इस्राएल के सभी लोगों ने समझ लिया कि नये राजा ने उनकी बात अनसुनी कर दी है। इसलिये लोगों ने राजा से कहा, “क्या हम दाऊद के परिवार के अंग हैं नहीं! क्या हमें यिशै की भूमि में से कुछ मिला है नहीं! अत: इस्राएलियो हम अपने घर चलें। दाऊद के पुत्र को अपने लोगों पर शासन करने दो।” अत: इस्राएल के लोग अपने घर वापस गए।
यह सत्य है कि तुमने एदोम को हराया है। किन्तु तुम एदोम पर विजय के कारण घमण्डी हो गए हो। अपनी प्रसिद्धि का आनन्द उठाओ तथा घर पर रहो। अपने लिये परेशानियाँ मत मोल लो। यदि तुम ऐसा करोगे तुम गिर जाओगे और तुम्हारे साथ यहूदा भी गिरेगा!”
तो वह अहंकार में फूला है तथा कुछ भी नहीं जानता है। वह तो कुतर्क करने और शब्दों को लेकर झगड़ने के रोग से घिरा है। इन बातों से तो ईर्ष्या, बैर, निन्दा-भाव तथा गाली-गलौज
तुम्हारे बीच लड़ाई-झगड़े क्यों होते हैं? क्या उनका कारण तुम्हारे अपने ही भीतर नहीं है? तुम्हारी वे भोग-विलासपूर्ण इच्छाएँ ही जो तुम्हारे भीतर निरन्तर द्वन्द्व करती रहती हैं, क्या उन्हीं से ये पैदा नहीं होते?