प्रभु प्यासे प्राण को तृप्त करता है, वह भूखे व्यक्ति को भली वस्तु से सन्तुष्ट करता है।
मत्ती 5:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं; क्योंकि वे तृप्त किये जाएँगे। पवित्र बाइबल धन्य हैं वे जो नीति के प्रति भूखे और प्यासे रहते हैं! क्योंकि परमेश्वर उन्हें संतोष देगा, तृप्ति देगा। Hindi Holy Bible धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे। नवीन हिंदी बाइबल धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे। सरल हिन्दी बाइबल धन्य हैं वे, जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि उन्हें तृप्त किया जाएगा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे। |
प्रभु प्यासे प्राण को तृप्त करता है, वह भूखे व्यक्ति को भली वस्तु से सन्तुष्ट करता है।
परन्तु मैं अपनी धार्मिकता के कारण तेरे मुख का दर्शन करूंगा; जब मैं जागूंगा तब मेरे स्वरूप को देखकर सन्तुष्ट होऊंगा।
मेरा प्राण भव्य भोज के भोजन से तृप्त हुआ है; मैं आनन्दपूर्ण ओंठों से तेरी प्रशंसा करूंगा।
धन्य है वह, जिसको तू चुनता और अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे भवन के आंगनों में निवास करे। हम तेरे गृह, तेरे पवित्र भवन के उत्तम भोजन से तृप्त होंगे।
प्रभु के आंगनों के लिए मेरा प्राण इच्छुक है, मूर्छित है; मेरा हृदय, मेरा शरीर जीवंत परमेश्वर का जय-जयकार करता है।
जिस बात से दुर्जन डरता है, वह उस पर आती है; पर धार्मिक मनुष्य की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
‘ओ मेरी संगिनी, ओ मेरी दुलहन! मैं अपने उद्यान में आया हूं। मैंने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया। मैंने मधु छत्ते से टपकता मधु खाया। मैंने दूध के साथ अंगूर-रस पिया।’ ओ प्रेमियो, छककर पियो।’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु सियोन पर्वत पर सब जातियों के लिए महाभोज तैयार करेगा, जिस में छप्पन व्यंजन, शुद्ध किया हुआ अंगूर का रस होगा; जिसमें स्निग्ध भोजन, और पुराने अंगूर रस के पेय होंगे।
जब दीन-हीन जन पानी ढूंढ़ेंगे, और उन्हें पानी नहीं मिलेगा; जब उनका तालु प्यास के कारण सूखेगा, तब मैं, इस्राएल का प्रभु परमेश्वर उनकी प्रार्थना का उत्तर दूंगा, मैं उन्हें नहीं त्यागूंगा।
मैं प्यासी भूमि को पानी दूंगा, सूखी भूमि पर नदियाँ बहाऊंगा। मैं तेरे वंशजों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा, तेरी सन्तान पर अपनी आशिष की वर्षा करूंगा।’
अत: स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘मेरे सेवकों को भोजन प्राप्त होगा, पर तुम भूखे मरोगे; मेरे सेवक पेय पीएंगे; लेकिन तुम प्यासे रहोगे। मेरे सेवक आनन्द-मग्न होंगे; पर तुम विलाप करोगे।
ओ यरूशलेम के पुत्र-पुत्रियो! तुम अपनी मां के सांत्वना देनेवाले स्तनों का पान कर तृप्त होगे! तुम उसके महिमामय स्तनों का अपार आनन्द के साथ पान करोगे।
धन्य हो तुम, जो अभी भूखे हो; क्योंकि तुम तृप्त किये जाओगे। धन्य हो तुम, जो अभी रोते हो; क्योंकि तुम हँसोगे।
धिक्कार है तुम्हें, जो अभी तृप्त हो; क्योंकि तुम भूखे रहोगे। धिक्कार है तुम्हें, जो अभी हँसते हो; क्योंकि तुम शोक मनाओगे और रोओगे।
किन्तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है, उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा, वह उस में जल-स्रोत बन जाएगा, जो शाश्वत जीवन तक उमड़ता रहेगा।”
नश्वर भोजन के लिए नहीं, बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो शाश्वत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव-पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता परमेश्वर ने मानव-पुत्र पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगाई है।”
पर्व के अन्तिम और मुख्य दिन येशु खड़े हुए और उन्होंने पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा है, तो वह मेरे पास आए।
इन्हें फिर कभी न तो भूख लगेगी और न प्यास, इन्हें न तो धूप से कष्ट होगा और न किसी प्रकार के ताप से;