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सभोपदेशक 6:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

9 आंखों से देख लेना मन की चंचल कामनाओं से उत्तम है। अत: पेट के लिए परिश्रम करना भी निस्‍सार है, यह मानो हवा को पकड़ना है।

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पवित्र बाइबल

9 वे वस्तुएँ जो तुम्हारे पास है, उनमें सन्तोष करना अच्छा है बजाय इसके कि और लगन लगी रहे। सदा अधिक की कामना करते रहना निरर्थक है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।

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Hindi Holy Bible

9 आंखों से देख लेना मन की चंचलता से उत्तम है: यह भी व्यर्थ और मन का कुढना है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

9 आँखों से देख लेना मन की चंचलता से उत्तम है; यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है।

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नवीन हिंदी बाइबल

9 मन के भटकने से अच्छा आँखों से देख लेना है; यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान है।

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सरल हिन्दी बाइबल

9 आंखों से देख लेना इच्छा रखने से कहीं अधिक बेहतर है. मगर यह भी बेकार ही है, सिर्फ हवा को पकड़ने की कोशिश.

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सभोपदेशक 6:9
13 क्रॉस रेफरेंस  

यदि मेरे पैर सन्‍मार्ग से भटक गए थे और मेरा हृदय आंखों के बताए हुए कुमार्ग पर चला था; यदि मेरे हाथ किसी दुष्‍कर्म से कलंकित हुए


जो कुछ सूर्य के नीचे धरती पर होता है, वह सब मैंने देखा है। मुझे अनुभव हुआ कि यह सब निस्‍सार है− यह मानो हवा को पकड़ना है।


अत: मैंने अपना मन यह जानने में लगाया कि बुद्धि क्‍या है, पागलपन और मूर्खता क्‍या है। तब मुझे ज्ञात हुआ कि यह भी हवा को पकड़ना है। क्‍योंकि−


सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्‍यर्थ है, सब निस्‍सार है। निस्‍सन्‍देह सब व्‍यर्थ है, सब निस्‍सार है; सब कुछ व्‍यर्थ है!


ओ जवान, अपनी जवानी भर आनन्‍द मना, अपनी जवानी के दिनों में अपना हृदय आनन्‍द से भर ले। जिस मार्ग पर तेरा दिल तुझे ले जाए, जो मार्ग तेरी आंखों में उचित लगे, उस पर चल। किन्‍तु यह बात जान ले, तेरे सब कामों के विषय में स्‍पष्‍टीकरण के लिए परमेश्‍वर तुझे कटघरे में खड़ा करेगा।


तब मैंने अपने कामों पर विचार किया, मैंने उस परिश्रम पर भी सोचा जो मैंने उन कामों पर किया था। मुझे अनुभव हुआ कि यह सब निस्‍सार है− यह मानो हवा को पकड़ना है। इस सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्‍य के काम और परिश्रम से कुछ लाभ नहीं।


फिर मैंने देखा कि सब परिश्रम और सारा कार्यकौशल अपने पड़ोसी के प्रति शत्रु-भावना से किया जाता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्‍य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने अल्‍पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्‍योंकि यही उसकी नियति है।”


वह बुराई यह है: परमेश्‍वर मनुष्‍य को धन-सम्‍पत्ति और प्रतिष्‍ठा प्रदान करता है, और मनुष्‍य को अपनी इच्‍छा के अनुसार सब कुछ प्राप्‍त हो जाता है। उसे किसी वस्‍तु का अभाव नहीं रहता। परन्‍तु उस मनुष्‍य को परमेश्‍वर धन-सम्‍पत्ति भोगने का सामर्थ्य नहीं देता; बल्‍कि अनजान व्यक्‍ति उसकी धन-सम्‍पत्ति भोगता है। अत: धन-सम्‍पत्ति निस्‍सार है, यह भयानक दु:ख की बात है।


‘ओ इस्राएल, तूने मुझसे विश्‍वासघात किया। तूने मेरे प्रेम और अधिकार के बंधन तोड़कर कहा, “मैं तेरी सेवा नहीं करूंगी।” तू प्रत्‍येक पहाड़ी शिखर के मन्‍दिर में, हर एक हरे वृक्ष के नीचे वेश्‍या के समान दूसरे से प्रेम करती रही।


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