बाइबिल के पद

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70 परिवार में क्षमा पर बाइबल के वचन

संत मरकुस की किताब में लिखा है, "क्योंकि यदि तुम क्षमा नहीं करते, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे पापों को क्षमा नहीं करेगा।"1 माफ़ी देना, ज़ख्मों को भरने और उस कड़वाहट से आज़ाद होने का पहला कदम है जो हमारी ज़िंदगी को रोक देती है।

भगवान चाहते हैं कि उनकी शांति और सद्भाव धरती के हर परिवार में बसे, कि सब एक-दूसरे से बिना किसी शर्त और बिना किसी शिकायत के निःस्वार्थ प्रेम करें। ज़िंदगी में ऐसे मौके तो आते ही रहेंगे जब परिवारों में अनबन और झगड़े होंगे, ऐसा अक्सर होता है, लेकिन ये बिलकुल नहीं चल सकता कि आपसी कहासुनी की वजह से रंजिश आपके दिल में घर कर ले और आप अपने अपनों से दूर हो जाएँ। ये भगवान को पसंद नहीं है, और वो उन लोगों से खुश नहीं होते जो एक-दूसरे से सुलह नहीं करते।

भगवान परिवारों के भगवान हैं, और उनकी इच्छा है कि उनका खूबसूरत स्वरूप आप सब में बना रहे। इसलिए, हमेशा एक-दूसरे से सुलह कर लो ताकि शैतान को अपनी आत्मा में जगह न मिले।

भगवान से प्रार्थना करो कि वो हमें माफ़ करने वाला बनाएँ और हमारे दिलों को ठीक करें। चलो आज हम सुलह और एकता की ओर कदम बढ़ाएँ। घमंडी और अहंकारी मत बनो, क्योंकि भगवान दूर से देखते हैं, लेकिन वो उन लोगों के करीब हैं जो सच्चे दिल से विनम्र हैं।


1 मरकुस 11:26


इफिसियों 4:2

सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो।

मरकुस 11:25-26

और जब कभी तुम प्रार्थना करते खड़े होते हो तो यदि तुम्हें किसी से कोई शिकायत है तो उसे क्षमा कर दो ताकि स्वर्ग में स्थित तुम्हारा परम पिता तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें भी क्षमा कर दे।”

मत्ती 18:21-22

फिर पतरस यीशु के पास गया और बोला, “प्रभु, मुझे अपने भाई को कितनी बार अपने प्रति अपराध करने पर भी क्षमा कर देना चाहिए? यदि वह सात बार अपराध करे तो भी?”

यीशु ने कहा, “न केवल सात बार, बल्कि मैं तुझे बताता हूँ तुझे उसे सात बार के सतत्तर गुना तक क्षमा करते रहना चाहिये।”

लूका 6:37-38

“किसी को दोषी मत कहो तो तुम्हें भी दोषी नहीं कहा जायेगा। किसी का खंडन मत करो तो तुम्हारा भी खंडन नहीं किया जायेगा। क्षमा करो, तुम्हें भी क्षमा मिलेगी।

दूसरों को दो, तुम्हे भी दिया जायेगा। वे पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उडेंलेंगे क्योंकि जिस नाप से तुम दूसरों को नापते हो, उसी से तुम्हें भी नापा जायेगा।”

रोमियों 12:17

बुराई का बदला बुराई से किसी को मत दो। सभी लोगों की आँखों में जो अच्छा हो उसे ही करने की सोचो।

मत्ती 18:15

“यदि तेरा बंधु तेरे साथ कोई बुरा व्यवहार करे तो अकेले में जाकर आपस में ही उसे उसका दोष बता। यदि वह तेरी सुन ले, तो तूने अपने बंधु को फिर जीत लिया।

मत्ती 6:14-15

यदि तुम लोगों के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्ग-पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।

किन्तु यदि तुम लोगों को क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा परम-पिता भी तुम्हारे पापों के लिए क्षमा नहीं देगा।

रोमियों 12:18

जहाँ तक बन पड़े सब मनुष्यों के साथ शान्ति से रहो।

भजन संहिता 133:1

परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे। यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।

कुलुस्सियों 3:13

तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया।

रोमियों 12:9

तुम्हारा प्रेम सच्चा हो। बुराई से घृणा करो। नेकी से जुड़ो।

इफिसियों 4:32

परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।

मत्ती 6:14

यदि तुम लोगों के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्ग-पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।

भजन संहिता 86:5

हे स्वामी, तू दयालु और खरा है। तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं।

मीका 7:18

तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है। तू पापी जनों को क्षमा कर देता है। तू अपने बचे हुये लोगों के पापों को क्षमा करता है। यहोवा सदा ही क्रोधित नहीं रहेगा, क्योंकि उसको दयालु ही रहना भाता है।

मरकुस 11:25

और जब कभी तुम प्रार्थना करते खड़े होते हो तो यदि तुम्हें किसी से कोई शिकायत है तो उसे क्षमा कर दो ताकि स्वर्ग में स्थित तुम्हारा परम पिता तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें भी क्षमा कर दे।”

प्रेरितों के काम 13:38-39

सो हे भाईयों, तुम्हें जान लेना चाहिये कि यीशु के द्वारा ही पापों की क्षमा का उपदेश तुम्हें दिया गया है। और इसी के द्वारा हर कोई जो विश्वासी है, उन पापों से छुटकारा पा सकता है, जिनसे तुम्हें मूसा की व्यवस्था छुटकारा नही दिला सकती थी।

इफिसियों 1:7

उसकी बलिदानी मृत्यु के द्वारा अब हम अपने पापों से छुटकारे का आनन्द ले रहे हैं। उसके सम्पन्न अनुग्रह के कारण हमें हमारे पापों की क्षमा मिलती है। अपने उसी प्रेम के अनुसार जिसे वह मसीह के द्वारा हम पर प्रकट करना चाहता था।

मत्ती 6:12

अपराधों को क्षमा दान कर जैसे हमने अपने अपराधी क्षमा किये।

प्रेरितों के काम 3:19

इसलिये तुम अपना मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप धुल जायें।

लूका 6:37

“किसी को दोषी मत कहो तो तुम्हें भी दोषी नहीं कहा जायेगा। किसी का खंडन मत करो तो तुम्हारा भी खंडन नहीं किया जायेगा। क्षमा करो, तुम्हें भी क्षमा मिलेगी।

लूका 7:47

इसीलिये मैं तुझे बताता हूँ कि इसका अगाध प्रेम दर्शाता है कि इसके बहुत से पाप क्षमा कर दिये गये हैं। किन्तु वह जिसे थोड़े पापों की क्षमा मिली, वह थोड़ा प्रेम करता है।”

लूका 17:3

सावधान रहो! “यदि तुम्हारा भाई पाप करे तो उसे डाँटो और यदि वह अपने किये पर पछताये तो उसे क्षमा कर दो।

प्रेरितों के काम 13:38

सो हे भाईयों, तुम्हें जान लेना चाहिये कि यीशु के द्वारा ही पापों की क्षमा का उपदेश तुम्हें दिया गया है। और इसी के द्वारा हर कोई जो विश्वासी है, उन पापों से छुटकारा पा सकता है, जिनसे तुम्हें मूसा की व्यवस्था छुटकारा नही दिला सकती थी।

नीतिवचन 10:12

दुष्ट के मुख से घृणा भेद—भावों को उत्तेजित करती है जबकि प्रेम सब दोषों को ढक लेता है।

गलातियों 6:1

हे भाईयों, तुममें से यदि कोई व्यक्ति कोई पाप करते पकड़ा जाए तो तुम आध्यात्मिक जनों को चाहिये कि नम्रता के साथ उसे धर्म के मार्ग पर वापस लाने में सहायता करो। और स्वयं अपने लिये भी सावधानी बरतो कि कहीं तुम स्वयं भी किसी परीक्षा में न पड़ जाओ।

1 पतरस 3:8

अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।

लूका 17:3-4

सावधान रहो! “यदि तुम्हारा भाई पाप करे तो उसे डाँटो और यदि वह अपने किये पर पछताये तो उसे क्षमा कर दो।

उस दिन भी जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा, ठीक ऐसा ही होगा।

“उस दिन यदि कोई व्यक्ति छत पर हो और उसका सामान घर के भीतर हो तो उसे लेने वह नीचे न उतरे। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति खेत में हो तो वह पीछे न लौटे।

लूत की पत्नी को याद करो,

“जो कोई अपना जीवन बचाने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा और जो अपना जीवन खोयेगा, वह उसे बचा लेगा।

मैं तुम्हें बताता हूँ, उस रात एक चारपाई पर जो दो मनुष्य होंगे, उनमें से एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।

दो स्त्रियाँ जो एक साथ चक्की पीसती होंगी, उनमें से एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।”

फिर यीशु के शिष्यों ने उससे पूछा, “हे प्रभु, ऐसा कहाँ होगा?” उसने उनसे कहा, “जहाँ लाश पड़ी होगी, गिद्ध भी वहीं इकट्ठे होंगे।”

यदि हर दिन वह तेरे विरुद्ध सात बार पाप करे और सातों बार लौटकर तुझसे कहे कि मुझे पछतावा है तो तू उसे क्षमा कर दे।”

1 पतरस 4:8

और सबसे बड़ी बात यह है कि एक दूसरे के प्रति निरन्तर प्रेम बनाये रखो क्योंकि प्रेम से अनगिनत पापों का निवारण होता है।

याकूब 5:16

इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है।

नीतिवचन 17:9

वह जो बुरी बात पर पर्दा डाल देता है, उघाड़ता नहीं है, प्रेम को बढ़ाता है। किन्तु जो बात को उघाड़ता ही रहता है, गहरे दोस्तों में फूट डाल देता है।

भजन संहिता 103:12

परमेश्वर ने हमारे पापों को हमसे इतनी ही दूर हटाया जितनी पूरब कि दूरी पश्चिम से है।

1 पतरस 3:7

ऐसे ही हे पतियों, तुम अपनी पत्नियों के साथ समझदारी पूर्वक रहो। उन्हें निर्बल समझ कर, उनका आदर करो। जीवन के वरदान में उन्हें अपना सह उत्तराधिकारी भी मानो ताकि तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न पड़े।

रोमियों 15:7

इसलिए एक दूसरे को अपनाओ जैसे तुम्हें मसीह ने अपनाया। यह परमेश्वर की महिमा के लिए करो।

फिलिप्पियों 2:3-4

ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।

क्योंकि मसीह के काम के लिये वह लगभग मर गया था ताकि तुम्हारे द्वारा की गयी मेरी सेवा में जो कभी रह गई थी, उसे वह पूरा कर दे, इसके लिये उसने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

तुममें से हर एक को चाहिए कि केवल अपना ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।

मत्ती 5:23-24

“इसलिये यदि तू वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहा है और वहाँ तुझे याद आये कि तेरे भाई के मन में तेरे लिए कोई विरोध है

तो तू उपासना की भेंट को वहीं छोड़ दे और पहले जा कर अपने उस बन्धु से सुलह कर। और फिर आकर भेंट चढ़ा।

भजन संहिता 103:10-12

हम ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किये, किन्तु परमेश्वर हमें दण्ड नहीं देता जो हमें मिलना चाहिए।

अपने भक्तों पर परमेश्वर का प्रेम वैसे महान है जैसे धरती पर है ऊँचा उठा आकाश।

परमेश्वर ने हमारे पापों को हमसे इतनी ही दूर हटाया जितनी पूरब कि दूरी पश्चिम से है।

2 कुरिन्थियों 2:5-8

किन्तु यदि किसी ने मुझे कोई दुःख पहुँचाया है तो वह मुझे ही नहीं, बल्कि किसी न किसी मात्रा में तुम सब को पहुँचाया है।

ऐसे व्यक्ति को तुम्हारे समुदाय ने जो दण्ड दे दिया है, वही पर्याप्त है।

इसलिए तुम तो अब उसके विपरीत उसे क्षमा कर दो और उसे प्रोत्साहित करो ताकि वह कहीं बढ़े चढ़े दुःख में ही डूब न जाये।

इसलिए मेरी तुमसे विनती है कि तुम उसके प्रति अपने प्रेम को बढ़ाओ।

इफिसियों 3:14-15

इसलिए मैं परमपिता के आगे झुकता हूँ।

उसी से स्वर्ग में या धरती पर के सभी वंश अपने अपने नाम ग्रहण करते हैं।

इब्रानियों 12:14-15

सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा।

इस बात का ध्यान रखो कि परमेश्वर के अनुग्रह से कोई भी विमुख न हो जाए और तुम्हें कष्ट पहुँचाने तथा बहुत लोगों को विकृत करने के लिए कोई झगड़े की जड़ न फूट पड़े।

इफिसियों 5:21

मसीह के प्रति सम्मान के कारण एक दूसरे को समर्पित हो जाओ।

नीतिवचन 19:11

अगर मनुष्य बुद्धिमान हो उसकी बुद्धि उसे धीरज देती है। जब वह उन लोगों को क्षमा करता है जो उसके विरूद्ध हो, तो अच्छा लगता है।

1 यूहन्ना 1:9

यदि हम अपने पापों को स्वीकार कर लेते हैं तो हमारे पापों को क्षमा करने के लिए परमेश्वर विश्वसनीय है और न्यायपूर्ण है और समुचित है। तथा वह सभी पापों से हमें शुद्ध करता है।

कुलुस्सियों 3:12-14

क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो।

तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया।

इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।

इब्रानियों 12:14

सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा।

रोमियों 12:19

किसी से अपने आप बदला मत लो। मेरे मित्रों, बल्कि इसे परमेश्वर के क्रोध पर छोड़ दो क्योंकि शास्त्र में लिखा है: “प्रभु ने कहा है बदला लेना मेरा काम है। प्रतिदान मैं दूँगा।”

1 कुरिन्थियों 13:5

वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।

रोमियों 12:10

भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।

कुलुस्सियों 3:12

क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो।

गलातियों 5:13

किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।

इफिसियों 4:2-3

सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो।

किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है।

मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है।

जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है।

जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके।

और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।

सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं।

क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो।

शैतान को अपने पर हावी मत होने दो।

जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।

तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।

वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।

भजन संहिता 130:3-4

हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।

हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर। फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।

2 कुरिन्थियों 2:10-11

किन्तु यदि तुम किसी को किसी बात के लिये क्षमा करते हो तो उसे मैं भी क्षमा करता हूँ और जो कुछ मैंने क्षमा किया है (यदि कुछ क्षमा किया है), तो वह मसीह की उपस्थिति में तुम्हारे लिये ही किया है।

ताकि हम शैतान से मात न खा जाये। क्योंकि उसकी चालों से हम अनजान नहीं हैं।

गलातियों 5:13-15

किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।

क्योंकि समूचे व्यवस्था के विधान का सार संग्रह इस एक कथन में ही है: “अपने साथियों से वैसे ही प्रेम करो, जैसे तुम अपने आप से करते हो।”

किन्तु आपस में काट करते हुए यदि तुम एक दूसरे को खाते रहोगे तो देखो! तुम आपस में ही एक दूसरे को समाप्त कर दोगे।

1 कुरिन्थियों 13:4-7

प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।

वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।

बुराई पर कभी उसे प्रसन्नता नहीं होती। वह तो दूसरों के साथ सत्य पर आनंदित होता है।

वह सदा रक्षा करता है, वह सदा विश्वास करता है। प्रेम सदा आशा से पूर्ण रहता है। वह सहनशील है।

इफिसियों 2:14

यहूदी और ग़ैर यहूदी आपस में एक दूसरे से नफ़रत करते थे और अलग हो गये थे। ठीक ऐसे जैसे उन के बीच कोई दीवार खड़ी हो। किन्तु मसीह ने स्वयं अपनी देह का बलिदान देकर नफ़रत की उस दीवार को गिरा दिया।

1 यूहन्ना 4:20-21

यदि कोई कहता है, “मैं परमेश्वर को प्रेम करता हूँ,” और अपने भाई से घृणा करता है तो वह झूठा है। क्योंकि अपने उस भाई को, जिसे उसने देखा है, जब वह प्रेम नहीं करता, तो परमेश्वर को जिसे उसने देखा ही नहीं है, वह प्रेम नहीं कर सकता।

मसीह से हमें यह आदेश मिला है। वह जो परमेश्वर को प्रेम करता है, उसे अपने भाई से भी प्रेम करना चाहिए।

इब्रानियों 10:24-25

तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।

हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।

भजन संहिता 51:10

परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे। मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।

1 तीमुथियुस 2:1-2

सबसे पहले मेरा विशेष रूप से यह निवेदन है कि सबके लिये आवेदन, प्रार्थनाएँ, अनुरोध और सब व्यक्तियों की ओर से धन्यवाद दिए जाएँ।

बल्कि ऐसी स्त्रियों को जो अपने आप को परमेश्वर की उपासिका मानती है, उनके लिए उचित यह है कि वे स्वयं को उत्तम कार्यों से सजायें।

एक स्त्री को चाहिए कि वह शांत भाव से समग्र समर्पण के साथ शिक्षा ग्रहण करे।

मैं यह नहीं चाहता कि कोई स्त्री किसी पुरुष को सिखाए पढ़ाये अथवा उस पर शासन करे। बल्कि उसे तो चुपचाप ही रहना चाहिए।

क्योंकि आदम को पहले बनाया गया था और तब पीछे हव्वा को।

आदम को बहकाया नहीं जा सका था किन्तु स्त्री को बहका लिया गया और वह पाप में पतित हो गयी।

किन्तु यदि वे माता के कर्तव्यों को निभाते हुए विश्वास, प्रेम, पवित्रता और परमेश्वर के प्रति समर्पण में बनी रहें तो उद्धार को अवश्य प्राप्त करेंगी।

शासकों और सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिये जाएँ। ताकि हम चैन के साथ शांतिपूर्वक सम्पूर्ण श्रद्धा और परमेश्वर के प्रति सम्मान से पूर्ण जीवन जी सकें।

1 तीमुथियुस 1:15

यह कथन सत्य है और हर किसी के स्वीकार करने योग्य है कि यीशु मसीह इस संसार में पापियों का उद्धार करने के लिए आया है। फिर मैं तो सब से बड़ा पापी हूँ।

1 यूहन्ना 3:11

यह उपदेश तुमने आरम्भ से ही सुना है कि हमें परस्पर प्रेम रखना चाहिए।

रोमियों 13:10

प्रेम अपने साथी का बुरा कभी नहीं करता। इसलिए प्रेम करना व्यवस्था के विधान को पूरा करना है।

मत्ती 5:9

धन्य हैं वे जो शान्ति के काम करते हैं। क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे।

नीतिवचन 21:21

जो जन नेकी और प्रेम का पालन करता है, वह जीवन, सम्पन्नता और समादर को प्राप्त करता है।

लूका 11:4

हमारे अपराध क्षमा कर, क्योंकि हमने भी अपने अपराधी को क्षमा किया, और हमें कठिन परीक्षा में मत पड़ने दे।’”

भजन संहिता 51:1-2

हे परमेश्वर, अपनी विशाल प्रेमपूर्ण अपनी करूण से मुझ पर दया कर। मेरे सभी पापों को तू मिटा दे।

परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे। मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।

अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा, और मुझसे मत छीन।

वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें। मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को और तेरा आदेश मानने को।

मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा, जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे।

हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें। मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता, मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है

हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ।

जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है। वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं।

हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं। हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।

हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन। तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर।

तू उत्तम बलियों का और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा। लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे।

हे परमेश्वर, मेरे अपराध मुझसे दूर कर। मेरे पाप धो डाल, और फिर से तू मुझको स्वच्छ बना दे।

2 तीमुथियुस 2:24-26

और प्रभु के सेवक को तो झगड़ना ही नहीं चाहिए। उसे तो सब पर दया करनी चाहिए। उसे शिक्षा देने में योग्य होना चाहिए। उसे सहनशील होना चाहिए।

उसे अपने विरोधियों को भी इस आशा के साथ कि परमेश्वर उन्हें भी मन फिराव करने की शक्ति देगा, विनम्रता के साथ समझाना चाहिए। ताकि उन्हें भी सत्य का ज्ञान हो जाये

और वे सचेत होकर शैतान के उस फन्दे से बच निकलें जिसमें शैतान ने उन्हें जकड़ रखा है ताकि वे परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण कर सकें।

कुलुस्सियों 1:13-14

परमेश्वर ने अन्धकार की शक्ति से हमारा उद्धार किया और अपने प्रिय पुत्र के राज्य में हमारा प्रवेश कराया।

उस पुत्र द्वारा ही हमें छुटकारा मिला है यानी हमें मिली है हमारे पापों की क्षमा।

फिलिप्पियों 2:2-4

तो मुझे पूरी तरह प्रसन्न करो। मैं चाहता हूँ, तुम एक तरह से सोचो, परस्पर एक जैसा प्रेम करो, आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।

क्योंकि दूसरा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसकी भावनाएँ मेरे जैसी हों और जो तुम्हारे कल्याण के लिये सच्चे मन से चिंतित हो।

क्योंकि और सभी अपने-अपने कामों में लगे हैं। यीशु मसीह के कामों में कोई नहीं लगा है।

तुम उसके चरित्र को जानते हो कि सुसमाचार के प्रचार में मेरे साथ उसने वैसे ही सेवा की है, जैसे एक पुत्र अपने पिता के साथ करता है।

सो मुझे जैसे ही यह पता चलेगा कि मेरे साथ क्या कुछ होने जा रहा है मैं उसे तुम्हारे पास भेज देने की आशा रखता हूँ।

और मेरा विश्वास है कि प्रभु की सहायता से मैं भी जल्दी ही आऊँगा।

मैं यह आवश्यक समझता हूँ कि इपफ्रुदीतुस को तुम्हारे पास भेजूँ जो मेरा भाई है, साथी कार्यकर्ता है और सहयोगी कर्म वीर है तथा मुझे आवश्यकता पड़ने पर मेरी सहायता के लिये तुम्हारा प्रतिनिधि रहा है,

क्योंकि वह तुम सब के लिये व्याकुल रहा करता था और इससे बहुत चिन्तित था कि तुमने यह सुना था कि वह बीमार पड़ गया था।

हाँ, वह बीमार तो था, और वह भी इतना कि जैसे मर ही जायेगा। किन्तु परमेश्वर ने उस पर अनुग्रह किया (न केवल उस पर बल्कि मुझ पर भी) ताकि मुझे दुख पर दुख न मिले।

इसीलिए मैं उसे और भी तत्परता से भेज रहा हूँ ताकि जब तुम उसे देखो तो एक बार फिर प्रसन्न हो जाओ और मेरा दुःख भी जाता रहे।

इसलिए प्रभु में बड़ी प्रसन्नता के साथ उसका स्वागत करो और ऐसे लोगों का आधिकाधिक आदर करते रहो।

ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।

क्योंकि मसीह के काम के लिये वह लगभग मर गया था ताकि तुम्हारे द्वारा की गयी मेरी सेवा में जो कभी रह गई थी, उसे वह पूरा कर दे, इसके लिये उसने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

तुममें से हर एक को चाहिए कि केवल अपना ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।

ईश्वर से प्रार्थना

हे दयालु और विश्वासपात्र प्रभु, सारा मान और सम्मान आपको ही समर्पित! मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के माध्यम से आपके चरणों में आई/आया हूँ, ये विनती करने कि आप अपना राज्य मेरे परिवार पर स्थापित करें। प्रभु यीशु, मेरे परिवार के हृदयों में जो घाव कलह, झगड़ों और विवादों से हुए हैं, उन्हें भर दीजिये। हमें एक-दूसरे को प्रेम से सहने की शिक्षा दीजिये, ताकि आपकी शांति और एकता हम पर राज करे। आपकी वाणी कहती है: तब पतरस ने उसके पास आकर कहा; हे प्रभु, मेरा भाई मेरे विरुद्ध कितनी बार पाप करे और मैं उसे क्षमा करूँ? क्या सात बार तक? यीशु ने उससे कहा, मैं तुझसे कहता हूँ, सात बार तक नहीं, परन्तु सत्तर गुणा सात बार तक। हे पिता, हम एक परिवार के रूप में हर दिन क्षमा और मेल-मिलाप का अभ्यास कर सकें। हम परिवर्तन के दूत बनें और जहाँ भी जाएँ, दूसरों के लिए प्रेरणा बनें। हम आपके वचन के प्रति समर्पित परिवार बन सकें, और अपने पड़ोसियों के साथ भी उसी प्रेम और क्षमा को बाँट सकें और उनकी सेवा कर सकें। यीशु के नाम में, आमीन।