बाइबिल के पद

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61 मित्रों को आशीष देने के लिए बाइबल के वचन

सोचो, सच्चा प्यार सिर्फ़ मीठे शब्दों या तोहफ़ों से ज़्यादा है। सच्चा प्यार वो है जब आप अपने दोस्त के लिए प्रार्थना करते हैं। क्योंकि कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ हम इंसान पहुँच नहीं सकते, लेकिन प्रार्थना के ज़रिए बहुत कुछ हो सकता है। आपके दोस्त हमेशा इसके लिए शुक्रगुज़ार रहेंगे।

कोशिश करो कि आपके मुँह से हमेशा आशीर्वाद ही निकले। इससे आप अपने आस-पास वालों की ज़िंदगी में ख़ूबसूरत निशान छोड़ जाएँगे और यही सच्ची दोस्ती की पहचान है, जो हमेशा बनी रहती है।

बाइबल में ऐसे बहुत से वचन हैं जिन्हें हम उन लोगों को समर्पित कर सकते हैं जिन्होंने हमारी ज़िंदगी को खुशहाल बनाया है, जिन्होंने हमें सिखाया है और हमारी भलाई चाही है, जिन्हें ईश्वर ने हमारी ज़िंदगी में भेजा है और जो हमारे सुख-दुख में साथ रहे हैं। "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र ईश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, अनुनय, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा के लिए लाभदायक है।" (२ तीमुथियुस ३:१६)


नीतिवचन 17:17

मित्र तो सदा—सर्वदा प्रेम करता है बुरे दिनों को काम आने का बंधु बन जाता है।

फिलिप्पियों 4:23

तुम में से हर एक पर हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे।

फिलिप्पियों 4:19

मेरा परमेश्वर तुम्हारी सभी आवश्यकताओं को मसीह यीशु में प्राप्त अपने भव्य धन से पूरा करेगा।

नीतिवचन 16:3

जो कुछ तू यहोवा को समर्पित करता है तेरी सारी योजनाएँ सफल होंगी।

यिर्मयाह 29:11

मैं यह इसलिये कहता हूँ क्योंकि मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाएं हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ।

गिनती 6:24-26

‘यहोवा तुम पर कृपा करे और तुम्हारी रक्षा करे।

यहोवा की कृपादृष्टि तुम पर प्रकाशित हो। वह तुमसे प्रेम करे।

यहोवा की दृष्टि तुम पर हो। वह तुम्हें शान्ति दे।’

भजन संहिता 37:4-5

यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह, और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।

यहोवा नेक जनों को सहारा देता है, और उनकी रक्षा करता है। सज्जन यहोवा की शरण में आते हैं और यहोवा उनको दुर्जनों से बचा लेता है।

यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर। वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।

यूहन्ना 15:13

बड़े से बड़ा प्रेम जिसे कोई व्यक्ति कर सकता है, वह है अपने मित्रों के लिए प्राण न्योछावर कर देना।

सभोपदेशक 4:9

एक व्यक्ति से दो व्यक्ति उत्तम होते हैं। जब दो व्यक्ति मिलकर साथ—साथ काम करते हैं तो जिस काम को वे करते हैं, उस काम से उन्हें अधिक लाभ मिलता है।

नीतिवचन 27:9

इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है।

नीतिवचन 27:17

जैसे धार धरता है लोहे से लोहा, वैसी ही जन एक दूसरे की सीख से सुधरते हैं।

नीतिवचन 18:24

कुछ मित्र ऐसे होते हैं जिनका साथ मन को भाता है किन्तु अपना घनिष्ठ मित्र भाई से भी उत्तम हो सकता है।

फिलेमोन 1:7

हे भाई, तेरे प्रयत्नों से संत जनों के हृदय हरे-भरे हो गये हैं, इसलिए तेरे प्रेम से मुझे बहुत आनन्द मिला है।

भजन संहिता 1:1

सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।

3 यूहन्ना 1:2

हे मेरे प्रिय मित्र, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू जैसे आध्यात्मिक रूप से उन्नति कर रहा है, वैसे ही सब प्रकार से उन्नति करता रह और स्वास्थ्य का आनन्द उठाता रह।

फिलेमोन 1:4-5

अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हारा उल्लेख करते हुए मैं सदा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ।

क्योंकि मैं संत जनों के प्रति तुम्हारे प्रेम और यीशु मसीह में तुम्हारे विश्वास के विषय में सुनता रहता हूँ।

2 कुरिन्थियों 9:8

और परमेश्वर तुम पर हर प्रकार के उत्तम वरदानों की वर्षा कर सकता है जिससे तुम अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुओं में सदा प्रसन्न हो सकते हो और सभी अच्छे कार्यों के लिये फिर तुम्हारे पास आवश्यकता से भी अधिक रहेगा।

भजन संहिता 91:11

क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा। तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।

भजन संहिता 20:4

परमेश्वर तुझे उन सभी वस्तुओं को देवे जिन्हें तू सचमुच चाहे। वह तेरी सभी योजनाएँ पूरी करें।

नीतिवचन 10:22

यहोवा के वरदान से जो धन मिलता है, उसके साथ वह कोई दुःख नहीं जोड़ता।

फिलिप्पियों 1:3-4

मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ।

तुम जानते हो कि तुम उसी संघर्ष में जुटे हो, जिसमें मैं जुटा था और जैसा कि तुम सुनते हो आज तक मैं उसी में लगा हूँ।

अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ।

कुलुस्सियों 3:12-14

क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो।

तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया।

इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।

1 थिस्सलुनीकियों 5:11

इसलिए एक दूसरे को सुख पहुँचाओ और एक दूसरे को आध्यात्मिकरूप से सुदृढ़ बनाते रहो। जैसा कि तुम कर भी रहे हो।

भजन संहिता 133:1

परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे। यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।

1 शमूएल 18:1-3

दाऊद ने जब शाऊल से बात पूरी कर ली तब योनातान दाऊद का बहुत अभिन्न मित्र बन गया। योनातान दाऊद से उतना ही प्रेम करने लगा जितना अपने से।

अगले दिन, परमेश्वर के द्वारा भेजी एक दुष्टात्मा शाऊल पर बलपूर्वक हावी हो गई। शाऊल अपने घर में वहशी हो गया। दाऊद ने पहले की तरह वीणा बजाई।

किन्तु शाऊल के हाथ में भाला था। शाऊल ने सोचा, “मैं दाऊद को दीवार में टाँक दूँगा।” शाऊल ने दो बार भाला चलाया, किन्तु दाऊद बच गया।

यहोवा दाऊद के साथ था और यहोवा ने शाऊल को त्याग दिया था। इसलिए शाऊल दाऊद से भयभीत था।

शाऊल ने दाऊद को अपने से दूर भेज दिया। शाऊल ने दाऊद को एक हजार सैनिकों का सेनापति बना दिया। दाऊद ने युद्ध में सैनिकों का नेतृत्व किया।

यहोवा दाऊद के साथ था। अत: दाऊद सर्वत्र सफल रहता था।

शाऊल ने देखा कि दाऊद को बहुत अधिक सफलता मिल रही है तो शाऊल दाऊद से और भी अधिक भयभीत रहने लगा।

किन्तु इस्राएल और यहूदा के सभी लोग दाऊद से प्रेम करते थे। वे उससे प्रेम इसलिये करते थे क्योंकि वह युद्ध में उनका संचालन करता था और उनके लिये लड़ता था।

शाऊल दाऊद को मार डालना चाहता था। शाऊल ने दाऊद को धोखा देने का एक उपाय सोचा। शाऊल ने दाऊद से कहा, “यह मेरी सबसे बड़ी पुत्री मेरब है। मैं तुम्हें इससे विवाह करने दूँगा। तब तुम शक्तिशाली योद्धा हो जाओगे। तुम हमारे पुत्र के समान होओगे। तब तुम जाना और यहोवा के युद्धों को लड़ना।” यह एक चाल थी। शाऊल सचमुच अब यह सोच रहा थ, “इस प्रकार दाऊद को मुझे मारना नहीं पड़ेगा। मैं पलिश्तियों से उसे अपने लिए मरवा दूँगा!”

किन्तु दाऊद ने कहा, “मैं किसी महत्वपूर्ण परिवार से नहीं हूँ और मेरी हस्ती ही क्या है? मैं एक राजा की पुत्री के साथ विवाह नहीं कर सकता हूँ!”

फिर जब शाऊल की पुत्री मेरब का दाऊद के साथ विवाह का समय आया तब शाऊल ने महोलाई अद्रीएल से उसका विवाह कर दिया।

शाऊल ने उस दिन के बाद से दाऊद को अपने पास रखा। शाऊल ने दाऊद को उसके घर पिता के पास नहीं जाने दिया।

शाऊल की दूसरी पुत्री मीकल दाऊद से प्रेम करती थी। लोगों ने शाऊल से कहा कि मीकल दाऊद से प्रेम करती है। इससे शाऊल को प्रसन्नता हुई।

शाऊल ने सोचा, “मैं मीकल का उपयोग दाऊद को फँसाने के लिये करूँगा। मैं मीकल को दाऊद से विवाह करने दूँगा और तब मैं पलिश्तियों को इसे मार डालने दूँगा।” अत: शाऊल ने दाऊद से दूसरी बार कहा, “आज तुम मेरी पुत्री से विवाह कर सकते हो।”

शाऊल ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया। उसने उनसे कहा, “दाऊद से अकेले में बातें करो। कहो, ‘देखो, राजा तुमको पसन्द करता है। उसके अधिकारी तुमको पसन्द करते हैं। तुम्हें उसकी पुत्री से विवाह कर लेना चाहिये।’”

शाऊल के अधिकारियों ने वे बाते दाऊद से कहीं। किन्तु दाऊद ने उत्तर दिया, “क्या तुम लोग समझते हो कि राजा का दामाद बनना सरल है? मेरे पास इतना धन नहीं कि राजा की पुत्री के लिये दे सकूँ। मैं तो एक साधारण गरीब व्यक्ति हूँ।”

शाऊल के अधिकारियों ने शाऊल को वह सब बताया जो दाऊद ने कहा था।

शाऊल ने उनसे कहा, “दाऊद से यह कहो, ‘दाऊद, राजा यह नहीं चाहता कि तुम उसकी पुत्री के लिये धन दो! शाऊल अपने शत्रुओं से बदला लेना चाहता है। इसलिए विवाह करने के लिये कीमत के रूप में केवल सौ पलिश्तियों की खलडियाँ हैं।’” यह शाऊल की गुप्त योजना थी। शाऊल ने सोचा कि पलिश्ती इस प्रकार दाऊद को मार डालेंगे।

शाऊल के अधिकारियों ने दाऊद से ये बातें कहीं। दाऊद राजा का दामाद बनना चाहता था, इसलिए उसने तुरन्त ही कुछ कर दिखाया।

दाऊद और उसके व्यक्ति पलिश्तियों से लड़ने गये। उन्होंने दो सौ पलिश्ती मार डाले। दाऊद ने उनके खलड़ियों को लिया और शाऊल को दे दिये। दाऊद ने यह इसलिए किया क्योंकि वह राजा का दामाद बनना चाहता था। शाऊल ने दाऊद को अपनी पुत्री मीकल से विवाह करने दिया।

शाऊल ने देखा कि यहोवा दाऊद के साथ था। किन्तु शाऊल ने यह भी ध्यान में रखा कि उसकी पुत्री मीकल दाऊद को प्यार करती है।

इसलिये शऊल दाऊद से और भी अधिक भयभीत हुआ। शाऊल उस पूरे समय दाऊद के विरुद्ध रहा।

योनातान दाऊद से बहुत प्रेम करता था। योनातान ने दाऊद से एक सन्धि की।

रोमियों 12:10

भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।

1 कुरिन्थियों 13:4-7

प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता।

वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता।

बुराई पर कभी उसे प्रसन्नता नहीं होती। वह तो दूसरों के साथ सत्य पर आनंदित होता है।

वह सदा रक्षा करता है, वह सदा विश्वास करता है। प्रेम सदा आशा से पूर्ण रहता है। वह सहनशील है।

अय्यूब 42:10

इस प्रकार जब अय्यूब अपने मित्रों के लिये प्रार्थना कर चुका तो यहोवा ने अय्यूब की फिर सफलता प्रदान की। परमेश्वर ने जितना उसके पास पहले था, उससे भी दुगुना उसे दे दिया।

इफिसियों 4:32

परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।

नीतिवचन 16:24

मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है, एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।

भजन संहिता 41:1-2

दीन का सहायक बहुत पायेगा। ऐसे मनुष्य पर जब विपत्ति आती है, तब यहोवा उस को बचा लेगा।

सो हे यहोवा, मुझ पर कृपा कर और मुझ पर कृपालु हो। मुझको खड़ा कर कि मैं प्रतिशोध ले लूँ।

हे यहोवा, यदि तू मेरे शत्रुओं को बुरा नहीं करने देगा, तो मैं समझूँगा कि तूने मुझे अपना लिया है।

मैं निर्दोष था और तूने मेरी सहायता की। तूने मुझे खड़ा किया और मुझे तेरी सेवा करने दिया।

इस्राएल का परमेश्वर, यहोवा धन्य है! वह सदा था, और वह सदा रहेगा। आमीन, आमीन!

यहोवा उस जन की रक्षा करेगा और उसका जीवन बचायेगा। वह मनुष्य धरती पर बहुत वरदान पायेगा। परमेश्वर उसके शत्रुओं द्वारा उसका नाश नहीं होने देगा।

भजन संहिता 121:7-8

यहोवा तुझे हर संकट से बचाएगा। यहोवा तेरी आत्मा की रक्षा करेगा।

आते और जाते हुए यहोवा तेरी रक्षा करेगा। यहोवा तेरी सदा सर्वदा रक्षा करेगा!

1 थिस्सलुनीकियों 3:12

और प्रभु एक दूसरे के प्रति तथा सभी के लिए तुममें जो प्रेम है, उसकी बढ़ोतरी करे। वैसे ही जैसे तुम्हारे लिए हमारा प्रेम उमड़ पड़ता है।

यूहन्ना 15:15

अब से मैं तुम्हें दास नहीं कहूँगा क्योंकि कोई दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या कर रहा है बल्कि मैं तुम्हें मित्र कहता हूँ। क्योंकि मैंने तुम्हें वह हर बात बता दी है, जो मैंने अपने परम पिता से सुनी है।

रोमियों 15:13

सभी आशाओं का स्रोत परमेश्वर, तुम्हें सम्पूर्ण आनन्द और शांति से भर दे जैसा कि उसमें तुम्हारा विश्वास है। ताकि पवित्र आत्मा की शक्ति से तुम आशा से भरपूर हो जाओ।

नीतिवचन 27:6

हो सकता है मित्र कभी दुःखी करें, किन्तु ये उसका लक्ष्य नहीं है। इससे शत्रु भिन्न है। वह चाहे तुम पर दया करे किन्तु वह तुम्हें हानि पहुँचाना चाहता है।

इफिसियों 6:23-24

हे भाइयों, तुम सब को परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से विश्वास शांति और प्रेम प्राप्त हो।

जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से अमर प्रेम रखते हैं, उन पर परमेश्वर का अनुग्रह होता है।

नीतिवचन 11:25

उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी।

फिलिप्पियों 2:3-4

ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।

क्योंकि मसीह के काम के लिये वह लगभग मर गया था ताकि तुम्हारे द्वारा की गयी मेरी सेवा में जो कभी रह गई थी, उसे वह पूरा कर दे, इसके लिये उसने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

तुममें से हर एक को चाहिए कि केवल अपना ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।

2 कुरिन्थियों 13:11

अब हे भाईयों, मैं तुमसे विदा लेता हूँ। अपने आचरण ठीक रखो। वैसा ही करते रहो जैसा करने को मैंने कहा है। एक जैसा सोचो। शांतिपूर्वक रहो। जिससे प्रेम और शांति का परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।

नीतिवचन 19:20-21

सुमति पर ध्यान दे और सुधार को अपना ले तू जिससे अंत में तू बूद्धिमान बन जाये।

मनुष्य अपने मन में क्या—क्या! करने की सोचता है किन्तु यहोवा का उद्देश्य पूरा होता है।

फिलिप्पियों 4:6-7

किसी बात कि चिंता मत करो, बल्कि हर परिस्थिति में धन्यवाद सहित प्रार्थना और विनय के साथ अपनी याचना परमेश्वर के सामने रखते जाओ।

इसी से परमेश्वर की ओर से मिलने वाली शांति, जो समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारी बुद्धि को मसीह यीशु में सुरक्षित बनाये रखेगी।

इफिसियों 1:16-18

मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर कर रहा हूँ। अपनी प्रार्थनाओं में मैं तुम्हारा उल्लेख किया करता हूँ।

मैं प्रार्थना किया करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर तुम्हें विवेक और दिव्यदर्शन की ऐसी आत्मा की शक्ति प्रदान करे जिससे तुम उस महिमावान परम पिता को जान सको।

मेरी विनती है कि तुम्हारे हृदय की आँखें खुल जायें और तुम प्रकाश का दर्शन कर सको ताकि तुम्हें पता चल जाये कि वह आशा क्या है जिसके लिये तुम्हें उसने बुलाया है। और जिस उत्तराधिकार को वह अपने सभी लोगों को देगा, वह कितना अद्भुत और सम्पन्न है।

भजन संहिता 37:4

यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह, और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।

यशायाह 41:10

तू चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। तू भयभीत मत हो, मैं तेरा परमेश्वर हूँ। मैं तुझे सुदृढ़ करुँगा। मैं तुझे अपने नेकी के दाहिने हाथ से सहारा दूँगा।

रोमियों 8:28

और हम जानते हैं कि हर परिस्थिति में वह आत्मा परमेश्वर के भक्तों के साथ मिल कर वह काम करता है जो भलाई ही लाते हैं उन सब के लिए जिन्हें उसके प्रयोजन के अनुसार ही बुलाया गया है।

भजन संहिता 23:1-3

यहोवा मेरा गडेरिया है। जो कुछ भी मुझको अपेक्षित होगा, सदा मेरे पास रहेगा।

हरी भरी चरागाहों में मुझे सुख से वह रखता है। वह मुझको शांत झीलों पर ले जाता है।

वह अपने नाम के निमित्त मेरी आत्मा को नयी शक्ति देता है। वह मुझको अगुवाई करता है कि वह सचमुच उत्तम है।

भजन संहिता 37:5

यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर। वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।

भजन संहिता 121:2

मुझको तो सहारा यहोवा से मिलेगा जो स्वर्ग और धरती का बनाने वाला है।

मत्ती 18:20

क्योंकि जहाँ मेरे नाम पर दो या तीन लोग मेरे अनुयायी के रूप में इकट्ठे होते हैं, वहाँ मैं उनके साथ हूँ।”

नीतिवचन 12:26

धर्मी मनुष्य मित्रता में सतर्क रहता है, किन्तु दुष्टों की चाल उन्हीं को भटकाती है।

रोमियों 12:15

जो प्रसन्न हैं उनके साथ प्रसन्न रहो। जो दुःखी है, उनके दुःख में दुःखी होओ।

इब्रानियों 10:24-25

तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।

हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।

भजन संहिता 119:63

जो कोई व्यक्ति तेरी उपासना करता मैं उसका मित्र हूँ। जो कोई व्यक्ति तेरे आदेशों पर चलता है, मैं उसका मित्र हूँ।

इफिसियों 3:16-19

मैं प्रार्थना करता हूँ कि वह महिमा के अपने धन के अनुसार अपनी आत्मा के द्वारा तुम्हारे भीतरी व्यक्तित्व को शक्तिपूर्वक सुदृढ़ करे।

और विश्वास के द्वारा तुम्हारे हृदयों में मसीह का निवास हो। तुम्हारी जड़ें और नींव प्रेम पर टिकें।

जिससे तुम्हें अन्य सभी संत जनों के साथ यह समझने की शक्ति मिल जाये कि मसीह का प्रेम कितना व्यापक, विस्तृत, विशाल और गम्भीर है।

और तुम मसीह के उस प्रेम को जान लो जो सभी प्रकार के ज्ञानों से परे है ताकि तुम परमेश्वर की सभी परिपूर्णताओं से भर जाओ।

1 पतरस 5:10

किन्तु सम्पूर्ण अनुग्रह का स्रोत परमेश्वर जिसने तुम्हें यीशु मसीह में अनन्त महिमा का सहभागी होने के लिए बुलाया है, तुम्हारे थोड़े समय यातनाएँ झेलने के बाद स्वयं ही तुम्हें फिर से स्थापित करेगा, समर्थ बनाएगा और स्थिरता प्रदान करेगा।

1 कुरिन्थियों 1:4

तुम्हें प्रभु यीशु में जो अनुग्रह प्रदान की गयी है, उसके लिये मैं तुम्हारी ओर से परमेश्वर का सदा धन्यवाद करता हूँ।

भजन संहिता 115:14-15

मुझे आशा है यहोवा तुम्हारी बढ़ोतरी करेगा और मुझे आशा है, वह तुम्हारी संतानों को भी अधिकाधिक देगा।

यहोवा तुझको वरदान दिया करता है! यहोवा ने ही स्वर्ग और धरती बनाये हैं!

ईश्वर से प्रार्थना

मेरे प्यारे यीशु, आप हर समय विश्वासयोग्य हैं, आपके प्रेम ने मेरी रक्षा की है और हर सुबह मुझे उठाया है। आप सच्ची निष्ठा और वफ़ादारी की मिसाल हैं। इसलिए, मैं आपसे प्रार्थना करता/करती हूँ कि मुझे एक अच्छा दोस्त बनने में मदद करें ताकि मैं आपके प्रतिबिंब बनकर अपने हर दोस्त के जीवन को आशीर्वाद दे सकूँ। इस समय, मैं आपसे अपने दोस्त के जीवन की रक्षा और उसे मज़बूत करने के लिए प्रार्थना करता/करती हूँ। उसे अच्छे फैसले लेने के लिए बुद्धि और विवेक दें। उसे उस उद्देश्य के मार्ग पर चलने दें जो आपने उसके लिए तय किया है। उसे बल दें, उसकी शक्ति का नवीनीकरण करें और उसके विश्वास को दृढ़ करें ताकि आपके पवित्र आत्मा की उपस्थिति उसके जीवन और परिवार में सर्वोच्च प्राथमिकता हो। आपका वचन कहता है: "और परमेश्वर समर्थ है कि तुम पर सब प्रकार का अनुग्रह बहुतायत से करे, जिससे कि सब बातों में हर समय सब कुछ पाकर, तुम हर एक अच्छे काम के लिये बढ़ते रहो।" प्रभु, उसकी हर ज़रूरत को पूरा करते रहें। उसे डर पर विजय पाने के लिए बुद्धि और साहस दें ताकि वह हर परिस्थिति का सामना कर सके। मैं घोषणा करता/करती हूँ कि आप एक शक्तिशाली योद्धा की तरह उसके आगे चल रहे हैं, उसकी हर लड़ाई लड़ रहे हैं। उसे दुश्मन की हर चाल और हमले से बचाएँ। धन्यवाद, प्रभु, सारा महिमा और सम्मान आपको ही मिले। यीशु के नाम में, आमीन।