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मीका 6:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्‍या है, और वह तुझसे क्‍या चाहता है। यही न कि तू न्‍याय-सिद्धान्‍त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्‍वर के मार्ग पर चले?

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पवित्र बाइबल

8 हे मनुष्य, यहोवा ने तुझे वह बातें बतायीं हैं जो उत्तम हैं। ये वे बातें हैं, जिनकी यहोवा को तुझ से अपेक्षा है। ये वे बातें हैं—तू दुसरे लोगों के साथ में सच्चा रह; तू दूसरों से दया के साथ प्रेम कर, और अपने जीवन नम्रता से परमेश्वर के प्रति बिना उपहारों से तुम उसे प्रभावित करने का जतन मत करो।

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Hindi Holy Bible

8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्‍वर के साथ नम्रता से चले?

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सरल हिन्दी बाइबल

8 हे मनुष्य, उन्होंने तुम्हें दिखाया है कि क्या अच्छा है. और याहवेह तुमसे क्या अपेक्षा करता है? न्याय के काम करो और दया करो और परमेश्वर के साथ नम्रता से चलो.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? (मत्ती 23:23, यशा. 1:17)

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मीका 6:8
66 क्रॉस रेफरेंस  

मैंने उसे चुना है कि वह अपने पुत्रों और परिवार को, जो उसके पश्‍चात् रहेंगे, शिक्षा दे कि वे धार्मिकता और न्‍याय के कार्य करें और मुझ-प्रभु के मार्ग पर चलते रहें। तब मैं उस वचन को पूर्ण करूँगा जो मैंने अब्राहम को दिया है।’


मथूशेलह के जन्‍म के पश्‍चात् हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्‍वर का सहचर बना रहा। उसको अन्‍य पुत्र-पुत्रियां भी उत्‍पन्न हुईं।


केवल आशेर, मनश्‍शे और जबूलून के कुछ लोगों ने अपने हृदय को विनम्र किया और वे प्रभु के सम्‍मुख यरूशलेम में आए।


किन्‍तु राजा अपने अहंकार के लिए पछताया। उसने प्रभु के सम्‍मुख स्‍वयं को विनम्र किया। उसके साथ यरूशलेम के निवासी भी दीन बने। अत: प्रभु का क्रोध राजा हिजकियाह के समय में उन पर नहीं भड़का।


‘द्रष्‍टाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में भी मनश्‍शे का उल्‍लेख हुआ है: उसकी प्रार्थना; और परमेश्‍वर ने उसकी विनती, अनुनय-विनय कैसे स्‍वीकार किया; उसके पाप-कर्म तथा प्रभु के विरुद्ध उसका विश्‍वासघात; उन जगहों का वर्णन जहाँ मनश्‍शे ने पहाड़ी शिखर के मन्‍दिर बनाए थे, जहाँ अशेराह के खम्‍भे तथा मूर्तियाँ प्रतिष्‍ठित की थीं। इसी ग्रंथ में लिखा है कि उसने प्रभु के सम्‍मुख स्‍वयं को विनम्र किया था।


यद्यपि उसके पिता मनश्‍शे ने प्रभु के सम्‍मुख स्‍वयं को विनम्र किया था, किन्‍तु आमोन ने ऐसा नहीं किया, बल्‍कि अधिकाधिक दुष्‍कर्म किये।


तूने हृदय से पश्‍चात्ताप किया। तूने मेरे सम्‍मुख, अपने परमेश्‍वर के सम्‍मुख, स्‍वयं को विनम्र बनाया। तूने इस स्‍थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध मेरी वाणी सुनी और मेरे सम्‍मुख स्‍वयं को दीन बनाया। तूने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े, और मेरे सम्‍मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।


‘प्रभु, तू सीनय पर्वत पर उतरा था, और तूने हमारे पूर्वजों से स्‍वर्ग से वार्तालाप किया था। तब तूने उन्‍हें उचित न्‍याय-सिद्धान्‍त, सच्‍चे धर्म-नियम, भली सविधियां और अच्‍छी आज्ञाएं प्रदान की थीं।


मैं करुणा और न्‍याय के गीत गाऊंगा; हे प्रभु, तेरे लिए मैं राग बजाऊंगा।


सत्‍यनिष्‍ठ व्यक्‍ति के हेतु अन्‍धकार में प्रकाश उदय होता है; प्रभु कृपालु, दयालु और धार्मिक है।


उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहेगी; सम्‍मान से उसका सिर ऊंचा रहता है।


धार्मिक मनुष्‍य सदा उदार बना रहता है और वह उधार देता है। उसका वंश आशिष का माध्‍यम बनता है।


पर मेरे लिए परमेश्‍वर की निकटता उत्तम है; मैं ने प्रभु-स्‍वामी को अपना आश्रय स्‍थल माना है; प्रभु, मैं तेरे सब कार्यों का वर्णन करूंगा।


पशु-बलि की अपेक्षा धर्म और न्‍याय के कार्य करना प्रभु को अधिक पसन्‍द है।


जो कुछ तुमने सुना, उसका सार यह है : तुम परमेश्‍वर पर श्रद्धा रखो, और उसकी आज्ञाओं का पालन करो; क्‍योंकि मनुष्‍य का सम्‍पूर्ण धर्म यही है।


प्रभु यों कहता है : ‘न्‍याय का पालन करो, और धर्म के कार्य करो; क्‍योंकि मेरी मुक्‍ति का आगमन समीप है, मेरा उद्धार शीघ्र प्रकट होगा।


सर्वोच्‍च और महान परमेश्‍वर, जिसका नाम पवित्र है, जो अनन्‍तकाल तक जीवित है, यह कहता है : ‘मैं उच्‍च और पवित्र स्‍थान में निवास करता हूं, पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं जिसकी आत्‍मा विदीर्ण और विनम्र है। मैं उस विनम्र व्यक्‍ति की आत्‍मा को संजीव करता हूं, और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित।


प्रभु कहता है : ‘इन सबको स्‍वयं मेरे हाथों ने बनाया है, अत: ये सब वस्‍तुएँ मेरी ही हैं। पर मैं उस मनुष्‍य पर ध्‍यान दूंगा, जो विनम्र है जो आत्‍मा में पीड़ित है जो मेरे वचन में श्रद्धा रखता है।


वह निर्धन और निस्‍सहाय लोगों का न्‍याय करता था, इसलिए उसका भला हुआ। ऐसा कार्य करना ही मुझे जानना है। मुझ-प्रभु की यह वाणी है!


प्रभु यह कहता है: न्‍याय और धर्म का आचरण करो; जो मनुष्‍य लूट लिया गया है, उसको अत्‍याचारी के हाथ से बचाओ। विदेशी, अनाथ और विधवा के साथ बुरा व्‍यवहार मत करो; उन पर अत्‍याचार मत करो; और न राजमहल के इस स्‍थान में किसी निर्दोष की हत्‍या करो।


प्रभु यों कहता है, ‘बुद्धिमान मनुष्‍य अपनी बुद्धि पर गर्व न करे, और न बलवान अपने बल पर। धनवान मनुष्‍य अपने धन का घमण्‍ड न करे।


यह मनुष्‍य के हित में है, कि वह शांति से प्रभु के उद्धार की प्रतीक्षा करे।


मैं तेरे सब कुकर्मों को क्षमा कर दूंगा ताकि तू अपने कुकर्मों को स्‍मरण करे, और उनके लिए लज्‍जित हो। तब तू अपनी इस लज्‍जा के कारण अपना मुंह फिर खोलने का साहस नहीं करेगी।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


‘मैं दुर्जन से यह कहूँ, “तू निस्‍सन्‍देह मरेगा,” और वह अपना पापमय आचरण छोड़ दे, न्‍याय और धर्म का यह आचरण अपना ले:


“अब मैं, नबूकदनेस्‍सर, स्‍वर्ग के राजा की स्‍तुति और महिमा करता हूं, उसके गुणों का गान करता हूं; क्‍योंकि उसके सब कार्य सच्‍चे, और प्रत्‍येक व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है। ‘जो मनुष्‍य घमण्‍ड से सिर ऊंचा करके चलता है, उसको वह नीचा कर सकता है।’


ओ याकूब की सन्‍तान, तू अपने परमेश्‍वर की सहायता से लौट आ; करुणा और न्‍याय का पालन कर; अपने परमेश्‍वर की निरन्‍तर प्रतीक्षा कर।


मुझे करुणा चाहिए, पशु-बलि नहीं। मैं अग्‍नि-बलि से प्रसन्न नहीं होता, वरन् इस बात से प्रसन्न होता हूं कि तुम मुझ-परमेश्‍वर का ज्ञान प्राप्‍त करो।


जिसके कारण मैं उनके विरुद्ध चला था और उन्‍हें शत्रुओं के देश में ले आया था; यदि वे अपने कठोर हृदय को विनम्र करेंगे, अपने अधर्म के दण्‍ड को स्‍वीकार करेंगे


परन्‍तु न्‍याय को जलधारा-सा और धर्म को निरन्‍तर बहनेवाले झरने की तरह सदा बहने दो!


प्रभु की वाणी नगर में सुनाई दे रही है, (प्रभु-नाम का भय मानना ही बुद्धिमानी है:) ‘ओ यहूदा के कुल! ओ नगर-सभा के सदस्‍यो!


ओ देश के सब विनम्र लोगो, प्रभु के आज्ञाकारी लोगो, प्रभु को खोजो; धार्मिकता को, नम्रता को ढूंढ़ो। तब सम्‍भवत: तुम प्रभु के प्रकोप-दिवस पर सुरक्षित रह सको।


‘स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: “प्रत्‍येक व्यक्‍ति अपने जाति-भाई के साथ सच्‍चाई से न्‍याय करे, उसके प्रति करुणा और दया का व्‍यवहार करे।


“धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं; क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्‍य उन्‍हीं का है।


धन्‍य हैं वे, जो दयालु हैं; क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी।


जबकि केवल एक ही बात आवश्‍यक है। मरियम ने उस सर्वोत्तम भाग को चुना है। वह उससे नहीं छीना जाएगा।”


“फरीसियो! धिक्‍कार है तुम लोगों को! क्‍योंकि तुम पुदीने, सदाब और हर प्रकार के साग का दशमांश तो देते हो; लेकिन न्‍याय और परमेश्‍वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो। तुम्‍हारे लिए उचित तो यह था कि तुम इन्‍हें भी करते रहते और उनकी भी उपेक्षा नहीं करते।


उन्‍होंने उसे उत्तर दिया, “भाई! किसने मुझे तुम्‍हारा पंच या बँटवारा करने वाला नियुक्‍त किया है?”


दयालु बनो, जैसे तुम्‍हारा स्‍वर्गिक पिता दयालु है।


यदि मैं वही करता हूँ, जो मैं नहीं करना चाहता, तो मैं ऐसा करते हुए भी व्‍यवस्‍था से सहमत हूँ और उसे कल्‍याणकारी समझता हूँ;


अरे भई! तुम कौन हो, जो परमेश्‍वर से विवाद करते हो? क्‍या गढ़ी हुई प्रतिमा अपने गढ़ने वाले से कहती है, “तुमने मुझे ऐसा क्‍यों बनाया?”


क्‍या जाने, हो सकता है कि पत्‍नी अपने पति की मुक्‍ति का कारण बन जाये और पति अपनी पत्‍नी की मुक्‍ति का कारण।


एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह परमेश्‍वर ने मसीह में आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।


इसलिए तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी सुनना और उसकी सब आज्ञाओं और संविधियों के अनुसार कार्य करना, जैसा आदेश आज मैं तुम्‍हें दे रहा हूँ।’


‘देख, मैंने आज तेरे सम्‍मुख जीवन और मृत्‍यु, भलाई और बुराई रख दी है।


आप लोग परमेश्‍वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा हैं। इसलिए आप लोगों को सहानुभूति, अनुकम्‍पा, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करनी चाहिए।


स्‍वयं हमारे प्रभु येशु मसीह तथा हमारा पिता परमेश्‍वर, जिसने हमसे इतना प्रेम किया और हमें चिरस्‍थायी सान्‍त्‍वना तथा उज्‍ज्‍वल आशा का वरदान दिया है,


मूर्ख! क्‍या तुम इसका प्रमाण चाहते हो कि कर्मों के अभाव में विश्‍वास व्‍यर्थ है?


‘इसलिए हे इस्राएलियो, अब प्रभु की भक्‍ति करो। निष्‍कपट भाव और सच्‍चाई से उसकी सेवा करो। जिन देवताओं की आराधना तुम्‍हारे पूर्वज मसोपोतामिया और मिस्र देश में करते थे, उन्‍हें भूल जाओ और केवल प्रभु की आराधना करो।


अन्‍त में यह : आप सब-के-सब एकमत, सहानुभूतिशील, भ्रातृप्रेमी, दयालु तथा विनम्र बनें।


जहाँ तक मेरा प्रश्‍न है : प्रभु ऐसा न करे कि मैं तुम्‍हारे लिए प्रार्थना करना छोड़ दूँ, और इस प्रकार प्रभु के प्रति पाप करूँ! मैं तुम्‍हें सच्‍चे और सीधे मार्ग की शिक्षा देता रहूँगा।


किन्‍तु शमूएल ने यह कहा : ‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने पर प्रसन्न होता है, क्‍या वैसे वह अग्‍नि-बलि और पशुओं की बलि से प्रसन्न होता है? देख, प्रभु की आज्ञा मानना पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्‍ठ है! उसकी बात पर ध्‍यान देना मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।


हमारे पर का पालन करें:

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