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1 कुरिन्थियों 13:5 - पवित्र बाइबल

5 वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।

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Hindi Holy Bible

5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 प्रेम अशोभनीय व्‍यवहार नहीं करता। वह अपना स्‍वार्थ नहीं खोजता। प्रेम न तो झुंझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 वह अनुचित व्यवहार नहीं करता, अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुराई का लेखा नहीं रखता;

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सरल हिन्दी बाइबल

5 अशोभनीय नहीं, स्वार्थी नहीं, झुंझलाता भी नहीं और क्रोधी भी नहीं है.

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1 कुरिन्थियों 13:5
37 क्रॉस रेफरेंस  

किन्तु अम्मोनी प्रमुखों ने अपने स्वामी हानून से कहा, “क्या आप समझते हैं कि दाऊद कुछ व्यक्तियों को आपके पास सांत्वना देने के लिये भेजकर आपके पिता को सम्मान देने का प्रयत्न कर रहा है? नहीं! दाऊद ने इन व्यक्तियों को आपके नगर के बारे में गुप्त रूप से जानने और समझने के लिये भेजा है। वे आपके विरुद्ध युद्ध की योजना बना रहे हैं।”


“किन्तु मैं जानता हूँ कि तू क्या सोच रहा है, और मुझको पता है कि तेरे पास मेरा बुरा करने को कुचक्र है।


ऐसा मनुष्य जिसे शीघ्र क्रोध आता है, वह मूर्खतापूर्ण काम कर जाता है और वह मनुष्य जो छल—छंदी होता है वह तो घृणा सब ही की पाता है।


हर व्यक्ति आपस में एक दूसरे के विरुद्ध हो जायेगा। नवयुवक बड़े बूढ़ों का आदर नहीं करेंगे। साधारण लोग महत्वपूर्ण लोगों को आदर नहीं देंगे।”


जब यहोवा ने मुझे दिखाया कि लोग मेरे विरुद्ध हैं इसके पहले मैं उस भोले मेमने के समान था जो काट दिये जाने की प्रतीक्षा में हो। मैं नहीं समझता था कि वे मेरे विरुद्ध हैं। वे मेरे बारे में यह कह रहे थे: “आओ, हम लोग पेड़ और उसके फल को नष्ट कर दें। आओ हम उसे मार डालें। तब लोग उसे भूल जाएंगे।”


(मूसा बहुत विनम्र व्यक्ति था। वह न डींग हाँकता था। न शेखी बघारता था। वह धरती पर के किसी व्यक्ति से अधिक विनम्र था।)


इसलिए मूसा बहुत क्रोधित हो गया। उसने यहोवा से कहा, “इनकी भेंटें स्वीकार न कर! मैंने इनसे कुछ नहीं लिया है एक गधा तक नहीं और मैंने इनमें से किसी का बुरा नहीं किया है।”


मूसा ने रूबेन और गाद के परिवार समूह से पूछा, “क्या तुम लोग यहाँ बसोगे और अपने भाईयों को यहाँ से जाने और युद्ध करने दोगे? तुम लोग इस्राएल के लोगों को निरूत्साहित क्यों करना चाहते हो?


किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि जो व्यक्ति अपने भाई पर क्रोध करता है, उसे भी अदालत में इसके लिये उत्तर देना होगा और जो कोई अपने भाई का अपमान करेगा उसे सर्वोच्च संघ के सामने जवाब देना होगा और यदि कोई अपने किसी बन्धु से कहे ‘अरे असभ्य, मूर्ख।’ तो नरक की आग के बीच उस पर इसकी जवाब देही होगी।


यीशु, क्योंकि जानता था कि वे क्या सोच रहे हैं, उनसे बोला, “तुम अपने मन में बुरे विचार क्यों आने देते हो?


फिर यीशु ने क्रोध में भर कर चारों ओर देखा और उनके मन की कठोरता से वह बहुत दुखी हुआ। फिर उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने हाथ बढ़ाया, उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया।


उस फ़रीसी ने जिसने यीशु को अपने घर बुलाया था, यह देखकर मन ही मन सोचा, “यदि यह मनुष्य नबी होता तो जान जाता कि उसे छूने वाली यह स्त्री कौन है और कैसी है? वह जान जाता कि यह तो पापिन है।”


किसी को भी मात्र स्वार्थ की ही चिन्ता नहीं करनी चाहिये बल्कि औरों के परमार्थ की भी सोचनी चाहिये।


जैसे स्वयं हर प्रकार से हर किसी को प्रसन्न रखने का जतन करता हूँ, और बिना यह सोचे कि मेरा स्वार्थ क्या है, परमार्थ की सोचता हूँ ताकि उनका उद्धार हो।


सबसे पहले यह कि मैंने सुना है कि तुम लोग सभा में जब परस्पर मिलते हो तो तुम्हारे बीच मतभेद रहता है। कुछ अंश तक मैं इस पर विश्वास भी करता हूँ।


ताकि देह में कहीं कोई फूट न पड़े बल्कि देह के अंग परस्पर एक दूसरे का समान रूप से ध्यान रखें।


यदि कोई सोचता है कि वह अपनी युवा हो चुकी कुँवारी प्रिया के प्रति उचित नहीं कर रहा है और यदि उसकी कामभावना तीव्र है, तथा दोनों को ही आगे बढ़ कर विवाह कर लेने की आवश्यकता है, तो जैसा वह चाहता है, उसे आगे बढ़ कर वैसा कर लेना चाहिये। वह पाप नहीं कर रहा है। उन्हें विवाह कर लेना चाहिये।


हमारा संदेश है कि परमेश्वर लोगों के पापों की अनदेखी करते हुए मसीह के द्वारा उन्हें अपने में मिला रहा है और उसी ने मनुष्य को परमेश्वर से मिलाने का संदेश हमें सौंपा है।


किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।


क्योंकि और सभी अपने-अपने कामों में लगे हैं। यीशु मसीह के कामों में कोई नहीं लगा है।


हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा


मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तुम तो स्वयं ही जानते हो कि तुम्हें हमारा अनुकरण कैसे करना चाहिए क्योंकि तुम्हारे बीच रहते हुए हम कभी आलसी नहीं रहे।


इसी कारण परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिये मैं हर दुःख उठाता रहता हूँ ताकि वे भी मसीह यीशु में प्राप्त होने वाले उद्धार को अनन्त महिमा के साथ प्राप्त कर सकें।


प्रारम्भ में जब मैं अपना बचाव प्रस्तुत करने लगा तो मेरे पक्ष में कोई सामने नहीं आया। बल्कि उन्होंने तो मुझे अकेला छोड़ दिया था। परमेश्वर करे उन्हें इसका हिसाब न देना पड़े।


हे मेरे प्रिय भाईयों, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो।


हमारे पर का पालन करें:

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