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नीतिवचन 16:24 - पवित्र बाइबल

24 मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है, एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।

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Hindi Holy Bible

24 मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

24 मीठे वचन मधु की तरह हैं जो प्राण को मीठा लगता है, जो शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

24 मनभावने वचन मधुभरे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी–भरी करते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

24 मनभावने वचन शहद के छत्ते के समान होते हैं; वे प्राण के लिए मीठे और देह को स्वस्थ करनेवाले होते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

24 सुहावने शब्द मधु के छत्ते-समान होते हैं, जिनसे मन को शांति तथा देह को स्वास्थ्य प्राप्‍त होता है.

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नीतिवचन 16:24
18 क्रॉस रेफरेंस  

अविचारित वाणी तलवार सी छेदती, किन्तु विवेकी की वाणी घावों को भरती है।


क्योंकि जो उन्हें पाते हैं उनके लिये वे जीवन बन जाते हैं और वे एक पुरुष की समपूर्ण काया का स्वास्थ्य बनते हैं।


इससे तेरा शरीर पूर्ण स्वस्थ रहेगा और तेरी अस्थियाँ पुष्ट हो जायेंगी।


और तेरे होंठ जब जो उचित बोलते हैं, उससे मेरा अर्न्तमन खिल उठता है।


इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है।


तेरे वचन मेरे मुख के भीतर शहद से भी अधिक मीठे हैं।


यहोवा के उपदेश उत्तम स्वर्ण और कुन्दन से भी बढ़ कर मनोहर है। वे उत्तम शहद से भी अधिक मधुर हैं, जो सीधे शहद के छते से टपक आता है।


तेरा सन्देश मुझे मिला और मैं उसे निगल गया। तेरे सन्देश ने मुझे बहुत प्रसन्न कर दिया। मैं प्रसन्न था कि मुझे तेरे नाम से पुकारा जाता है। तेरा नाम यहोवा सर्वशक्तिमान है।


दुष्टों के विचारों से यहोवा को घृणा है, पर सज्जनों के विचार उसको सदा भाते हैं।


बरहसेंगे वर्षा सम मेरे उपदेश, हिम—बिन्दु सम बहेगी पृथ्वी पर वाणी मेरी, कोमल घासों पर वर्षा की मन्द झड़ी सी, हरे पौधों पर वर्षा सी।


मनुष्य उचित उत्तर देने से आनन्दित होता है। यथोचित समय का वचन कितना उत्तम होता है।


मेरी दुल्हिन, तेरे अधरों से मधु टपकता है। तेरी वाणी में शहद और दूध की खुशबू है। तेरे वस्त्रों की गंध इत्र जैसी मोहक है।


प्रसन्न चित रहना सबसे बड़ी दवा है, किन्तु बुझा मन हड्डियों को सुखा देता है।


उपदेशक ने उचित शब्दों के वचन के लिये कठिन परिश्रम किया और उसने उन शिक्षाओं को लिखा जो सच्ची है और जिन पर भरोसा किया जा सकता है।


फिर उस स्वर्गदूत के हाथ से मैंने वह छोटी सी पोथी ले ली और मैंने उसे खा लिया। मेरे मुख में यह शहद सी मीठी लगी किन्तु मैं जब उसे खा चुका तो मेरा पेट कड़वा हो गया।


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