बाइबिल के पद

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48 बाइबल के श्लोक: भूकंप और आपदा

सोचो, आदम और हवा के पाप के बाद धरती पर कितना कुछ बदल गया। परमेश्वर ने कहा था, "तूने अपनी पत्नी की बात मान ली और उस पेड़ का फल खा लिया जिसके बारे में मैंने मना किया था, इसलिए धरती तेरे कारण शापित है। जीवन भर तू कड़ी मेहनत से ही अपना पेट भरेगा।" (उत्पत्ति 3:17)

परमेश्वर का वचन बताता है कि सृष्टि के छठे दिन उन्होंने जो कुछ बनाया था, वह सब बहुत अच्छा था। धरती भी बहुत सुंदर और अच्छी थी। लेकिन पाप के कारण धरती पर शाप और बीमारियाँ आ गईं।

भूकंप हमें याद दिलाते हैं कि एक दिन ईसा मसीह का राज्य इस धरती पर आएगा। ये एक चेतावनी हैं कि हम अपने पापों से पश्चाताप करें और सच्चे दिल से परमेश्वर की ओर फिरें। वरना हम अपनी आत्मा को खो देंगे और उस जगह पहुँच जाएँगे जहाँ हमेशा रोना और दाँत पीसना ही होगा।

परमेश्वर चाहते हैं कि हम पवित्र जीवन जियें और सभी प्रकार की बुराई और अनैतिकता से दूर रहें। अपने जीवन में बदलाव लाएँ और परमेश्वर के करीब आएँ।


लूका 21:11

बड़े-बड़े भूचाल आयेंगे और अनेक स्थानों पर अकाल पड़ेंगे और महामारियाँ होंगी। आकाश में भयानक घटनाएँ घटेंगी और महान संकेत प्रकट होंगे।

मरकुस 13:8

एक जाति दूसरी जाति के विरोध में और एक राज्य दूसरे राज्य के विरोध में खड़े होंगे। बहुत से स्थानों पर भूचाल आयेंगे और अकाल पड़ेंगे। वे पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा।

यशायाह 29:6

सर्वशक्तिमान यहोवा मेघों के गर्जन से, धरती की कम्पन से, और महाध्वनियों से तेरे पास आयेगा। यहोवा दण्डित करेगा। यहोवा तूफान, तेज आँधी और अग्नि का प्रयोग करेगा जो जला कर सभी नष्ट कर देगी।

निर्गमन 19:18

सीनै पर्वत धुएँ से ढका था। पर्वत से धुआँ इस प्रकार उठा जैसे किसी भट्टी से उठता है। यह इसलिए हुआ कि यहोवा आग में पर्वत पर उतरे और साथ ही सारा पर्वत भी काँपने लगा।

1 राजाओं 19:11-12

तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा, “जाओ, मेरे सामने पर्वत पर खड़े होओ। मैं तुम्हारे बगल से निकलूँगा।” तब एक प्रचंड आँधी चली। आँधी ने पर्वतों को तोड़ गिराया। इसने यहोवा के सामने विशाल चट्टानों को तोड़ डाला। किन्तु वह आँधी यहोवा नहीं था। उस आँधी के बाद भूकम्प आया। किन्तु वह भूकम्प यहोवा नहीं था।

भूकम्प के बाद वहाँ अग्नि थी। किन्तु वह आग यहोवा नहीं थी। आग के बाद वहाँ एक शान्त और मद्धिम स्वर सुनाई पड़ा।

भजन संहिता 18:7

तब पृथ्वी हिल गई और काँप उठी; और पहाड़ों की नींव कंपित हो कर हिल गई क्योंकि यहोवा अति क्रोधित हुआ था!

मत्ती 27:54

रोमी सेना नायक और यीशु पर पहरा दे रहे लोग भूचाल और वैसी ही दूसरी घटनाओं को देख कर डर गये थे। वे बोले, “यीशु वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।”

मत्ती 28:2

क्योंकि स्वर्ग से प्रभु का एक स्वर्गदूत वहाँ उतरा था, इसलिए उस समय एक बहुत बड़ा भूचाल आया। स्वर्गदूत ने वहाँ आकर पत्थर को लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया।

प्रेरितों के काम 16:26

तभी वहाँ अचानक एक ऐसा भयानक भूकम्प हुआ कि जेल की नीवें हिल उठीं। और तुरंत जेल के फाटक खुल गये। हर किसी की बेड़ियाँ ढीली हो कर गिर पड़ीं।

भजन संहिता 46:2-3

इसलिए जब धरती काँपती है और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।

हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं, और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।

मत्ती 24:7

हर एक जाति दूसरी जाति के विरोध में और एक राज्य दूसरे राज्य के विरोध में खड़ा होगा। अकाल पड़ेंगें। हर कहीं भूचाल आयेंगे।

प्रकाशितवाक्य 11:19

फिर स्वर्ग में स्थित परमेश्वर के मन्दिर को खोला गया तथा वहाँ मन्दिर में वाचा की वह पेटी दिखाई दी। फिर बिजली की चकाचौंध होने लगी। मेघों का गर्जन-तर्जन और घड़घड़ाहट के शब्द भूकम्प और भयानक ओले बरसने लगे।

प्रकाशितवाक्य 6:12

फिर जब मेमने ने छठी मुहर तोड़ी तो मैंने देखा कि वहाँ एक बड़ा भूचाल आया हुआ है। सूरज ऐसे काला पड़ गया है जैसे किसी शोक मनाते हुए व्यक्ति के वस्त्र होते हैं तथा पूरा चाँद, लहू के जैसा लाल हो गया है।

यशायाह 24:19-20

भूचाल आयेगा और धरती फटकर खुल जायेगी।

उस समय, हर किसी के साथ एक जैसी घटनाएँ घटेगी, साधारण मनुष्य और याजक एक जैसे हो जायेंगे। स्वामी और सेवक एक जैसे हो जायेंगे। दासियाँ और उनकी स्वामिनियाँ एक समान हो जायेंगी। मोल लेने वाले और बेचने वाले एक जैसे हो जायेंगे। कर्जा लेने वाले और कर्जा देने वाले लोग एक जैसे हो जायेंगे। धनवान और ऋणी लोग एक जैसे हो जायेंगे।

संसार के पाप बहुत भारी हैं। उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। यह धरती बनी न रहेगी।

भजन संहिता 46:2

इसलिए जब धरती काँपती है और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।

यशायाह 24:20

संसार के पाप बहुत भारी हैं। उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। यह धरती बनी न रहेगी।

प्रकाशितवाक्य 16:18

तभी बिजली कौंधने लगी, गड़गड़ाहट और मेघों का गर्जन-तर्जन होने लगा तथा एक बड़ा भूचाल भी आया। मनुष्य के इस धरती पर प्रकट होने के बाद का यह सबसे भयानक भूचाल था।

प्रकाशितवाक्य 11:13

ठीक उसी क्षण वहाँ एक भारी भूचाल आया और नगर का दसवाँ भाग ढह गया। भूचाल में सात हज़ार लोग मारे गए तथा जो लोग बचे थे, वे भयभीत हो उठे और वे स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा का बखान करने लगे।

यशायाह 54:10

यहोवा कहता है, “चाहे पर्वत लुप्त हो जाये और ये पहाड़ियाँ रेत में बदल जायें किन्तु मेरी करूणा तुझे कभी भी नहीं त्यागेगी। मैं तुझसे मेल करूँगा और उस मेल का कभी अन्त न होगा।” यहोवा तुझ पर करूणा दिखाता है और उस यहोवा ने ही ये बातें बतायी हैं।

योएल 3:16

परमेश्वर यहोवा सिय्योन से गरजेगा। वह यरूशलेम से गरजेगा। आकाश और धरती काँप—काँप जायेंगे किन्तु अपने लोगों के लिये परमेश्वर यहोवा शरणस्थल होगा। वह इस्राएल के लोगों का सुरक्षा स्थान बनेगा।

यिर्मयाह 10:10

किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। वह शाश्वत शासक है। जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते।

यशायाह 13:13

अपने क्रोध से मैं आकाश को हिला दूँगा। धरती अपनी धुरी से डिगा दी जायेगी।” यह सब उस समय घटेगा जब सर्वशक्तिमान यहोवा अपना क्रोध दर्शायेगा।

यहेजकेल 38:19

क्रोध और उत्तेजना में मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस्राएल में एक प्रबल भूकम्प आएगा।

यहेजकेल 38:19-20

क्रोध और उत्तेजना में मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस्राएल में एक प्रबल भूकम्प आएगा।

“मनुष्य के पुत्र, मागोग प्रदेश में गोग पर ध्यान दो। वह मेशेक और तूबल राष्ट्रों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रमुख है। गोग के विरुद्ध मेरे लिये कुछ कहो।

उस समय सभी सजीव प्राणी भय से काँप उठेंगे। समुद्र में मछलियाँ, आकाश में पक्षी, खेतों में जंगली जानवर और वे सभी छोटे प्राणी जो धरती पर रेंगते हैं, भय से काँप उठेंगे। पर्वत गिर पड़ेंगे और शिखर ध्वस्त होंगी। हर एक दीवार धरती पर आ गिरेगी!”

1 शमूएल 14:15

सभी पलिश्ती सैनिक, रणक्षेत्र के सैनिक, डेरे के सैनिक और किले के सैनिक आतंकित हो गये। यहाँ तक की सर्वाधिक वीर योद्धा भी आतंकित हो गये। धरती हिलने लगी और पलिश्ती सैनिक भयानक ढंग से डर गये!

यहेजकेल 38:20

उस समय सभी सजीव प्राणी भय से काँप उठेंगे। समुद्र में मछलियाँ, आकाश में पक्षी, खेतों में जंगली जानवर और वे सभी छोटे प्राणी जो धरती पर रेंगते हैं, भय से काँप उठेंगे। पर्वत गिर पड़ेंगे और शिखर ध्वस्त होंगी। हर एक दीवार धरती पर आ गिरेगी!”

आमोस 1:1

आमोस का सन्देश। आमोस तकोई नगर का गड़ेरिया था। यहूदा पर राजा उज्जिय्याह के शासन काल और इस्राएल पर योआश के पुत्र राजा यारोबाम के शासन काल में आमोस को इस्राएल के बारे में (अन्त) दर्शन हुआ। यह भूकम्प के दो वर्ष पूर्व हुआ।

नहूम 1:5

यहोवा का आगमन होगा और पर्वत भय से काँपेंगे और ये पहाड़ियाँ पिघलकर बह जायेंगी। यहोवा का आगमन होगा और यह धरती भय से काँप उठेगी। यहजगत और जो कुछ इसमें है जो जीवित है, भय से काँपेगा।

जकर्याह 14:4

उस समय, वह जैतुन के पर्वत पर खड़े होंगा। वह पहाड़ी जो यरूशलेम के पूर्व है। अंजीर का पर्वत फट पड़ेगा। पर्वत एक भाग उत्तर को जाएगा दसरा भाग दक्षिण को। एक गहरी घाटी पूर्व से पश्चिम तक उभर आएगी।

आमोस 8:8

उन कामों के कारण पूरा देश काँप जाएगा। इस देश का हर एक निवासी मृतकों के लिये रोयेगा। पूरा देश मिस्र में नील नदी की तरह उमड़ेगा और नीचे गिरेगा। पूरा देश चारों ओर उछाल दिया जायेगा।”

जकर्याह 14:5

जैसे—जैसे वह पर्वतीय घाटी तुम्हारे समीप आती जाएगी, तुम भाग जाना चाहोगे। तुम उसी समय की तरह भागोगे, जैसे तुम यहूदा के राजा उज्जिय्याह के समय में भुक्मप से भागे थे। किन्तु यहोवा, मेरा परमेश्वर आएगा और उनके सभी पवित्र लोग उनके साथ होंगे।

मत्ती 27:51-54

उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। धरती काँप उठी। चट्टानें फट पड़ीं।

यहाँ तक कि कब्रें खुल गयीं और परमेश्वर के मरे हुए बंदों के बहुत से शरीर जी उठे।

वे कब्रों से निकल आये और यीशु के जी उठने के बाद पवित्र नगर में जाकर बहुतों को दिखाई दिये।

रोमी सेना नायक और यीशु पर पहरा दे रहे लोग भूचाल और वैसी ही दूसरी घटनाओं को देख कर डर गये थे। वे बोले, “यीशु वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।”

मत्ती 27:51

उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। धरती काँप उठी। चट्टानें फट पड़ीं।

इब्रानियों 12:26

उसकी वाणी ने उस समय धरती को झकझोर दिया था किन्तु अब उसने प्रतिज्ञा की है, “एक बार फिर न केवल धरती को ही बल्कि आकाशों को भी मैं झकझोर दूँगा।”

प्रेरितों के काम 4:31

जब उन्होंने प्रार्थना पूरी की तो जिस स्थान पर वे एकत्र थे, वह हिल उठा और उन सब में पवित्र आत्मा समा गया, और वे निर्भयता के साथ परमेश्वर के वचन बोलने लगे।

भजन संहिता 104:32

यहोवा की दृष्टि से यह धरती काँप उठेगी। पर्वतों से धुआँ उठने लग जायेगा।

इब्रानियों 12:26-27

उसकी वाणी ने उस समय धरती को झकझोर दिया था किन्तु अब उसने प्रतिज्ञा की है, “एक बार फिर न केवल धरती को ही बल्कि आकाशों को भी मैं झकझोर दूँगा।”

“एक बार फिर” ये शब्द उस हर वस्तु की ओर इंगित करते हैं जिसे रचा गया है (यानी वे वस्तुएँ जो अस्थिर हैं) वे नष्ट हो जायेंगी। केवल वे वस्तुएँ ही बचेंगी जो स्थिर हैं।

भजन संहिता 37:2

दुर्जन मनुष्य घास और हरे पौधों की तरह शीघ्र पीले पड़ जाते हैं और मर जाते हैं।

प्रकाशितवाक्य 8:5

इसके बाद स्वर्गदूत ने उस धूपदान को उठाया, उसे वेदी की आग से भरा और उछाल कर धरती पर फेंक दिया। इस पर मेघों का गर्जन-तर्जन, भीषण शब्द, बिजली की चमक और भूकम्प होने लगे।

यहेजकेल 3:12

तब आत्मा ने मुझे ऊपर उठाया। तब मैंने अपने पीछे एक आवाज सुनी। यह बिजली की कड़क की तरह बहुत तेज थी। उसने कहा, “यहोवा की महिमा धन्य है!”

मीका 1:3

देखो, यहोवा अपने स्थान से बाहर जा रहा है। वह धरती के ऊँचे स्थानों पर चलने के लिये उतर कर नीचे आ रहा है।

भजन संहिता 68:8

इस्राएल का परमेश्वर जब सिय्योन पर्वत पर आया था, धरती काँप उठी थी, और आकाश पिघला था।

लूका 17:26-30

“वैसे ही जैसे नूह के दिनों में हुआ था, मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।

उस दिन तक जब नूह ने नौका में प्रवेश किया, लोग खाते-पीते रहे, ब्याह रचाते और विवाह में दिये जाते रहे। फिर जल प्रलय आया और उसने सबको नष्ट कर दिया।

“इसी प्रकार लूत के दिनों में भी ठीक ऐसे ही हुआ था। लोग खाते-पीते, मोल लेते, बेचते खेती करते और घर बनाते रहे।

किन्तु उस दिन जब लूत सदोम से बाहर निकला तो आकाश से अग्नि और गंधक बरसने लगे और वे सब नष्ट हो गये।

सावधान रहो! “यदि तुम्हारा भाई पाप करे तो उसे डाँटो और यदि वह अपने किये पर पछताये तो उसे क्षमा कर दो।

उस दिन भी जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा, ठीक ऐसा ही होगा।

1 राजाओं 19:11

तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा, “जाओ, मेरे सामने पर्वत पर खड़े होओ। मैं तुम्हारे बगल से निकलूँगा।” तब एक प्रचंड आँधी चली। आँधी ने पर्वतों को तोड़ गिराया। इसने यहोवा के सामने विशाल चट्टानों को तोड़ डाला। किन्तु वह आँधी यहोवा नहीं था। उस आँधी के बाद भूकम्प आया। किन्तु वह भूकम्प यहोवा नहीं था।

भजन संहिता 75:3

धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है, किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ।

यशायाह 2:19

लोग चट्टानों, गुफाओं और धरती के भीतर जा छिपेंगे। वे यहोवा और उसकी महान शक्ति से डर जायेंगे। ऐसा उस समय होगा जब यहोवा धरती को हिलाने के लिए खड़ा होगा।

भजन संहिता 102:25-26

बहुत समय पहले तूने संसार रचा! तूने स्वयं अपने हाथों से आकाश रचा।

यह जगत और आकाश नष्ट हो जायेंगे, किन्तु तू सदा ही जीवित रहेगा! वे वस्त्रों के समान जीर्ण हो जायेंगे। वस्त्रों के समान ही तू उन्हें बदलेगा। वे सभी बदल दिये जायेंगे।

मत्ती 8:24-26

उसी समय झील में इतना भयंकर तूफान उठा कि नाव लहरों से दबी जा रही थी। किन्तु यीशु सो रहा था।

तब उसके अनुयायी उसके पास पहुँचे और उसे जगाकर बोले, “प्रभु हमारी रक्षा कर। हम मरने को हैं!”

तब यीशु ने उनसे कहा, “अरे अल्प विश्वासियों! तुम इतने डरे हुए क्यों हो?” तब उसने खड़े होकर तूफान और झील को डाँटा और चारों तरफ़ शांति छा गयी।

ईश्वर से प्रार्थना

हे दयालु और अनन्त परमेश्वर, परम प्रभु, यीशु के नाम में मैं आपके चरणों में आता हूँ। केवल आप ही सर्वोच्च स्तुति और आराधना के योग्य हैं। प्रभु, इस दुःख और विपदा की घड़ी में, जब कई परिवार भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए हैं, मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप उन पर दया करें और अपनी शक्तिशाली कृपा उन पर बरसाएँ। आप ही उनकी रक्षा करें। वे अपनी दृष्टि ऊपर उठाकर स्वर्ग की ओर देखें और यह समझें कि आप ही उनके दुखों में सहायक और तत्काल मददगार हैं। सब कुछ आपके नियंत्रण में है क्योंकि पृथ्वी की गहराइयाँ आपके हाथों में हैं और केवल आप ही इसे स्थिर रख सकते हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि उनकी निराशा के बीच, आपकी शांति और शक्ति उनके हृदय में राज करे। उन लोगों की रक्षा करें जो घायल हुए हैं और मानसिक रूप से प्रभावित हैं। उन पर अपना उपचार करने वाला हाथ रखें, उन्हें दवाएं, भोजन और आश्रय प्रदान करें ताकि उनका जीवन भय और निराशा से बचा रहे। यीशु के नाम में, आमीन।