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व्यवस्थाविवरण 24:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 ‘तू प्रवासी अथवा पितृहीन व्यक्‍ति के मुकदमों में न्‍याय को भ्रष्‍ट मत करना। ऋण के बदले में विधवा के वस्‍त्र गिरवी में मत रखना।

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पवित्र बाइबल

17 “तुम्हें यह अच्छी तरह से देख लेना चाहिए कि विदेशियों और अनाथों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। तुम्हें विधवा से उसके वस्त्र कभी गिरवी रखने के लिए नहीं लेने चाहिए।

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Hindi Holy Bible

17 किसी परदेशी मनुष्य वा अनाथ बालक का न्याय न बिगाड़ना, और न किसी विधवा के कपड़े को बन्धक रखना;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 “किसी परदेशी मनुष्य या अनाथ बालक का न्याय न बिगाड़ना, और न किसी विधवा के कपड़े को बन्धक रखना;

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सरल हिन्दी बाइबल

17 तुम्हारे बीच परदेशी और अनाथ को उसके न्याय के अधिकार से वंचित न किया जाए. किसी विधवा का वस्त्र बंधक न रखा जाए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

17 “किसी परदेशी मनुष्य या अनाथ बालक का न्याय न बिगाड़ना, और न किसी विधवा के कपड़े को बन्धक रखना;

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व्यवस्थाविवरण 24:17
39 क्रॉस रेफरेंस  

तुमने अपने भाई-बन्‍धु के बन्‍धक अकारण रख लिये हैं; तुमने नग्‍न व्यक्‍तियों के भी कपड़े उतार लिये हैं!


वे अनाथों के गधे हांक ले जाते, वे विधवा के बैल को अपने पास बन्‍धक रखते हैं।


‘एक ही प्रभु के अतिरिक्‍त देवताओं के लिए बलि चढ़ानेवाला व्यक्‍ति पूर्णत: नष्‍ट किया जाएगा।


तू बुरा कार्य करने के लिए भीड़ का अनुसरण नहीं करना। तू न्‍याय को विकृत करने के उद्देश्‍य से भीड़ का अनुसरण मत करना और मुकद्दमे में झूठी साक्षी नहीं देना।


‘अपने दरिद्र अभियुक्‍त के मुकद्दमे में न्‍याय को विकृत नहीं करना।


‘तू प्रवासी व्यक्‍ति का दमन मत करना। तुम्‍हें प्रवासी के जीवन का अनुभव है; क्‍योंकि तुम स्‍वयं मिस्र देश में प्रवासी थे।


शराब के नशे में वे कानून-कायदे भूल जाते हैं, और पीड़ित जनों का हक मारते हैं।


यदि तुम किसी प्रदेश में गरीबों पर अत्‍याचार होते देखो, यदि तुम वहाँ न्‍याय और धर्म का गला घोंटा जाता हुआ देखो, तो आश्‍चर्य मत करना; क्‍योंकि एक अधिकारी के ऊपर उससे बड़ा अधिकारी होता है और उससे भी ऊपर उच्‍च अधिकारी होता है।


तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्‍वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्‍याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।


तुम किस उद्देश्‍य से लोगों को रौंदते हो, गरीबों को पीसते हो?’ स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु, स्‍वामी की यह वाणी है।


वह व्यक्‍ति जिसका आचरण धर्ममय है, जो हृदय से सीधी-सच्‍ची बातें बोलता है, जो शोषण से घृणा करता है, जो घूस से अपना हाथ सिकोड़ लेता है, जो हिंसा की बातें सुनने से, अपने कान बन्‍द कर लेता है, जो बुराई को देखने से अपनी आंखें बन्‍द कर लेता है।


प्रभु यह कहता है: न्‍याय और धर्म का आचरण करो; जो मनुष्‍य लूट लिया गया है, उसको अत्‍याचारी के हाथ से बचाओ। विदेशी, अनाथ और विधवा के साथ बुरा व्‍यवहार मत करो; उन पर अत्‍याचार मत करो; और न राजमहल के इस स्‍थान में किसी निर्दोष की हत्‍या करो।


वे मोटे हो गए हैं, उनके शरीर पर चर्बी चढ़ गई है। उनके लिए दुष्‍कर्म करने की कोई सीमा नहीं है वे निष्‍पक्ष होकर न्‍याय नहीं करते। वे अनाथों के न्‍याय की उपेक्षा कर अपना उल्‍लू सीधा करते हैं। वे गरीबों के हक की रक्षा नहीं करते।


‘देश के साधारण-जन भी शोषण-अन्‍याय करते और चोरी-डकैती करते हैं। उन्‍होंने गरीबों और दीन-दरिद्रों पर अत्‍याचार किया है। उन्‍होंने प्रवासियों को अन्‍यायपूर्वक लूटा है।


तेरे निवासी अपने माता-पिता का आदर नहीं करते। तुझ में अस्‍थायी रूप से प्रवास करनेवाले विदेशियों पर अत्‍याचार होता है। अनाथ बच्‍चों और विधवाओं को न्‍याय नहीं मिलता है।


‘यदि कोई प्रवासी तुम्‍हारे साथ तुम्‍हारे देश में निवास करता है तो तुम उस पर अत्‍याचार मत करना।


उनके हाथ में दुष्‍कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्‍यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं।


विधवा, अनाथ, विदेशी यात्री और गरीब पर अत्‍याचार न करे। तुम में से कोई भी व्यक्‍ति अपने भाई-बन्‍धु के प्रति अपने हृदय में बुराई की कल्‍पना भी न करे।”


स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्‍हारे सम्‍मुख उपस्‍थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्‍त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्‍यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्‍याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।


सिपाहियों ने भी उन से पूछा, “और हम? हमें क्‍या करना चाहिए?” वह उनसे बोले, “किसी को डरा-धमका कर अथवा उस पर झूठा दोष लगा कर उससे रुपया-पैसा मत वसूलो और अपने वेतन से सन्‍तुष्‍ट रहो।”


तुम मुंह देख कर न्‍याय मत करना। बड़े और छोटे मनुष्‍य का मुकदमा समान भाव से सुनना। तुम किसी भी व्यक्‍ति से मत डरना; क्‍योंकि न्‍याय परमेश्‍वर का है। यदि तुम्‍हें कोई मुकदमा कठिन प्रतीत हो, तो तुम उसको मेरे पास लाना। मैं उसको सुनूंगा।”


तू न्‍याय को भ्रष्‍ट मत करना। तू पक्षपात नहीं करना। तू घूस मत लेना; क्‍योंकि घूस बुद्धिमान व्यक्‍ति की आंख को बन्‍द कर देती है। वह धार्मिकों के न्‍याय-पक्ष को उलट देती है।


जब सूर्यास्‍त होने लगेगा जब तू उसकी चादर अवश्‍य लौटा देना, जिससे वह रात में चादर ओढ़कर सो सके, और तुझे आशिष दे। तेरे प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में तेरा यह कार्य धार्मिक माना जाएगा।


किन्‍तु स्‍मरण रखना कि तू भी मिस्र देश में गुलाम था, और तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे वहां से मुक्‍त किया है। इसलिए यह कार्य करने के लिये आज मैं तुझे आदेश दे रहा हूँ।


‘ऋणदाता ऋण लेने वाले से गिरवी में चक्‍की अथवा चक्‍की का पाट नहीं लेगा, क्‍योंकि ऐसा करना मानो उसके प्राणों को गिरवी में रखना है!


“प्रवासी, पितृहीन और विधवा के न्‍याय को भ्रष्‍ट करने वाला व्यक्‍ति शापित है।” सब लोग प्रत्‍युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”


तब भी आपने दरिद्र का तिरस्‍कार किया है। क्‍या धनी आप लोगों का शोषण नहीं करते और आप को अदालतों में घसीट कर नहीं ले जाते?


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