तब यहोवा ने कहा, “मेरा आत्मा मनुष्य के साथ सदा बना न रहेगा, क्योंकि वह तो शरीर है; उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।”
गलातियों 5:17 - नवीन हिंदी बाइबल क्योंकि शरीर आत्मा के विरुद्ध लालसा करता है और आत्मा शरीर के विरुद्ध। ये एक दूसरे के विरोधी हैं ताकि तुम उन कार्यों को न कर सको जो तुम करना चाहते हो। पवित्र बाइबल क्योंकि शारीरिक भौतिक अभिलाषाएँ पवित्र आत्मा की अभिलाषाओं के और पवित्र आत्मा की अभिलाषाएँ शारीरिक भौतिक अभिलाषाओं के विपरीत होती हैं। इनका आपस में विरोध है। इसलिए तो जो तुम करना चाहते हो, वह कर नहीं सकते। Hindi Holy Bible क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) शारीरिक स्वभाव तो पवित्र आत्मा के विरुद्ध इच्छा करता है, और पवित्र आत्मा शारीरिक स्वभाव के विरुद्ध। ये दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए आप जो चाहते हैं, वही नहीं कर पाते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। सरल हिन्दी बाइबल शरीर आत्मा के विरुद्ध और आत्मा शरीर के विरुद्ध लालसा करता है. ये आपस में विरोधी हैं कि तुम वह न कर सको, जो तुम करना चाहते हो. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिए कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। |
तब यहोवा ने कहा, “मेरा आत्मा मनुष्य के साथ सदा बना न रहेगा, क्योंकि वह तो शरीर है; उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।”
देख, मैं तेरे उपदेशों से कैसी प्रीति रखता हूँ! हे यहोवा, अपनी करुणा के अनुसार मुझे जिला।
मैं खोई हुई भेड़ के समान भटक गया हूँ; अपने दास को ढूँढ़, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूला नहीं हूँ।
निस्संदेह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं है जो निरंतर भलाई ही करता है और कभी पाप नहीं करता।
इस पर यीशु ने उससे कहा,“हे योना के पुत्र शमौन! तू धन्य है, क्योंकि यह बात मांस और लहूने नहीं, बल्कि मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, तुझ पर प्रकट की है।
परंतु उसने मुड़कर पतरस से कहा,“हे शैतान, मुझसे दूर हो जा। तू मेरे लिए ठोकर का कारण है, क्योंकि तू परमेश्वर की नहीं बल्कि मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।”
जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो; आत्मा तो तैयार है परंतु देह दुर्बल है।”
क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार जीवन बिताते हो तो तुम्हें मरना ही है, परंतु यदि आत्मा के द्वारा देह के कार्यों को मार डालते हो तो जीवित रहोगे।
तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी गई होती जो जीवन प्रदान कर सकती थी तो वास्तव में धार्मिकता व्यवस्था से होती।
क्योंकि हम सब बहुत सी बातों में चूक जाते हैं। यदि कोई अपनी बातों में नहीं चूकता तो वह सिद्ध मनुष्य है, और अपनी सारी देह पर भी नियंत्रण रख सकता है।