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याकूब 1:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

27 पिता परमेश्‍वर की दृष्‍टि में शुद्ध और निर्मल धर्म यह है : विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।

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पवित्र बाइबल

27 परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए।

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Hindi Holy Bible

27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

27 हमारे परमेश्‍वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्‍ति यह है कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें।

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नवीन हिंदी बाइबल

27 हमारे परमेश्‍वर और पिता की दृष्‍टि में शुद्ध और निर्मल भक्‍ति यह है कि अनाथों और विधवाओं के दुःख में उनकी सुधि लें, और अपने आपको इस संसार से निष्कलंक रखें।

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सरल हिन्दी बाइबल

27 हमारे परमेश्वर और पिता की दृष्टि में बिलकुल शुद्ध और निष्कलंक भक्ति यह है: मुसीबत में पड़े अनाथों और विधवाओं की सुधि लेना तथा स्वयं को संसार के बुरे प्रभाव से निष्कलंक रखना.

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याकूब 1:27
36 क्रॉस रेफरेंस  

धन्‍य हैं वे जिनका आचरण निर्दोष है, जो प्रभु की व्‍यवस्‍था पर चलते हैं,


प्रभु परदेशी का रक्षक है, वह अनाथ एवं विधवा का सहारा है; पर वह दुर्जनों के मार्ग को कुटिल बनाता है।


परमेश्‍वर अपने पवित्र निवास स्‍थान में है; वह अनाथ बच्‍चे का पिता, और विधवाओं का रक्षक है।


तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्‍वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्‍याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।


जो कोई मानव-पुत्र के विरुद्ध कुछ कहेगा, उसे क्षमा मिल जाएगी; परन्‍तु जो पवित्र आत्‍मा के विरुद्ध बोलेगा, उसे क्षमा नहीं मिलेगी − न इहलोक में और न परलोक में।


धन्‍य हैं वे, जिनका हृदय निर्मल है; क्‍योंकि वे परमेश्‍वर के दर्शन करेंगे।


वे दोनों परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धार्मिक थे। वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे।


आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्‍कि सब कुछ नयी दृष्‍टि से देखें और अपना स्‍वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्‍वर क्‍या चाहता है और उसकी दृष्‍टि में क्‍या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के सुनने वाले लोग परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धार्मिक नहीं हैं, वरन् व्‍यवस्‍था का पालन करने वाले धार्मिक ठहराए जायेंगे।


मसीह ने हमारे पापों के कारण अपने को अर्पित किया, जिससे वह हमारे पिता परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार वर्तमान पापमय युग-संसार से हमारा उद्धार करें।


यह तो स्‍पष्‍ट है कि कोई भी व्यक्‍ति व्‍यवस्‍था के कारण परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धार्मिक नहीं ठहरता; क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है: “धार्मिक मनुष्‍य विश्‍वास के द्वारा जीवन प्राप्‍त करेगा।”


यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।


परन्‍तु परमेश्‍वर न करे कि हमारे प्रभु येशु मसीह के क्रूस के अतिरिक्‍त-किसी अन्‍य बात पर गर्व करूँ। उन्‍हीं के कारण संसार मेरी दृष्‍टि में क्रूसित हो चुका है और मैं संसार की दृष्‍टि में।


क्‍योंकि आपका आचरण पहले इस युग-संसार की रीति के अनुकूल, आकाश में अधिकार जमाने वाले नायक के अनुकूल था। आप उस आत्‍मा के वश में थे, जो अब तक परमेश्‍वर के विरोधियों में क्रियाशील है।


तब लेवीय जन, क्‍योंकि तेरे साथ उसका कोई अंश अथवा पैतृक सम्‍पत्ति नहीं है, तथा प्रवासी, पितृहीन और विधवा, जो तेरे नगर के भीतर रहते हैं, आएंगे और उसको खाकर तृप्‍त होंगे। तेरे इस कार्य के करण तेरा प्रभु परमेश्‍वर तेरे सब काम-धन्‍धों पर आशिष देगा।


इस आदेश का लक्ष्य वह प्रेम है, जो शुद्ध हृदय, निर्दोष अन्‍त:करण और निष्‍कपट विश्‍वास से उत्‍पन्न होता है।


यदि किसी विधवा के अपने पुत्र-पुत्रियाँ अथवा पौत्र-पौत्रियाँ हों, तो वे यह समझें कि उन्‍हें सब से पहले अपने निजी परिवार के प्रति धर्म निभाना और अपने माता-पिता के उपकारों को थोड़ा-बहुत लौटाना चाहिए, क्‍योंकि यह परमेश्‍वर को प्रिय है।


वह हमें यह शिक्षा देती है कि अधार्मिकता तथा विषय-वासना त्‍याग कर हम इस युग-संसार में संयम, न्‍याय तथा भक्‍ति का जीवन बितायें


किन्‍तु ऊपर से आयी हुई प्रज्ञ सब से पहले निर्दोष है, और वह शान्‍तिप्रिय, सहनशील, विनम्र, करुणामय, परोपकारी, पक्षपातहीन और निष्‍कपट भी है।


हम उस से अपने प्रभु एवं पिता की स्‍तुति करते हैं और उसी से मनुष्‍यों को अभिशाप देते हैं, जो परमेश्‍वर के स्‍वरूप में बनाए गए हैं।


व्‍यभिचारियों के सदृश आचरण करने वाले अनिष्‍ठावान लोगो! क्‍या तुम यह नहीं जानते कि संसार से मित्रता रखने का अर्थ है परमेश्‍वर से बैर करना? जो संसार का मित्र होना चाहता है, वह परमेश्‍वर का शत्रु बन जाता है।


उस महिमा और प्रताप के द्वारा उसने हमारे लिए अपनी अमूल्‍य और महती प्रतिज्ञाओं को पूरा किया है। इस प्रकार आप उस दूषण से बच गये, जो वासना के कारण संसार में व्‍याप्‍त है और आप ईश्‍वरीय स्‍वभाव के सहभागी बन गये हैं।


जो व्यक्‍ति हमारे प्रभु एवं मुक्‍तिदाता येशु मसीह का ज्ञान प्राप्‍त कर संसार के दूषण से बच गये, वे यदि फिर उसी में फँस कर उसके अधीन हो जाते हैं, तो उनकी यह पिछली दशा पहली से भी बुरी होती है।


इसलिए, प्रिय भाइयो एवं बहिनो! इन बातों की प्रतीक्षा करते हुए इस प्रकार प्रयत्‍न करते रहें कि आप लोग प्रभु की दृष्‍टि में निष्‍कलंक और निर्दोष प्रमाणित हों, और शांति प्राप्‍त करें।


हम जानते हैं कि जो परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता। परमेश्‍वर का पुत्र उसकी रक्षा करता है और दुष्‍ट शैतान उसे स्‍पर्श तक नहीं करने पाता।


हमारे पर का पालन करें:

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