7 ऐसे ही हे पतियों, तुम अपनी पत्नियों के साथ समझदारी पूर्वक रहो। उन्हें निर्बल समझ कर, उनका आदर करो। जीवन के वरदान में उन्हें अपना सह उत्तराधिकारी भी मानो ताकि तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न पड़े।
7 वैसे ही हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्र जान कर उसका आदर करो, यह समझ कर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिस से तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं॥
7 पतियो! आप समझदारी से अपना विवाहित जीवन व्यतीत कीजिए। अपनी पत्नी का ध्यान रखें और उसे शारीरिक दृष्टि से ‘अबला’ समझ कर तथा अपने साथ शाश्वत् जीवन के अनुग्रह की उत्तराधिकारिणी जान कर उसका समुचित आदर करें। यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपकी प्रार्थनाओं में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।
7 वैसे ही हे पतियो, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो, और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिससे तुम्हारी प्रार्थनाएँ रुक न जाएँ।
7 हे पतियो, तुम भी इसी प्रकार अपनी-अपनी पत्नी के साथ समझदारी से रहो, और उन्हें निर्बल पात्र जानकर और अनुग्रह के जीवन का सह-उत्तराधिकारी समझकर उनका आदर करो, जिससे तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न आए।
7 तुम, जो पति हो, इसी प्रकार अपनी-अपनी पत्नी के साथ संवेदनशील होकर रहो क्योंकि वह नारी है—निर्बल पात्र. जीवन के अनुग्रह के संगी वारिस के रूप में उसे सम्मान दो कि किसी रीति से तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं.
इसलिये अब एलीपज तुम सात सात बैल और सात भेड़ें लेकर मेरे दास अय्यूब के पास जाओ और अपने लिये होमबलि के रुप में उनकी भेंट चढ़ाओं। मेरा सेवक अय्यूब तुम्हारे लिए प्रार्थना करेगा। तब निश्चय ही मैं उसकी प्रार्थना का उत्तर दूँगा। फिर मैं तुम्हें वैसा दण्ड नहीं दूँगा जैसा दण्ड दिया जाना चाहिये था क्योंकि तुम बहुत मूर्ख थे। मेरे बारे मैं तुमने उचित बातें नहीं कहीं जबकि मेरे सेवक अय्यूब ने मेरे बारे में उचित बातें कहीं थीं।”
सो कुछ भी हो, तुममें से हर एक को अपनी पत्नी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसे तुम स्वयं अपने आपको करते हो। और एक पत्नी को भी अपने पति का डर मानते हुए उसका आदर करना चाहिए।
हर प्रकार की प्रार्थना और निवेदन सहित आत्मा की सहायता से हर अवसर पर विनती करते रहो। इस लक्ष्य से सभी प्रकार का यत्न करते हुए सावधान रहो। तथा सभी संतों के लिये प्रार्थना करो।
इसी प्रकार हे पत्नियों, अपने अपने पतियों के प्रति समर्पित रहो। ताकि यदि उनमें से कोई परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते हों तो तुम्हारे पवित्र और आदरपूर्ण चाल चलन को देखकर बिना किसी बातचीत के ही अपनी-अपनी पत्नियों के व्यवहार से जीत लिए जाएँ।