बाइबिल के पद

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107 बाइबल के वचन: शादी की सालगिरह की शुभकामनाएँ

सोचो, अपने वैवाहिक जीवन का केंद्रबिंदु अगर परमेश्वर हो, तो कितना अच्छा होगा! उनकी शक्ति ही हमें अपने जीवनसाथी के प्रति प्रेम और समर्पण बनाए रखने में मदद कर सकती है। परमेश्वर का आशीर्वाद पाकर ही हमारा रिश्ता और मज़बूत बनता है। इसलिए प्रार्थना और पवित्र आत्मा की खोज के द्वारा कृतज्ञता दिखाना बहुत ज़रूरी है।

जीवन में आने वाले हर सुख-दुख, उंगलियों पर गिने जाने वाले हर पल, हर साल, सब कुछ परमेश्वर को समर्पित करना चाहिए। निरंतर प्रार्थना के माध्यम से ही हम एक लंबा और मज़बूत वैवाहिक जीवन जी सकते हैं और हर सालगिरह अपनों के साथ खुशी से मना सकते हैं।

अपने जीवनसाथी के साथ कुछ ख़ास समय बिताना न भूलें। परमेश्वर की कृपा को याद करें और हर चीज़ के लिए उनका शुक्रिया अदा करें। एक-दूसरे का साथ पाकर खुश रहें और प्रभु का हाथ थामे आगे बढ़ते रहें।


भजन संहिता 126:3

दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है। अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।

कुलुस्सियों 3:14

इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।

सभोपदेशक 9:9

जिस पत्नी को तुम प्रम करते हो उसके साथ जीवन का भोग करो। अपने छोटे से जीवन के प्रत्येक दिन का आनन्द लो।

श्रेष्ठगीत 1:2

तू मुझ को अपने मुख के चुम्बनों से ढक ले। क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से भी उत्तम है।

सभोपदेशक 4:9

एक व्यक्ति से दो व्यक्ति उत्तम होते हैं। जब दो व्यक्ति मिलकर साथ—साथ काम करते हैं तो जिस काम को वे करते हैं, उस काम से उन्हें अधिक लाभ मिलता है।

उत्पत्ति 2:24

इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।

श्रेष्ठगीत 2:16

मेरा प्रिय मेरा है और मैं उसकी हूँ! मेरा प्रिय अपनी भेड़ बकरियों को कुमुदिनियों के बीच चराता है,

निर्गमन 20:12

“अपने माता और अपने पिता का आदर करो। यह इसलिए करो कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा जिस धरती को तुम्हें दे रहा है, उसमें तुम दीर्घ जीवन बिता सको।

उत्पत्ति 2:23

और मनुष्य ने कहा, “अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति। इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं इसका शरीर मेरे शरीर से आया। क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई, इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।”

1 कुरिन्थियों 13:13

इस दौरान विश्वास, आशा और प्रेम तो बने ही रहेंगे और इन तीनों में भी सबसे महान् है प्रेम।

श्रेष्ठगीत 4:5-7

तेरे दो स्तन जुड़वा बाल मृग जैसे हैं, जैसे जुड़वा कुरंग कुमुदों के बीच चरता हो।

मैं गंधरस के पहाड़ पर जाऊँगा और उस पहाड़ी पर जो लोबान की है जब दिन अपनी अन्तिम साँस लेता है और उसकी छाया बहुत लम्बी हो कर छिप जाती है।

मेरी प्रिये, तू पूरी की पूरी सुन्दर हो। तुझ पर कहीं कोई धब्बा नहीं है!

इफिसियों 5:25

हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो। वैसे ही जैसे मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया और अपने आपको उसके लिये बलि दे दिया।

भजन संहिता 90:12

तू हमको सिखा दे कि हम सचमुच यह जाने कि हमारा जीवन कितना छोटा है। ताकि हम बुद्धिमान बन सकें।

भजन संहिता 91:16

मैं अपने अनुयायियों को एक लम्बी आयु दूँगा और मैं उनकीरक्षा करूँगा।

भजन संहिता 100:4-5

धन्यवाद के गीत संग लिये यहोवा के नगर में आओ, गुणगान के गीत संग लिये यहोवा के मन्दिर में आओ। उसका आदर करो और नाम धन्य करो।

यहोवा उत्तम है। उसका प्रेम सदा सर्वदा है। हम उस पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा कर सकते हैं!

भजन संहिता 118:24

यहोवा ने आज के दिन को बनाया है। आओ हम हर्ष का अनुभव करें और आज आनन्दित हो जाये!

भजन संहिता 136:1

यहोवा की प्रशंसा करो, क्योंकि वह उत्तम है। उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।

नीतिवचन 3:5-6

अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।

उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।

नीतिवचन 10:12

दुष्ट के मुख से घृणा भेद—भावों को उत्तेजित करती है जबकि प्रेम सब दोषों को ढक लेता है।

नीतिवचन 17:17

मित्र तो सदा—सर्वदा प्रेम करता है बुरे दिनों को काम आने का बंधु बन जाता है।

नीतिवचन 18:22

जिसको पत्नी मिली है, वह उत्तम पदार्थ पाया है। उसको यहोवा का अनुग्रह मिलता है।

श्रेष्ठगीत 3:4

पहरेदारों से मैं अभी थोड़ी ही दूर गई कि मुझको मेरा प्रियतम मिल गया! मैंने उसे पकड़ लिया और तब तक जाने नहीं दिया जब तक मैं उसे अपनी माता के घर में न ले आई अर्थात् उस स्त्री के कक्ष में जिसने मुझे गर्भ में धरा था।

श्रेष्ठगीत 8:6-7

अपने हृदय पर तू मुद्रा सा धर। जैसी मुद्रा तेरी बाँह पर है। क्योंकि प्रेम भी उतना ही सबल है जितनी मृत्यु सबल है। भावना इतनी तीव्र है जितनी कब्र होती है। इसकी धदक धधकती हुई लपटों सी होती है!

प्रेम की आग को जल नहीं बुझा सकता। प्रेम को बाढ़ बहा नहीं सकती। यदि कोई व्यक्ति प्रेम को घर का सब दे डाले तो भी उसकी कोई नहीं निन्दा करेगा!

यशायाह 54:10

यहोवा कहता है, “चाहे पर्वत लुप्त हो जाये और ये पहाड़ियाँ रेत में बदल जायें किन्तु मेरी करूणा तुझे कभी भी नहीं त्यागेगी। मैं तुझसे मेल करूँगा और उस मेल का कभी अन्त न होगा।” यहोवा तुझ पर करूणा दिखाता है और उस यहोवा ने ही ये बातें बतायी हैं।

मत्ती 19:4-6

उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “क्या तुमने शास्त्र में नहीं पढ़ा कि जगत को रचने वाले ने प्रारम्भ में, ‘उन्हें एक स्त्री और एक पुरुष के रूप में रचा था?’

और कहा था ‘इसी कारण अपने माता-पिता को छोड़ कर पुरुष अपनी पत्नी के साथ दो होते हुए भी एक शरीर होकर रहेगा।’

सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”

मत्ती 22:37-39

यीशु ने उससे कहा, “‘सम्पूर्ण मन से, सम्पूर्ण आत्मा से और सम्पूर्ण बुद्धि से तुझे अपने परमेश्वर प्रभु से प्रेम करना चाहिये।’

यह सबसे पहला और सबसे बड़ा आदेश है।

फिर ऐसा ही दूसरा आदेश यह है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम कर जैसे तू अपने आप से करता है।’

मरकुस 10:6-9

सृष्टि के प्रारम्भ से ही, ‘परमेश्वर ने उन्हें पुरुष और स्त्री के रूप में रचा है।’

‘इसीलिये एक पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा।

और वे दोनों एक तन हो जायेंगे।’ इसलिए वे दो नहीं रहते बल्कि एक तन हो जाते हैं।

इसलिये जिसे परमेश्वर ने मिला दिया है, उसे मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिए।”

लूका 1:37

किन्तु परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं।”

यूहन्ना 15:12-13

कि तुम आपस में प्रेम करो, वैसे ही जैसे मैंने तुम से प्रेम किया है।

बड़े से बड़ा प्रेम जिसे कोई व्यक्ति कर सकता है, वह है अपने मित्रों के लिए प्राण न्योछावर कर देना।

रोमियों 12:10

भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।

रोमियों 13:8

आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है।

1 कुरिन्थियों 13:4-7

प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।

वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।

बुराई पर कभी उसे प्रसन्नता नहीं होती। वह तो दूसरों के साथ सत्य पर आनंदित होता है।

वह सदा रक्षा करता है, वह सदा विश्वास करता है। प्रेम सदा आशा से पूर्ण रहता है। वह सहनशील है।

1 कुरिन्थियों 16:14

तुम जो कुछ करो, प्रेम से करो।

2 कुरिन्थियों 9:15

उस वरदान के लिये जिसका बखान नहीं किया जा सकता, परमेश्वर का धन्यवाद है।

गलातियों 5:22-23

जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास,

नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है। ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था का विधान नहीं है।

इफिसियों 4:2-3

सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो।

किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है।

मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है।

जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है।

जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके।

और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।

सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं।

क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो।

शैतान को अपने पर हावी मत होने दो।

जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।

तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।

वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।

इफिसियों 4:31-32

समूची कड़वाहट, झुँझलाहट, क्रोध, चीख-चिल्लाहट और निन्दा को तुम अपने भीतर से हर तरह की बुराई के साथ निकाल बाहर फेंको।

परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।

फिलिप्पियों 1:3-5

मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ।

तुम जानते हो कि तुम उसी संघर्ष में जुटे हो, जिसमें मैं जुटा था और जैसा कि तुम सुनते हो आज तक मैं उसी में लगा हूँ।

अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ।

क्योंकि पहले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहयोगी रहे हो।

फिलिप्पियों 2:1-2

फिर तुम लोगों में यदि मसीह में कोई उत्साह है, प्रेम से पैदा हुई कोई सांत्वना है, यदि आत्मा में कोई भागेदारी है, स्नेह की कोई भावना और सहानुभूति है

ताकि सब कोई जब यीशु के नाम का उच्चारण होते हुए सुनें, तो नीचे झुक जायें। चाहे वे स्वर्ग के हों, धरती पर के हों और चाहे धरती के नीचे के हों।

और हर जीभ परम पिता परमेश्वर की महिमा के लिये स्वीकार करें, “यीशु मसीह ही प्रभु है।”

इसलिए मेरे प्रियों, तुम मेरे निर्देशों का जैसा उस समय पालन किया करते थे जब मैं तुम्हारे साथ था, अब जबकि मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँ तब तुम और अधिक लगन से उनका पालन करो। परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आदर भाव के साथ अपने उद्धार को पूरा करने के लिये तुम लोग काम करते जाओ।

क्योंकि वह परमेश्वर ही है जो उन कामों की इच्छा और उन्हें पूरा करने का कर्म, जो परमेश्वर को भाते हैं, तुम में पैदा करता है।

बिना कोई शिकायत या लड़ाई झगड़ा किये सब काम करते रहो,

ताकि तुम भोले भाले और पवित्र बन जाओ। तथा इस कुटिल और पथभ्रष्ट पीढ़ी के लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक बालक बन जाओ। उन के बीच अंधेरी दुनिया में तुम उस समय तारे बन कर चमको

जब तुम उन्हें जीवनदायी सुसंदेश सुनाते हो। तुम ऐसा ही करते रहो ताकि मसीह के फिर से लौटने के दिन मैं यह देख कर कि मेरे जीवन की भाग दौड़ बेकार नहीं गयी, तुम पर गर्व कर सकूँ।

तुम्हारा विश्वास एक बलि के रूप में है और यदि मेरा लहू तुम्हारी बलि पर दाखमधु के समान उँडेल दिया भी जाये तो मुझे प्रसन्नता है। तुम्हारी प्रसन्नता में मेरा भी सहभाग है।

उसी प्रकार तुम भी प्रसन्न रहो और मेरे साथ आनन्द मनाओ।

प्रभु यीशु की सहायता से मुझे तीमुथियुस को तुम्हारे पास शीघ्र ही भेज देने की आशा है ताकि तुम्हारे समाचारों से मेरा भी उत्साह बढ़ सके।

तो मुझे पूरी तरह प्रसन्न करो। मैं चाहता हूँ, तुम एक तरह से सोचो, परस्पर एक जैसा प्रेम करो, आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।

1 थिस्सलुनीकियों 5:16-18

सदा प्रसन्न रहो।

प्रार्थना करना कभी न छोड़ो।

हर परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद करो।

1 तीमुथियुस 6:17-19

वर्तमान युग की वस्तुओं के कारण जो धनवान बने हुए हैं, उन्हें आज्ञा दे कि वे अभिमान न करें। अथवा उस धन से जो शीघ्र चला जाएगा कोई आशा न रखें। परमेश्वर पर ही अपनी आशा टिकाए जो हमें हमारे आनन्द के लिए सब कुछ भरपूर देता है।

उन्हें आज्ञा दे कि वे अच्छे-अच्छे काम करें। उत्तम कामों से ही धनी बनें। उदार रहें और दूसरों के साथ अपनी वस्तुएँ बाँटें।

ऐसा करने से ही वे एक स्वर्गीय कोष का संचय करेंगे जो भविष्य के लिए सुदृढ़ नींव सिद्ध होगा। इसी से वे सच्चे जीवन को थामे रहेंगे।

इब्रानियों 10:24-25

तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।

हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।

इब्रानियों 13:1-2

भाई के समान परस्पर प्रेम करते रहो।

हमारे पास एक ऐसी वेदी है जिस पर से खाने का अधिकार उनको नहीं है जो तम्बू में सेवा करते है।

महायाजक परम पवित्र स्थान पर पापबलि के रूप में पशुओं का लहू तो ले जाता है, किन्तु उनके शरीर डेरों के बाहर जला दिए जाते हैं।

इसीलिए यीशु ने भी स्वयं अपने लहू से लोगों को पवित्र करने के लिए नगर द्वार के बाहर यातना झेली।

तो फिर आओ हम भी इसी अपमान को झेलते हुए जिसे उसने झेला था, डेरों के बाहर उसके पास चलें।

क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है बल्कि हम तो उस नगर की बाट जोह रहे हैं जो आनेवाला है।

अतः आओ हम यीशु के द्वारा परमेश्वर को स्तुति रूपी बलि अर्पित करें जो उन होठों का फल है जिन्होंने उसके नाम को पहचाना है।

तथा नेकी करना और अपनी वस्तुओं को औरों के साथ बाँटना मत भूलो। क्योंकि परमेश्वर ऐसी ही बलियों से प्रसन्न होता है।

अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।

हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है।

मैं विशेष रूप से आग्रह करता हूँ कि तुम प्रार्थना किया करो ताकि शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आ सकूँ।

अतिथियों का सत्कार करना मत भूलो, क्योंकि ऐसा करतेहुए कुछ लोगों ने अनजाने में ही स्वर्गदूतों का स्वागत-सत्कार किया है।

याकूब 1:17

प्रत्येक उत्तम दान और परिपूर्ण उपहार ऊपर से ही मिलते हैं। और वे उस परम पिता के द्वारा जिसने स्वर्गीय प्रकाश को जन्म दिया है, नीचे लाए जाते हैं। वह नक्षत्रों की गतिविधि से उप्तन्न छाया से कभी बदलता नहीं है।

1 पतरस 4:8

और सबसे बड़ी बात यह है कि एक दूसरे के प्रति निरन्तर प्रेम बनाये रखो क्योंकि प्रेम से अनगिनत पापों का निवारण होता है।

1 पतरस 5:6-7

इसलिए परमेश्वर के महिमावान हाथ के नीचे अपने आपको नवाओ। ताकि वह उचित अवसर आने पर तुम्हें ऊँचा उठाए।

तुम अपनी सभी चिंताएँ उस पर छोड़ दो क्योंकि वह तुम्हारे लिए चिंतित है।

1 यूहन्ना 4:19

हम प्रेम करते हैं क्योंकि पहले परमेश्वर ने हमें प्रेम किया है।

भजन संहिता 25:4-5

हे यहोवा, मेरी सहायता कर कि मैं तेरी राहों को सीखूँ। तू अपने मार्गों की मुझको शिक्षा दे।

अपनी सच्ची राह तू मुझको दिखा और उसका उपदेश मुझे दे। तू मेरा परमेश्वर मेरा उद्धारकर्ता है। मुझको हर दिन तेरा भरोसा है।

भजन संहिता 31:19

हे परमेश्वर, तूने अपने भक्तों के लिए बहुत सी अदूभुत वस्तुएँ छिपा कर रखी हैं। तू सबके सामने ऐसे मनुष्यों के लिए जो तेरे विश्वासी हैं, भले काम करता है।

भजन संहिता 32:10-11

दुर्जनों को बहुत सी पीड़ाएँ घेरेंगी। किन्तु उन लोगों को जिन्हें यहोवा पर भरोसा है, यहोवा का सच्चा प्रेम ढक लेगा।

सज्जन तो यहोवा में सदा मगन और आनन्दित रहते हैं। अरे ओ लोगों, तुम सब पवित्र मन के साथ आनन्द मनाओ।

भजन संहिता 34:8

चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है। वह व्यक्ति जो यहोवा के भरोसे है सचमुच प्रसन्न रहेगा।

भजन संहिता 37:4

यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह, और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।

भजन संहिता 40:5

हमारे परमेश्वर यहोवा, तूने बहुतेरे अद्भुत कर्म किये हैं। हमारे लिये तेरे पास अद्भुत योजनाएँ हैं। कोई मनुष्य नहीं जो उसे गिन सके! मैं तेरे किये हुए कामों को बार बार बखानूँगा।

भजन संहिता 100:1-2

हे धरती, तुम यहोवा के लिये गाओ।

आनन्दित रहो जब तुम यहोवा की सेवा करो। प्रसन्न गीतों के साथ यहोवा के सामने आओ।

भजन संहिता 103:2

हे मेरी आत्मा, यहोवा को धन्य कह और मत भूल की वह सचमुच कृपालु है!

भजन संहिता 118:1

यहोवा का मान करो क्योंकि वह परमेश्वर है। उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!

नीतिवचन 11:25

उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी।

नीतिवचन 12:25

चिंतापूर्ण मन व्यक्ति को दबोच लेता है; किन्तु भले वचन उसे हर्ष से भर देते हैं।

नीतिवचन 15:13

मन की प्रसन्नता मुख को चमकाती, किन्तु मन का दर्द आत्मा को कुचल देता है।

नीतिवचन 17:22

प्रसन्न चित रहना सबसे बड़ी दवा है, किन्तु बुझा मन हड्डियों को सुखा देता है।

नीतिवचन 19:14

भवन और धन दौलत माँ बाप से दान में मिल जाते; किन्तु बुद्धिमान पत्नी यहोवा से मिलती है।

नीतिवचन 20:7

धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है उसका बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं।

यशायाह 12:4-5

फिर तू कहेगा, “यहोवा की स्तुति करो! उसके नाम की तुम उपासना किया करो! उसने जो कार्य किये हैं उसका लोगों से बखान करो। तुम उनको बताओ कि वह कितना महान है!”

तुम यहोवा के स्तुति गीत गाओ! क्यों क्योंकि उसने महान कार्य किये हैं! इस शुभ समाचार को जो परमेशवर का है, सारी दुनियाँ में फैलाओ ताकि सभी लोग ये बातें जान जायें।

यशायाह 26:3

हे यहोवा, तू हमें सच्ची शांति प्रदान करता है। तू उनको शान्ति दिया करता है, जो तेरे भरोसे हैं और तुझ पर विश्वास रखते हैं।

यशायाह 40:31

किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं। जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं। ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं। ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।

मत्ती 5:16

लोगों के सामने तुम्हारा प्रकाश ऐसे चमके कि वे तुम्हारे अच्छे कामों को देखें और स्वर्ग में स्थित तुम्हारे परम पिता की महिमा का बखान करें।

मत्ती 7:7

“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा।

मत्ती 11:28-30

“हे थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा।

मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर सँभालो। फिर मुझसे सीखो क्योंकि मैं सरल हूँ और मेरा मन कोमल है। तुम्हें भी अपने लिये सुख-चैन मिलेगा।

पूछा कि “क्या तू वही है ‘जो आने वाला था’ या हम किसी और आने वाले की बाट जोहें?”

क्योंकि वह जुआ जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ बहुत सरल है। और वह बोझ जो मैं तुम पर डाल रहा हूँ, हल्का है।”

लूका 12:22-26

फिर उसने अपने शिष्यों से कहा, “इसीलिये मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन की चिंता मत करो कि तुम क्या खाओगे अथवा अपने शरीर की चिंता मत करो कि तुम क्या पहनोगे?

क्योंकि जीवन भोजन से और शरीर वस्त्रों से अधिक महत्त्वपूर्ण है।

कौवों को देखो, न वे बोते हैं, न ही वे काटते है। न उनके पास भंडार है और न अनाज के कोठे। फिर भी परमेश्वर उन्हें भोजन देता है। तुम तो कौवों से कितने अधिक मूल्यवान हो।

चिन्ता करके, तुम में से कौन ऐसा हे, जो अपनी आयु में एक घड़ी भी और जोड़ सकता है।

क्योंकि यदि तुम इस छोटे से काम को भी नहीं कर सकते तो शेष के लिये चिन्ता क्यों करते हो?

यूहन्ना 14:1-3

“तुम्हारे हृदय दुःखी नहीं होने चाहिये। परमेश्वर में विश्वास रखो और मुझमें भी विश्वास बनाये रखो।

क्या तुझे विश्वास नहीं है कि मैं परम पिता में हूँ और परम पिता मुझमें है? वे वचन जो मैं तुम लोगों से कहता हूँ, अपनी ओर से ही नहीं कहता। परम पिता जो मुझमें निवास करता है, अपना काम करता है।

जब मैं कहता हूँ कि मैं परम पिता में हूँ और परम पिता मुझमें है तो मेरा विश्वास करो और यदि नहीं तो स्वयं कामों के कारण ही विश्वास करो।

“मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, जो मुझमें विश्वास करता है, वह भी उन कार्यों को करेगा जिन्हें मैं करता हूँ। वास्तव में वह इन कामों से भी बड़े काम करेगा। क्योंकि मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ।

और मैं वह सब कुछ करूँगा जो तुम लोग मेरे नाम से माँगोगे जिससे पुत्र के द्वारा परम पिता महिमावान हो।

यदि तुम मुझसे मेरे नाम में कुछ माँगोगे तो मैं उसे करूँगा।

“यदि तुम मुझे प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।

मैं परम पिता से विनती करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक देगा ताकि वह सदा तुम्हारे साथ रह सके।

यानी सत्य का आत्मा जिसे जगत ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह उसे न तो देखता है और न ही उसे जानता है। तुम लोग उसे जानते हो क्योंकि वह आज तुम्हारे साथ रहता है और भविष्य में तुम में रहेगा।

“मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ।

कुछ ही समय बाद जगत मुझे और नहीं देखेगा किन्तु तुम मुझे देखोगे क्योंकि मैं जीवित हूँ और तुम भी जीवित रहोगे।

मेरे परम पिता के घर में बहुत से कमरे हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो मैं तुमसे कह देता। मैं तुम्हारे लिए स्थान बनाने जा रहा हूँ।

उस दिन तुम जानोगे कि मैं परम पिता में हूँ, तुम मुझ में हो और मैं तुझमें।

वह जो मेरे आदेशों को स्वीकार करता है और उनका पालन करता है, मुझसे प्रेम करता है। जो मुझमें प्रेम रखता है उसे मेरा परम पिता प्रेम करेगा। मैं भी उसे प्रेम करूँगा और अपने आप को उस पर प्रकट करूँगा।”

यहूदा ने (यहूदा इस्करियोती ने नहीं) उससे कहा, “हे प्रभु, ऐसा क्यों है कि तू अपने आपको हम पर प्रकट करना चाहता है और जगत पर नहीं?”

उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “यदि कोई मुझमें प्रेम रखता है तो वह मेरे वचन का पालन करेगा। और उससे मेरा परम पिता प्रेम करेगा। और हम उसके पास आयेंगे और उसके साथ निवास करेंगे।

जो मुझमें प्रेम नहीं रखता, वह मेरे उपदेशों पर नहीं चलता। यह उपदेश जिसे तुम सुन रहे हो, मेरा नहीं है, बल्कि उस परम पिता का है जिसने मुझे भेजा है।

“ये बातें मैंने तुमसे तभी कही थीं जब मैं तुम्हारे साथ था।

किन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे परम पिता मेरे नाम से भेजेगा, तुम्हें सब कुछ बतायेगा। और जो कुछ मैंने तुमसे कहा है उसे तुम्हें याद दिलायेगा।

“मैं तुम्हारे लिये अपनी शांति छोड़ रहा हूँ। मैं तुम्हें स्वयं अपनी शांति दे रहा हूँ पर तुम्हें इसे मैं वैसे नहीं दे रहा हूँ जैसे जगत देता है। तुम्हारा मन व्याकुल नहीं होना चाहिये और न ही उसे डरना चाहिये।

तुमने मुझे कहते सुना है कि मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास फिर आऊँगा। यदि तुमने मुझसे प्रेम किया होता तो तुम प्रसन्न होते क्योंकि मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ। क्योंकि परम पिता मुझ से महान है।

और अब यह घटित होने से पहले ही मैंने तुम्हें बता दिया है ताकि जब यह घटित हो तो तुम्हें विश्वास हो।

और यदि मैं वहाँ जाऊँ और तुम्हारे लिए स्थान तैयार करूँ तो मैं फिर यहाँ आऊँगा और अपने साथ तुम्हें भी वहाँ ले चलूँगा ताकि तुम भी वहीं रहो जहाँ मैं हूँ।

प्रेरितों के काम 2:46-47

मन्दिर में एक समूह के रूप में वे हर दिन मिलते-जुलते रहे। वे अपने घरों में रोटी को विभाजित करते और उदार मन से आनन्द के साथ, मिल-जुलकर खाते।

सभी लोगों की सद्भावनाओं का आनन्द लेते हुए वे प्रभु की स्तुति करते, और प्रतिदिन परमेश्वर, जिन्हें उद्धार मिल जाता, उन्हें उनके दल में और जोड़ देता।

रोमियों 5:3-5

इतना ही नहीं, हम अपनी विपत्तियों में भी आनन्द लेते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि विपत्ति धीरज को जन्म देती है।

और धीरज से परखा हुआ चरित्र निकलता है। परखा हुआ चरित्र आशा को जन्म देता है।

और आशा हमें निराश नहीं होने देती क्योंकि पवित्र आत्मा के द्वारा, जो हमें दिया गया है, परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदय में उँडेल दिया गया है।

रोमियों 8:28

और हम जानते हैं कि हर परिस्थिति में वह आत्मा परमेश्वर के भक्तों के साथ मिल कर वह काम करता है जो भलाई ही लाते हैं उन सब के लिए जिन्हें उसके प्रयोजन के अनुसार ही बुलाया गया है।

1 कुरिन्थियों 1:4-9

तुम्हें प्रभु यीशु में जो अनुग्रह प्रदान की गयी है, उसके लिये मैं तुम्हारी ओर से परमेश्वर का सदा धन्यवाद करता हूँ।

तुम्हारी यीशु मसीह में स्थिति के कारण तुम्हें हर किसी प्रकार से अर्थात समस्त वाणी और सम्पूर्ण ज्ञान से सम्पन्न किया गया है।

मसीह के विषय में हमने जो साक्षी दी है वह तुम्हारे बीच प्रमाणित हुई है।

और इसी के परिणामस्वरूप तुम्हारे पास उसके किसी पुरस्कार की कमी नहीं है। तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने की प्रतिक्षा करते रहते हो।

वह तुम्हें अन्त तक हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन एक दम निष्कलंक, खरा बनाये रखेगा।

परमेश्वर विश्वासपूर्ण है। उसी के द्वारा तुम्हें हमारे प्रभु और उसके पुत्र यीशु मसीह की सत् संगति के लिये चुना गया है।

2 कुरिन्थियों 1:3-4

हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमपिता परमेश्वर धन्य है। वह करुणा का स्वामी है और आनन्द का स्रोत है।

हमारी हर विपत्ति में वह हमें शांति देता है ताकि हम भी हर प्रकार की विपत्ति में पड़े लोगों को वैसे ही शांति दे सकें, जैसे परमेश्वर ने हमें दी है।

गलातियों 6:9

इसलिए आओ हम भलाई करते कभी न थकें, क्योंकि यदि हम भलाई करते ही रहेंगे तो उचित समय आने पर हमें उसका फल मिलेगा।

इफिसियों 3:20-21

अब उस परमेश्वर के लिये जो अपनी उस शक्ति से जो हममें काम कर रही है, जितना हम माँग सकते हैं या जहाँ तक हम सोच सकते हैं, उससे भी कहीं अधिक कर सकता है,

उसकी कलीसिया में और मसीह यीशु में अनन्त पीढ़ियों तक सदा सदा के लिये महिमा होती रहे। आमीन।

फिलिप्पियों 4:4

प्रभु में सदा आनन्द मनाते रहो। इसे मैं फिर दोहराता हूँ, आनन्द मनाते रहो।

कुलुस्सियों 2:6-7

इसलिए तुमने जैसे यीशु को मसीह और प्रभु के रूप में ग्रहण किया है, तुम उसमें वैसे ही बने रहो।

तुम्हारी जड़ें उसी में हों और तुम्हारा निर्माण उसी पर हो तथा तुम अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो जैसा कि तुम्हें सिखाया गया है। परमेश्वर के प्रति अत्यधिक आभारी बनो।

1 तीमुथियुस 1:12

मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह का धन्यवाद करता हूँ। मुझे उसी ने शक्ति दी है। उसने मुझे विश्वसनीय समझ कर अपनी सेवा में नियुक्त किया है।

2 तीमुथियुस 1:7

क्योंकि परमेश्वर ने हमें जो आत्मा दी है, वह हमें कायर नहीं बनाती बल्कि हमें प्रेम, संयम और शक्ति से भर देती है।

तीतुस 2:11-14

क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह सब मनुष्यों के उद्धार के लिए प्रकट हुआ है।

इससे हमें सीख मिलती है कि हम परमेश्वर विहीनता को नकारें और सांसारिक इच्छाओं का निषेध करते हुए ऐसा जीवन जीयें जो विवेकपूर्ण नेक, भक्ति से भरपूर और पवित्र हो। आज के इस संसार में

आशा के उस धन्य दिन की प्रतीक्षा करते रहें जब हमारे परम परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा प्रकट होगी।

उसने हमारे लिये अपने आपको दे डाला। ताकि वह सभी प्रकार की दुष्टताओं से हमें बचा सके और अपने चुने हुए लोगों के रूप में अपने लिये हमें शुद्ध कर ले—हमें, जो उत्तम कर्म करने को लालायित है।

इब्रानियों 6:10

तुमने परमेश्वर के जनों की निरन्तर सहायता करते हुए जो प्रेम दर्शाया है, उसे और तुम्हारे दूसरे कामों को परमेश्वर कभी नहीं भुलाएगा। वह अन्यायी नहीं है।

इब्रानियों 12:28

अतः क्योंकि जब हमें एक ऐसा राज्य मिल रहा है, जिसे झकझोरा नहीं जा सकता, तो आओ हम धन्यवादी बनें और आदर मिश्रित भय के साथ परमेश्वर की उपासना करें।

1 पतरस 1:3-5

हमारे प्रभु यीशु मसीह का परम पिता परमेश्वर धन्य हो। मरे हुओं में से यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा उसकी अपार करुणा में एक सजीव आशा पा लेने कि लिए उसने हमें नया जन्म दिया है।

ताकि तुम तुम्हारे लिए स्वर्ग में सुरक्षित रूप से रखे हुए अजर-अमर दोष रहित अविनाशी उत्तराधिकार को पा लो।

जो विश्वास से सुरक्षित है, उन्हें वह उद्धार जो समय के अंतिम छोर पर प्रकट होने को है, प्राप्त हो।

1 पतरस 3:7

ऐसे ही हे पतियों, तुम अपनी पत्नियों के साथ समझदारी पूर्वक रहो। उन्हें निर्बल समझ कर, उनका आदर करो। जीवन के वरदान में उन्हें अपना सह उत्तराधिकारी भी मानो ताकि तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न पड़े।

1 पतरस 4:10

जिस किसी को परमेश्वर की ओर से जो भी वरदान मिला है, उसे चाहिए कि परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम प्रबन्धकों के समान, एक दूसरे की सेवा के लिए उसे काम में लाए।

1 यूहन्ना 4:7

हे प्यारे मित्रों, हम परस्पर प्रेम करें। क्योंकि प्रेम परमेश्वर से मिलता है और हर कोई जो प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सन्तान बन गया है और परमेश्वर को जानता है।

भजन संहिता 18:1-2

उसने कहा, “यहोवा मेरी शक्ति है, मैं तुझ पर अपनी करुणा दिखाऊँगा!

उसने उड़ते करुब स्वर्गदूतों पर सवारी की वायु पर सवार हो वह ऊँचे उड़ चला।

यहोवा ने स्वयं को अँधेरे में छिपा लिया, उसको अम्बर का चँदोबा घिरा था। वह गरजते बादलों के सघन घटा—टोप में छिपा हुआ था।

परमेश्वर का तेज बादल चीर कर निकला। बरसा और बिजलियाँ कौंधी।

यहोवा का उद्घोष नाद अम्बर में गूँजा! परम परमेश्वर ने निज वाणी को सुनने दिया! फिर ओले बरसे और बिजलियाँ कौंध उठी।

यहोवा ने बाण छोड़े और शत्रु बिखर गये। उसके अनेक तड़ित बज्रों ने उनको पराजित किया।

हे यहोवा, तूने गर्जना की और मुख से आँधी प्रवाहित की। जल पीछे हट कर दबा और समुद्र का जल अतल दिखने लगा, और धरती की नींव तक उधड़ी।

यहोवा ऊपर अम्बर से नीचे उतरा और मेरी रक्षा की। मुझको मेरे कष्टों से उबार लिया।

मेरे शत्रु मुझसे कहीं अधिक सशक्त थे। वे मुझसे कहीं अधिक बलशाली थे, और मुझसे बैर रखते थे। सो परमेश्वर ने मेरी रक्षा की।

जब मैं विपत्ति में था, मेरे शत्रुओं ने मुझ पर प्रहार किया किन्तु तब यहोवा ने मुझ को संभाला!

यहोवा को मुझसे प्रेम था, सो उसने मुझे बचाया और मुझे सुरक्षित ठौर पर ले गया।

यहोवा मेरी चट्टान, मेरा गढ़, मेरा शरणस्थल है।” मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है। मैं तेरी शरण मे आया हूँ। उसकी शक्ति मुझको बचाती है। यहोवा ऊँचे पहाड़ों पर मेरा शरणस्थल है।

भजन संहिता 23:1-3

यहोवा मेरा गडेरिया है। जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।

हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है। वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।

वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है। वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।

भजन संहिता 36:5-7

हे यहोवा, तेरा सच्चा प्रेम आकाश से भी ऊँचा है। हे यहोवा, तेरी सच्चाई मेघों से भी ऊँची है।

हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है। तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है। हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है।

तेरी करुणा से अधिक मूल्यवान कुछ भी नहीं हैं। मनुष्य और दूत तेरे शरणागत हैं।

भजन संहिता 37:5

यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर। वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।

भजन संहिता 46:1

परमेश्वर हमारे पराक्रम का भण्डार है। संकट के समय हम उससे शरण पा सकते हैं।

भजन संहिता 62:1-2

मैं धीरज के साथ अपने उद्धार के लिए यहोवा का बाट जोहता हूँ।

तुम बल पर भरोसा मत रखो की तुम शक्ति के साथ वस्तुओं को छीन लोगे। मत सोचो तुम्हें चोरी करने से कोई लाभ होगा। और यदि धनवान भी हो जाये तो कभी दौलत पर भरोसा मत करो, कि वह तुमको बचा लेगी।

एक बात ऐसी है जो परमेश्वर कहता है, जिसके भरोसे तुम सचमुच रह सकते हो: “शक्ति परमेश्वर से आती है!”

मेरे स्वामी, तेरा प्रेम सच्चा है। तू किसी जन को उसके उन कामों का प्रतिफल अथवा दण्ड देता है, जिन्हें वह करता है।

परमेश्वर मेरा गढ़ है। परमेश्वर मुझको बचाता है। ऊँचे पर्वत पर, परमेश्वर मेरा सुरक्षा स्थान है। मुझको महा सेनायें भी पराजित नहीं कर सकतीं।

भजन संहिता 66:1-4

हे धरती की हर वस्तु, आनन्द के साथ परमेश्वर की जय बोलो।

परमेश्वर ने हमारी परीक्षा ली है। परमेश्वर ने हमें वैसे ही परखा, जैसे लोग आग में डालकर चाँदी परखते हैं।

है परमेश्वर, तूने हमें फँदों में फँसने दिया। तूने हम पर भारी बोझ लाद दिया।

तूने हमें शत्रुओं से पैरों तले रौदंवाया। तूने हमको आग और पानी में से घसीटा। किन्तु तू फिर भी हमें सुरक्षित स्थान पर ले आया।

इसलिए में तेरे मन्दिर में बलियाँ चढ़ाने लाऊँगा। जब मैं विपति में था, मैंने तेरी शरण माँगी और मैंने तेरी बहुतेरी मन्नत मानी। अब उन सब वस्तुओं को जिनकी मैंने मन्नत मानी, अर्पित करता हूँ।

तुझको पापबलि अर्पित कर रहा हूँ, और मेढ़ों के साथ सुगन्ध अर्पित करता हूँ। तुझको बैलों और बकरों की बलि अर्पित करता हूँ।

ओ सभी लोगों, परमेश्वर के आराधकों। आओ, मैं तुम्हें बताऊँगा कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या किया है।

मैंने उसकी विनती की। मैंने उसका गुणगान किया। मेरा मन पवित्र था, मेरे स्वामी ने मेरी बात सुनी।

परमेश्वर ने मेरी सुनी। परमेश्वर ने मेरी विनती सुन ली।

उसके माहिमामय नाम की स्तुति करों! उसका आदर उसके स्तुति गीतों से करों!

परमेश्वर के गुण गाओ। परमेश्वर ने मुझसे मुँह नहीं मोड़ा। उसने मेरी प्रार्थना को सुन लिया। परमेश्वर ने निज करूणा मुझपर दर्शायी।

उसके अति अद्भुत कामों से परमेश्वर को बखानों! हे परमेश्वर, तेरी शक्ति बहुत बड़ी है। तेरे शत्रु झुक जाते और वे तुझसे डरते हैं।

जगत के सभी लोग तेरी उपासना करें और तेरे नाम का हर कोई गुण गायें।

भजन संहिता 107:1-2

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह उत्तम है। उसका प्रेम अमर है।

परमेश्वर के कुछ भक्त बन्दी बने ऐसे बन्दीगृह में, वे तालों में बंद थे, जिसमें घना अंधकार था।

क्यों? क्योंकि उन लोगों ने उन बातों के विरूद्ध लड़ाईयाँ की थी जो परमेश्वर ने कहीं थी, परम परमेश्वर की सम्मति को उन्होंने सुनने से नकारा था।

परमेश्वर ने उनके कर्मो के लिये जो उन्होंने किये थे उन लोगों के जीवन को कठिन बनाया। उन्होंने ठोकर खाई और वे गिर पड़े, और उन्हें सहारा देने कोई भी नहीं मिला।

वे व्यक्ति संकट में थे, इसलिए सहारा पाने को यहोवा को पुकारा। यहोवा ने उनके संकटों से उनकी रक्षा की।

परमेश्वर ने उनको उनके अंधेरे कारागारों से उबार लिया। परमेश्वर ने वे रस्से काटे जिनसे उनको बाँधा गया था।

यहोवा का धन्यवाद करो। उसके प्रेम के लिये और उन अद्भुत कामों के लिये जिन्हें वह लोगों के लिये करता है उसका धन्यवाद करो।

परमेश्वर हमारे शत्रुओं को हराने में हमें सहायता देता है। उनके काँसें के द्वारों को परमेश्वर तोड़ गिरा सकता है। परमेश्वर उनके द्वारों पर लगी लोहे कि आगलें छिन्न—भिन्न कर सकता है।

कुछ लोग अपने अपराधों और अपने पापों से जड़मति बने।

उन लोगों ने खाना छोड़ दिया और वे मरे हुए से हो गये।

वे संकट में थे सो उन्होंने सहायता पाने को यहोवा को पुकारा। यहोवा ने उन्हें उनके संकटों से बचा लिया।

हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने बचाया है, इन राष्ट्रों को कहे। हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने अपने शत्रुओं से छुड़ाया उसके गुण गाओ।

भजन संहिता 113:1-3

यहोवा की प्रशंसा करो! हे यहोवा के सेवकों यहोवा की स्तुति करो, उसका गुणगान करो! यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!

यहोवा का नाम आज और सदा सदा के लिये और अधिक धन्य हो। यह मेरी कामना है।

मेरी यह कामना है, यहोवा के नाम का गुण पूरब से जहाँ सूरज उगता है, पश्चिम तक उस स्थान में जहाँ सूरज डूबता है गाया जाये।

भजन संहिता 115:1-3

यहोवा! हमको कोई गौरव ग्रहण नहीं करना चाहिये। गौरव तो तेरा है। तेरे प्रेम और निष्ठा के कारण गौरव तेरा है।

ओ हारुन के घराने, यहोवा में भरोसा रखो! हारुन के घराने को यहोवा सहारा देता है, और उसकी रक्षा करता है।

यहोवा की अनुयायिओं, यहोवा में भरोसा रखे! यहोवा सहारा देता है और अपने अनुयायिओं की रक्षा करता है।

यहोवा हमें याद रखता है। यहोवा हमें वरदान देगा, यहोवा इस्राएल को धन्य करेगा। यहोवा हारून के घराने को धन्य करेगा।

यहोवा अपने अनुयायिओं को, बड़ोंको और छोटों को धन्य करेगा।

मुझे आशा है यहोवा तुम्हारी बढ़ोतरी करेगा और मुझे आशा है, वह तुम्हारी संतानों को भी अधिकाधिक देगा।

यहोवा तुझको वरदान दिया करता है! यहोवा ने ही स्वर्ग और धरती बनाये हैं!

स्वर्ग यहोवा का है। किन्तु धरती उसने मनुष्यों को दे दिया।

मरे हुए लोग यहोवा का गुण नहीं गाते। कब्र में पड़े लोग यहोवा का गुणगान नहीं करते।

किन्तु हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं, और हम उसका धन्यवाद सदा सदा करेंगे! यहोवा के गुण गाओ!

राष्ट्रों को क्यों अचरज हो कि हमारा परमेश्वर कहाँ है?

परमेश्वर स्वर्ग में है। जो कुछ वह चाहता है वही करता रहता है।

भजन संहिता 119:12-13

हे यहोवा, तेरा धन्यवाद! तू अपने विधानों की शिक्षा मुझको दे।

हे यहोवा, मैं तुझ से भयभीत हूँ, मैं डरता हूँ, और तेरे विधान का आदर करता हूँ।

मैंने वे बातें की हैं जो खरी और भली हैं। हे यहोवा, तू मुझको ऐसे उन लोगों को मत सौंप जो मुझको हानि पहुँचाना चाहते हैं।

मुझे वचन दे कि तू मुझे सहारा देगा। मैं तेरा दास हूँ। हे यहोवा, उन अहंकारी लोगों को मुझको हानि मत पहुँचाने दे।

हे यहोवा, तूने मेरे उद्धार का एक उत्तम वचन दिया था, किन्तु अपने उद्धार को मेरी आँख तेरी राह देखते हुए थक गई।

तू अपना सच्चा प्रेम मुझ पर प्रकट कर। मैं तेरा दास हूँ। तू मुझे अपने विधान की शिक्षा दे।

मैं तेरा दास हूँ। अपनी वाचा को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।

हे यहोवा, यही समय है तेरे लिये कि तू कुछ कर डाले। लोगों ने तेरे विधान को तोड़ा है।

हे यहोवा, उत्तम सुवर्ण से भी अधिक मुझे तेरे आदेश भाते हैं।

तेरे सब आदेशों का बहुत सावधानी से मैं पालन करता हूँ। मैं झूठे उपदेशों से घृणा करता हूँ।

हे यहोवा, तेरी वाचा बहुत अद्भुत है। इसलिए मैं उसका अनुसरण करता हूँ।

तेरे सभी निर्णय जो विवेकपूर्ण हैं। मैं उनका बखान करूँगा।

भजन संहिता 145:1-3

हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे राजा, मैं तेरा गुण गाता हूँ! मैं सदा-सदा तेरे नाम को धन्य कहता हूँ।

हे यहोवा, तेरे कर्मो से तुझे प्रशंसा मिलती है। तुझको तेरे भक्त धन्य कहा करते हैं।

वे लोग तेरे महिमामय राज्य का बखान किया करते हैं। तेरी महानता को वे बताया करते हैं।

ताकि अन्य लोग उन महान बातों को जाने जिनको तू करता है। वे लोग तेरे महिमामय राज्य का मनन किया करते हैं।

हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा तू सर्वदा शासन करेगा।

यहोवा गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाता है। यहोवा विपदा में पड़े लोगों को सहारा देता है।

हे यहोवा, सभी प्राणी तेरी ओर खाना पाने को देखते हैं। तू उनको ठीक समय पर उनका भोजन दिया करता है।

हे यहोवा, तू निज मुट्ठी खोलता है, और तू सभी प्राणियों को वह हर एक वस्तु जिसकी उन्हें आवश्यकता देता है।

यहोवा जो भी करता है, अच्छा ही करता है। यहोवा जो भी करता, उसमें निज सच्चा प्रेम प्रकट करता है।

जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं, यहोवा उनके निकट रहता है। सचमुच जो उसकी उपासना करते है, यहोवा हर उस व्यक्ति के निकट रहता है।

यहोवा के भक्त जो उससे करवाना चाहते हैं, वह उन बातों को करता है। यहोवा अपने भक्तों की सुनता है। वह उनकी प्रार्थनाओ का उत्तर देता है और उनकी रक्षा करता है।

मैं हर दिन तुझको सराहता हूँ। मैं तेरे नाम की सदा-सदा प्रशंसा करता हूँ।

जिसका भी यहोवा से प्रेम है, यहोवा हर उस व्यक्ति को बचाता है, किन्तु यहोवा दुष्ट को नष्ट करता है।

मैं यहोवा के गुण गाऊँगा! मेरी यह इच्छा है कि हर कोई उसके पवित्र नाम के गुण सदा और सर्वदा गाये।

यहोवा महान है। लोग उसका बहुत गुणगान करते हैं। वे अनगिनत महाकार्य जिनको वह करता है हम उनको नहीं गिन सकते।

भजन संहिता 146:1-2

यहोवा का गुण गान कर! मेरे मन, यहोवा की प्रशंसा कर।

यहोवा सदा राज करता रहे! सिय्योन तुम्हारा परमेश्वर पर सदा राज करता रहे! यहोवा का गुणगान करो!

मैं अपने जीवन भर यहोवा के गुण गाऊँगा। मैं अपने जीवन भर उसके लिये यश गीत गाऊँगा।

नीतिवचन 3:3-4

प्रेम, विश्वसनीयता कभी तुझको छोड़ न जाये, तू इनका हार अपने गले में डाल, इन्हें अपने मन के पटल पर लिख ले।

बिना किसी कारण के किसी को मत कोस, जबकि उस जन ने तुझे क्षति नहीं पहुँचाई है।

किसी बुरे जन से तू द्वेष मत रख और उसकी सी चाल मत चल। तू अपनी चल।

क्यों क्योंकि यहोवा कुटिल जन से घृणा करता है और सच्चरित्र जन को अपनाता है।

दुष्ट के घर पर यहोवा का शाप रहता है, वह नेक के घर को आर्शीवाद देता है।

वह गर्वीले उच्छृंखल की हंसी उड़ाता है किन्तु दीन जन पर वह कृपा करता है।

विवेकी जन तो आदर पायेंगे, किन्तु वह मूर्खों को, लज्जित ही करेगा।

फिर तू परमेश्वर और मनुज की दृष्टि में उनकी कृपा और यश पायेगा।

नीतिवचन 15:15

कुछ गरीब सदा के लिये दुःखी रहते हैं, किन्तु प्रफुल्लित चित उत्सव मनाता रहता है।

नीतिवचन 16:24

मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है, एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।

यशायाह 61:10

यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है। मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है। यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया। वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है। यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है। यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।

ईश्वर से प्रार्थना

हे प्रभु, मेरे प्यारे भगवान, आपकी अटूट कृपा के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद। आप कितने भले और दयालु हैं! आपकी दया ने मुझे घेर लिया है, और मुझे आपके प्रेम का आनंद मिला है। पिता, हमारी सालगिरह मनाने का सौभाग्य देने के लिए, आपकी शांति और देखभाल के लिए मैं आपको धन्यवाद देता/देती हूँ। मैं प्रार्थना करता/करती हूँ कि आप हमारे बंधन को मजबूत करें, कि हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण आपका वचन और आपके पवित्र आत्मा के साथ मधुर संगति हो। हे मेरे ईश्वर, मैं प्रार्थना करता/करती हूँ कि आपके हाथ थामे हम हर परीक्षा से पार पा सकें, क्योंकि आपने हमें सिखाया है कि सच्चा विवाह वह नहीं होता जिसमें कोई समस्या न हो, बल्कि वह होता है जिसमें हम मिलकर उनका सामना करते हैं। हमें अपने घर और वैवाहिक बंधन को मजबूत बनाने का ज्ञान दीजिए, ताकि आपकी उपस्थिति हमारे जीवन का केंद्र हो और हमारे दिलों में कटु और आहत करने वाले शब्दों के जरिए दुश्मन को जगह न मिले। प्रभु, हमें व्यभिचार और तलाक से बचाएं, हमारे बीच हमेशा शांति और मेल-मिलाप बना रहे, क्योंकि जिसे आपने जोड़ा है, उसे कोई अलग न कर सके। यीशु के नाम में। आमीन।