रार्थना करता रहा है, मैं इसलिये तेरे पास आया हूँ।किन्तु फारस का युवराज (स्वर्गदूत) इक्कीस दिन तक मेरे साथ लड़ता रहा और मुझे तंग करता रहा। इसके बाद मिकाएल जो एक अत्यंत महत्वपूर्ण युवराज (स्वर्गदूत) था। मेरी सहायता के लिये मेरे पास आया क्योंकि मैं वहाँ फारस के राजा के साथ उलझा हुआ था।हे दानिय्येल, अब मैं तेरे पास तुझे वह बताने को आया हूँ जो भविष्य में तेरे लोगों के साथ घटने वाला है। वह स्वप्न एक आने वाले समय के बारे में है।”अभी वह व्यक्ति मुझसे बात ही कर रहा था कि मैंने धरती कि तरफ़ नीचे अपना मुँह झुका लिया। मैं बोल नहीं पा रहा था।फिर किसी ने जो मनुष्य के जैसा दिखाई दे रहा था, मेरे होंठों को छुआ। मैंने अपना मुँह खोला और बोलना आरम्भ किया। मेरे सामने जो खड़ा था, उससे मैंने कहा, “महोदय, मैंने दर्शन में जो देखा था, मैं उससे व्याकुल और भयभीत हूँ। मैं अपने को असहाय समझ रहा हूँ।मैं तेरा दास दानिय्येल हूँ। मैं तुझसे कैसे बात कर सकता हूँ मेरी शक्ति जाती रही है। मुझसे तो सांस भी नहीं लिया जा रहा है।”मनुष्य जैसे दिखते हुए उसने मुझे फिर छुआ। उसके छुते ही मुझे अच्छा लगा।फिर वह बोला, “दानिय्येल, डर मत। परमेश्वर तुझे बहुत प्रेम करता है। तुझे शांति प्राप्त हो। अब तू सुदृढ़ हो जा! सुदृढ़ हो जा!” उसने मुझसे जब बात की तो मैं और अधिक बलशाली हो गया। फिर मैंने उससे कहा, “प्रभु! आपने तो मुझे शक्ति दे दी है। अब आप बाल सकते हैं।”दानिय्येल का कहना है, “उस समय मैं, दानिय्येल, तीन सप्ताहों तक बहुत दु:खी रहा।सो उसने फिर कहा, “दानिय्येल, क्या तू जानता है, मैं तेरे पास क्यों आया हूँ फारस के युवराज (स्वर्गदूत) से युद्ध करने के लिये मुझे फिर वापस जाना है। मेरे चले जाने के बाद यूनान का युवराज (स्वर्गदूत) यहाँ आयेगा।किन्तु दानिय्येल अपने जाने से पहले तुम को सबसे पहले यह बताना है कि सत्य की पुस्तक में क्या लिखा है। उन बुरे राजकुमारों (स्वर्गदूतों) के विरोध में मीकाएल स्वर्गदूत के अलावा मेरे साथ कोई नहीं खड़ा होता। मीकाएल वह राजकुमार है (स्वर्गदूत) जो तेरे लोगों पर शासन करता है।उन तीन सप्ताहों के दौरान, मैंने कोई भी चटपटा खाना नहीं खाया। मैंने किसी भी प्रकार का माँस नहीं खाया। मैंने दाखमधु नही पी। किसी भी तरह का तेल मैंने अपने सिर में नहीं डाला। तीन सप्ताह तक मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।”
किसी खेल प्रतियोगिता में प्रत्येक प्रतियोगी को हर प्रकार का आत्मसंयम करना होता है। वे एक नाशमान जयमाल से सम्मानित होने के लिये ऐसा करते हैं किन्तु हम तो एक अविनाशी मुकुट को पाने के लिये यह करते हैं।इस प्रकार मैं उस व्यक्ति के समान दौड़ता हूँ जिसके सामने एक लक्ष्य है। मैं हवा में मुक्के नहीं मारता।बल्कि मैं तो अपने शरीर को कठोर अनुशासन में तपा कर, उसे अपने वश में करता हूँ। ताकि कहीं ऐसा न हो जाय कि दूसरों को उपदेश देने के बाद परमेश्वर के द्वारा मैं ही व्यर्थ ठहरा दिया जाऊँ!
चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है। वह व्यक्ति जो यहोवा के भरोसे है सचमुच प्रसन्न रहेगा।
हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है। वैसे कितना मैं तुझको चाहता हूँ। जैसे उस प्यासी क्षीण धरती जिस पर जल न हो वैसे मेरी देह और मन तेरे लिए प्यासा है।
मैंने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करते हुए उसको अपने सभी पाप बता दिये। मैंने कहा, “हे यहोवा, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है। जो व्यक्ति तुझसे प्रेम करते हैं, तू उनके साथ प्रेम और दयालुता के वचन को निभाता है। जो लोग तेरे आदेशों का पालन करते हैं उनके साथ तू अपना वचन निभाता है।“किन्तु हे यहोवा, हम पापी हैं! हमने बुरा किया है। हमने कुकर्म किये हैं। हमने तेरा विरोध किया है। तेरे निष्पक्ष न्याय और तेरे आदेशों से हम दूर भटक गये हैं।हम नबियों की बात नहीं सुनते। नबी तो तेरे सेवक हैं। नबियों ने तेरे बारे में बताया। उन्होंने हमारे राजाओं, हमारे मुखियाओं और हमारे पूर्वजों को बताया था। उन्होंने इस्राल के सभी लोगों को भी बताया था। किन्तु हमने उन नबियों की नही सुनी!
उन्होंने यीशु से कहा, “यूहन्ना के शिष्य प्राय: उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। और ऐसा ही फरीसियों के अनुयायी भी करते हैं किन्तु तेरे अनुयायी तो हर समय खाते पीते रहते हैं।”