नीतिवचन 2 - नवीन हिंदी बाइबलबुद्धि का नैतिक लाभ 1 हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचनों को ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रखे, 2 और अपना कान बुद्धि की बातों पर, तथा अपना मन समझ की बातों पर लगाए, 3 और यदि तू समझ के लिए पुकारे, और बुद्धि के लिए चिल्लाए, 4 और उसे चाँदी के समान ढूँढ़े, और छिपे हुए धन के समान उसकी खोज में लगा रहे, 5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और तुझे परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा। 6 क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; उसी के मुँह से ज्ञान और समझ की बातें निकलती हैं। 7 वह सीधे लोगों के लिए खरी बुद्धि का भंडार रखता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिए वह ढाल है। 8 वह न्याय के पथों की रक्षा करता है, और अपने भक्तों के मार्ग की चौकसी करता है। 9 तब तू धार्मिकता और न्याय और निष्पक्षता को, अर्थात् हर भली चाल को समझ सकेगा। 10 क्योंकि बुद्धि तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तेरे प्राण को सुख प्रदान करेगा; 11 विवेक तेरी चौकसी करेगा, और समझ तेरी रक्षा करेगी; 12 ताकि तुझे दुष्ट के मार्ग से, अर्थात् कुटिल बातें कहनेवाले उन मनुष्यों से बचाए, 13 जो खराई के मार्ग को छोड़कर अंधकार के मार्ग पर चलते हैं; 14 जो बुराई करने से आनंदित होते हैं, और दुष्टता के कुटिल कार्यों में मगन रहते हैं, 15 जिनका चाल-चलन टेढ़ा-मेढ़ा और जिनके मार्ग बिगड़े हुए हैं। 16 तब तू पराई स्त्री से भी बचा रहेगा, अर्थात् उस चरित्रहीन स्त्री से जो चिकनी-चुपड़ी बातें बोलती है, 17 और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती है, तथा अपने परमेश्वर की वाचा को भूल जाती है। 18 उसका घर नीचे मृत्यु की ओर, और उसके मार्ग मरे हुओं के बीच ले जाते हैं; 19 जो उसके पास जाते हैं, वे लौटकर नहीं आते और न ही जीवन का मार्ग पाते हैं। 20 इसलिए तू भले लोगों के मार्ग में चल, और धर्मियों के पथ पर बना रह। 21 सीधे लोग तो देश में बसे रहेंगे, और जो खरे हैं उसमें बने रहेंगे। 22 परंतु दुष्ट उस देश से नष्ट कर दिए जाएँगे, और विश्वासघाती उसमें से उखाड़ फेंके जाएँगे। |