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नहूम 1:5 - पवित्र बाइबल

5 यहोवा का आगमन होगा और पर्वत भय से काँपेंगे और ये पहाड़ियाँ पिघलकर बह जायेंगी। यहोवा का आगमन होगा और यह धरती भय से काँप उठेगी। यहजगत और जो कुछ इसमें है जो जीवित है, भय से काँपेगा।

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Hindi Holy Bible

5 उसके स्पर्श से पहाड़ कांप उठते हैं और पहाडिय़ां गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन सारा संसार अपने सब रहने वालों समेत थरथरा उठता है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 प्रभु के सम्‍मुख पहाड़ कांपते हैं, पहाड़ियाँ हिलने लगती हैं। उसकी उपस्‍थिति से, पृथ्‍वी और उस पर रहनेवाले प्राणी, उजड़ जाते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 उसके स्पर्श से पहाड़ काँप उठते हैं और पहाड़ियाँ गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन् सारा संसार अपने सब रहनेवालों समेत थरथरा उठता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 उनके सामने पर्वत कांप उठते हैं और पहाड़ियां पिघल जाती हैं. उनकी उपस्थिति में पृथ्वी, सारा संसार और उसमें रहनेवाले कांप उठते हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

5 उसके स्पर्श से पहाड़ काँप उठते हैं और पहाड़ियाँ गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन् सारा संसार अपने सब रहनेवालों समेत थरथरा उठता है।

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नहूम 1:5
34 क्रॉस रेफरेंस  

तब धरती में कम्पन हुआ, धरती डोल उठी, आकाश के आधार स्तम्भ काँप उठे। क्यों? क्योंकि यहोवा क्रोधित था।


जब परमेश्वर डाँटता है तो वे नीवें जिन पर आकाश टिका है भय से काँपने लगती है।


जब परमेश्वर क्रोधित होता है, वह पर्वतों को हटा देता है और वे जान तक नहीं पाते।


यहोवा की दृष्टि से यह धरती काँप उठेगी। पर्वतों से धुआँ उठने लग जायेगा।


पर्वत मेंढ़े के समान नाच उठे! पहाड़ियाँ मेमनों जैसी नाची।


पर्वतों, क्यों तुम मेंढ़े के जैसे नाचे और पहाड़ियों, तुम क्यों मेमनों जैसी नाची


तब पृथ्वी हिल गई और काँप उठी; और पहाड़ों की नींव कंपित हो कर हिल गई क्योंकि यहोवा अति क्रोधित हुआ था!


परमेश्वर के नथनों से धुँआ निकल पड़ा। परमेश्वर के मुख से ज्वालायें फूट निकली, और उससे चिंगारियाँ छिटकी।


यहोवा के गरजते ही, राष्ट्र भय से काँप उठेंगे। उनकी राजधानियों का पतन हो जाता है और धरती चरमरा उठती हैं।


इस्राएल का परमेश्वर जब सिय्योन पर्वत पर आया था, धरती काँप उठी थी, और आकाश पिघला था।


बाँसुरी बजाओ और नरसिंगों को फूँको। आनन्द से यहोवा, हमारे राजा की जय जयकार करो।


सीनै पर्वत धुएँ से ढका था। पर्वत से धुआँ इस प्रकार उठा जैसे किसी भट्टी से उठता है। यह इसलिए हुआ कि यहोवा आग में पर्वत पर उतरे और साथ ही सारा पर्वत भी काँपने लगा।


देखो! यहोवा इस धरती को नष्ट करेगा। यहोवा भूचालों के द्वारा इस धरती को मरोड़ देगा। यहोवा लोगों को कहीं दूर जाने को विवश करेगा।


संसार के पाप बहुत भारी हैं। उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। यह धरती बनी न रहेगी।


इसलिए यहोवा अपने लोगों से बहुत अधिक कुपित हुआ है। यहोवा ने अपना हाथ उठाया और उन्हें दण्ड दिया। यहाँ तक कि पर्वत भी भयभीत हो उठे थे। गलियों में कूड़े की तरह लाशें बिछी पड़ी थी। किन्तु यहोवा अभी भी कुपित है। उसका हाथ लोगों को दण्ड देने के लिए अभी भी उठा हुआ है।


किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। वह शाश्वत शासक है। जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते।


मैंने पर्वतों पर नजर डाली और वे काँप रहे थे। सभी पहाड़ियाँ लड़खड़ा रही थीं।


उस समय सभी सजीव प्राणी भय से काँप उठेंगे। समुद्र में मछलियाँ, आकाश में पक्षी, खेतों में जंगली जानवर और वे सभी छोटे प्राणी जो धरती पर रेंगते हैं, भय से काँप उठेंगे। पर्वत गिर पड़ेंगे और शिखर ध्वस्त होंगी। हर एक दीवार धरती पर आ गिरेगी!”


धरती और आकाश तक उनके सामने काँपते हैं। सूरज और चाँद भी काले पड़ जाते हैं और तोर चमकना छोड़ देते हैं।


मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा, उस प्रदेश को छुएगा और वह पिघल जाएगा तब उस देश के सभी निवासी मृतको के लिये रोएंगे। यह प्रदेश मिस्र की नील नदी की तरह ऊपर उठेगा और नीचे गिरेगा।


परमेश्वर यहोवा के पांव तले पहाड़ पिघल जायेंगे, घाटियाँ चरमरा जायेंगी। जैसे आग के सामने मोम पिघल जाता है, जैसे ढलान से पानी उतरता हुआ बहता है।


पहाड़ों ने तुझे देखा और वे काँप उठे। जल धरती को फोड़ कर बहने लगा था। धरती से ऊँचे फव्वारे गहन गर्जन करते हुए फूट रहे थे।


वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे— ‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”


“न्याय का समय आ रहा है। यह गर्म भट्टी —सा होगा। वे सभी गर्वीलें व्यक्ति दण्डित होंगे। वे सभी पापी लोग सूखी घास की तरह जलेंगे। उस समय वे आग में ऐसी जलती झाड़ी—से होंगे जिसकी कोई शाखा याजड़ बची नहीं रहेगी।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।


उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। धरती काँप उठी। चट्टानें फट पड़ीं।


क्योंकि स्वर्ग से प्रभु का एक स्वर्गदूत वहाँ उतरा था, इसलिए उस समय एक बहुत बड़ा भूचाल आया। स्वर्गदूत ने वहाँ आकर पत्थर को लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया।


फिर मैंने एक विशाल श्वेत सिंहासन को और उसे जो उस पर विराजमान था, देखा। उसके सामने से धरती और आकाश भाग खड़े हुए। उनका पता तक नहीं चल पाया।


आकाश फट पड़ा था और एक पुस्तक के समान सिकुड़ कर लिपट गया था। सभी पर्वत और द्वीप अपने-अपने स्थानों से डिग गये थे।


पर्वत काँप उठे यहोवा, सीनै पर्वत के परमेश्वर के सामने, यहोवा, इस्राएल के लोगों के परमेश्वर के सामने!


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