स्त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया।
सभोपदेशक 2:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जिन वस्तुओं को देखने की मुझे इच्छा हुई, मैंने उन्हें भरपूर नजर से देखा। मैं किसी भी प्रकार के आमोद-प्रमोद से अपना हृदय वंचित नहीं रखता था, क्योंकि मेरा हृदय मेरे परिश्रम के सब कामों में आनन्द लेता था और यही आनन्द मेरे सब परिश्रमों का पुरस्कार था। पवित्र बाइबल मेरी आँखों ने जो कुछ देखा और चाहा उसे मैंने प्राप्त किया। मैं जो कुछ करता, मेरा मन सदा उससे प्रसन्न रहा करता और यह प्रसन्नता मेरे कठिन परिश्रम का प्रतिफल थीं। Hindi Holy Bible और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और जितनी वस्तुओं को देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रुका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला। नवीन हिंदी बाइबल मेरी आँखों ने जो कुछ चाहा उन सब को प्राप्त करने से मैं न रुका; मैंने अपने मन को किसी प्रकार के सुख-विलास से वंचित नहीं रखा। मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनंदित हुआ, और यही मेरे सारे परिश्रम का फल था। सरल हिन्दी बाइबल मेरी आंखों ने जिस किसी चीज़ की इच्छा की; मैंने उन्हें उससे दूर न रखा और न अपने मन को किसी आनंद से; क्योंकि मेरी उपलब्धियों में मेरी संतुष्टि थी, और यही था मेरे परिश्रम का पुरुस्कार. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और जितनी वस्तुओं को देखने की मैंने लालसा की, उन सभी को देखने से मैं न रुका; मैंने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला। |
स्त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया।
तब ईश-पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा कि वे सुन्दर हैं। उन्होंने उनमें से जिन कन्याओं को पसन्द किया, उनको पत्नी बना लिया।
‘मैंने अपनी आंखों के साथ समझौता किया है कि मैं किसी कुंवारी को बुरी नजर से नहीं देखूंगा।
धन-सम्पत्ति चंचल होती है, पलक झपकते वह हाथ से निकल जाती है; मानो उसको पंख उग आते हैं, और वह गरुड़ के समान तीव्र गति से आकाश की ओर उड़ जाती है।
ओ जवान, अपनी जवानी भर आनन्द मना, अपनी जवानी के दिनों में अपना हृदय आनन्द से भर ले। जिस मार्ग पर तेरा दिल तुझे ले जाए, जो मार्ग तेरी आंखों में उचित लगे, उस पर चल। किन्तु यह बात जान ले, तेरे सब कामों के विषय में स्पष्टीकरण के लिए परमेश्वर तुझे कटघरे में खड़ा करेगा।
मैंने अपने हृदय में कहा, “चल, अब मैं भोग-विलास को जांचूंगा, इसलिए मौज कर।” पर मुझे अनुभव हुआ कि भोग-विलास भी निस्सार है।
मनुष्य के लिए इससे अधिक अच्छी बात और कोई नहीं कि वह खाए-पीए और आनन्द के साथ परिश्रम करे। किन्तु मैंने देखा है कि यह भी परमेश्वर के हाथ से प्राप्त होता है।
अत: मुझे ज्ञात हुआ कि मनुष्य के लिए इससे अधिक अच्छी बात और कोई नहीं है कि वह आनन्दपूर्वक अपना काम करे, क्योंकि काम करना ही उसकी नियति है। कौन व्यक्ति किसी की मृत्यु के पश्चात् उसको वापस लाकर भविष्य की बातें दिखा सकता है?
पैसे से प्यार करनेवाला पैसे से कभी सन्तुष्ट नहीं होता; और न ही ऐसा व्यक्ति, जिसे धन से प्रेम है, उसके अधिकाधिक लाभ से सन्तुष्ट होता है। यह भी व्यर्थ है।
उसने व्यर्थ ही परिश्रम किया, उसने अपना सम्पूर्ण जीवन अन्धकार और दु:ख में, चिन्ता और रोग में, असन्तोष में व्यतीत किया।
देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्य परमेश्वर द्वारा दिए गए अपने अल्पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्योंकि यही उसकी नियति है।”
वह बुराई यह है: परमेश्वर मनुष्य को धन-सम्पत्ति और प्रतिष्ठा प्रदान करता है, और मनुष्य को अपनी इच्छा के अनुसार सब कुछ प्राप्त हो जाता है। उसे किसी वस्तु का अभाव नहीं रहता। परन्तु उस मनुष्य को परमेश्वर धन-सम्पत्ति भोगने का सामर्थ्य नहीं देता; बल्कि अनजान व्यक्ति उसकी धन-सम्पत्ति भोगता है। अत: धन-सम्पत्ति निस्सार है, यह भयानक दु:ख की बात है।
आंखों से देख लेना मन की चंचल कामनाओं से उत्तम है। अत: पेट के लिए परिश्रम करना भी निस्सार है, यह मानो हवा को पकड़ना है।
इसलिए मैं लोगों को सलाह देता हूं: आनन्द मनाओ। सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्य के लिए खाने-पीने और आनन्द मनाने के अतिरिक्त और कुछ भी अच्छा नहीं है। जो आयु परमेश्वर ने उसे इस धरती पर प्रदान की है, उसके परिश्रम में यही आनन्द विद्यमान रहेगा।
उनका प्रेम, उनकी घृणा, उनकी शत्रुता सब नष्ट हो गए। इस धरती के कार्य-व्यापार में अब उनका कोई भाग नहीं रहा।
परमेश्वर ने सूर्य के नीचे धरती पर निस्सार जीवन के जितने भी दिन दिए हैं, उनमें अपनी प्रिय पत्नी के साथ जीवन का आनन्द भोगो, क्योंकि जीवन में यही तुम्हारा भाग है। जो परिश्रम तुम धरती पर करते हो उसमें यही तुम्हारा हिस्सा है।
संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है, वह सब पिता से नहीं, बल्कि संसार से आता है।
वह तिम्नाह से वापस आया। उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई। उसने कहा, ‘मैंने तिम्नाह नगर में पलिश्ती जाति की एक लड़की देखी है। अब आप लोग उसके साथ मेरा विवाह करा दीजिए।’