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भजन संहिता 19:8 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में ज्योति ले आती है;

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पवित्र बाइबल

8 यहोवा के नियम न्यायपूर्ण होते हैं, वे लोगों को प्रसन्नता से भर देते हैं। यहोवा के आदेश उत्तम हैं, वे मनुष्यों को जीने की नयी राह दिखाते हैं।

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Hindi Holy Bible

8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 प्रभु के आदेश न्‍याय-संगत हैं, हृदय को हर्षाने वाले; प्रभु की आज्ञा निर्मल है, आंखों को आलोकित करने वाली;

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नवीन हिंदी बाइबल

8 यहोवा के उपदेश सच्‍चे हैं, जो हृदय को आनंदित कर देते हैं। यहोवा की आज्ञा शुद्ध है, वह आँखों में ज्योति ले आती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 धर्ममय हैं याहवेह के नीति सूत्र, जो हृदय का उल्लास हैं. शुद्ध हैं याहवेह के आदेश, जो आंखों में ज्योति ले आते हैं.

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भजन संहिता 19:8
44 क्रॉस रेफरेंस  

क्योंकि अब्राहम ने मेरी मानी, और जो मैं ने उसे सौंपा था उसको और मेरी आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्था का पालन किया।”


और उसने जो जो विधियाँ और नियम और जो व्यवस्था और आज्ञाएँ तुम्हारे लिये लिखीं, उन्हें तुम सदा चौकसी से मानते रहो; और पराये देवताओं का भय न मानना।


तब सब लोग खाने, पीने, भोजन सामग्री भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे।


फिर तू ने सीनै पर्वत पर उतरकर आकाश में से उनके साथ बातें कीं, और उनको सीधे नियम, सच्‍ची व्यवस्था, और अच्छी विधियाँ, और आज्ञाएँ दीं।


कि वे उसकी विधियों को मानें, और उसकी व्यवस्था को पूरी करें। याह की स्तुति करो!


सच्‍चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्‍वासयोग्य हैं,


तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।


हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा!


मैं ने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्धेर करनेवालों के हाथ में न छोड़।


इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ। पे


तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्‍त करते हैं।


मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ।


मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ।


मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा। गिमेल


मेरे मुँह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है।


तेरी चितौनियाँ मेरा सुखमूल और मेरे मंत्री हैं। दाल्थ


देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला। वाव


जहाँ मैं परदेशी होकर रहता हूँ, वहाँ तेरी विधियाँ, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।


मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े। क़ाफ


यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नष्‍ट हो जाता।


परमेश्‍वर का वचन पवित्र है, उस चाँदी के समान जो भट्ठी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो।


हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आँखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;


हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बसी है।”


तेरी चितौनियाँ अति विश्‍वासयोग्य हैं; हे यहोवा, तेरे भवन को युग युग पवित्रता ही शोभा देती है।


जब जब उनका कोई मुक़द्दमा होता है तब तब वे मेरे पास आते हैं, और मैं उनके बीच न्याय करता, और परमेश्‍वर की विधि और व्यवस्था उन्हें समझाता हूँ।”


क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुँह से निकलती हैं।


परमेश्‍वर का एक एक वचन ताया हुआ है, वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।


आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखानेवाले की डाँट जीवन का मार्ग है,


तू तो उन्हीं से मिलता है जो धर्म के काम हर्ष के साथ करते, और तेरे मार्गों पर चलते हुए तुझे स्मरण करते हैं। देख, तू क्रोधित हुआ था, क्योंकि हम ने पाप किया; हमारी यह दशा तो बहुत समय से है, क्या हमारा उद्धार हो सकता है?


जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ।


मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूँगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे।


क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।


क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूँ।


तो हम क्या कहें? क्या व्यवस्था पाप है? कदापि नहीं! वरन् बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहिचानता : व्यवस्था यदि न कहती, कि लालच मत कर तो मैं लालच को न जानता।


मैं तो व्यवस्था के द्वारा व्यवस्था के लिये मर गया कि परमेश्‍वर के लिये जीऊँ।


तो क्या व्यवस्था परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती।


और उस स्थान में जो तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम का निवास करने को चुन ले अपने अपने बेटे–बेटियों, दास–दासियों समेत तू और तेरे फाटकों के भीतर जो लेवीय हों, और जो जो परदेशी, और अनाथ, और विधवाएँ तेरे बीच में हों, वे सब के सब अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने आनन्द करें।


और अपने इस पर्व में अपने अपने बेटे–बेटियों, दास–दासियों समेत तू और जो लेवीय, और परदेशी, और अनाथ, और विधवाएँ तेरे फाटकों के भीतर हों वे भी आनन्द करें।


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