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55 बाइबल के वचन: माता-पिता का सम्मान

सोचो, अपने माता-पिता का सम्मान करना, कितना ज़रूरी है। परमेश्वर की इच्छा है कि हम ऐसा करें। कभी-कभी समझ नहीं आता कि इसका असली मतलब क्या है, है ना? लेकिन पवित्र शास्त्र में हमें बताया गया है कि हमें अपने माता-पिता के प्रति आदर और सम्मान दिखाना चाहिए, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो या वे हमारे साथ कैसे भी व्यवहार करें।

उनका सम्मान करना प्रेम का एक साधारण सा कार्य है, जो हमारे जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाएगा। यह उनके व्यवहार पर निर्भर नहीं करता, बल्कि परमेश्वर की आज्ञाओं के प्रति हमारे आज्ञाकारी हृदय पर निर्भर करता है। यह कोई ऐसा काम नहीं है जिसे हम अपने माता-पिता के व्यवहार के आधार पर करें, बल्कि हमें इसे हर रोज़ करना चाहिए ताकि हम इस धरती पर लंबी उम्र जी सकें और परमेश्वर की कृपा और आशीर्वाद हम पर बना रहे।

परमेश्वर हमें अपने माता-पिता का सम्मान करने का आदेश देते हैं। उनका सम्मान करने का मतलब है उनकी आज्ञा मानना, उनकी बुद्धिमानी भरी सलाह सुनना, ध्यान देना और उनके अधिकार का सम्मान करना। बाइबल1 में हमें इस बारे में स्पष्ट और सीधा निर्देश मिलता है कि हमें अपने माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तो चलिए, हम इस आज्ञा का पालन ज़रूर करें।


व्यवस्थाविवरण 5:16

“अपने माता—पिता का सम्मान करो। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें यह करने का आदेश दिया है। यदि तुम इस आदेश का पालन करते हो तो तुम्हारी उम्र लम्बी होगी और उस देश में जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा होगा।

कुलुस्सियों 3:20

हे बालकों, सब बातों में अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करो। क्योंकि प्रभु के अनुयायियों के इस व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है।

मरकुस 10:19

तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’”

नीतिवचन 23:22

अपने पिता की सुन जिसने तुझे जीवन दिया है, अपनी माता का निरादर मत कर जब वह वृद्ध हो जाये।

नीतिवचन 13:1

समझदार पुत्र निज पिता की शिक्षा पर कान देता, किन्तु उच्छृंखल झिड़की पर भी ध्यान नहीं देता।

नीतिवचन 1:8

हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर ध्यान दे और अपनी माता की नसीहत को मत भूल।

निर्गमन 20:12

“अपने माता और अपने पिता का आदर करो। यह इसलिए करो कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा जिस धरती को तुम्हें दे रहा है, उसमें तुम दीर्घ जीवन बिता सको।

लैव्यव्यवस्था 19:32

“बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”

मत्ती 15:4

क्योंकि परमेश्वर ने तो कहा था ‘तू अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई अपने पिता या माता का अपमान करता है, उसे अवश्य मार दिया जाना चाहिये।’

लैव्यव्यवस्था 20:9

“यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता के अनिष्ट की कामना करता है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। उसने अपने पिता या माँ का अनिष्ट चाहा है, इसलिए उसे दण्ड देना चाहिए।

नीतिवचन 19:26

ऐसा पुत्र जो निन्दनीय कर्म करता है घर का अपमान होता है, वह ऐसा होता है जैसे पुत्र कोई निज पिता से छीने और घर से असहाय माँ को निकाल बाहर करे।

लैव्यव्यवस्था 19:3

“तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

नीतिवचन 3:11-12

हे मेरे पुत्र, यहोवा के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान।

क्यों क्योंकि यहोवा केवल उन्हीं को डाँटता है जिनसे वह प्यार करता है। वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को डाँटे जो उसको अति प्रिय है।

मत्ती 19:19

‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर’ और ‘जैसे तू अपने आप को प्यार करता है, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्यार कर।’”

इफिसियों 6:1-3

हे बालकों, प्रभु में आस्था रखते हुए माता-पिता की आज्ञा का पालन करो क्योंकि यही उचित है।

“अपने माता-पिता का सम्मान कर।” यह पहली आज्ञा है जो इस प्रतिज्ञा से भी युक्त है,

“तेरा भला हो और तू धरती पर चिरायु हो।”

नीतिवचन 1:8-9

हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर ध्यान दे और अपनी माता की नसीहत को मत भूल।

वे तेरा सिर सजाने को मुकुट और शोभायमान करने तेरे गले का हार बनेंगे।

नीतिवचन 6:20

हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा का पालन कर और अपनी माता की सीख को कभी मत त्याग।

1 तीमुथियुस 5:4

किन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पुत्री अथवा नाती-पोते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने धर्म पर चलते हुए अपने परिवार की देखभाल करना सीखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिताओं के पालन-पोषण का बदला चुकायें क्योंकि इससे परमेश्वर प्रसन्न होता है।

नीतिवचन 6:20-22

हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा का पालन कर और अपनी माता की सीख को कभी मत त्याग।

अपने हृदय पर उनको सदैव बाँध रह और उन्हें अपने गले का हार बना ले।

जब तू आगे बढ़ेगा, वे राह दिखायेंगे। जब तू सो जायेगा, वे तेरी रखवाली करेंगे और जब तू जागेगा, वे तुझसे बातें करेंगे।

नीतिवचन 20:20

कोई मनुष्य यदि निज पिता को अथवा निज माता को कोसे, उसका दीया बुझ जायेगा और गहन अंधकार हो जायेगा।

नीतिवचन 10:1

एक बुद्धिमान पुत्र अपने पिता को आनन्द देता है किन्तु एक मूर्ख पुत्र, माता का दुःख होता है।

निर्गमन 21:17

“कोई व्यक्ति, जो अपने माता—पिता को शाप दे तो उसे अवश्य मार दिया जाए।

नीतिवचन 15:20

विवेकी पुत्र निज पिता को आनन्दित करता है, किन्तु मूर्ख व्यक्ति निज माता से घृणा करता।

नीतिवचन 17:6

नाती—पोते वृद्ध जन का मुकुट होते हैं, और माता—पिता उनके बच्चों का मान हैं।

भजन संहिता 127:3-5

बच्चे यहोवा का उपहार है, वे माता के शरीर से मिलने वाले फल हैं।

जवान के पुत्र ऐसे होते हैं जैसे योद्धा के तरकस के बाण।

जो व्यक्ति बाण रुपी पुत्रों से तरकस को भरता है वह अति प्रसन्न होगा। वह मनुष्य कभी हारेगा नहीं। उसके पुत्र उसके शत्रुओं से सर्वजनिक स्थानों पर उसकी रक्षा करेंगे।

नीतिवचन 30:17

जो आँख अपने ही पिता पर हँसती है, और माँ की बात मानने से घृणा करती है, घाठी के कौवे उसे नोंच लेंगे और उसको गिद्ध खा जायेंगे।

मत्ती 15:4-6

क्योंकि परमेश्वर ने तो कहा था ‘तू अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई अपने पिता या माता का अपमान करता है, उसे अवश्य मार दिया जाना चाहिये।’

किन्तु तुम कहते हो जो कोई अपने पिता या अपनी माता से कहे, ‘क्योंकि मैं अपना सब कुछ परमेश्वर को अर्पित कर चुका हूँ, इसलिये तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता।’

इस तरह उसे अपने माता पिता का आदर करने की आवश्यकता नहीं। इस प्रकार तुम अपने रीति-रिवाजों के कारण परमेशवर के आदेश को नकारते हो।

नीतिवचन 15:5

मूर्ख अपने पिता की प्रताड़ना का तिरस्कार करता है किन्तु जो कान सुधार पर देता है बुद्धिमानी दिखाता है।

लूका 2:51

फिर वह उनके साथ नासरत लौट आया और उनकी आज्ञा का पालन करता रहा। उसकी माता इन सब बातों को अपने मन में रखती जा रही थी।

नीतिवचन 29:15

दण्ड और डाँट से सुबुद्धि मिलती है किन्तु यदि माता—पिता मनचाहा करने को खुला छोड़ दे, तो वह निज माता का लज्जा बनेगा।

मरकुस 7:10

उदाहरण के लिये मूसा ने कहा, ‘अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, उसे निश्चय ही मार डाला जाये।’

भजन संहिता 78:5-7

यहोवा ने याकूब से वाचा किया। परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था का विधान दिया, और परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को आदेश दिया। उसने हमारे पूर्वजों को व्यवस्था का विधान अपने संतानों को सिखाने को कहा।

इस तरह लोग व्यवस्था के विधान को जानेंगे। यहाँ तक कि अन्तिम पीढ़ी तक इसे जानेगी। नयी पीढ़ी जन्म लेगी और पल भर में बढ़ कर बड़े होंगे, और फिर वे इस कहानी को अपनी संतानों को सुनायेंगे।

अत: वे सभी लोग यहोवा पर भरोसा करेंगे। वे उन शाक्तिपूर्ण कामों को नहीं भूलेंगे जिनको परमेश्वर ने किया था। वे ध्यान से रखवाली करेंगे और परमेश्वर के आदेशों का अनुसरण करेंगे।

1 पतरस 2:17

सबका सम्मान करो। अपने धर्म भाइयों से प्रेम करो। परमेश्वर का आदर के साथ भय मानो। शासक का सम्मान करो।

1 तीमुथियुस 5:8

किन्तु यदि कोई अपने रिश्तेदारों, विशेषकर अपने परिवार के सदस्यों की सहायता नहीं करता, तो वह विश्वास से फिर गया है तथा किसी अविश्वासी से भी अधिक बुरा है।

भजन संहिता 103:13

अपने भक्तों पर यहोवा वैसे ही दयालु है, जैसे पिता अपने पुत्रों पर दया करता है।

इब्रानियों 12:9

और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए।

नीतिवचन 4:1-2

हे मेरे पुत्रों, एक पिता की शिक्षा को सुनों उस पर ध्यान दो और तुम समझ बूझ पा लो!

मैं तुम्हें गहन—गम्भीर ज्ञान देता हूँ। मेरी इस शिक्षा का त्याग तुम मत करना।

इफिसियों 6:2-3

“अपने माता-पिता का सम्मान कर।” यह पहली आज्ञा है जो इस प्रतिज्ञा से भी युक्त है,

“तेरा भला हो और तू धरती पर चिरायु हो।”

भजन संहिता 128:1-4

यहोवा के सभी भक्त आनन्दित रहते हैं। वे लोग परमेश्वर जैसा चाहता, वैसा गाते हैं।

तूने जिनके लिये काम किया है, उन वस्तुओं का तू आनन्द लेगा। उन ऐसी वस्तुओं को कोई भी व्यक्ति तुझसे नहीं छिनेगा। तू प्रसन्न रहेगा और तेरे साथ भली बातें घटेंगी।

घर पर तेरी घरवाली अंगूर की बेल सी फलवती होगी। मेज के चारों तरफ तेरी संतानें ऐसी होंगी, जैसे जैतून के वे पेड़ जिन्हें तूने रोपा है।

इस प्रकार यहोवा अपने अनुयायिओं को सचमुच आशीष देगा।

तीतुस 2:4-5

ताकि युवतियों को अपने-अपने बच्चों और पतियों से प्रेम करने की सीख दे सकें।

जिससे वे संयमी, पवित्र, अपने-अपने घरों की देखभाल करने वाली, दयालु अपने पतियों की आज्ञा मानने वाली बनें जिससे परमेश्वर के वचन की निन्दा न हो।

इफिसियों 6:4

और हे पिताओं, तुम भी अपने बालकों को क्रोध मत दिलाओ बल्कि प्रभु से मिली शिक्षा और निर्देशों को देते हुए उनका पालन-पोषण करो।

नीतिवचन 12:1

जो शिक्षा और अनुशासन से प्रेम करता है, वह तो ज्ञान से प्रेम यूँ ही करता है। किन्तु जो सुधार से घृणा करता है, वह तो निरा मूर्ख है।

1 कुरिन्थियों 15:58

सो मेरे प्यारे भाइयो, अटल बने डटे रहो। प्रभु के कार्य के प्रति अपने आपको सदा पूरी तरह समर्पित कर दो। क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि प्रभु में किया गया तुम्हारा कार्य व्यर्थ नहीं है।

निर्गमन 21:15

“कोई व्यक्ति जो अपने माता—पिता को चोट पहुँचाये वह अवश्य ही मार दिया जाये।

भजन संहिता 34:11

हे बालकों, मेरी सुनो, और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा की सेवा कैसे करें।

भजन संहिता 146:9

यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं। यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।

नीतिवचन 11:16

दयालु स्त्री तो आदर पाती है जबकि क्रूर जन का लाभ केवल धन है।

नीतिवचन 22:6

बच्चे को यहोवा की राह पर चलाओ वह बुढ़ापे में भी उस से भटकेगा नहीं।

रोमियों 13:1-2

हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है।

इसलिए जो सत्ता का विरोध करता है, वह परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करता है। और जो परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करते हैं, वे दण्ड पायेंगे।

गलातियों 6:7

अपने आपको मत छलो। परमेश्वर को कोई बुद्धू नहीं बना सकता क्योंकि जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा।

व्यवस्थाविवरण 21:18-21

“किसी व्यक्ति का ऐसा पुत्र हो सकता है जो हठी और आज्ञापालन न करने वाला हो। यह पुत्र अपने माता—पिता की आज्ञा नहीं मानेगा। माता—पिता उसे दण्ड देते हैं किन्तु पुत्र फिर भी उनकी कुछ नहीं सुनता।

उसके माता—पिता को उसे नगर की बैठक वाली जगह पर नगर के मुखियों के पास ले जाना चाहिए।

उन्हें नगर के मुखियों से कहना चाहिए: ‘हमारा पुत्र हठी है और आज्ञा नहीं मानता। वह कोई काम नहीं करता जिसे हम करने के लिये कहते हैं। वह आवश्यकता से अधिक खाता और शराब पीता है।’

तब नगर के लोगों को उस पुत्र को पत्थरों से मार डालना चाहिए। ऐसा करके तुम अपने में से इस बुराई को खत्म करोगे। इस्राएल के सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे।

भजन संहिता 139:13-14

हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।

हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद, और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।

भजन संहिता 37:27

यदि तू कुकर्मो से अपना मुख मोड़े, और यदि तू अच्छे कामों को करता रहे, तो फिर तू सदा सर्वदा जीवित रहेगा।

भजन संहिता 147:3

परमेश्वर उनके टूटे मनों को चँगा किया करता और उनके घावों पर पट्टी बांधता है।

भजन संहिता 112:1-2

यहोवा की प्रशंसा करो! ऐसा व्यक्ति जो यहोवा से डरता है। और उसका आदर करता है। वह अति प्रसन्न रहेगा। परमेश्वर के आदेश ऐसे व्यक्ति को भाते हैं।

धरती पर ऐसे व्यक्ति की संतानें महान होंगी। अच्छे व्यक्तियों कि संताने सचमुच धन्य होंगी।

ईश्वर से प्रार्थना

प्रभु परमपिता, सारा सम्मान और महिमा आपको समर्पित! मेरे प्रभु यीशु, जैसे आपने पिता की आज्ञा का पालन किया, वैसे ही मुझे भी आज्ञाकारी बनने में मदद कीजिए। मुझे अपने माता-पिता का आदर करना और उनकी सेवा करना सिखाइए। मुझे कभी भी उनके साथ अनादर या घमंड से पेश आने से बचाए रखना। मुझे अपनी आज्ञाकारिता से, अपने प्यार से, उनकी देखभाल करके, और बुढ़ापे में उनका सहारा बनकर, उनका सम्मान करने का अवसर दीजिये। आपका वचन कहता है, "अपने माता-पिता का आदर करना, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है, जिससे तेरे दिन लंबे हों, और जिस देश में तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे ले जा रहा है, उसमें तेरा भला हो।" प्रभु यीशु, मुझे आपके वचन पर चलने और इस आशीष को पाने में मदद कीजिए, क्योंकि मुझे पता है कि आज्ञाकारिता से ही मेरा कल्याण होगा। यीशु के नाम में, आमीन।