भजन संहिता 146 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)उद्धारकर्ता परमेश्वर की स्तुति 1 प्रभु की स्तुति करो! ओ मेरे प्राण, प्रभु की स्तुति कर। 2 जब तक मैं जीवित हूं, प्रभु की स्तुति करूँगा, मैं अपने जीवन-भर अपने परमेश्वर का स्तुतिगान करूंगा। 3 शासकों पर भरोसा मत करो, और न मनुष्यों पर, जिनमें सहायता करने का सामर्थ्य नहीं है। 4 प्राण के निकलते ही वे मिट्टी में मिल जाते हैं; उसी दिन उनकी योजनाएँ भी नष्ट हो जाती हैं। 5 धन्य है वह मनुष्य, जिसका सहायक इस्राएल का परमेश्वर है, जो अपने प्रभु परमेश्वर पर आशा करता है। 6 वही प्रभु आकाश, पृथ्वी और सागर का एवं सबका सृजक है, जो उनमें हैं। प्रभु सदा के लिए सत्य का रक्षक है; 7 वह दलितों को न्याय दिलाता है; और भूखों को रोटी देता है। निस्सन्देह, प्रभु बन्दियों को छुड़ाता है। 8 वह अन्धों को दृष्टि देता है। प्रभु झुके हुओं को उठाता है; प्रभु अपने भक्तों से प्रेम करता है। 9 प्रभु परदेशी का रक्षक है, वह अनाथ एवं विधवा का सहारा है; पर वह दुर्जनों के मार्ग को कुटिल बनाता है। 10 ओ सियोन, तेरा प्रभु परमेश्वर पीढ़ी से पीढ़ी तक सदा राज्य करता है। प्रभु की स्तुति करो! |
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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