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भजन संहिता 131:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

हे प्रभु, न मेरे हृदय में अहंकार है, और न मेरी आंखें घमण्‍ड से चढ़ी हैं। अपनी पहुंच से दूर बड़ी और अद्भुत वस्‍तुओं के पीछे मैं नहीं भागता।

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पवित्र बाइबल

हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ। मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ। मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं। ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।

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Hindi Holy Bible

हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उन से मैं काम नहीं रखता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्‍टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उनसे मैं काम नहीं रखता।

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नवीन हिंदी बाइबल

हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्‍टि घमंड से भरी है; और जो बातें मेरे लिए बड़ी और कठिन हैं, उनमें मैं स्वयं को नहीं उलझाता।

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सरल हिन्दी बाइबल

याहवेह, मेरा हृदय न तो अहंकार से फूल रहा है, और न मेरी आंखें घमंड में चढ़ी हुई हैं; मेरी रुचि न तो असाधारण उपलब्धियों में है, न चमत्कारों में.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उनसे मैं काम नहीं रखता।

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भजन संहिता 131:1
26 क्रॉस रेफरेंस  

मैं प्रभु के लिए इससे अधिक निम्‍न आचरण करूँगा। मैं तुम्‍हारी दृष्‍टि में भले ही नीच ठहरूँ; किन्‍तु जिन दासियों का तुमने उल्‍लेख किया है, वे मेरा सम्‍मान करेंगी।’


तूने कहा था : “वह कौन है जो अज्ञान की बातों से मेरी योजनाओं पर परदा डालता है?” इसलिए जो बातें मैं नहीं समझता हूँ, उनको मैंने कहा; ऐसी अनोखी बातें मैंने कहीं, जिनका अर्थ तक मैं नहीं जानता था।


जो व्यक्‍ति गुप्‍त रूप से अपने पड़ोसी की निन्‍दा करता है, उसको मैं नष्‍ट करूंगा; जिसकी आखें घमण्‍ड से चढ़ी हैं और जिसके हृदय में अहंकार है, उसको मैं सहन नहीं करूंगा।


जब यात्रियों ने मुझसे कहा, आओ, हम प्रभु के घर चलें,’ तब मैं आनन्‍दित हुआ!


इस्राएली राष्‍ट्र यह कहे: ‘यदि प्रभु हमारे पक्ष में न होता,


भाई-बन्‍धुओं का एक-साथ रहना, कितना भला और मनोहर है!


प्रभु, यह ज्ञान मेरे लिए अद्भुत है, बहुत गहरा है, उस तक मैं नहीं पहुंच सकता।


घमण्‍ड से चढ़ी हुई आंख, अहंकार में डूबा हुआ हृदय, और दुर्जन का धन; ये तीनों पाप हैं।


प्रभु, मैंने उन पर विपत्ति भेजने के लिए तुझ पर जोर नहीं डाला था; तू जानता है कि मैंने विनाश-दिवस की कामना नहीं की थी। जो कुछ मेरे ओंठों से निकला है, वह सब तू जानता है।


क्‍या तू अपने लिए प्रशंसा की बातें ढूंढ़ रहा है? ओ बारूक, तू उनको मत ढूंढ़! मुझ-प्रभु की यह वाणी है : मैं समस्‍त प्राणियों पर विपत्ति ढाहने पर हूं। परन्‍तु तू जहां-कहीं भी जाएगा, वहां मैं तेरे प्राण की रक्षा करूंगा, मानो तेरा प्राण युद्ध में प्राप्‍त भेंट हो।” ’


पृथ्‍वी पर रहने वाले सब मनुष्‍यों में मूसा सर्वाधिक विनम्र थे।


मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो; क्‍योंकि मैं स्‍वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्‍मा में शान्‍ति पाओगे,


किस प्रकार मैं आँसू बहा कर बड़ी विनम्रता से उन संकटों में प्रभु की सेवा करता रहा, जो यहूदियों के षड्‍यन्‍त्रों के कारण मुझ पर आये थे।


अहा! कितना अगाध है परमेश्‍वर का वैभव, बुद्धि और ज्ञान! कितने दुर्बोध हैं उसके निर्णय! कितने रहस्‍यमय हैं उसके मार्ग!


आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाये रखें। घमण्‍डी न बनें, बल्‍कि दीन-दु:खियों से मिलते-जुलते रहें। अपने आप को बुद्धिमान् न समझें।


तब उसका हृदय समाज के अन्‍य सदस्‍यों को तुच्‍छ नहीं समझेगा और वह इन आज्ञाओं से न दाहिनी ओर न बायीं ओर मुड़ेगा। यदि वह ऐसा कार्य करेगा तो वह और उसके वंशज इस्राएली राष्‍ट्र में बहुत वर्ष तक राज्‍य करते रहेंगे।


आप, और परमेश्‍वर भी, इस बात के साक्षी हैं कि आप विश्‍वासियों के साथ हमारा आचरण कितना पवित्र, धार्मिक और निर्दोष था।


तब शमूएल ने कुप्‍पी का तेल लिया, और उससे भाइयों के मध्‍य में दाऊद का अभिषेक किया। प्रभु का आत्‍मा अतिवेग से दाऊद पर उतरा, और उस दिन से वह उसमें निवास करने लगा। शमूएल उठा। वह रामाह नगर को चला गया।


युवकों में से एक ने उसे उत्तर दिया, ‘मैंने बेतलेहम नगर के रहने वाले यिशय के एक पुत्र को देखा है। वह सितार बजाना जानता है। वह साहसी है। वह योद्धा है। वह बात करने में कुशल है। उसका रूप-रंग सुन्‍दर है। इसके अतिरिक्‍त, प्रभु उसके साथ है।’


शाऊल ने यिशय को दूत के हाथ यह सन्‍देश भेजा, ‘दाऊद को मेरी सेवा करने दो। उसे मेरी कृपा-दृष्‍टि प्राप्‍त है।’


दाऊद बेतलेहम नगर में अपने पिता की भेड़-बकरियों की देखभाल करने के लिए शाऊल के पास से लौटकर आता था।


शाऊल के कर्मचारियों ने दाऊद के कानों में ये बातें कहीं। दाऊद ने उत्तर दिया, ‘क्‍या तुम अपनी दृष्‍टि में इस बात को साधारण समझते हो कि मैं गरीब और मामूली आदमी होकर भी राजा का दामाद बनूं?’