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प्रकाशितवाक्य 22:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 धन्‍य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्‍त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।

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पवित्र बाइबल

14 “धन्य हैं वह जो अपने वस्त्रों को धो लेते हैं। उन्हें जीवन-वृक्ष के फल खाने का अधिकार होगा। वे द्वार से होकर नगर में प्रवेश करने के अधिकारी होंगे।

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Hindi Holy Bible

14 धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 “धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे।

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नवीन हिंदी बाइबल

14 “धन्य हैं वे जो अपने वस्‍त्र धोते हैं , ताकि वे जीवन के वृक्ष के अधिकारी हों, और वे फाटकों से नगर में प्रवेश कर सकें।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 “धन्य हैं वे, जिन्होंने अपने वस्त्र धो लिए हैं कि वे द्वार से नगर में प्रवेश कर सकें और जीवन के पेड़ का फल प्राप्‍त कर सकें.

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प्रकाशितवाक्य 22:14
31 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु परमेश्‍वर ने समस्‍त वृक्षों को, जो देखने में सुन्‍दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्‍य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।


प्रभु परमेश्‍वर ने कहा, ‘देखो, मनुष्‍य भले और बुरे को जानकर हममें से एक के समान बन गया है। अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल तोड़ ले, और उसे खाकर अमर हो जाए।’


प्रभु की स्‍तुति करो! धन्‍य है, वह मनुष्‍य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।


यह प्रभु का द्वार है; इससे धार्मिक प्रवेश करेंगे।


प्रभु ने मूसा से कहा, ‘तू लोगों के पास जा, उन्‍हें आज और कल शुद्ध कर। वे अपने वस्‍त्र धोएँ


धन्‍य है वह मनुष्‍य जो धीरज के साथ एक हजार तीन सौ पैंतीस दिन पूरे करेगा।


इसलिए येशु ने फिर उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : भेड़शाला का द्वार मैं हूँ।


मैं ही द्वार हूँ। यदि कोई मुझ से हो कर प्रवेश करेगा तो उसे मुक्‍ति प्राप्‍त होगी। वह भीतर-बाहर आया-जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा।


“यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।


येशु ने कहा, “मार्ग, सत्‍य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।


क्‍या आप हमारे पिता याकूब से भी महान् हैं? उन्‍होंने हमें यह कुआँ दिया। वह स्‍वयं, उनके पुत्र और उनके पशु भी इस कुएँ से पानी पीते थे।”


न तो ख़तने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व परमेश्‍वर की आज्ञाओं के पालन का है।


किन्‍तु इसका ध्‍यान रखिए कि आपकी स्‍वतन्‍त्रता दुर्बल लोगों के लिए पाप का कारण न बने।


क्‍या अन्‍य प्रेरितों, प्रभु के भाइयों और कैफ़ा की भांति हमें अपनी मसीही पत्‍नी को अपने साथ ले चलने का अधिकार नहीं?


यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।


जो कोई मसीह से ऐसी आशा करता है, उसे वैसा ही पवित्र बनना चाहिए, जैसा कि वह पवित्र हैं।


क्‍योंकि परमेश्‍वर का प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें। उसकी आज्ञाएँ भारी नहीं हैं,


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्‍वर की स्‍वर्ग-वाटिका के बीच में है।


उसके चारों ओर एक बड़ी और ऊंची शहरपनाह थी, जिसमें बारह फाटक थे और हर एक फाटक के सामने एक स्‍वर्गदूत खड़ा था। फाटकों पर इस्राएल के बारह कुलों के नाम अंकित थे।


लेकिन उस में न तो कोई अपवित्र वस्‍तु प्रवेश कर पायेगी और न कोई ऐसा व्यक्‍ति, जो घृणित काम करता या झूठ बोलता है। वे ही प्रवेश कर पायेंगे, जिनके नाम मेमने के जीवन-ग्रन्‍थ में अंकित हैं।


नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्‍ट्रों की चिकित्‍सा होती है।


[येशु ने कहा,] “देखो, मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ। धन्‍य है वह, जो इस पुस्‍तक की नबूवत के वचनों का पालन करता है!”


मैंने उत्तर दिया, “महोदय, आप ही जानते हैं”, और उसने मुझसे कहा, “ये वे लोग हैं, जो महासंकट में से निकल कर आये हैं। इन्‍होंने मेमने के रक्‍त में अपने वस्‍त्र धो कर उजले कर लिये हैं।


हमारे पर का पालन करें:

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