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रोमियों 7:22 - नवीन हिंदी बाइबल

22 क्योंकि मैं अपने भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से प्रसन्‍न होता हूँ,

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पवित्र बाइबल

22 अपनी अन्तरात्मा में मैं परमेश्वर की व्यवस्था को सहर्ष मानता हूँ।

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Hindi Holy Bible

22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 मेरा अन्‍तर्मन परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था पर मुग्‍ध है,

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूँ।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 मेरा भीतरी मनुष्यत्व तो परमेश्वर की व्यवस्था में प्रसन्‍न है

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रोमियों 7:22
27 क्रॉस रेफरेंस  

परंतु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता, और उसकी व्यवस्था पर दिन और रात मनन करता है।


मैंने तेरी नीतियों को सदा के लिए अपना निज भाग बना लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।


मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परंतु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।


मेरे लिए तो तेरी आज्ञाएँ सोने से, बल्कि कुंदन से भी अधिक प्रिय हैं।


मैं तेरी विधियों से आनंदित होऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा।


मैं तेरी नीतियों को मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता हूँ।


हे यहोवा, मैं तेरे उद्धार का अभिलाषी हूँ, और तेरी व्यवस्था मेरा आनंद है।


तेरी नीतियाँ तो मेरा आनंद हैं; वे मुझे उचित सलाह देती हैं।


अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझे ले चल, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्‍न होता हूँ।


तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिए सोने और चाँदी के हज़ारों सिक्‍‍कों से भी उत्तम है।


यदि तेरी व्यवस्था से मैं आनंदित न होता, तो अपने दुःख में नष्‍ट हो जाता।


हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न होता हूँ। तेरी व्यवस्था मेरे हृदय में बसी है।”


तो याजक जाँचे, और यदि उसके शरीर की त्वचा में वे दाग हल्के हो गए हों, तो वह त्वचा में निकली हुई दाद ही है; वह व्यक्‍ति शुद्ध है।


यीशु ने उनसे कहा,“मेरा भोजन यह है कि मैं अपने भेजनेवाले की इच्छा पर चलूँ और उसका कार्य पूरा करूँ।


परंतु यहूदी वही है जो मन से यहूदी है, और ख़तना वही है जो आत्मा के द्वारा हृदय का है न कि लेख का। ऐसे व्यक्‍ति की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ओर से होती है।


क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से शत्रुता करना है, वह न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है;


इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्‍ट होता जाता है, फिर भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जाता है।


कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें वह दान दे कि तुम अपने भीतरी मनुष्यत्व में उसके आत्मा के द्वारा सामर्थ्य पाकर बलवान हो जाओ,


आपस में झूठ मत बोलो, क्योंकि तुमने अपने पुराने मनुष्यत्व को उसके कार्यों के साथ उतार फेंका है


प्रभु फिर कहता है, “उन दिनों के बाद मैं इस्राएल के घराने के साथ जो वाचा बाँधूँगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में डालूँगा और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा; मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा, और वे मेरे लोग होंगे।


बल्कि यह तुम्हारे मन का छिपा हुआ व्यक्‍तित्व हो, जो नम्र और शांत स्वभाव के अविनाशी आभूषणों से सुसज्‍जित हो, जिसका परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बड़ा मूल्य है।


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