जब वह बेबीलोन में बन्दी था, तब उसने अपने संकट में अपने प्रभु-परमेश्वर की कृपा के लिए विनती की। उसने अपने पूर्वजों के परमेश्वर के सम्मुख स्वयं को अत्यधिक विनम्र और दीन किया।
मत्ती 5:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं; क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। पवित्र बाइबल “धन्य हैं वे जो हृदय से दीन हैं, स्वर्ग का राज्य उनके लिए है। Hindi Holy Bible धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। नवीन हिंदी बाइबल “धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। सरल हिन्दी बाइबल “धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं, क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। |
जब वह बेबीलोन में बन्दी था, तब उसने अपने संकट में अपने प्रभु-परमेश्वर की कृपा के लिए विनती की। उसने अपने पूर्वजों के परमेश्वर के सम्मुख स्वयं को अत्यधिक विनम्र और दीन किया।
‘द्रष्टाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में भी मनश्शे का उल्लेख हुआ है: उसकी प्रार्थना; और परमेश्वर ने उसकी विनती, अनुनय-विनय कैसे स्वीकार किया; उसके पाप-कर्म तथा प्रभु के विरुद्ध उसका विश्वासघात; उन जगहों का वर्णन जहाँ मनश्शे ने पहाड़ी शिखर के मन्दिर बनाए थे, जहाँ अशेराह के खम्भे तथा मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की थीं। इसी ग्रंथ में लिखा है कि उसने प्रभु के सम्मुख स्वयं को विनम्र किया था।
यद्यपि उसके पिता मनश्शे ने प्रभु के सम्मुख स्वयं को विनम्र किया था, किन्तु आमोन ने ऐसा नहीं किया, बल्कि अधिकाधिक दुष्कर्म किये।
तूने हृदय से पश्चात्ताप किया। तूने मेरे सम्मुख, अपने परमेश्वर के सम्मुख, स्वयं को विनम्र बनाया। तूने इस स्थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध मेरी वाणी सुनी और मेरे सम्मुख स्वयं को दीन बनाया। तूने पश्चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े, और मेरे सम्मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।
तब यदि मेरे निज लोग, जो मेरे अपने लोग हैं, जिनको मैंने अपना नाम दिया है, स्वयं को विनम्र और दीन बनाएंगे, मुझसे प्रार्थना करेंगे, और मेरे मुख का दर्शन प्राप्त करने का प्रयत्न करेंगे, और अपने बुरे आचरण को छोड़ देंगे, तो मैं स्वर्ग से उनकी प्रार्थना को सुनूंगा, और उनके पाप क्षमा कर दूंगा, मैं उनके देश को रोग-मुक्त कर दूंगा।
धन्य है वह मनुष्य जो दुर्जनों की सम्मति पर नहीं चलता, जो पापियों के मार्ग पर खड़ा नहीं होता, और जो उपहास-प्रिय झुण्ड में नहीं बैठता;
प्रभु की स्तुति करो! धन्य है, वह मनुष्य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।
धन्य है वह मनुष्य, जिसका सहायक इस्राएल का परमेश्वर है, जो अपने प्रभु परमेश्वर पर आशा करता है।
ऐसा न हो कि प्रभु क्रुद्ध हो, और तुम मार्ग में ही नष्ट हो जाओ, क्योंकि उसका क्रोध तुरन्त भड़कता है। धन्य हैं वे सब, जो प्रभु की शरण में आते हैं।
धन्य है वह मनुष्य जो निर्बल की देखभाल करता है। प्रभु संकट के दिन उसको मुक्त करता है।
विदीर्ण आत्मा की बलि परमेश्वर को प्रिय है, हे परमेश्वर, तू विदीर्ण और भग्न हृदय की उपेक्षा नहीं करता।
घमण्डी मनुष्य के साथ उसकी लूट-मार में हिस्सा बांटने की अपेक्षा गरीब मनुष्य के साथ विनम्रता से रहना श्रेष्ठ है।
जो मनुष्य घमण्ड से भरा है, उसको नीचा देखना पड़ता है, किन्तु विनम्र मनुष्य सम्मान का पात्र बनता है।
प्रभु अब भी प्रतीक्षा कर रहा है कि तुम प्रायश्चित करो, और वह तुम कर कृपा करे। वह तुम पर दया करने को तत्पर है। प्रभु न्याय करनेवाला परमेश्वर है। धन्य हैं वे, जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं।
सर्वोच्च और महान परमेश्वर, जिसका नाम पवित्र है, जो अनन्तकाल तक जीवित है, यह कहता है : ‘मैं उच्च और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं जिसकी आत्मा विदीर्ण और विनम्र है। मैं उस विनम्र व्यक्ति की आत्मा को संजीव करता हूं, और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित।
प्रभु का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि उसने पीड़ित व्यक्तियों को शुभ-सन्देश सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है; स्वामी प्रभु ने मुझे इस कार्य के लिए भेजा है कि मैं घायल हृदयवालों को स्वस्थ करूं, बन्दियों को स्वतंत्रता का सन्देश सुनाऊं, और जो कारागार में हैं उनके लिए कारागार के द्वार खोल दूं।
प्रभु कहता है : ‘इन सबको स्वयं मेरे हाथों ने बनाया है, अत: ये सब वस्तुएँ मेरी ही हैं। पर मैं उस मनुष्य पर ध्यान दूंगा, जो विनम्र है जो आत्मा में पीड़ित है जो मेरे वचन में श्रद्धा रखता है।
ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
उस समय येशु ने कहा, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्त रखा; किन्तु बच्चों पर प्रकट किया है।
“परन्तु धन्य हैं तुम्हारी आँखें, क्योंकि वे देखती हैं और धन्य हैं तुम्हारे कान, क्योंकि वे सुनते हैं!
येशु ने कहा, “बच्चों को आने दो और उन्हें मेरे पास आने से मत रोको, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन-जैसे लोगों का ही है।”
“तब राजा अपनी दाहिनी ओर के लोगों से कहेगा, ‘मेरे पिता के कृपापात्रो! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो सृष्टि के आरम्भ से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है;
“मैं तुम से कहता हूँ, बहुत लोग पूर्व और पश्चिम से आ कर अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्गराज्य के भोज में सम्मिलित होंगे,
येशु यह देख कर बहुत अप्रसन्न हुए और उन्होंने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें मत रोको, क्योंकि परमेश्वर का राज्य उन-जैसे लोगों का ही है।
परन्तु येशु ने कहा, “किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”
येशु ने कहा, “मैं तुम से कहता हूँ, वह पहला नहीं, बल्कि यह मनुष्य पापमुक्त हो कर अपने घर गया। क्योंकि जो कोई अपने आपको ऊंचा करता है, वह नीचा किया जाएगा; परन्तु जो अपने आप को नीचा करता है, वह ऊंचा किया जाएगा।”
कि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पियो और सिंहासनों पर बैठ कर इस्राएल के बारह कुलों का न्याय करो।
“प्रभु का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है कि मैं गरीबों को शुभ-समाचार सुनाऊं, उसने मुझे भेजा है जिससे मैं बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टि-प्राप्ति का सन्देश दूँ, मैं दलितों को स्वतन्त्र करूँ
येशु ने उससे कहा, “क्या तुम इसलिए विश्वास करते हो कि तुम ने मुझे देखा है? धन्य हैं वे जिन्होंने मुझे नहीं देखा, तो भी विश्वास करते हैं!”
तू उन सब मार्गों को स्मरण करना, जिन पर तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे चालीस वर्ष तक निर्जन प्रदेश में ले गया, जिससे वह तुझे पीड़ित करे और यह जानने के लिए तेरी परीक्षा ले, कि तेरे हृदय में क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा अथवा नहीं।
धन्य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्तों को देने की प्रतिज्ञा की है।
मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्या परमेश्वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्वास के धनी हो जायें और उस राज्य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है?
स्वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिखो : धन्य हैं वे, जो मेमने के विवाह-भोज में निमन्त्रित हैं!” और उसने मुझ से यह भी कहा, “ये परमेश्वर के सत्य वचन हैं।”
धन्य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।
तुम यह कहते हो, ‘मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया, मुझे किसी बात की कमी नहीं’, और तुम यह नहीं समझते कि तुम अभागे हो, दयनीय हो, दरिद्र, अन्धे और नंगे हो।