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याकूब 1:26 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 यदि कोई अपने को धर्मात्‍मा मानता है, किन्‍तु अपनी जीभ पर नियन्‍त्रण नहीं रखता, तो वह अपने आप को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्‍यर्थ है।

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पवित्र बाइबल

26 यदि कोई सोचता है कि वह भक्त है और अपनी जीभ पर कस कर लगाम नहीं लगाता तो वह धोखे में है। उसकी भक्ति निरर्थक है।

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Hindi Holy Bible

26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 यदि कोई अपने आप को भक्‍त समझे और अपनी जीभ पर लगाम न दे पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उसकी भक्‍ति व्यर्थ है।

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नवीन हिंदी बाइबल

26 यदि कोई अपने आपको भक्‍त समझे और अपनी जीभ पर लगाम न लगाए बल्कि अपने हृदय को धोखा दे, तो उसकी भक्‍ति व्यर्थ है।

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सरल हिन्दी बाइबल

26 यदि कोई व्यक्ति अपने आपको भक्त समझता है और फिर भी अपनी जीभ पर लगाम नहीं लगाता, वह अपने मन को धोखे में रखे हुए है और उसकी भक्ति बेकार है.

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याकूब 1:26
37 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिए कि तुम परमेश्‍वर के प्रति अपना क्रोध प्रकट करते हो, और अपने मुँह से निरर्थक शब्‍द निकलने देते हो।


परमेश्‍वर ने मुझे शक्‍तिहीन और तुच्‍छ बना दिया है, इसलिए वे मेरे सामने भी अपने मुंह में लगाम नहीं देते!


हे प्रभु, मेरे मुंह पर पहरा बैठा; मेरे ओंठों के द्वार की रखवाली कर;


इसलिए तुम अश्‍व अथवा खच्‍चर जैसे न बनो, जिसमें विवेक नहीं होता; जिसे रास और लगाम से वश में करना पड़ता है; अन्‍यथा वह तुम्‍हारे निकट न आएगा।


अपनी जीभ को बुराई से दूर रखो, और ओंठों को छल-कपट से।


जो मनुष्‍य अधिक बोलता है, वह अपराध करने से बच नहीं सकता; पर अपनी जीभ को वश में रखनेवाला मनुष्‍य बुद्धिमान है!


धार्मिक मनुष्‍य के ओंठों से बुद्धि के वचन निकलते हैं; पर कुटिल जिह्‍वा काट दी जाएगी!


एक ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्‍य को उचित प्रतीत होता है; किन्‍तु वह पथिक को मृत्‍यु के द्वार पर पहुंचाता है।


बुद्धिमान के कंठ से ज्ञान की धारा प्रवाहित होती है; किन्‍तु मूर्ख अपने मुंह से केवल मूर्खता ही निकालता है।


राजा के मुंह में दिव्‍य वाणी निवास करती है, अत: न्‍याय करने में वह गलती नहीं करता।


एक ऐसा भी मार्ग है जो मनुष्‍य को उचित प्रतीत होता है; किन्‍तु वह पथिक को मृत्‍यु के द्वार पर पहुंचाता है।


जो गरीब मनुष्‍य सच्‍चाई के मार्ग पर चलता है, वह उस मूर्ख मनुष्‍य से श्रेष्‍ठ है जो छल-कपट की बातें करता है।


दुर्जन दिन भर लालच के जाल में फंसा रहता है; परन्‍तु धार्मिक मनुष्‍य उदारता से दान देता है, और कंजूसी नहीं करता है।


तुम अपनी निस्‍सार भेंटें मेरे पास मत लाओ; उनकी सुगन्‍ध से मुझे घृणा हो गई है। तुम्‍हारा नवचन्‍द्र-पर्व मनाना, विश्राम-दिवस मनाना, धर्मसम्‍मेलन के लिए एकत्र होना, और धर्ममहासभा के साथ-साथ अधर्म भी करते जाना, यह मैं नहीं सह सकता।


ऐसे मनुष्‍य राख खानेवाले हैं। भ्रमपूर्ण मन ने उन्‍हें पथभ्रष्‍ट कर दिया है। वे अपने को बचा नहीं सकते और न यह कह सकते हैं, ‘हम मिथ्‍याचार में फंसे हुए हैं।’


तुमने क्‍या यह नहीं कहा है, “परमेश्‍वर की सेवा करना व्‍यर्थ है। हमने उसके आदेशों का पालन किया, हम स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु के सम्‍मुख शोक-संतप्‍त चलते रहे। हमें क्‍या लाभ हुआ?


ये व्‍यर्थ ही मेरी उपासना करते हैं; क्‍योंकि ये मनुष्‍यों के बनाए हुए नियमों को ऐसे सिखाते हैं, मानो वे धर्म-सिद्धान्‍त हों।’ ”


ये व्‍यर्थ ही मेरी उपासना करते हैं, क्‍योंकि ये मनुष्‍यों के बनाए हुए नियमों को ऐसे सिखाते हैं मानो वे धर्मसिद्धान्‍त हों।’


तो इसके सम्‍बन्‍ध में सावधान रहो कि तुम किस तरह सुनते हो; क्‍योंकि जिसके पास है, उसको और दिया जाएगा और जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है।”


तब हम ने परमेश्‍वर के विषय में मिथ्‍या साक्षी दी; क्‍योंकि हमने परमेश्‍वर के विषय में यह साक्षी दी है कि उसने मसीह को पुनर्जीवित किया और यदि मृतकों का पुनरुत्‍थान नहीं होता, तो उसने ऐसा नहीं किया।


यदि आप शुभ-समाचार उसी रूप में बनाये रखेंगे, जिस रूप में मैंने उसे आपको सुनाया है, तो उसके द्वारा आप को मुक्‍ति प्राप्‍त होगी। नहीं तो आपका विश्‍वास करना व्‍यर्थ होगा।


कोई भी अपने को धोखा न दे। यदि आप में से कोई स्‍वयं को संसार की दृष्‍टि से ज्ञानी समझता हो, तो वह सचमुच ज्ञानी बनने के लिए अपने को मूर्ख बना ले;


किन्‍तु जो व्यक्‍ति प्रतिष्‍ठित माने जाते थे-वे पहले कैसे थे, इससे मेरे विचार में कोई अन्‍तर नहीं पड़ता, क्‍योंकि परमेश्‍वर मुंह-देखा न्‍याय नहीं करता-इन प्रतिष्‍ठित व्यक्‍तियों से मुझे कोई नई बात प्राप्‍त नहीं हुई।


जो व्यक्‍ति कलीसिया के स्‍तम्‍भ समझे जाते थे-अर्थात् याकूब, कैफा और योहन-उन्‍होंने कृपा का वह वरदान पहचाना जो मुझे मिला है। उन्‍होंने मुझे और बरनबास को अपने सहयोगी समझकर हमें सहभागिता का दाहिना हाथ दिया। वे इस बात के लिए सहमत हुए कि हम गैर-यहूदियों के पास जायें और वे यहूदियों के पास।


क्‍या आप लोगों को व्‍यर्थ ही इतने अनुभव प्राप्‍त हुए? मुझे ऐसा विश्‍वास नहीं है।


क्‍योंकि यदि कोई समझता है कि मैं कुछ हूं, जब कि वह कुछ नहीं है, तो वह अपने को धोखा देता है।


आपके मुख से कोई अश्‍लील बात नहीं, बल्‍कि ऐसे शब्‍द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्‍याण में सहायक हों।


और न भद्दी, मूर्खतापूर्ण या अश्‍लील बातचीत; क्‍योंकि यह अशोभनीय है-बल्‍कि आप परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया करें।


पर तुम सावधान रहना! ऐसा न हो कि तुम्‍हारा हृदय धोखा खाए और तुम पथभ्रष्‍ट हो जाओ और दूसरे देवताओं की पूजा करो, झुककर उनकी वन्‍दना करो।


आपकी बातचीत सदा मनोहर और सुरुचिपूर्ण हो और आप प्रत्‍येक को समुचित उत्तर देना सीखें।


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप यह अच्‍छी तरह समझ लें। प्रत्‍येक व्यक्‍ति सुनने के लिए तत्‍पर रहे, किन्‍तु बोलने और क्रोध करने में देर करे;


आप लोग अपने को धोखा नहीं दें। वचन के श्रोता ही नहीं, बल्‍कि उसके पालनकर्ता भी बनें।


मूर्ख! क्‍या तुम इसका प्रमाण चाहते हो कि कर्मों के अभाव में विश्‍वास व्‍यर्थ है?


क्‍योंकि “जो जीवन से प्रेम करना और अच्‍छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से और अपने होंठों को कपटपूर्ण बातें बोलने से बचाए;


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