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व्यवस्थाविवरण 17:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 तब उसका हृदय समाज के अन्‍य सदस्‍यों को तुच्‍छ नहीं समझेगा और वह इन आज्ञाओं से न दाहिनी ओर न बायीं ओर मुड़ेगा। यदि वह ऐसा कार्य करेगा तो वह और उसके वंशज इस्राएली राष्‍ट्र में बहुत वर्ष तक राज्‍य करते रहेंगे।

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पवित्र बाइबल

20 तब राजा यह नहीं सोचेगा कि वह अपने लोगों में से किसी से भी अधिक अच्छा है। वह नियम के विरुद्ध नहीं जाएगा बल्कि इसका ठीक—ठीक पालन करेगा। तब वह राजा और उसके वंशज इस्राएल के राज्य पर लम्बे समय तक शासन करेंगे।

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Hindi Holy Bible

20 जिस से वह अपने मन में घमण्ड करके अपने भाइयों को तुच्छ न जाने, और इन आज्ञाओं से न तो दाहिने मुड़े और न बाएं; जिस से कि वह और उसके वंश के लोग इस्राएलियों के मध्य बहुत दिनों तक राज्य करते रहें॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 जिससे वह अपने मन में घमण्ड करके अपने भाइयों को तुच्छ न जाने, और इन आज्ञाओं से न तो दाहिने मुड़े और न बाएँ; जिससे कि वह और उसके वंश के लोग इस्राएलियों के मध्य बहुत दिनों तक राज्य करते रहें।

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सरल हिन्दी बाइबल

20 ताकि वह अपने हृदय में यह विचार न करने लगे, कि वह अपनी प्रजा के लोगों से उत्तम है और वह आदेशों से दूर न हो सके; न दायें न बायें, जिससे कि वह और उसके वंशज इस्राएल पर उसके साम्राज्य में लंबे समय तक शासन कर सके.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

20 जिससे वह अपने मन में घमण्ड करके अपने भाइयों को तुच्छ न जाने, और इन आज्ञाओं से न तो दाएँ मुड़ें और न बाएँ; जिससे कि वह और उसके वंश के लोग इस्राएलियों के मध्य बहुत दिनों तक राज्य करते रहें।

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व्यवस्थाविवरण 17:20
39 क्रॉस रेफरेंस  

उसके समस्‍त न्‍याय-सिद्धान्‍त मेरे सम्‍मुख रहे, मैंने उसकी संविधियों से मुँह नहीं मोड़ा।


फिर भी मैं उसके हाथ से सम्‍पूर्ण राज्‍य नहीं छीनूंगा; क्‍योंकि मैंने उसे जीवन भर के लिए शासक नियुक्‍त किया था। मैं यह कृपा अपने सेवक दाऊद के कारण करूंगा, जिसको मैंने चुना था, और जिसने मेरी संविधियों और आज्ञाओं का पालन किया था।


मैं उसे एक कुल पर राज्‍य करने दूंगा, जिससे मेरे सेवक दाऊद का वंश-दीपक यरूशलेम नगर में, जिसको मैंने अपने नाम के प्रतिष्‍ठापन के लिए चुना है, मेरे सम्‍मुख सदा जलता रहे।


जो पाप अबियाम के पिता ने उसके पहले किये वे ही उसने भी किये। जैसे उसके पूर्वज दाऊद का हृदय प्रभु परमेश्‍वर के प्रति सच्‍चा था वैसे अबियाम का हृदय नहीं था।


जो कार्य प्रभु की दृष्‍टि में उचित था, वह दाऊद ने किया था। उसने अपने जीवन-भर उन आज्ञाओं का उल्‍लंघन नहीं किया था, जो प्रभु ने उसे दी थीं। हां, उसने हित्ती जाति के ऊरियाह के विषय में एक बार आज्ञा-उल्‍लंघन किया था।


जो दायित्‍व प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे सौंपा है, उसको पूरा करना। तू उसके मार्ग पर चलना। तू उसकी संविधियों, आज्ञाओं, न्‍याय-सिद्धान्‍तों और सािक्षयों को मानना, जैसा वे मूसा की व्‍यवस्‍था-पुस्‍तक में लिखे हुए हैं। तब जो कार्य तू करेगा, जिस कार्य को तू अपने हाथ में लेगा, उसमें तू सफल होगा।


प्रभु ने येहू से कहा, ‘जो कार्य मेरी दृष्‍टि में उचित है, वह तूने भली-भांति पूर्ण किया। तूने मेरे हृदय के अनुरूप ही अहाब के राज-परिवार के साथ व्‍यवहार किया। अत: तेरे वंशज चौथी पीढ़ी तक इस्राएल के सिंहासन पर बैठेंगे।’


तुमने निश्‍चय ही एदोमी सेना को पराजित किया है; पर तुम्‍हारा हृदय गर्व से फूल उठा है। अपनी अभूतपूर्व विजय से सन्‍तुष्‍ट हो, और घर में ही रहो। तुम अपने अनिष्‍ट को क्‍यों बुला रहे हो? इससे तुम्‍हारा पतन होगा, और तुम्‍हारे साथ समस्‍त यहूदा प्रदेश का भी।’


तुम सोचते हो, “मैंने एदोमी सेना को पराजित किया है।” इस कारण तुम्‍हारा हृदय गर्व से फूल उठा है। अपनी अभूतपूर्व विजय से सन्‍तुष्‍ट हो, और घर में ही रहो। तुम अपने अनिष्‍ट को क्‍यों बुला रहे हो? इससे तुम्‍हारा पतन होगा, और तुम्‍हारे साथ समस्‍त यहूदा प्रदेश का भी।’


किन्‍तु जब वह शक्‍तिशाली हो गया, तब उसका हृदय घमण्‍ड से भर गया। उसका हृदय प्रभु परमेश्‍वर के प्रति निष्‍कपट नहीं रहा। एक दिन उसने प्रभु के मन्‍दिर में धूप-वेदी पर धूप जलाने के लिए प्रवेश किया।


जब वह बेबीलोन में बन्‍दी था, तब उसने अपने संकट में अपने प्रभु-परमेश्‍वर की कृपा के लिए विनती की। उसने अपने पूर्वजों के परमेश्‍वर के सम्‍मुख स्‍वयं को अत्‍यधिक विनम्र और दीन किया।


‘द्रष्‍टाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में भी मनश्‍शे का उल्‍लेख हुआ है: उसकी प्रार्थना; और परमेश्‍वर ने उसकी विनती, अनुनय-विनय कैसे स्‍वीकार किया; उसके पाप-कर्म तथा प्रभु के विरुद्ध उसका विश्‍वासघात; उन जगहों का वर्णन जहाँ मनश्‍शे ने पहाड़ी शिखर के मन्‍दिर बनाए थे, जहाँ अशेराह के खम्‍भे तथा मूर्तियाँ प्रतिष्‍ठित की थीं। इसी ग्रंथ में लिखा है कि उसने प्रभु के सम्‍मुख स्‍वयं को विनम्र किया था।


यद्यपि उसके पिता मनश्‍शे ने प्रभु के सम्‍मुख स्‍वयं को विनम्र किया था, किन्‍तु आमोन ने ऐसा नहीं किया, बल्‍कि अधिकाधिक दुष्‍कर्म किये।


तूने हृदय से पश्‍चात्ताप किया। तूने मेरे सम्‍मुख, अपने परमेश्‍वर के सम्‍मुख, स्‍वयं को विनम्र बनाया। तूने इस स्‍थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध मेरी वाणी सुनी और मेरे सम्‍मुख स्‍वयं को दीन बनाया। तूने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े, और मेरे सम्‍मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।


मैं तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍तों से नहीं हटता हूं, क्‍योंकि तूने मुझे सिखाया है।


यदि तेरे पुत्र मेरे विधान और साक्षी का पालन करेंगे, जो मैं उन्‍हें सिखाऊंगा, तो उनके पुत्र भी युग-युगान्‍त तेरे सिंहासन पर बैठेंगे।’


इनके द्वारा तेरा सेवक सावधान भी किया जाता है; इनका पालन करना बहुत लाभप्रद है।


प्रभु की भक्‍ति करने से मनुष्‍य लम्‍बी आयु प्राप्‍त करता है; पर दुर्जन असमय में ही मर जाता है।


क्‍योंकि नकदी रुपया-पैसा सदा टिकता नहीं, और न मनुष्‍य का गौरव पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहता है।


निस्‍सन्‍देह दुर्जन का अन्‍त में भला नहीं होगा, और न वह छाया के सदृश अपनी उम्र लम्‍बी कर सकेगा, क्‍योंकि वह परमेश्‍वर से नहीं डरता है।


अहंकारियों और अभिमानियों के लिए, घमण्‍डियों और गर्व से फूलनेवालों के लिए स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने एक दिन निश्‍चित कर रखा है।


देख, जो कुटिल है, उसका पतन अवश्‍य होगा; परन्‍तु धार्मिक जन अपने विश्‍वास से जीवित रहेगा।


मुझ पर बहुत-से ईश्‍वरीय प्रकाशन प्रकट किए गए हैं। मैं इन पर घमण्‍ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक कांटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्‍ड न करूँ।


तू उसको नहीं खाना, जिससे तू प्रभु की दृष्‍टि में उचित कार्य कर सके, और तेरा तथा तेरे पश्‍चात् तेरी सन्‍तान का भला हो।


तू सावधान होकर इन बातों को सुन, जिनका आदेश मैं तुझे दे रहा हूँ, जिससे तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में भला और उचित कार्य कर सके, और तेरा तथा तेरे पश्‍चात् तेरी सन्‍तान का सदा भला हो।


‘जिन बातों का आदेश मैं तुम्‍हें देता हूँ, उन सब का तुम पालन करना; उनके अनुसार कार्य करना। तुम उनमें न कुछ जोड़ना, और न उनमें से कुछ घटाना।


जो आदेश वे तुझे देंगे, जो न्‍याय-निर्णय वे तुझ पर घोषित करेंगे, उनके अनुसार ही तू कार्य करना। जो निर्णय वे तुझे घोषित करेंगे, उससे न दाहिनी ओर और न बायीं ओर मुड़ना।


जो आज्ञाएं मैं तुम्‍हें सुनाऊंगा, उनमें न एक शब्‍द बढ़ाना और न उनमें से एक शब्‍द घटाना; वरन् तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की उन आज्ञाओं का पालन करना, जो मैं तुम्‍हें सुनाऊंगा।


तुम उनका पालन करना, और उनके अनुसार कार्य करना; जैसी तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ने तुम्‍हें आज्ञा दी है। तुम न दाहिनी ओर मुड़ना और न बायीं ओर।


तू उन सब मार्गों को स्‍मरण करना, जिन पर तेरा प्रभु परमेश्‍वर तुझे चालीस वर्ष तक निर्जन प्रदेश में ले गया, जिससे वह तुझे पीड़ित करे और यह जानने के लिए तेरी परीक्षा ले, कि तेरे हृदय में क्‍या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा अथवा नहीं।


और तुम, नवयुवको! धर्मवृद्धों की अधीनता स्‍वीकार करो। आप सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा के लिए कमर कस कर तैयार रहें; क्‍योंकि परमेश्‍वर घमण्‍डियों का विरोध करता है, किन्‍तु वह विनम्र लोगों पर दया करता है।


शमूएल ने लोगों को राजा के अधिकार और कर्त्तव्‍य के विषय में बताया। उसने राजा के अधिकारों और कर्त्तव्‍यों को एक पुस्‍तक में लिखा, और पुस्‍तक को प्रभु के सम्‍मुख रख दिया। अन्‍त में शमूएल ने लोगों को उनके घर विदा किया।


विद्रोह करना सगुन विचारने के तुल्‍य पाप करना है। हठधर्मी होना मूर्ति-पूजा के सदृश कुकर्म करना है। तूने प्रभु के वचन को सुनने से इन्‍कार किया, अत: प्रभु भी तुझे राजा मानने से इन्‍कार करता है।’


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