सोचो, कभी-कभी हम किस्मत या संयोग की बात करते हैं, लेकिन नीतिवचन १६:३३१ हमें याद दिलाता है कि सब कुछ परमात्मा के हाथ में है। उसका नियंत्रण पूर्ण है। हमें धन-दौलत की चिंता करने की क्या ज़रूरत है? परमात्मा की कृपा पर भरोसा रखो, न कि भाग्य पर।
अपने रास्ते मसीह की इच्छा पर छोड़ दो, अपनी इच्छाओं के पीछे मत भागो। सच्ची कामयाबी परमात्मा की योजना को जानने में है। शैतान के बहकावे में मत आओ, उसके जाल में मत फँसो। ऐसे रास्ते पर चलने वालों का अंत दुःख में ही होता है।
अपनी योजनाएँ परमात्मा के हाथों में सौंप दो। उसके मार्गदर्शन में चलो, अपनी समझ पर नहीं। पापी स्वभाव को त्याग दो और जो कुछ परमात्मा ने दिया है, उसे समझदारी से इस्तेमाल करो। इस तरह तुम हर क्षेत्र में सफल होगे।
क्योंकि तुम्हारी जीत परमात्मा ही तय करता है। वह तुम्हें एक के बाद एक विजय दिलाएगा, एक के बाद एक महिमा की ओर ले जाएगा।
वह व्यक्ति जो धन को प्रेम करता है वह उस धन से जो उसके पास है कभी संतुष्ट नहीं होता। वह व्यक्ति जो धन को प्रेम करता है, जब अधिक से अधिक धन प्राप्त कर लेता है तब भी उसका मन नहीं भरता। सो यह भी व्यर्थ है।
क्योंकि धन का प्रेम हर प्रकार की बुराई को जन्म देता है। कुछ लोग अपनी इच्छाओं के कारण ही विश्वास से भटक गए हैं और उन्होंने अपने लिए महान दुख की सृष्टि कर ली है।
“कोई भी एक साथ दो स्वामियों का सेवक नहीं हो सकता क्योंकि वह एक से घृणा करेगा और दूसरे से प्रेम। या एक के प्रति समर्पित रहेगा और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम धन और परमेश्वर दोनों की एक साथ सेवा नहीं कर सकते।
बेइमानी का धन यूँ ही धूल हो जाता है किन्तु जो बूँद—बूँद करके धन संचित करता है, उसका धन बढ़ता है।
“मैं कुछ भी करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु हर कोई बात हितकर नहीं होती। हाँ! “मैं सब कुछ करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु मैं अपने पर किसी को भी हावी नहीं होने दूँगा।
सो यीशु ने उनसे कहा, “सावधानी के साथ सभी प्रकार के लोभ से अपने आप को दूर रखो। क्योंकि आवश्यकता से अधिक सम्पत्ति होने पर भी जीवन का आधार उसका संग्रह नहीं होता।”
जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा
अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।”
किन्तु वे जो धनवान बनना चाहते हैं, प्रलोभनों में पड़कर जाल में फँस जाते हैं तथा उन्हें ऐसी अनेक मूर्खतापूर्ण और विनाशकारी इच्छाएँ घेर लेती हैं जो लोगों को पतन और विनाश की खाई में ढकेल देती हैं।
बल्कि प्रभु यीशु मसीह को धारण करें। और अपनी मानव देह की इच्छाओं को पूरा करने में ही मत लगे रहो।
हे धनवानो सुनो, जो विपत्तियाँ तुम पर आने वाली हैं, उनके लिए रोओ और ऊँचे स्वर में विलाप करो।
हे भाईयों, उन भविष्यवक्ताओं को याद रखो जिन्होंने प्रभु के लिए बोला। वे हमारे लिए यातनाएँ झेलने और धैर्यपूर्ण सहनशीलता के उदाहरण हैं।
ध्यान रखना, हम उनकी सहनशीलता के कारण उनको धन्य मानते हैं। तुमने अय्यूब के धीरज के बारे में सुना ही है और प्रभु ने उसे उसका जो परिणाम प्रदान किया, उसे भी तुम जानते ही हो कि प्रभु कितना दयालु और करुणापूर्ण है।
हे मेरे भाईयों, सबसे बड़ी बात यह है कि स्वर्ग की अथवा धरती की या किसी भी प्रकार की कसमें खाना छोड़ो। तुम्हारी “हाँ”, हाँ होनी चाहिए, और “ना” ना होनी चाहिए। ताकि तुम पर परमेश्वर का दण्ड न पड़े।
यदि तुम में से कोई विपत्ति में पड़ा है तो उसे प्रार्थना करनी चाहिए और यदि कोई प्रसन्न है तो उसे स्तुति-गीत गाने चाहिए।
यदि तुम्हारे बीच कोई रोगी है तो उसे कलीसिया के अगुवाओं को बुलाना चाहिए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और उस पर प्रभु के नाम में तेल मलें।
विश्वास के साथ की गई प्रार्थना से रोगी निरोग होता है। और प्रभु उसे उठाकर खड़ा कर देता है। यदि उसने पाप किए हैं तो प्रभु उसे क्षमा कर देगा।
इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है।
नबी एलिय्याह एक मनुष्य ही था ठीक हमारे जैसा। उसने तीव्रता के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और साढ़े तीन साल तक धरती पर वर्षा नहीं हुई।
उसने फिर प्रार्थना की और आकाश में वर्षा उमड़ पड़ी तथा धरती ने अपनी फसलें उपजायीं।
हे मेरे भाईयों, तुम में से कोई यदि सत्य से भटक जाए और उसे कोई फिर लौटा लाए तो उसे यह पता होना चाहिए कि
तुम्हारा धन सड़ चुका है। तुम्हारी पोशाकें कीड़ों द्वारा खा ली गई हैं।
जो किसी पापी को पाप के मार्ग से लौटा लाता है वह उस पापी की आत्मा को अनन्त मृत्यु से बचाता है और उसके अनेक पापों को क्षमा किए जाने का कारण बनता है।
तुम्हारा सोना चाँदी जंग लगने से बिगड़ गया है। उन पर लगी जंग तुम्हारे विरोध में गवाही देगी और तुम्हारे मांस को अग्नि की तरह चट कर जाएगी। तुमने अपना खज़ाना उस आयु में एक ओर उठा कर रख दिया है जिसका अंत आने को है।
किन्तु यदि कोई ऐसी वस्तु को खाता है, जिसके खाने के प्रति वह आश्वस्त नहीं है तो वह दोषी ठहरता है। क्योंकि उसका खाना उसके विश्वास के अनुसार नहीं है और वह सब कुछ जो विश्वास पर नहीं टिका है, पाप है।
खरे तराजू और माप यहोवा से मिलते हैं, उसी ने ये सब थैली के बट्टे रचे हैं। ताकि कोई किसी को छले नहीं।
इसलिए चाहे तुम खाओ, चाहे पिओ, चाहे कुछ और करो, बस सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो।
दुष्ट तो तुरंत ही धन उधार माँग लेता है, और उसको फिर कभी नहीं चुकाता। किन्तु एक सज्जन औरों को प्रसन्नता से देता रहता है।
परमेश्वर निज भक्त पर आशीष बरसाता है, किन्तु वह मनुष्य जो सदा धन पाने को लालायित रहता है, बिना दण्ड के नहीं बचेगा।
अपने आपको मत छलो। परमेश्वर को कोई बुद्धू नहीं बना सकता क्योंकि जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा।
“स्वर्ग का राज्य उस व्यक्ति के समान होगा जिसने यात्रा पर जाते हुए अपने दासों को बुला कर अपनी सम्पत्ति पर अधिकारी बनाया।
उसने एक को चाँदी के सिक्कों से भरी पाँच थैलियाँ दीं। दूसरे को दो और तीसरे को एक। वह हर एक को उसकी योग्यता के अनुसार दे कर यात्रा पर निकल पड़ा।
जिसे चाँदी के सिक्कों से भरी पाँच थैलियाँ मिली थीं, उसने तुरन्त उस पैसे को काम में लगा दिया और पाँच थैलियाँ और कमा ली।
ऐसे ही जिसे दो थैलियाँ मिली थी, उसने भी दो और कमा लीं।
पर जिसे एक मिली थीं उसने कहीं जाकर धरती में गढ़ा खोदा और अपने स्वामी के धन को गाड़ दिया।
“बहुत समय बीत जाने के बाद उन दासों का स्वामी लौटा और हर एक से लेखा जोखा लेने लगा।
उनमें से पाँच लापरवाह थीं और पाँच चौकस।
वह व्यक्ति जिसे चाँदी के सिक्कों की पाँच थैलियाँ मिली थीं, अपने स्वामी के पास गया और चाँदी की पाँच और थैलियाँ ले जाकर उससे बोला, ‘स्वामी, तुमने मुझे पाँच थैलियाँ सौंपी थीं। चाँदी के सिक्कों की ये पाँच थैलियाँ और हैं जो मैंने कमाई हैं!’
“उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश! तुम भरोसे के लायक अच्छे दास हो। थोड़ी सी रकम के सम्बन्ध में तुम विश्वास पात्र रहे, मैं तुम्हें और अधिक का अधिकार दूँगा। भीतर जा और अपने स्वामी की प्रसन्नता में शामिल हो।’
“फिर जिसे चाँदी के सिक्कों की दो थैलियाँ मिली थीं, अपने स्वामी के पास आया और बोला, ‘स्वामी, तूने मुझे चाँदी की दो थैलियाँ सौंपी थीं, चाँदी के सिक्कों की ये दो थैलियाँ और हैं जो मैंने कमाई हैं।’
“उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश! तुम भरोसे के लायक अच्छे दास हो। थोड़ी सी रकम के सम्बन्ध में तुम विश्वास पात्र रहे। मैं तुम्हें और अधिक का अधिकार दूँगा। भीतर जा और अपने स्वामी की प्रसन्नता में शामिल हो।’
“फिर वह जिसे चाँदी की एक थैली मिली थी, अपने स्वामी के पास आया और बोला, ‘स्वामी, मैं जानता हूँ तू बहुत कठोर व्यक्ति है। तू वहाँ काटता हैं जहाँ तूने बोया नहीं है, और जहाँ तूने कोई बीज नहीं डाला वहाँ फसल बटोरता है।
सो मैं डर गया था इसलिए मैंने जाकर चाँदी के सिक्कों की थैली को धरती में गाड़ दिया। यह ले जो तेरा है यह रहा, ले लो।’
“उत्तर में उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘तू एक बुरा और आलसी दास है, तू जानता है कि मैं बिन बोये काटता हूँ और जहाँ मैंने बीज नहीं बोये, वहाँ से फसल बटोरता हूँ
तो तुझे मेरा धन साहूकारों के पास जमा करा देना चाहिये था। फिर जब मैं आता तो जो मेरा था सूद के साथ ले लेता।’
“इसलिये इससे चाँदी के सिक्कों की यह थैली ले लो और जिसके पास चाँदी के सिक्कों की दस थैलियाँ हैं, इसे उसी को दे दो।
“क्योंकि हर उस व्यक्ति को, जिसने जो कुछ उसके पास था उसका सही उपयोग किया, और अधिक दिया जायेगा। और जितनी उसे आवश्यकता है, वह उससे अधिक पायेगा। किन्तु उससे, जिसने जो कुछ उसके पास था उसका सही उपयोग नहीं किया, सब कुछ छीन लिया जायेगा।
पाँचों लापरवाह कन्याओं ने अपनी मशालें तो ले लीं पर उनके साथ तेल नहीं लिया।
सो उस बेकार के दास को बाहर अन्धेरे में धकेल दो जहाँ लोग रोयेंगे और अपने दाँत पीसेंगे।”
मनुष्य को अच्छा है कि वह दयालु और उदार हो। मनुष्य को यह उत्तम है कि वह अपने व्यापार में खरा रहे।
सुस्त हाथ मनुष्य को दरिद्र कर देते हैं, किन्तु परिश्रमी हाथ सम्पत्ति लाते हैं।
गर्मियों में जो उपज को बटोर रखता है, वही पुत्र बुद्धिमान है; किन्तु जो कटनी के समय में सोता है वह पुत्र शर्मनाक होता है।
अपने प्रमुखों के भरोसे मत रहो। सहायता पाने को व्यक्ति के भरोसे मत रहो, क्योंकि तुमको व्यक्ति बचा नहीं सकता है।
लालची मनुष्य अपने घराने पर विपदा लाता है किन्तु वही जीवित रहता है जो जन घूस से घृणा भाव रखता है।
तुम जहाँ भी जाओ, वहाँ उत्तम कार्य करो। थोड़े समय बाद तुम्हारे उत्तम कार्य वापस लौट कर तुम्हारे पास आएंगे।
क्रोध को स्वयं पर काबू मत पाने दो और अपने शरीर को भी कष्ट मत दो। तुम अधिक समय तक जवान नहीं बने रहोगे।
जो कुछ तुम्हारे पास है उसका कुछ भाग सात आठ लोगों को दे दो। तुम जान ही नहीं सकते कि इस धरती पर कब क्या बुरा घट जाए?
“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा।
क्योंकि हर कोई जो माँगता ही रहता है, प्राप्त करता है। जो खोजता है पा जाता है और जो खटखटाता ही रहता है उसके लिए द्वार खोल दिया जाएगा।
तूने जिनके लिये काम किया है, उन वस्तुओं का तू आनन्द लेगा। उन ऐसी वस्तुओं को कोई भी व्यक्ति तुझसे नहीं छिनेगा। तू प्रसन्न रहेगा और तेरे साथ भली बातें घटेंगी।
जो कोई निज धन का भरोसा करता है, झड़ जायेगा वह निर्जीव सूखे पत्ते सा; किन्तु धर्मी जन नयी हरी कोपल सा हरा—भरा ही रहेगा।
वे लोग जिन पर थोड़े से के लिये विश्वास किया जायेगा और इसी तरह जो थोड़े से के लिए बेईमान हो सकता है वह अधिक के लिए भी बेईमान होगा।
इस प्रकार यदि तुम सांसारिक सम्पत्ति के लिये ही भरोसे योग्य नहीं रहे तो सच्चे धन के विषय में तुम पर कौन भरोसा करेगा?
जो किसी दूसरे का है, यदि तुम उसके लिये विश्वास के पात्र नहीं रहे, तो जो तुम्हारा है, उसे तुम्हें कौन देगा?
मैं युवक हुआ करता था पर अब मैं बूढा हूँ। मैंने कभी यहोवा को सज्जनों को असहाय छोड़ते नहीं देखा। मैंने कभी सज्जनों की संतानों को भीख माँगते नहीं देखा।
सज्जन सदा मुक्त भाव से दान देता है। सज्जनों के बालक वरदान हुआ करते हैं।
वर्तमान युग की वस्तुओं के कारण जो धनवान बने हुए हैं, उन्हें आज्ञा दे कि वे अभिमान न करें। अथवा उस धन से जो शीघ्र चला जाएगा कोई आशा न रखें। परमेश्वर पर ही अपनी आशा टिकाए जो हमें हमारे आनन्द के लिए सब कुछ भरपूर देता है।
उन्हें आज्ञा दे कि वे अच्छे-अच्छे काम करें। उत्तम कामों से ही धनी बनें। उदार रहें और दूसरों के साथ अपनी वस्तुएँ बाँटें।
ऐसा करने से ही वे एक स्वर्गीय कोष का संचय करेंगे जो भविष्य के लिए सुदृढ़ नींव सिद्ध होगा। इसी से वे सच्चे जीवन को थामे रहेंगे।
मेरी सहायता कर कि मैं तेरे वाचा का मनन करूँ, बजाय उसके कि यह सोचता रहूँ कि कैसे धनवान बनूँ।
हे यहोवा, मुझे अद्भुत वस्तुओं पाने को कठिन जतन मत करने दे।
जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास,
नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है। ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था का विधान नहीं है।
मेरा परमेश्वर तुम्हारी सभी आवश्यकताओं को मसीह यीशु में प्राप्त अपने भव्य धन से पूरा करेगा।
अपनी चिंताये तुम यहोवा को सौंप दो। फिर वह तुम्हारी रखवाली करेगा। यहोव सज्जन को कभी हारने नहीं देगा।
“अपने लिये धरती पर भंडार मत भरो। क्योंकि उसे कीड़े और जंग नष्ट कर देंगे। चोर सेंध लगाकर उसे चुरा सकते हैं।
“इसलिये जब तुम किसी दीन-दुःखी को दान देते हो तो उसका ढोल मत पीटो, जैसा कि आराधनालयों और गलियों में कपटी लोग औंरों से प्रशंसा पाने के लिए करते हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो इसका पूरा फल पहले ही दिया जा चुका है।
बल्कि अपने लिये स्वर्ग में भण्डार भरो जहाँ उसे कीड़े या जंग नष्ट नहीं कर पाते। और चोर भी वहाँ सेंध लगा कर उसे चुरा नहीं पाते।
याद रखो जहाँ तुम्हारा भंडार होगा वहीं तुम्हारा मन भी रहेगा।
अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।
उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
तुम जो कुछ करो अपने समूचे मन से करो। मानों तुम उसे लोगों के लिये नहीं बल्कि प्रभु के लिये कर रहे हो।
लोग दीया जलाकर किसी बाल्टी के नीचे उसे नहीं रखते बल्कि उसे दीवट पर रखा जाता है और वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है।
लोगों के सामने तुम्हारा प्रकाश ऐसे चमके कि वे तुम्हारे अच्छे कामों को देखें और स्वर्ग में स्थित तुम्हारे परम पिता की महिमा का बखान करें।
सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है। वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह जो भी करता है सफल ही होता है।
“यदि तुममें से कोई बुर्ज बनाना चाहे तो क्या वह पहले बैठ कर उसके मूल्य का, यह देखने के लिये कि उसे पूरा करने के लिये उसके पास काफ़ी कुछ है या नहीं, हिसाब-किताब नहीं लगायेगा?
नहीं तो वह नींव तो डाल देगा और उसे पूरा न कर पाने से, जिन्होंने उसे शुरू करते देखा, सब उसकी हँसी उड़ायेंगे और कहेंगे,
यीशु ने यहूदी धर्मशास्त्रियों और फरीसियों से पूछा, “सब्त के दिन किसी को निरोग करना उचित है या नहीं?”
‘अरे देखो इस व्यक्ति ने बनाना प्रारम्भ तो किया, पर यह उसे पूरा नहीं कर सका।’
आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है।
क्या तुम लोग यह नहीं जानते कि खेल के मैदान में दौड़ते तो सभी धावक हैं किन्तु पुरस्कार किसी एक को ही मिलता है। एैसे दौड़ो कि जीत तुम्हारी ही हो!
किसी खेल प्रतियोगिता में प्रत्येक प्रतियोगी को हर प्रकार का आत्मसंयम करना होता है। वे एक नाशमान जयमाल से सम्मानित होने के लिये ऐसा करते हैं किन्तु हम तो एक अविनाशी मुकुट को पाने के लिये यह करते हैं।
तू ज़मानत किसी के ऋण की देकर अपने हाथ मत कटा।
यदि उसे चुकाने में तेरे साधन चुकेंगे तो नीचे का बिस्तर तक तुझसे छिन जायेगा।
तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।
यहोवा की प्रशंसा करो! ऐसा व्यक्ति जो यहोवा से डरता है। और उसका आदर करता है। वह अति प्रसन्न रहेगा। परमेश्वर के आदेश ऐसे व्यक्ति को भाते हैं।
कुटिल जन उसको देखेंगे और कुपित होंगे। वे क्रोध में अपने दाँतों को पीसेंगे और फिर लुप्त हो जायेंगे। दुष्ट लोग उसको कभी नहीं पायेंगे जिसे वह सब से अधिक पाना चाहते हैं।
धरती पर ऐसे व्यक्ति की संतानें महान होंगी। अच्छे व्यक्तियों कि संताने सचमुच धन्य होंगी।
ऐसे व्यक्ति का घराना बहुत धनवान होगा और उसकी धार्मिकता सदा सदा बनी रहेगी।
“क्योंकि हर उस व्यक्ति को, जिसने जो कुछ उसके पास था उसका सही उपयोग किया, और अधिक दिया जायेगा। और जितनी उसे आवश्यकता है, वह उससे अधिक पायेगा। किन्तु उससे, जिसने जो कुछ उसके पास था उसका सही उपयोग नहीं किया, सब कुछ छीन लिया जायेगा।
अपने पर नियन्त्रण रखो। सावधान रहो। तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजते सिंह के समान इधर-उधर घूमते हुए इस ताक में रहता है कि जो मिले उसे फाड़ खाए।
और हम जानते हैं कि हर परिस्थिति में वह आत्मा परमेश्वर के भक्तों के साथ मिल कर वह काम करता है जो भलाई ही लाते हैं उन सब के लिए जिन्हें उसके प्रयोजन के अनुसार ही बुलाया गया है।
क्योंकि शारीरिक साधना से तो थोड़ा सा ही लाभ होता है जबकि परमेश्वर की सेवा हर प्रकार से मूल्यवान है क्योंकि इसमें आज के समय और आने वाले जीवन के लिए दिया गया आशीर्वाद समाया हुआ है।
इसलिए सावधानी के साथ देखते रहो कि तुम कैसा जीवन जी रहे हो। विवेकहीन का सा आचरण मत करो, बल्कि बुद्धिमान का सा आचरण करो।
जो हर अवसर का अच्छे कर्म करने के लिये पूरा-पूरा उपयोग करते हैं, क्योंकि ये दिन बुरे हैं
इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।
जिस किसी को परमेश्वर की ओर से जो भी वरदान मिला है, उसे चाहिए कि परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम प्रबन्धकों के समान, एक दूसरे की सेवा के लिए उसे काम में लाए।
क्योंकि परमेश्वर का राज्य बस खाना-पीना नहीं है बल्कि वह तो धार्मिकता है, शांति है और पवित्र आत्मा से प्राप्त आनन्द है।
जो मनुष्य बैर पर परदा डाले रखता है, वह मिथ्यावादी है और वह जो निन्दा फैलाता है, मूढ़ है।
अधिक बोलने से, कभी पाप नहीं दूर होता किन्तु जो अपनी जुबान को लगाम देता है, वही बुद्धिमान है।
किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।
मुझको ओट दे और मेरी रक्षा कर। हे यहोवा, मुझको उस बात का सहारा है जिसको तू कहता है।
तू मुझसे मिथ्या को, व्यर्थ को दूर रख। मुझे दरिद्र मत कर और न ही मुझको धनी बना। मुझको बस प्रतिदिन खाने को देता रह।
कहीं ऐसा न हो जाये बहुत कुछ पा करके मैं तुझको त्याग दूँ; और कहने लगूँ “कौन परमेश्वर है” और यदि निर्धन बनूँ और चोरी करूँ, और इस प्रकार मैं अपने परमेश्वर के नाम को लजाऊँ।
मैं तृप्त होऊँगा मानों मैंने उत्तम पदार्थ खा लिए हों। मेरे होंठ तेरे गुण सदैव गायेंगे।
धनी और स्वाभिमानी लोगों के साथ सम्पत्ति बाँट लेने से, दीन और गरीब लोगों के साथ रहना उत्तम है।
ताकि वैसे जी सको, जैसे प्रभु को साजे। हर प्रकार से तुम प्रभु को सदा प्रसन्न करो। तुम्हारे सब सत्कर्म सतत सफलता पावें, तुम्हारे जीवन से सत्कर्मो के फल लगें तुम प्रभु परमेश्वर के ज्ञान में निरन्तर बढ़ते रहो।
यदि कोई सलाह देने को है तो उसे सलाह देनी चाहिए। यदि किसी को दान देने का उपहार मिला है तो उसे मुक्त भाव से दान देना चाहिए। यदि किसी को अगुआई करने का उपहार मिलता है तो वह लगन के साथ अगुआई करे, जिसे दया दिखाने को मिली है, वह प्रसन्नता से दया करे।
जो उदार मुक्त भाव से दान देता है, उसका लाभ तो सतत बढ़ता ही जाता है, किन्तु जो अनुचित रूप से सहेज रखते, उनका तो अंत बस दरिद्रता होता।
उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी।
अपने प्रमुखों के भरोसे मत रहो। सहायता पाने को व्यक्ति के भरोसे मत रहो, क्योंकि तुमको व्यक्ति बचा नहीं सकता है।
लोग मर जाते हैं और गाड़ दिये जाते है। फिर उनकी सहायता देने की सभी योजनाएँ यूँ ही चली जाती है।
जो लोग, याकूब के परमेश्वर से अति सहायता माँगते, वे अति प्रसन्न रहते हैं। वे लोग अपने परमेश्वर यहोवा के भरोसे रहा करते हैं।
इसलिए आओ हम भलाई करते कभी न थकें, क्योंकि यदि हम भलाई करते ही रहेंगे तो उचित समय आने पर हमें उसका फल मिलेगा।
यहोवा के सभी भक्त आनन्दित रहते हैं। वे लोग परमेश्वर जैसा चाहता, वैसा गाते हैं।
तूने जिनके लिये काम किया है, उन वस्तुओं का तू आनन्द लेगा। उन ऐसी वस्तुओं को कोई भी व्यक्ति तुझसे नहीं छिनेगा। तू प्रसन्न रहेगा और तेरे साथ भली बातें घटेंगी।
हर कोई बिना किसी कष्ट के या बिना किसी दबाव के, उतना ही दे जितना उसने मन में सोचा है। क्योंकि परमेश्वर प्रसन्न-दाता से ही प्रेम करता है।
“सावधान रहो! परमेश्वर चाहता है, उन कामों का लोगों के सामने दिखावा मत करो नहीं तो तुम अपने परम-पिता से, जो स्वर्ग में है, उसका प्रतिफल नहीं पाओगे।
जगत में तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी पूरी हो।
दिन प्रतिदिन का आहार तू आज हमें दे।
अपराधों को क्षमा दान कर जैसे हमने अपने अपराधी क्षमा किये।
हमें परीक्षा में न ला परन्तु बुराई से बचा।’
यदि तुम लोगों के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्ग-पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
किन्तु यदि तुम लोगों को क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा परम-पिता भी तुम्हारे पापों के लिए क्षमा नहीं देगा।
“जब तुम उपवास करो तो मुँह लटकाये कपटियों जैसे मत दिखो। क्योंकि वे तरह तरह से मुँह बनाते हैं ताकि वे लोगों को जतायें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ उन्हें तो पहले ही उनका प्रतिफल मिल चुका है।
किन्तु जब तू उपवास रखे तो अपने सिर पर सुगंध मल और अपना मुँह धो।
ताकि लोग यह न जानें कि तू उपवास कर रहा है। बल्कि तेरा परम-पिता जिसे तू देख नहीं सकता, देखे कि तू उपवास कर रहा है। तब तेरा परम पिता जो तेरे छिपकर किए गए सब कर्मों को देखता है, तुझे उनका प्रतिफल देगा।
“अपने लिये धरती पर भंडार मत भरो। क्योंकि उसे कीड़े और जंग नष्ट कर देंगे। चोर सेंध लगाकर उसे चुरा सकते हैं।
“इसलिये जब तुम किसी दीन-दुःखी को दान देते हो तो उसका ढोल मत पीटो, जैसा कि आराधनालयों और गलियों में कपटी लोग औंरों से प्रशंसा पाने के लिए करते हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो इसका पूरा फल पहले ही दिया जा चुका है।
बल्कि अपने लिये स्वर्ग में भण्डार भरो जहाँ उसे कीड़े या जंग नष्ट नहीं कर पाते। और चोर भी वहाँ सेंध लगा कर उसे चुरा नहीं पाते।
याद रखो जहाँ तुम्हारा भंडार होगा वहीं तुम्हारा मन भी रहेगा।
“शरीर के लिये प्रकाश का स्रोत आँख है। इसलिये यदि तेरी आँख ठीक है तो तेरा सारा शरीर प्रकाशवान रहेगा।
किन्तु यदि तेरी आँख बुरी हो जाए तो तेरा सारा शरीर अंधेरे से भर जायेगा। इसलिये वह एकमात्र प्रकाश जो तेरे भीतर है यदि अंधकारमय हो जाये तो वह अंधेरा कितना गहरा होगा।
“कोई भी एक साथ दो स्वामियों का सेवक नहीं हो सकता क्योंकि वह एक से घृणा करेगा और दूसरे से प्रेम। या एक के प्रति समर्पित रहेगा और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम धन और परमेश्वर दोनों की एक साथ सेवा नहीं कर सकते।
“मैं तुमसे कहता हूँ अपने जीने के लिये खाने-पीने की चिंता छोड़ दो। अपने शरीर के लिये वस्त्रों की चिंता छोड़ दो। निश्चय ही जीवन भोजन से और शरीर कपड़ों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
देखो! आकाश के पक्षी न तो बुआई करते हैं और न कटाई, न ही वे कोठारों में अनाज भरते हैं किन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनका भी पेट भरता है। क्या तुम उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो?
तुम में से क्या कोई ऐसा है जो चिंता करके अपने जीवन काल में एक घड़ी भी और बढ़ा सकता है?
“और तुम अपने वस्त्रों की क्यों सोचते हो? सोचो जंगल के फूलों की वे कैसे खिलते हैं। वे न कोई काम करते हैं और न अपने लिए कपड़े बनाते हैं।
मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलेमान भी अपने सारे वैभव के साथ उनमें से किसी एक के समान भी नहीं सज सका।
किन्तु जब तू किसी दीन दुःखी को देता है तो तेरा बायाँ हाथ न जान पाये कि तेरा दाहिना हाथ क्या कर रहा है।
इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा?
“इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’
विधर्मी लोग इन सब वस्तुओं के पीछे दौड़ते रहते हैं किन्तु स्वर्ग धाम में रहने वाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।
इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।
कल की चिंता मत करो, क्योंकि कल की तो अपनी और चिंताएँ होंगी। हर दिन की अपनी ही परेशानियाँ होती हैं।
ताकि तेरा दान छिपा रहे। तेरा वह परम पिता जो तू छिपाकर करता है उसे भी देखता है, वह तुझे उसका प्रतिफल देगा।
अच्छा नाम अपार धन पाने से योग्य है। चाँदी, सोने से, प्रशंसा का पात्र होना अधिक उत्तम है।
यदि तू यहोवा पर भरोसा रखेगा और भले काम करेगा तो तू जीवित रहेगा और उन वस्तुओं का भोग करेगा जो धरती देती है।
“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा।
प्रभु में सदा आनन्द मनाते रहो। इसे मैं फिर दोहराता हूँ, आनन्द मनाते रहो।
तुम्हारी सहनशील आत्मा का ज्ञान सब लोगों को हो। प्रभु पास ही है।
किसी बात कि चिंता मत करो, बल्कि हर परिस्थिति में धन्यवाद सहित प्रार्थना और विनय के साथ अपनी याचना परमेश्वर के सामने रखते जाओ।
इसी से परमेश्वर की ओर से मिलने वाली शांति, जो समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारी बुद्धि को मसीह यीशु में सुरक्षित बनाये रखेगी।
तुम परम परमेश्वर की शरण में छिपने के लिये जा सकते हो। तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की शरण में संरक्षण पाने को जा सकते हो।
सो उपदेश के सुनने से विश्वास उपजता है और उपदेश तब सुना जाता है जब कोई मसीह के विषय में उपदेश देता है।