कभी सोचा है, ईर्ष्या कैसे हमें खुशी से दूर कर देती है? कैसे ये एहसास हमें अंदर ही अंदर खोखला कर देता है? दूसरों के पास जो है, उसके लिए दुखी होना, बेचैनी महसूस करना, क्या यही ज़िंदगी है?
ये एक ऐसी बेचैनी है, जो हमें अंदर ही अंदर खाए जाती है। हम कृतघ्न हो जाते हैं, उस रचयिता के प्रति जिसने हमें जीवन दिया है। भले ही परमेश्वर हमें बहुत कुछ देता है, फिर भी हम दूसरों की चीज़ों पर नज़र रखते हैं। कभी-कभी तो इतनी ईर्ष्या हो जाती है कि हम दूसरों की तरक्की भी नहीं देख पाते।
शायद तुम्हें लगे कि ये कोई छोटी-मोटी बात है, लेकिन ये छोटी सी ईर्ष्या एक बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है। ये हमें परमेश्वर की नज़रों में गलत काम करने पर मजबूर कर सकती है। अगर तुम भी इस बोझ तले दबे हो, तो यीशु को पुकारो। वही तुम्हें सच्ची आज़ादी दे सकता है।
ये ईर्ष्या एक भारी बोझ है, जिसे परमेश्वर तुम्हें ढोते नहीं देखना चाहते। अपने पड़ोसियों के पास जो है, उसकी इच्छा मत करो। दूसरों पर आने वाले आशीर्वाद देखकर दुखी मत हो। तुम्हें बस यीशु से जुड़ना है, जो आशीर्वाद का स्रोत हैं।
बाइबल ईर्ष्या के बारे में साफ कहती है कि परमेश्वर को ये पसंद नहीं है। बाइबल कहती है, "दिन की तरह चलें; न तो पेट भर खाओ, न पियो, न व्यभिचार करो, न लुचपन करो, न झगड़ा करो, न ईर्ष्या करो, परन्तु प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाएँ पूरी करने की चिन्ता न करो" (रोमियों 13:13-14)।
पवित्र शास्त्र बताता है कि ईर्ष्या शरीर का काम है, और इससे बचने का एक ही रास्ता है, पवित्र आत्मा में जीवन जीना। अगर तुम आगे नहीं बढ़ पा रहे हो, तो इसकी वजह यही है कि तुमने पवित्र आत्मा को अपना जीवन चलाने नहीं दिया। मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि पवित्र आत्मा को खुद को बदलने दो, ताकि तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो जाओ और अपने जीवन के हर पल का आनंद लो।
वे हर तरह के अधर्म, पाप, लालच और वैर से भर गये। वे डाह, हत्या, लड़ाई-झगड़े, छल-छद्म और दुर्भावना से भरे हैं। वे दूसरों का सदा अहित सोचते हैं। वे कहानियाँ घड़ते रहते हैं।
तू अपने मन को पापपूर्ण व्यक्तियों से ईर्ष्या मत करने दे, किन्तु तू यहोवा से डरने का जितना प्रयत्न कर सके, कर।
यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।
जब मैंने देखा कि पापी सफल हो रहे हैं और शांति से रह रहे हैं, तो उन अभिमानी लोगों से मुझको जलन हुयी।
प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।
यह सत्य है कि उनमें से कुछ ईर्ष्या और बैर के कारण मसीह का उपदेश देते हैं किन्तु दूसरे लोग सदभावना से प्रेरित होकर मसीह का उपदेश देते हैं।
“दूसरे लोगों की चीज़ों को लेने की इच्छा तुम्हें नहीं करनी चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी का घर, उसकी पत्नी, उसके सेवक और सेविकाओं, उसकी गायों, उसके गधों को लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तुम्हें किसी की भी चीज़ को लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए।”
इसलिए सभी बुराइयों, छल-छद्मों, पाखण्ड तथा वैर-विरोधों और परस्पर दोष लगाने से बचे रहो।नवजात बच्चों के समान शुद्ध आध्यात्मिक दूध के लिए लालायित रहो ताकि उससे तुम्हारा विकास और उद्धार हो।
तुम लोग चाहते तो हो किन्तु तुम्हें मिल नहीं पाता। तुम में ईर्ष्या है और तुम दूसरों की हत्या करते हो, फिर भी जो चाहते हो, प्राप्त नहीं कर पाते। और इसलिए लड़ते झगड़ते हो। अपनी इच्छित वस्तुओं को तुम प्राप्त नहीं कर पाते क्योंकि तुम उन्हें परमेश्वर से नहीं माँगते।
मूर्ति पूजा, जादू-टोना, बैर भाव, लड़ाई-झगड़ा, डाह, क्रोध, स्वार्थीपन, मतभेद, फूट, ईर्ष्या,
तो वह अहंकार में फूला है तथा कुछ भी नहीं जानता है। वह तो कुतर्क करने और शब्दों को लेकर झगड़ने के रोग से घिरा है। इन बातों से तो ईर्ष्या, बैर, निन्दा-भाव तथा गाली-गलौज
यूसुफ के भाइयों ने देखा कि उनका पिता उनकी अपेक्षा यूसुफ को अधिक प्यार करता है। वे इसी कारण अपने भाई से घृणा करते थे। वे यूसुफ से अच्छी तरह बात नहीं करते थे।
मेरी सहायता कर कि मैं तेरे वाचा का मनन करूँ, बजाय उसके कि यह सोचता रहूँ कि कैसे धनवान बनूँ।
उस समय एप्रैम (इस्राएल) यहूदा से जलन नहीं रखेगा। यहूदा का कोई शत्रु नहीं बचेगा। यहूदा एप्रैम के लिये कोई कष्ट पैदा नहीं करेगा।
यहोवा पर भरोसा रख और उसके सहारे की बाट जोह। तू दुष्टों की सफलता देखकर घबराया मत कर। तू दुष्टों की दुष्ट योजनाओं को सफल होते देख कर मत घबरा।
तुम लोग चाहते तो हो किन्तु तुम्हें मिल नहीं पाता। तुम में ईर्ष्या है और तुम दूसरों की हत्या करते हो, फिर भी जो चाहते हो, प्राप्त नहीं कर पाते। और इसलिए लड़ते झगड़ते हो। अपनी इच्छित वस्तुओं को तुम प्राप्त नहीं कर पाते क्योंकि तुम उन्हें परमेश्वर से नहीं माँगते।और जब माँगते भी हो तो तुम्हारा उद्देश्य अच्छा नहीं होता। क्योंकि तुम उन्हें अपने भोग-विलास में ही उड़ाने को माँगते हो।
एक क्रूर शासक में न्याय को कमी होती है। किन्तु जो बुरे मार्ग से आये हुए धन से घृणा करता है, दीर्घ आयु भोगता है।
कुटिल जन उसको देखेंगे और कुपित होंगे। वे क्रोध में अपने दाँतों को पीसेंगे और फिर लुप्त हो जायेंगे। दुष्ट लोग उसको कभी नहीं पायेंगे जिसे वह सब से अधिक पाना चाहते हैं।
इसलिए हम वैसे ही उत्तम रीति से रहें जैसे दिन के समय रहते हैं। बहुत अधिक दावतों में जाते हुए खा पीकर धुत्त न हो जाओ। लुच्चेपन दुराचार व्यभिचार में न पड़ें। न झगड़ें और न ही डाह रखें।
क्योंकि तुम अभी तक सांसारिक हो। क्या तुम सांसारिक नहीं हो? जबकि तुममें आपसी ईर्ष्या और कलह मौजूद है। और तुम सांसारिक व्यक्तियों जैसा व्यवहार करते हो।
मुझे लज्जित मत होने दे, और मुझको असमंजस में मत डाल। मैंने तेरी वाचा का पालन किया है।
दुष्ट लोग सज्जनों के लिये कुचक्र रचते हैं। दुष्ट जन सज्जनों के ऊपर दाँत पीसकर दिखाते हैं कि वे क्रोधित हैं।किन्तु हमारा स्वामी उन दुर्जनों पर हँसता है। वह उन बातों को देखता है जो उन पर पड़ने को है।
किसी दूसरे देवता की पूजा न करो। मैं यहोवा (कना) जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ। यह मेरा नाम है। मैं (एलकाना) जल उठने वाला परमेश्वर हूँ।
बुद्धिमान स्त्री अपना घर बनाती है किन्तु मूर्ख स्त्री अपने ही हाथों से अपना घर उजाड़ देती है।
किसी व्यक्ति के मर जाने के बाद उसका प्रेम, घृणा और ईर्ष्या सब समाप्त हो जाते हैं। मरा हुआ व्यक्ति संसार में जो कुछ हो रहा है, उसमें कभी हिस्सा नहीं बँटाता।
बुरे लोगों के एक दल ने मेरे विषय में बुरी बातें कहीं। किन्तु यहोवा मैं तेरी शिक्षाओं को भूला नहीं।
“तुझे हराने के लिए लोग हथियार बनायेंगे किन्तु वे हथियार तुझे कभी हरा नहीं पायेंगे। कुछ लोग तेरे विरोध में बोलेंगे। किन्तु हर ऐसे व्यक्ति को बुरा प्रमाणित किया जायेगा जो तेरे विरोध में बोलेगा।” यहोवा कहता है, “यहोवा के सेवकों को क्या मिलता है उन्हें न्यायिक विजय मिलती है। यह उन्हें मुझसे मिलती हैं।”
यूसुफ के भाई उससे लगातार इर्षा करते रहे। किन्तु यूसुफ के पिता ने इन सभी बातों के बारे में बहुत गहराई से विचार किया और सोचा कि उनका अर्थ क्या होगा?
किन्तु यदि तेरी आँख बुरी हो जाए तो तेरा सारा शरीर अंधेरे से भर जायेगा। इसलिये वह एकमात्र प्रकाश जो तेरे भीतर है यदि अंधकारमय हो जाये तो वह अंधेरा कितना गहरा होगा।
दुष्ट जन उन वस्तुओं पर गर्व करते हैं, जिनकी उन्हें अभिलाषा है और लालची जन परमेश्वर को कोसते हैं। इस प्रकार दुष्ट दर्शाते हैं कि वे यहोवा से घृणा करते हैं।
मैं अज्ञान था। मैंने धनिकों और दुष्ट लोगों पर विचारा, और मैं व्याकुल हो गया। हे परमेश्वर, मैं तुझ पर क्रोधित हुआ! मैं निर्बुद्धि जानवर सा व्यवहार किया।
हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है।फिर जब वह इच्छा गर्भवती होती है तो पाप पूरा बढ़ जाता है और वह मृत्यु को जन्म देता है।
मेरा यहोवा से निवेदन है, “यहोवा, तू मेरा स्वामी है। मेरे पास जो कुछ उत्तम है वह सब तुझसे ही है।”
वे पर निन्दक हैं, और परमेश्वर से घृणा करते हैं। वे उद्दण्ड हैं, अहंकारी हैं, बड़बोला हैं, बुराई के जन्मदाता हैं, और माता-पिता की आज्ञा नहीं मानते।
किन्तु आपस में काट करते हुए यदि तुम एक दूसरे को खाते रहोगे तो देखो! तुम आपस में ही एक दूसरे को समाप्त कर दोगे।
यदि यह मेरा शत्रु होता और मुझे नीचा दिखाता तो मैं इसे सह लेता। यदि ये मेरे शत्रु होते, और मुझ पर वार करते तो मैं छिप सकता था।ओ! मेरे साथी, मेरे सहचर, मेरे मित्र, यह किन्तु तू है और तू ही मुझे कष्ट पहूँचाता है।हमने आपस में राज की बातें बाँटी थी। हमने परमेश्वर के मन्दिर में साथ—साथ उपासना की।
दुर्जनों से मत घबरा, जो बुरा करते हैं ऐसे मनुष्यों से ईर्ष्या मत रख।दुर्जन मनुष्य घास और हरे पौधों की तरह शीघ्र पीले पड़ जाते हैं और मर जाते हैं।
मेरी तीव्र भावनाएँ मुझे शीघ्र ही नष्ट कर देंगी। मैं बहुत बेचैन हूँ, क्योंकि मेरे शत्रुओं ने तेरे आदेशों को भूला दिया।
सो तू अपने विश्वास में सशक्त भाईपर दोष क्यों लगाता है? या तू अपने विश्वास में निर्बल भाई को हीन क्यों मानता है? हम सभी को परमेश्वर के न्याय के सिंहासन के आगे खड़ा होना है।
किन्तु यदि तुम लोगों के हृदयों में भयंकर ईर्ष्या और स्वार्थ भरा हुआ है, तो अपने ज्ञान का ढोल मत पीटो। ऐसा करके तो तुम सत्य पर पर्दा डालते हुए असत्य बोल रहे हो।ऐसा “ज्ञान” तो ऊपर अर्थात् स्वर्ग से, प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह तो भौतिक है। आत्मिक नहीं है। तथा शैतान का है।
जो कुछ मुठ्ठी भर तुम्हारे पास है उसमें संतुष्ट रहना अच्छा है बजाय इसके कि अधिकाधिक पाने की ललक में जूझते हुए वायु के पीछे दौड़ा जाता रहे।
हे यहोवा, मुझको ऐसे उन लोगों से घृणा है, जो पूरी तरह से तेरे प्रति सच्चे नहीं हैं। मुझको तो तेरी शिक्षाएँ भाति हैं।
विधर्मियों के बीच अपना व्यवहार इतना उत्तम बनाये रखो कि चाहे वे अपराधियों के रूप में तुम्हारी आलोचना करें किन्तु तुम्हारे उत्तम कर्मों के परिणाम स्वरूप परमेश्वर के आने के दिन वे परमेश्वर को महिमा प्रदान करें।
अपने कर्म का मूल्यांकन हर किसी को स्वयं करते रहना चाहिये। ऐसा करने पर ही उसे अपने आप पर, किसी दूसरे के साथ तुलना किये बिना, गर्व करने का अवसर मिलेगा।
अहंकार केवल झगड़ों को पनपाता है किन्तु जो सम्मति की बात मानता है, उनमें ही विवेक पाया जाता है।
किन्तु वे जो धनवान बनना चाहते हैं, प्रलोभनों में पड़कर जाल में फँस जाते हैं तथा उन्हें ऐसी अनेक मूर्खतापूर्ण और विनाशकारी इच्छाएँ घेर लेती हैं जो लोगों को पतन और विनाश की खाई में ढकेल देती हैं।क्योंकि धन का प्रेम हर प्रकार की बुराई को जन्म देता है। कुछ लोग अपनी इच्छाओं के कारण ही विश्वास से भटक गए हैं और उन्होंने अपने लिए महान दुख की सृष्टि कर ली है।
अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।”
इसलिये यदि तेरी दाहिनी आँख तुझ से पाप करवाये तो उसे निकाल कर फेंक दे। क्योंकि तेरे लिये यह अच्छा है कि तेरे शरीर का कोई एक अंग नष्ट हो जाये बजाय इसके कि तेरा सारा शरीर ही नरक में डाल दिया जाये।और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट कर फेंक दे। क्योंकि तेरे लिये यह अच्छा है कि तेरे शरीर का एक अंग नष्ट हो जाये बजाय इसके कि तेरा सम्पूर्ण शरीर ही नरक में चला जाये।
यदि शरीर का कोई एक अंग दुख पाता है तो उसके साथ शरीर के और सभी अंग दुखी होते हैं। यदि किसी एक अंग का मान बढ़ता है तो सभी अंग हिस्सा बाटते हैं।
फसल के समय कैन एक भेंट यहोवा के पास लाया। जो अन्न कैन ने अपनी ज़मीन में उपजाया था उसमें से थोड़ा अन्न वह लाया। परन्तु हाबिल अपने जानवरों के झुण्ड में से कुछ जानवर लाया। हाबिल अपनी सबसे अच्छी भेड़ का सबसे अच्छा हिस्सा लाया। यहोवा ने हाबिल तथा उसकी भेंट को स्वीकार किया।परन्तु यहोवा ने कैन तथा उसके द्वारा लाई भेंट को स्वीकार नहीं किया इस कारण कैन क्रोधित हो गया। वह बहुत व्याकुल और निराश हो गया।
लालची मनुष्य अपने घराने पर विपदा लाता है किन्तु वही जीवित रहता है जो जन घूस से घृणा भाव रखता है।
और क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को पहचानने से मना कर दिया सो परमेश्वर ने उन्हें कुबुद्धि के हाथों सौंप दिया। और ये ऐसे अनुचित काम करने लगे जो नहीं करने चाहिये थे।
तुम्हारे बीच लड़ाई-झगड़े क्यों होते हैं? क्या उनका कारण तुम्हारे अपने ही भीतर नहीं है? तुम्हारी वे भोग-विलासपूर्ण इच्छाएँ ही जो तुम्हारे भीतर निरन्तर द्वन्द्व करती रहती हैं, क्या उन्हीं से ये पैदा नहीं होते?
मैं अज्ञान था। मैंने धनिकों और दुष्ट लोगों पर विचारा, और मैं व्याकुल हो गया। हे परमेश्वर, मैं तुझ पर क्रोधित हुआ! मैं निर्बुद्धि जानवर सा व्यवहार किया।
झगड़ा शुरू करना ऐसा है जैसे बाँध का टूटना है, इसलिये इसके पहले कि तकरार शुरू हो जाये बात खत्म करो।
थोड़े से भले लोग, दुर्जनों की भीड़ से भी उत्तम है।क्योंकि दुर्जनों को तो नष्ट किया जायेगा। किन्तु भले लोगों का यहोवा ध्यान रखता है।
लोग जो यहोवा की विधान पर चलते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं। अपने समग्र मन से वे यहोवा की मानते हैं।
संसार को अथवा सांसारिक वस्तुओं को प्रेम मत करते रहो। यदि कोई संसार से प्रेम रखता है तो उसके हृदय में परमेश्वर के प्रति प्रेम नहीं है।क्योंकि इस संसार की हर वस्तु: जो तुम्हारे पापपूर्ण स्वभाव को आकर्षित करती है, तुम्हारी आँखों को भाती है और इस संसार की प्रत्येक वह वस्तु, जिस पर लोग इतना गर्व करते हैं। परम पिता की ओर से नहीं है बल्कि वह तो सांसारिक है।
किन्तु जो पर स्त्री से समागम करता है उसके पास तो विवेक का आभाव है। ऐसा जो करता है वह स्वयं को मिटाता है।प्रहार और अपमान उसका भाग्य है। उसका कलंक कभी नहीं धुल पायेगा।ईर्ष्या किसी पति का क्रोध जगाती है और जब वह इसका बदला लेगा तब वह उस पर दया नहीं करेगा।वह कोई क्षति पूर्ति स्वीकार नहीं करेगा और कोई उसे कितना ही बड़ा प्रलोभन दे, उसे वह स्वीकारे बिना ठुकरायेगा!
मैं यह इसलिए कह रहा हूँ, “व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, लालच मत रख।” और जो भी दूसरी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, इस वचन में समा जाती हैं, “तुझे अपने साथी को ऐसे ही प्यार करना चाहिए, जैसे तू अपने आप को करता है।”
उन झूठे लोगों ने मुझको लगभग नष्ट कर दिया है। किन्तु मैंने तेरे आदेशों को नहीं छोड़ा।
क्योंकि बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, दुराचार, चोरी, झूठ और निन्दा जैसी सभी बुराईयाँ मन से ही आती हैं।
किसी को भी मात्र स्वार्थ की ही चिन्ता नहीं करनी चाहिये बल्कि औरों के परमार्थ की भी सोचनी चाहिये।
मुझको दुष्टों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी व्यक्ति ने सहारा नहीं दिया। कुकर्मियों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया।
इसलिए, उन बातों में लगें जो शांति को बढ़ाती हैं और जिनसे एक दूसरे को आत्मिक बढ़ोतरी में सहायता मिलती है।
ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।
धन्य है, वह पुरुष जो यहोवा से सदा डरता है, किन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है, विपत्ति में गिरता है।
यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो। इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है, तो तुम व्यर्थ समय खोते हो। परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।
इसलिये मैंने यह निश्चय किया है कि मैं उनकी जूती उन्हीं के सिर करूँगा। मेरा यह मतलब है कि मैं उनको दण्ड दूँगा उन वस्तुओं को काम में लाते हुये जिनसे वे बहुत डरते हैं। मैंने उन लोगों को पुकारा था किन्तु उन्होंने नहीं सुना। मैंने उनसे बोला था किन्तु उन्होंने सुना ही नहीं। इसलिये अब मैं भी उनके साथ ऐसा ही करूँगा। वे लोग उन सभी बुरे कामों को करते रहे हैं जिनको मैंने बुरा बताया था। उन्होंने ऐसे काम करने को चुने जो मुझको नहीं भाते थे।”
शास्त्र कहता है: “कोई भी धर्मी नहीं, एक भी!कोई समझदार नहीं, एक भी! कोई ऐसा नहीं, जो प्रभु को खोजता!सब भटक गए, वे सब ही निकम्मे बन गए, साथ-साथ सब के सब, कोई भी यहाँ पर दया तो दिखाता नहीं, एक भी नहीं!”
परीक्षा की घड़ी में किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि “परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहा है,” क्योंकि बुरी बातों से परमेश्वर को कोई लेना देना नहीं है। वह किसी की परीक्षा नहीं लेता।हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है।फिर जब वह इच्छा गर्भवती होती है तो पाप पूरा बढ़ जाता है और वह मृत्यु को जन्म देता है।
क्योंकि जहाँ ईर्ष्या और स्वार्थपूर्ण महत्त्वकाँक्षाएँ रहती हैं, वहाँ अव्यवस्था और हर प्रकार की बुरी बातें रहती है।
किन्तु यदि तुम लोगों के हृदयों में भयंकर ईर्ष्या और स्वार्थ भरा हुआ है, तो अपने ज्ञान का ढोल मत पीटो। ऐसा करके तो तुम सत्य पर पर्दा डालते हुए असत्य बोल रहे हो।
अब देखो! हमारे शरीर की पापपूर्ण प्रकृति के कामों को तो सब जानते हैं। वे हैं: व्यभिचार अपवित्रता, भोगविलास,मूर्ति पूजा, जादू-टोना, बैर भाव, लड़ाई-झगड़ा, डाह, क्रोध, स्वार्थीपन, मतभेद, फूट, ईर्ष्या,नशा, लंपटता या ऐसी ही और बातें। अब मैं तुम्हें इन बातों के बारे में वैसे ही चेता रहा हूँ जैसे मैंने तुम्हें पहले ही चेता दिया था कि जो लोग ऐसी बातों में भाग लेंगे, वे परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे।
फिर मैंने सोचा, “लोग इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं?” मैंने देखा है कि लोग सफल होने और दूसरे लोगों से और अधिक ऊँचा होने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है कि लोग ईष्यालु हैं। वे नहीं चाहते कि जितना उनके पास है, दूसरे के पास उससे अधिक हो। यह सब अर्थहीन है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ना।