
पुराने ज़माने में, जानवरों की बलि भगवान को चढ़ावा देने का रिवाज़ था। लेकिन, कई ऐसे पद हैं जो बताते हैं कि भगवान ऐसे बलिदानों को अस्वीकार करते हैं और जानवरों की देखभाल करने की बात करते हैं।
जैसे नीतिवचन 12:10 में लिखा है, "धर्मी अपने पशुओं की जान की परवाह करता है, परन्तु दुष्टों का हृदय क्रूर होता है।" भगवान का वचन जानवरों की रक्षा की बात करता है। अगर हम ध्यान से देखें तो हमें भविष्यवक्ताओं के लेखों में जानवरों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करने वाले अनगिनत संदर्भ मिलेंगे।
होशेआ 8:13 में लिखा है, "उनके पशुबलि और माँस खाना मुझे घृणित है, और यहोवा उनसे प्रसन्न नहीं होता, परन्तु वह उनके अधर्म को स्मरण रखेगा और उनके पापों के कारण उन्हें दण्ड देगा।" सोचो, कितनी गहरी बात है ये! क्या हम सच में परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चल रहे हैं जब हम कमज़ोर और बेज़ुबान प्राणियों पर अत्याचार करते हैं? उनकी देखभाल करना भी तो हमारी ज़िम्मेदारी है, है ना?
इसलिए परमेश्वर ने समुद्र में बहुत बड़े—बड़े जलजन्तु बनाए। परमेश्वर ने समुद्र में विचरण करने वाले प्राणियों को बनाया। समुद्र में भिन्न—भिन्न जाति के जलजन्तु हैं। परमेश्वर ने इन सब की सृष्टि की। परमेश्वर ने हर तरह के पक्षी भी बनाए जो आकाश में उड़ते हैं। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।
देखो! आकाश के पक्षी न तो बुआई करते हैं और न कटाई, न ही वे कोठारों में अनाज भरते हैं किन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनका भी पेट भरता है। क्या तुम उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो?
मैं प्रत्येक हरे पेड़ पौधो जानवरों के लिए दे रहा हूँ। ये हरे पेड़—पौधे उनका भोजन होगा। पृथ्वी का हर एक जानवर, आकाश का हर एक पक्षी और पृथ्वी पर रेंगने वाले सभी जीवजन्तु इस भोजन को खाएंगे।” ये सभी बातें हुईं।
तब परमेश्वर ने कहा, “अब हम मनुष्य बनाएं। हम मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाएगे। मनुष्य हमारी तरह होगा। वह समुद्र की सारी मछलियों पर और आकाश के पक्षियों पर राज करेगा। वह पृथ्वी के सभी बड़े जानवरों और छोटे रेंगनेवाले जीवों पर राज करेगा।”
तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी हर एक जाति के जीवजन्तु उत्पन्न करे। बहुत से भिन्न जाति के जानवर हों। हर जाति के बड़े जानवर और छोटे रेंगनेवाले जानवर हों और यह जानवर अपनी जाति के अनुसार और जानवर बनाएं” और यही सब हुआ।
परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।”
उसके समय में, भेड़ और भेड़िये शांति से साथ—साथ रहेंगे, सिंह और बकरी के बच्चों के साथ शांति से पड़े रहेंगे। बछड़े, सिंह और बैल आपस में शांति के साथ रहेंगे। एक छोटा सा बच्चा उनकी अगुवाई करेगा।
तब परमेश्वर ने कहा, “अब हम मनुष्य बनाएं। हम मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाएगे। मनुष्य हमारी तरह होगा। वह समुद्र की सारी मछलियों पर और आकाश के पक्षियों पर राज करेगा। वह पृथ्वी के सभी बड़े जानवरों और छोटे रेंगनेवाले जीवों पर राज करेगा।”
इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया।
परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।”
धर्मी अपने पशु तक की जरूरतों का ध्यान रखता है, किन्तु दुष्ट के सर्वाधिक दया भरे काम भी कठोर क्रूर रहते हैं।
पृथ्वी के सभी जानवर तुम्हारे डर से काँपेंगे और आकाश का हर एक पक्षी भी तुम्हारा आदर करेगा और तुमसे डरेगा। पृथ्वी पर रेंगने वाला हर एक जीव और समुद्र की हर एक मछली तुम लोगों का आदर करेगी और तुम लोगों से डरेगी। तुम इन सभी के ऊपर शासन करोगे।
बीते समय में तुमको मैंने हर पेड़—पौधे खाने को दिए थे। अब हर एक जानवर भी तुम्हारा भोजन होगा। मैं पृथ्वी की सभी चीजें तुमको देता हूँ—अब ये तुम्हारी हैं।
यहोवा ने मनुष्य को अदन के बाग में रखा। मनुष्य का काम पेड़—पौधे लगाना और बाग की देख—भाल करना था।
“यदि तुम्हें कोई खोया हुआ बैल या गधा मिले तो तुम्हें उसे उसके मालिक को लौटा देना चाहिए। चाहे वह तुम्हारा शत्रु ही क्यों न हो।
“यदि तुम देखो कि कोई जानवर इसलिए नहीं चल पा रहा है कि उसे अत्याधिक बोझ ढोना पड़ रहा है तो तुम्हें उसे रोकना चाहिए और उस जानवर की सहायता करनी चाहिए। तुम्हें उस जानवर की सहायता तब भी करनी चाहिए जब वह जानवर तुम्हारे शत्रुओं में से भी किसी का हो।
भेड़िये और मेमनें एक साथ चरते फिरेंगे। सिंह भी मवेशियों के जैसे ही भूसा चरेंगे और भुजंगों का भोजन बस मिट्टी ही होगी। मेरे पवित्र पर्वत पर कोई किसी को भी हानि नहीं पहुँचायेगा और न ही उन्हें नष्ट करेगा।” यह यहोवा ने कहा है।
“जब तुम अन्न को अलग करने के लिये पशुओं का उपयोग करो तब उन्हें खाने से रोकने के लिए उनके मुँह को न बाँधो।
मैं यह वचन तुम्हारे साथ जहाज़ से बाहर आने वाले सभी पक्षियों, सभी पशुओं तथा सभी जानवरों को देता हूँ। मैं यह वचन पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों को देता हूँ।”
“अब मैं तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को वचन देता हूँ।
किन्तु सातवाँ दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की प्रतिष्ठा में आराम का दिन है। इसलिए उस दिन कोई व्यक्ति चाहे तुम, या तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ, तुम्हारे दास और दासियाँ, पशु तथा तुम्हारे नगर में रहने वाले सभी विदेशी काम नहीं करेंगे।
अपने रेवड़ की हालत तू निश्चित जानता है। अपने रेवड़ की ध्यान से देखभाल कर।
क्योंकि धन दौलत तो टिकाऊ नहीं होते हैं। यह राजमुकुट पीढ़ी—पीढ़ी तक बना नहीं रहता है।
जब चारा कट जाता है, तो नई घास उग आती है। वह घास पहाड़ियों पर से फिर इकट्ठी कर ली जाती है।
तब तब ये मेमनें ही तुझे वस्त्र देंगे और ये बकरियाँ खेतों की खरीद का मूल्य बनेगीं।
तेरे परिवार को, तेरे दास दासियों को और तेरे अपने लिये भरपूर बकरी का दूध होगा।
हे यहोवा, तेरी धार्मिकता सर्वोच्च पर्वत से भी ऊँची है। तेरी शोभा गहरे सागर से गहरी है। हे यहोवा, तू मनुष्यों और पशुओ का रक्षक है।
साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो।
“छः दिन तक काम करो। तब सातवें दिन विश्राम करो। इससे तुम्हारे दासों और तुम्हारे दूसरे मजदूरों को भी विश्राम का समय मिलेगा। और तुम्हारे बैल और गधे भी आराम कर सकेंगे।”
“यदि तुम देखो कि तुम्हारे पड़ोसी की गाय या भेड़ खुली है, तो तुम्हें इससे लापरवाह नहीं होना चाहिए। तुम्हें निश्चय ही इसे मालिक के पास पहुँचा देना चाहिए।
यदि इसका मालिक तुम्हारे पास न रहता हो या तुम उसे नहीं जानते कि वह कौन है तो तुम उस गाय या भेड़ को अपने घर ले जा सकते हो और तुम इसे तब तक रख सकते हो जब तक मालिक इसे ढूँढता हुआ न आए। तब तुम्हें उसे उसको लौटा देना चाहिए।
तुम्हें यही तब भी करना चाहिए जब तुम्हें पड़ोसी का गधा मिले, उसके कपड़े मिलें या कोई चीज जो पड़ोसी खो देता है। तुम्हें अपने पड़ोसी की सहायता करनी चाहिए।
“यदि तुम्हारे पड़ोसी का गधा या उसकी गाय सड़क पर पड़ी हो तो उससे आँख नहीं फेरनी चाहिए। तुम्हें उसे फिर उठाने में उसकी सहायता करनी चाहिए।
“चाहे तू पशु से पूछ कर देख, वे तुझे सिखादेंगे, अथवा हवा के पक्षियों से पूछ वे तुझे बता देंगे।
अथवा तू धरती से पूछ ले वह तुझको सिखा देगी या सागर की मछलियों को अपना ज्ञान तुझे बताने दे।
हर कोई जानता है कि परमेश्वर ने इन सब वस्तुओं को रचा है।
हर जीवित पशु और हर एक प्राणी जो साँस लेता है, परमेश्वर की शक्ति के अधीन है।
क्या एक व्यक्ति एक पशु से उत्तम हैं? नहीं। क्यों? क्योंकि हर वस्तु नाकारा है। मृत्यु जैसे पशुओं को आती है उसी प्रकार मनुष्यों को भी। मनुष्य और पशु एक ही श्वास लेते हैं। क्या एक मरा हुआ पशु एक मरे हुए मनुष्य से भिन्न होता है?
मनुष्यों और पशुओं की देहों का अंत एक ही प्रकार से होता है। वे मिट्टी से पैदा होते हैं और अंत में वे मिट्टी में ही जाते हैं।
“किसी रास्ते से टहलते समय तुम पेड़ पर या जमीन पर चिड़ियों का घोंसला पा सकते हो। यदि मादा पक्षी अपने बच्चों के साथ बैठी हो या अपने अण्डों पर बैठी हो तो तुम्हें मादा पक्षी को बच्चों के साथ नहीं पकड़ना चाहिए।
तुम बच्चों को अपने लिए ले सकते हो। किन्तु तुम्हें माँ को छोड़ देना चाहिए। यदि तुम इन नियमों का पालन करते हो तो तुम्हारे लिए सब कुछ अच्छा रहेगा और तुम लम्बे समय तक जीवित रहोगे।
“यदि तुम देखो कि कोई जानवर इसलिए नहीं चल पा रहा है कि उसे अत्याधिक बोझ ढोना पड़ रहा है तो तुम्हें उसे रोकना चाहिए और उस जानवर की सहायता करनी चाहिए। तुम्हें उस जानवर की सहायता तब भी करनी चाहिए जब वह जानवर तुम्हारे शत्रुओं में से भी किसी का हो।
उसके समय में, भेड़ और भेड़िये शांति से साथ—साथ रहेंगे, सिंह और बकरी के बच्चों के साथ शांति से पड़े रहेंगे। बछड़े, सिंह और बैल आपस में शांति के साथ रहेंगे। एक छोटा सा बच्चा उनकी अगुवाई करेगा।
गायें और रीछनियां शांति से साथ—साथ अपना खाना खाएंगी। उनके बच्चे साथ—साथ बैठा करेंगे और आपस में एक दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेंगे। सिंह गायों के समान घास चरेंगे
और यहाँ तक कि साँप भी लोगों को हानि नहीं पहुँचायेंगे। काले नाग के बिल के पास एक बच्चा तक खेल सकेगा। कोई भी बच्चा विषधर नाग के बिल में हाथ डाल सकेगा।
ये सब बातें दिखाती हैं कि वहाँ सब कहीं शांति होगी। कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेगा। मेरे पवित्र पर्वत के लोग वस्तुओं को नष्ट नहीं करना चाहेंगे। क्यों क्योंकि लोग यहोवा को सचमुच जान लेंगे। वे उसके ज्ञान से ऐसे परिपूर्ण होंगे जैसे सागर जल से परिपूर्ण होता है।
तब नूह ने यहोवा के लिए एक वेदी बनाई। उसने कुछ शुद्ध पक्षियों और कुछ शुद्ध जानवर को लिया और उनको वेदी पर परमेश्वर को भेंट के रूप में जलाया।
मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ। हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ।
जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है, उन सब को मैं जानता हूँ। अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं।
यहोवा अपने लोगों की वैसे ही अगुवाई करेगा जैसे कोई गड़ेरिया अपने भेड़ों की अगुवाई करता है। यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा। यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी। संसार परमेश्वर ने रचा: वह इसका शासक है।
एक पैसे की दो चिड़ियाओं में से भी एक तुम्हारे परम पिता के जाने बिना और उसकी इच्छा के बिना धरती पर नहीं गिर सकती।
फिर उसने उनसे पूछा, “यदि तुममें से किसी के पास अपना बेटा है या बैल है, वह कुँए में गिर जाता है तो क्या सब्त के दिन भी तुम उसे तत्काल बाहर नहीं निकालोगे?”
“क्या दो पैसे की पाँच चिड़ियाएँ नहीं बिकतीं? फिर भी परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलता।
और देखो तुम्हारे सिर का एक एक बाल तक गिना हुआ है। डरो मत तुम तो बहुत सी चिड़ियाओं से कहीं अधिक मूल्यवान हो।
क्योंकि यह सृष्टि बड़ी आशा से उस समय का इंतज़ार कर रही है जब परमेश्वर की संतान को प्रकट किया जायेगा।
यह सृष्टि निःसार थी अपनी इच्छा से नहीं, बल्कि उसकी इच्छा से जिसने इसे इस आशा के अधीन किया
कि यह भी कभी अपनी विनाशमानता से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान की शानदार स्वतन्त्रता का आनन्द लेगी।
यदि तू उस पौधे के लिए व्याकुल हो सकता है, तो देख नीनवे जैसे बड़े नगर के लिये जिसमें बहुत से लोग और बहुत से पशु रहते हैं, जहाँ एक लाख बीस हजार से भी अधिक लोग रहते हैं और जो यह भी नहीं जानते कि वे कोई गलत काम कर रहे हैं, उनके लिये क्या मैं तरस न खाऊँ!”
हे यहोवा, तूने अचरज भरे बहुतेरे काम किये। धरती तेरी वस्तुओं से भरी पड़ी है। तू जो कुछ करता है, उसमें निज विवेक दर्शाता है।
यह सागर देखे! यह कितना विशाल है! बहुतेरे वस्तुएँ सागर में रहती हैं! उनमें कुछ विशाल है और कुछ छोटी हैं! सागर में जो जीवजन्तु रहते हैं, वे अगणित असंख्य हैं।
नहीं! निश्चित रूप से वह इसे क्या हमारे लिये नहीं बता रहा? हाँ, यह हमारे लिये ही लिखा गया था। क्योंकि खेत जोतने वाला किसी आशा से ही खेत जोतने और खलिहान में भूसे से अनाज अलग करने वाला फसल का कुछ भाग पाने की आशा तो रखेगा ही।
मूसा की व्यवस्था के विधान में लिखा है, “खलिहान में बैल का मुँह मत बाँधो।” परमेश्वर क्या केवल बैलों के बारे में बता रहा है?
यहोवा के दूत ने बिलाम से पूछा, “तुमने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा? तुम्हें मुझ पर क्रोध से पागल होना चाहिए। मैं तुमको रोकने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हें कुछ अधिक सावधान रहना चाहिए।
गधे ने मुझे देखा और वह तीन बार मुझसे मुड़ा। यदि गधा मुड़ा न होता तो मैंने तुमको मार डाला होता। किन्तु मुझे तुम्हारे गधे को नहीं मारना था।”
सो जैसे ही कोई अवसर मिले, हमें सभी के साथ भलाई करनी चाहिये, विशेषकर अपने धर्म-भाइयों के साथ।
कि यह भी कभी अपनी विनाशमानता से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान की शानदार स्वतन्त्रता का आनन्द लेगी।
क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक समूची सृष्टि पीड़ा में कराहती और तड़पती रही है।
“अय्यूब, क्या तू जानता है कि पहाड़ी बकरी कब ब्याती हैं? क्या तूने कभी देखा जब हिरणी ब्याती है?
अय्यूब, क्या तू जानता है पहाड़ी बकरियाँ और माता हरिणियाँ कितने महीने अपने बच्चे को गर्भ में रखती हैं? क्या तूझे पता है कि उनका ब्याने का उचित समय क्या है?
वे लेट जाती हैं और बच्चों को जन्म देती है, तब उनकी पीड़ा समाप्त हो जाती है।
पहाड़ी बकरियों और हरिणी माँ के बच्चे खेतों में हृष्ट—पुष्ट हो जाते हैं। फिर वे अपनी माँ को छोड़ देते हैं, और फिर लौट कर वापस नहीं आते।
तूने अपनी सृष्टि का जो कुछ भी तूने रचा लोगों को उसका अधिकारी बनाया।
मनुष्य भेड़ों पर, पशु धन पर और जंगल के सभी हिसक जन्तुओं पर शासन करता है।
वह आकाश में पक्षियों पर और सागर में तैरते जलचरों पर शासन करता है।