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रोमियों 11:33 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

33 अहा! कितना अगाध है परमेश्‍वर का वैभव, बुद्धि और ज्ञान! कितने दुर्बोध हैं उसके निर्णय! कितने रहस्‍यमय हैं उसके मार्ग!

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पवित्र बाइबल

33 परमेश्वर की करुणा, बुद्धि और ज्ञान कितने अपरम्पार हैं। उसके न्याय कितने गहन हैं; उसके रास्ते कितने गूढ़ है।

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Hindi Holy Bible

33 आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

33 आहा! परमेश्‍वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!

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नवीन हिंदी बाइबल

33 आहा! परमेश्‍वर का धन, बुद्धि और ज्ञान कितना गहन है! उसके निर्णय कैसे अथाह और उसके मार्ग कैसे अगम्य हैं!

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सरल हिन्दी बाइबल

33 ओह! कैसा अपार है परमेश्वर की बुद्धि और ज्ञान का भंडार! कैसे अथाह हैं उनके निर्णय! तथा कैसा रहस्यमयी है उनके काम करने का तरीका!

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रोमियों 11:33
38 क्रॉस रेफरेंस  

मोरदकय को यह मालूम हो गया, और उसने षड्‍यन्‍त्र की सूचना रानी एस्‍तर को दे दी। रानी एस्‍तर ने मोरदकय के नाम से सम्राट को यह बता दिया।


‘प्रभु, तूने ये बातें अपने हृदय में छिपाकर रखी हैं; मैं जानता हूं, तेरा यही उद्देश्‍य था।


क्‍या तुमने परमेश्‍वर की विद्वत मण्‍डली में बैठकर ज्ञान प्राप्‍त किया है? क्‍या बुद्धि का ठेका केवल तुमने ले रखा है?


जो कुछ उसने मेरे बारे में निश्‍चित कर रखा है, वह उसको पूरा भी करेगा। उसके हृदय में ऐसी अनेक बातें हैं।


‘मित्रो, ये सब तो परमेश्‍वर के अति साधारण कार्य हैं! हम-मनुष्‍य उसके महान कार्यों की एक झलक ही देख पाते हैं; उसके महासामर्थ्य की थाह कौन पा सकता है?’


तुम उसके विरुद्ध यह क्‍यों कहते हो कि वह तुम्‍हारी किसी भी बात का उत्तर नहीं देता?


अय्‍यूब, हमें सिखाओ कि हमें परमेश्‍वर से क्‍या कहना चाहिए, क्‍योंकि अन्‍धकार के कारण हम अपने तर्क अच्‍छे ढंग से पेश नहीं कर सकते हैं।


सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर को कौन पा सकता है? वह अत्‍यन्‍त सामर्थी और न्‍यायप्रिय है। वह पूर्ण धार्मिक है, वह अत्‍याचार नहीं कर सकता।


क्‍योंकि परमेश्‍वर ही बड़े-बड़े आश्‍चर्यपूर्ण कर्म, अगणित भेदपूर्ण कार्य करता है।


वह बड़े-बड़े कार्य करता है जिनको बुद्धि समझ नहीं पाती; वह अगणित आश्‍चर्यपूर्ण कार्य करता है।


प्रभु, यह ज्ञान मेरे लिए अद्भुत है, बहुत गहरा है, उस तक मैं नहीं पहुंच सकता।


प्रभु महान् है, वह अत्‍यन्‍त स्‍तुत्‍य है; प्रभु की महानता अगम है।


तेरी धार्मिकता उच्‍च पर्वतों के समान महान है; तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍त अथाह सागर के सदृश गहरे है; प्रभु, तू मनुष्‍य और पशु दोनों की रक्षा करता है।


हे प्रभु, मेरे परमेश्‍वर! तूने हमारे प्रति अपने अद्भुत कार्यों और अभिप्रायों में वृद्धि की है। यदि मैं लोगों से उनकी चर्चा करूं, यदि मैं उनके विषय में लोगों को बताऊं, तो मैं बताते-बताते थक जाऊंगा; क्‍योंकि उनकी गिनती नहीं हो सकती। प्रभु, तेरे तुल्‍य कोई नहीं है।


तेरा मार्ग सागर से, तेरा पथ महासागर से जाता था; पर तेरे पद-चिह्‍नों का पता नहीं चला!


हे प्रभु, तेरे कार्य कितने महान हैं। तेरे विचार कितने गहन-गंभीर हैं!


प्रभु के चारों ओर मेघ और सघन अन्‍धकार है; धार्मिकता और न्‍याय उसके सिंहासन के मूल हैं।


यह परमेश्‍वर की महिमा है कि रहस्‍य, रहस्‍य बना रहे; पर राजा की महिमा तब होती है, जब वह रहस्‍यों से परदा उठाता है।


जैसे आकाश की ऊंचाई और पृथ्‍वी की गहराई नापी नहीं जा सकती, वैसे ही राजा के मन में क्‍या है, यह जाना नहीं जा सकता।


वस्‍तुत: परमेश्‍वर ने हर एक काम का समय निश्‍चित किया है, और प्रत्‍येक काम अथवा प्रत्‍येक वस्‍तु अपने नियत समय पर ही सुन्‍दर लगती है। उसने मनुष्‍य के हृदय में अनादि-अनन्‍त काल का ज्ञान भरा है, फिर भी मनुष्‍य यह भेद जान नहीं पाता है कि परमेश्‍वर ने आदि से अन्‍त तक क्‍या कार्य किया है।


जो तत्‍व है, वह बहुत दूर है, गहरा है, और अत्‍यन्‍त गहरा है। उसका भेद कौन पा सकता है?


तब मुझे अनुभव हुआ कि परमेश्‍वर का समस्‍त कार्य, जो सूर्य के नीचे इस धरती पर होता है, चाहे मनुष्‍य उसका भेद जानने के लिए कितना ही परिश्रम क्‍यों न करे, वह उसका पता नहीं लगा सकता। यदि कोई बुद्धिमान मनुष्‍य उसको जानने का दावा करे तो भी वह उसका पता नहीं लगा सकता।


यह समझ भी किसान को स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु से प्राप्‍त होती है, प्रभु अद्भुत परामर्शदाता है, उसकी समझ महान है!


क्‍या तुम नहीं जानते? क्‍या तुमने नहीं सुना? प्रभु शाश्‍वत परमेश्‍वर है, वह समस्‍त पृथ्‍वी का सृष्‍टिकर्ता है। वह न निर्बल है, और न थकता है। उसकी समझ अगम है!


पृथ्‍वी के समस्‍त निवासी उसके सम्‍मुख नगण्‍य हैं; वह स्‍वर्ग की सेना में, पृथ्‍वी के प्राणियों के मध्‍य, अपनी इच्‍छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्‍न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्‍या किया?’ ”


अथवा क्‍या तुम परमेश्‍वर की असीम दयालुता, सहनशीलता और धैर्य का तिरस्‍कार करते और यह नहीं समझते कि परमेश्‍वर की दयालुता तुम्‍हें पश्‍चात्ताप की ओर ले जाना चाहती है?


उसने ऐसा इसलिए किया कि वह दया के उन पात्रों पर अपनी महिमा का वैभव प्रकट करना चाहता था, जिन्‍हें उसने पहले से ही उस महिमा के लिए तैयार किया था।


परमेश्‍वर ने अपने आत्‍मा द्वारा हम पर वही प्रकट किया है, क्‍योंकि आत्‍मा सब कुछ की, परमेश्‍वर के रहस्‍य की भी, थाह लेता है।


जो अपने रक्‍त द्वारा हमें विमोचन, अर्थात् अपराधों की क्षमा दिलाते हैं। यह परमेश्‍वर की अपार कृपा का परिणाम है,


उसने हम को येशु मसीह में जो दयालुता दिखायी, उसके द्वारा उसने आगामी युगों के लिए अपने अनुग्रह की असीम समृद्धि को प्रदर्शित किया।


इस तरह, अब कलीसिया के माध्‍यम से स्‍वर्गिक क्षेत्र के अधिपतियों एवं अधिकारियों पर भी परमेश्‍वर की बहुविध प्रज्ञ का ज्ञान प्रकट होगा।


कि वह अपने आत्‍मा के द्वारा आप लोगों को अपनी महिमामयी निधि में से आन्‍तरिक शक्‍ति और सामर्थ्य प्रदान करे,


इस तरह, आप लोग अन्‍य सभी सन्‍तों के साथ मसीह के प्रेम की चौड़ाई, लम्‍बाई, ऊंचाई और गहराई समझ सकेंगे।


मुझे, जो सन्‍तों में सब से छोटा हूँ, यह अनुग्रह मिला है कि मैं गैर-यहूदियों को मसीह की अपार कृपानिधि का शुभसमाचार सुनाऊं


परमेश्‍वर ने उन्‍हें दिखलाना चाहा कि गैर-यहूदियों में इस रहस्‍य की कितनी महिमामय समृद्धि है। वह रहस्‍य यह है कि मसीह आप लोगों के बीच हैं और उन में आप लोगों की महिमा की आशा है।


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