क्योंकि अब्राहम ने मेरी बात मानी, और जो कुछ मैंने उसे सौंपा था उसे पूरा किया, तथा मेरी आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्था का पालन किया।”
भजन संहिता 19:8 - नवीन हिंदी बाइबल यहोवा के उपदेश सच्चे हैं, जो हृदय को आनंदित कर देते हैं। यहोवा की आज्ञा शुद्ध है, वह आँखों में ज्योति ले आती है। पवित्र बाइबल यहोवा के नियम न्यायपूर्ण होते हैं, वे लोगों को प्रसन्नता से भर देते हैं। यहोवा के आदेश उत्तम हैं, वे मनुष्यों को जीने की नयी राह दिखाते हैं। Hindi Holy Bible यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु के आदेश न्याय-संगत हैं, हृदय को हर्षाने वाले; प्रभु की आज्ञा निर्मल है, आंखों को आलोकित करने वाली; पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में ज्योति ले आती है; सरल हिन्दी बाइबल धर्ममय हैं याहवेह के नीति सूत्र, जो हृदय का उल्लास हैं. शुद्ध हैं याहवेह के आदेश, जो आंखों में ज्योति ले आते हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में ज्योति ले आती है; |
क्योंकि अब्राहम ने मेरी बात मानी, और जो कुछ मैंने उसे सौंपा था उसे पूरा किया, तथा मेरी आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्था का पालन किया।”
मैंने तो न्याय और धार्मिकता से कार्य किया है; तू मुझे अंधेर करनेवालों के हाथ में न छोड़।
इसलिए मैं तेरे सब उपदेशों को हर विषय में ठीक मानता हूँ, और प्रत्येक झूठे मार्ग से घृणा करता हूँ।
यहोवा के वचन पवित्र हैं; वे ऐसी चाँदी के समान हैं जो भट्ठी में सात बार ताई जाकर शुद्ध की गई है।
हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मुझ पर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे; मेरी आँखों में ज्योति चमका, कहीं ऐसा न हो कि मैं मृत्यु की नींद में सो जाऊँ।
हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”
तेरे नियम अति विश्वासयोग्य हैं। हे यहोवा, तेरे भवन को पवित्रता सदा-सर्वदा शोभा देती है।
जब कभी उनके बीच कोई मतभेद होता है तो वे मेरे पास आते हैं, और मैं उनके बीच न्याय करता हूँ, तथा परमेश्वर की विधियाँ और व्यवस्था उन्हें समझाता हूँ।”
परमेश्वर का एक-एक वचन ताया हुआ है; जो परमेश्वर की शरण लेते हैं उनके लिए वह ढाल ठहरा है।
क्योंकि व्यवस्था के कार्यों के द्वारा कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिए कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है।
तो हम क्या कहें? क्या व्यवस्था पाप है? कदापि नहीं! बल्कि व्यवस्था के बिना मैं पाप को नहीं जान पाता। क्योंकि यदि व्यवस्था न कहती, “तू लालच न करना,” तो मैं लालच के विषय में नहीं जानता।
तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी गई होती जो जीवन प्रदान कर सकती थी तो वास्तव में धार्मिकता व्यवस्था से होती।