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सभोपदेशक 5:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्‍य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने अल्‍पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्‍योंकि यही उसकी नियति है।”

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पवित्र बाइबल

18 मैंने तो यह देखा है कि मनुष्य जो कर सकता है उसमें सबसे उत्तम यह है—एक व्यक्ति को चाहिये कि वह खाए—पीए और जिस काम को वह इस धरती पर अपने छोटे से जीवन के दौरान करता है उसका आनन्द ले। परमेश्वर ने ये थोड़े से दिन दिये हैं और बस यही तो उसके पास है।

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Hindi Holy Bible

18 सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर करता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे: क्योंकि उसका भाग यही है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन् जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर करता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्‍वर ने उसे दी है, सुखी रहे; क्योंकि उसका भाग यही है।

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नवीन हिंदी बाइबल

18 सुन, मैंने एक बात देखी है जो भली और उचित है कि मनुष्य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने छोटे से जीवन में खाए, पीए और अपने उस परिश्रम में सुखी रहे, जो वह संसार में करता है; क्योंकि यही उसका प्रतिफल है।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 मैंने जो एक अच्छी बात देखी वह यह है: कि मनुष्य परमेश्वर द्वारा दिए गए जीवन में खाए, पिए और अपनी मेहनत में, जो वह सूरज के नीचे करता है, के ईनाम में खुश रहे.

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सभोपदेशक 5:18
16 क्रॉस रेफरेंस  

मनुष्‍य के लिए इससे अधिक अच्‍छी बात और कोई नहीं कि वह खाए-पीए और आनन्‍द के साथ परिश्रम करे। किन्‍तु मैंने देखा है कि यह भी परमेश्‍वर के हाथ से प्राप्‍त होता है।


अत: मुझे ज्ञात हुआ कि मनुष्‍य के लिए इससे अधिक अच्‍छी बात और कोई नहीं है कि वह आनन्‍दपूर्वक अपना काम करे, क्‍योंकि काम करना ही उसकी नियति है। कौन व्यक्‍ति किसी की मृत्‍यु के पश्‍चात् उसको वापस लाकर भविष्‍य की बातें दिखा सकता है?


इस वर्तमान संसार के धनवानों से अनुरोध करो कि वे घमण्‍ड न करें और नश्‍वर धन-सम्‍पत्ति पर नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा रखें, जो हमारे उपभोग की सब वस्‍तुएं पर्याप्‍त मात्रा में देता है।


अपने घर जाओ, आनन्‍द से रोटी खाओ, और हृदय की उमंग से अंगूर-रस पीओ, क्‍योंकि जो तुम करते हो, उसको परमेश्‍वर पहले से अपनी स्‍वीकृति दे चुका है।


इसलिए मैं लोगों को सलाह देता हूं: आनन्‍द मनाओ। सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्‍य के लिए खाने-पीने और आनन्‍द मनाने के अतिरिक्‍त और कुछ भी अच्‍छा नहीं है। जो आयु परमेश्‍वर ने उसे इस धरती पर प्रदान की है, उसके परिश्रम में यही आनन्‍द विद्यमान रहेगा।


जिन वस्‍तुओं को देखने की मुझे इच्‍छा हुई, मैंने उन्‍हें भरपूर नजर से देखा। मैं किसी भी प्रकार के आमोद-प्रमोद से अपना हृदय वंचित नहीं रखता था, क्‍योंकि मेरा हृदय मेरे परिश्रम के सब कामों में आनन्‍द लेता था और यही आनन्‍द मेरे सब परिश्रमों का पुरस्‍कार था।


ओ जवान, अपनी जवानी भर आनन्‍द मना, अपनी जवानी के दिनों में अपना हृदय आनन्‍द से भर ले। जिस मार्ग पर तेरा दिल तुझे ले जाए, जो मार्ग तेरी आंखों में उचित लगे, उस पर चल। किन्‍तु यह बात जान ले, तेरे सब कामों के विषय में स्‍पष्‍टीकरण के लिए परमेश्‍वर तुझे कटघरे में खड़ा करेगा।


प्रतिदिन के खर्च के लिए उसको राजकीय कोष से भत्ता मिलता था। जब तक यहोयाकीन जीवित रहा, उसको राजा नियमित रूप से भत्ता देता रहा।


आप ऐसे लोगों का नेतृत्‍व स्‍वीकार करें और उन सब का भी, जो उनके साथ परिश्रम करते हैं।


तुम वहीं अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख भोजन करना। तुम अपने समस्‍त परिवार के साथ अपने उद्यम के लिए आनन्‍द मनाना, जिस पर तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ने आशिष दी है।


परन्‍तु तू, तेरे पुत्र-पुत्री, सेवक-सेविका और तेरे नगर के भीतर रहनेवाला लेवी जन उनको तेरे प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में खाएगा, जिसको तेरा प्रभु परमेश्‍वर स्‍वयं चुनेगा। तू अपने समस्‍त उद्यम के लिए प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख आनन्‍द मनाना।


उसके बाद अपनी समस्‍त अच्‍छी वस्‍तुओं के लिए जो तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे दी हैं, अपने परिवार, लेवीय जन और तेरे मध्‍य रहने वाले प्रवासी के साथ तू आनन्‍द मनाना।


दिन में प्रभु अपनी करुणा भेजता है। मैं रात में उसका गीत गाता हूँ, और अपने जीवन के परमेश्‍वर से प्रार्थना करता हूँ।


मैंने मन लगाकर खोज-बीन की कि मदिरा से किस प्रकार अपने शरीर को सुखी करूं (मेरा मन अब तक बुद्धि के मार्ग पर मेरा पथ-प्रदर्शन कर रहा है), और मूढ़ता को मैं कैसे वश में करूं। मैंने यह भेद प्राप्‍त करने का प्रयत्‍न किया कि मनुष्‍यों की भलाई किस प्रकार का काम करने मैं है, ताकि वे जीवन के अल्‍पकाल में इस पृथ्‍वी पर उस काम को कर सकें।


वह बुराई यह है: परमेश्‍वर मनुष्‍य को धन-सम्‍पत्ति और प्रतिष्‍ठा प्रदान करता है, और मनुष्‍य को अपनी इच्‍छा के अनुसार सब कुछ प्राप्‍त हो जाता है। उसे किसी वस्‍तु का अभाव नहीं रहता। परन्‍तु उस मनुष्‍य को परमेश्‍वर धन-सम्‍पत्ति भोगने का सामर्थ्य नहीं देता; बल्‍कि अनजान व्यक्‍ति उसकी धन-सम्‍पत्ति भोगता है। अत: धन-सम्‍पत्ति निस्‍सार है, यह भयानक दु:ख की बात है।


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