एलिय्याह ने उत्तर दिया, “यहोवा सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैंने तेरी सेवा सदैव की है। मैंने तेरी सेवा सर्वोत्तम रुप में सदैव यथासम्भव की है। किन्तु इस्राएल के लोगों ने तेरे साथ की गई वाचा तोड़ी है। उन्होंने तेरी वेदियों को नष्ट किया है। उन्होंने तेरे नबियों को मार डाला है। मैं एकमात्र ऐसा नबी हूँ जो जीवित बचा हूँ और अब वे मुझे मार डालना चाहते हैं!”
एलिय्याह ने उत्तर दिया, “यहोवा सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैंने सर्वोत्म यथासम्भव तेरी सेवा की है। किन्तु इस्राएल के लोगों ने तेरे साथ की गई अपनी वाचा तोड़ी है। उन्होंने तेरी वेदियाँ नष्ट कीं। उन्होंने तेरे नबियों को मारा। मैं एकमात्र ऐसा नबी हूँ जो अभी तक जीवित है और अब वे मुझे मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।”
परमेश्वर कहता है, “निश्चय ही, वे दुष्ट सत्य को जानते हैं। किन्तु वे मेरी प्रार्थना नहीं करते। वे दुष्ट लोग मेरे भक्तों को ऐसे नष्ट करने को तत्पर हैं, जैसे वे निज खाना खाने को तत्पर रहते हैं।”
तो वे बहुत क्रोधित हुए। और उससे पूछा, “तू सुनता है वे क्या कह रहे हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ, सुनता हूँ। क्या धर्मशास्त्र में तुम लोगों ने नहीं पढ़ा, ‘तूने बालकों और दूध पीते बच्चों तक से स्तुति करवाई है।’”
यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुमने शास्त्र का वह वचन नहीं पढ़ा: ‘जिस पत्थर को मकान बनाने वालों ने बेकार समझा, वही कोने का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पत्थर बन गया? ऐसा प्रभु के द्वारा किया गया जो हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’
इसलिये तुम लोग जाओ और समझो कि शास्त्र के इस वचन का अर्थ क्या है, ‘मैं बलिदान नहीं चाहता बल्कि दया चाहता हूँ।’ मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को बुलाने आया हूँ।”
यरूशलेम में रहने वालों और उनके शासकों ने यीशु को नहीं पहचाना। और उसे दोषी ठहरा दिया। इस तरह उन्होंने नबियों के उन वचनों को ही पूरा किया जिनका हर सब्त के दिन पाठ किया जाता है।