इस्राएल का परमेश्वर बोला, “इस्राएल की चट्टान” ने मुझसे यह कहा : “मनुष्यों पर न्यायपूर्वक राज्य करने वाला, परमेश्वर की भक्ति करते हुए शासन करने वाला शासक
यिर्मयाह 22:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु यह कहता है: न्याय और धर्म का आचरण करो; जो मनुष्य लूट लिया गया है, उसको अत्याचारी के हाथ से बचाओ। विदेशी, अनाथ और विधवा के साथ बुरा व्यवहार मत करो; उन पर अत्याचार मत करो; और न राजमहल के इस स्थान में किसी निर्दोष की हत्या करो। पवित्र बाइबल यहोवा कहता है: वे काम करो जो अच्छे और न्यायपूर्ण हों। उस व्यक्ति की रक्षा जिसकी चोरी की गई हो उस व्यक्ति से करो जिसने चोरी की है। विदेशी अनाथ बच्चों और विधवाओं को मत मारो। Hindi Holy Bible यहोवा यों कहता है, न्याय और धर्म के काम करो; और लुटे हुए को अन्धेर करने वाले के हाथ से छुड़ाओ। और परदेशी, अनाथ और विधवा पर अन्धेर व उपद्रव मत करो, न इस स्थान में निर्दोषों का लोहू बहाओ। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोवा यों कहता है, न्याय और धर्म के काम करो; और लुटे हुए को अन्धेर करनेवाले के हाथ से छुड़ाओ। परदेशी, अनाथ और विधवा पर अन्धेर व उपद्रव मत करो, न इस स्थान में निर्दोषों का लहू बहाओ। सरल हिन्दी बाइबल यह याहवेह का आदेश है: तुम्हारा न्याय निस्सहाय हो. व्यवहार सद्वृत्त तथा उसे मुक्त कर दो जिसे अत्याचारियों ने अपने अधीन रख लूट लिया है. इसके सिवा विदेशी, पितृहीन तथा विधवा के प्रति न तो तुम्हारा व्यवहार प्रतिकूल हो और न हिंसक, इस स्थान पर निस्सहाय की हत्या न की जाए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोवा यह कहता है, न्याय और धार्मिकता के काम करो; और लुटे हुए को अंधेर करनेवाले के हाथ से छुड़ाओ। और परदेशी, अनाथ और विधवा पर अंधेर व उपद्रव मत करो, न इस स्थान में निर्दोषों का लहू बहाओ। |
इस्राएल का परमेश्वर बोला, “इस्राएल की चट्टान” ने मुझसे यह कहा : “मनुष्यों पर न्यायपूर्वक राज्य करने वाला, परमेश्वर की भक्ति करते हुए शासन करने वाला शासक
इनके अतिरिक्त मनश्शे ने बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों का रक्त बहाया था। उसने यरूशलेम के एक छोर से दूसरे छोर तक निर्दोष रक्त की नदी बहाई थी। प्रभु ने उसको क्षमा नहीं किया था।
‘कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो पितृहीन बालक को मां की छाती से छीन लेते हैं; वे गरीब कर्जदार के बच्चे को अपने पास बन्धक में रखते हैं।
परमेश्वर अपने पवित्र निवास स्थान में है; वह अनाथ बच्चे का पिता, और विधवाओं का रक्षक है।
‘तू किसी प्रवासी के साथ न तो अन्याय करना और न उसका दमन ही करना, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में प्रवासी थे।
दूसरे की भूमि को हड़पने के लिए पुराना सीमा-चिह्न मत हटाना; और न अनाथ बच्चे के खेतों को हड़पना।
तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।
जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह यह है : दुर्जनता के बन्धकों से मनुष्य को मुक्त करना, व्यक्ति की गरदन से जूआ उतारना, अत्याचार की गुलामी में कैद इन्सान को स्वतन्त्र करना, वस्तुत: हर प्रकार की गुलामी से मनुष्य को स्वतंत्र करना।
अपना भोजन भूखों को खिलाना, बेघर गरीब को अपने घर में जगह देना, किसी को नंगे देखकर उसे कपड़े पहिनाना, अपने जरूरतमन्द भाई-बहिन से मुंह न छिपाना।
क्योंकि तुम लोगों ने मुझ-प्रभु की आराधना त्याग कर इस स्थान में अन्य देवी-देवताओं को सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाए हैं, और यों मेरे निवास-स्थान को अपवित्र कर दिया है। इन देवी-देवताओं की उपस्थिति का अनुभव न तुम्हें, न तुम्हारे पूर्वजों और न यहूदा प्रदेश के राजाओं को हुआ है। तुम ने निर्दोष बच्चों के खून से इस स्थान को भर दिया है।
किन्तु तेरी आंखें किस लिए हैं? तेरे पास हृदय है ... पर किस लिए? अन्याय से लाभ कमाने के लिए, निर्दोष की हत्या करने के लिए, जनता पर अत्याचार और दमन करने के लिए?’
तब उच्चाधिकारियों और जनता ने पुरोहितों और नबियों से कहा, ‘इस मनुष्य ने ऐसा कोई काम नहीं किया है कि इस को मृत्यु-दण्ड दिया जाए। इस ने तो हमारे प्रभु परमेश्वर के नाम से वचन सुनाया है।’
वे मोटे हो गए हैं, उनके शरीर पर चर्बी चढ़ गई है। उनके लिए दुष्कर्म करने की कोई सीमा नहीं है वे निष्पक्ष होकर न्याय नहीं करते। वे अनाथों के न्याय की उपेक्षा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। वे गरीबों के हक की रक्षा नहीं करते।
किन्तु मैंने उनको यह आज्ञा दी थी: “मेरी वाणी को सुनोगे तो मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊंगा, और तुम मेरे निज लोग होगे। जिस मार्ग पर चलने का मैंने तुम्हें आदेश दिया है, उस पर चलते रहोगे तो तुम्हारा कल्याण होगा।”
किन्तु यदि कोई मनुष्य किसी बात पर घमण्ड करना चाहता है तो उसे इस बात पर घमण्ड करना चाहिए कि वह मुझे जानता है, उसको मेरे विषय मे यह समझ है कि मैं पृथ्वी पर दया, न्याय और धर्म की स्थापना करनेवाला प्रभु हूं; और मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न होता हूं,’ प्रभु की यह वाणी है।
वह दीन-दरिद्रों पर अत्याचार करता है। वह चोरी करता है। वह कर्जदार की गिरवी की वस्तु को हड़प जाता है। वह सहायता के लिए देव-मूर्तियों की ओर आंखें उठाता है और घृणित मूर्ति-पूजा करता है।
वह किसी का शोषण नहीं करता, वरन् कर्जदार को उसके कर्ज से मुक्त करता है, और उसकी गिरवी में रखी वस्तु को लौटा देता है। वह चोरी नहीं करता। वह भूखे व्यक्ति को अपना भोजन देता है। वह नंगे व्यक्ति को अपना कपड़ा पहनाता है।
तेरे निवासी अपने माता-पिता का आदर नहीं करते। तुझ में अस्थायी रूप से प्रवास करनेवाले विदेशियों पर अत्याचार होता है। अनाथ बच्चों और विधवाओं को न्याय नहीं मिलता है।
‘स्वामी-प्रभु यों कहता है : ओ इस्राएल के शासको, बहुत हुआ! अब शोषण और अत्याचार करना बन्द करो, और धर्म तथा न्याय से शासन करो। मेरे निज लोगों की भूमि लूटना बन्द करो।’ स्वामी-प्रभु की यह वाणी है।
मिस्र देश और एदोम देश ने यहूदा प्रदेश के निवासियों की हत्या की, उन्होंने उनके देश में निरपराध लोगों का खून बहाया, अत: मिस्र देश उजड़ जाएगा, एदोम देश निर्जन मरुस्थल हो जाएगा।
‘तुम न्याय करते समय अन्याय मत करना। तुम न तो दरिद्र व्यक्ति का पक्ष लेना और न बड़े मनुष्य के सम्मुख झुकना, वरन् धार्मिकता से अपने देश-भाई अथवा बहिन का न्याय करना।
बुराई से घृणा करो, पर भलाई से प्यार! अदालतों में न्याय को प्रतिष्ठित करो। तब संभवत: स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु परमेश्वर तुम, यूसुफ के शेष वंशजों पर कृपा करे।
तुम्हारे अगुए घूस लेकर न्याय करते, पुरोहित पैसे लेकर धर्म की बातें सिखाते, और नबी धन के लिए शकुन विचारते हैं; फिर भी वे प्रभु का सहारा लेते, और यह कहते हैं, ‘निस्सन्देह प्रभु हमारे मध्य है! हम विपत्ति में नहीं पड़ेंगे।’
ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्हारे सम्मुख उपस्थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम पुदीने, सौंफ और जीरे का दशमांश तो देते हो, किन्तु धर्म-व्यवस्था की मुख्य बातों − न्याय, करुणा और विश्वास की उपेक्षा करते हो। तुम्हारे लिए उचित तो यह था कि तुम इन्हें करते रहते और उन को भी नहीं छोड़ते!
वह पितृहीन और विधवा का न्याय करता है। वह तुम्हारे देश में रहने वाले प्रवासी व्यक्ति से प्रेम करता है, उसको भोजन-वस्त्र देता है।
‘तू प्रवासी अथवा पितृहीन व्यक्ति के मुकदमों में न्याय को भ्रष्ट मत करना। ऋण के बदले में विधवा के वस्त्र गिरवी में मत रखना।
‘यदि कोई मनुष्य इस्राएली समाज में से अपने किसी भाई-बन्धु का अपहरण करता हुआ पकड़ा जाएगा, और यदि वह उसके साथ गुलाम का व्यवहार करेगा अथवा उसको बेच देगा, तो ऐसे अपहरणकर्त्ता को मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। यों तू अपने मध्य से इस बुराई को दूर करना।
‘यदि दो मनुष्यों के मध्य झगड़ा हो, तो वे न्यायालय में जाएंगे, क्योंकि न्यायाधीश ही उनका न्याय करेंगे। वे निर्दोष व्यक्ति को निर्दोष, और दोषी व्यक्ति को दोषी घोषित करेंगे।
“प्रवासी, पितृहीन और विधवा के न्याय को भ्रष्ट करने वाला व्यक्ति शापित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”
पिता परमेश्वर की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्म यह है : विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।