प्रभु परमेश्वर ने समस्त वृक्षों को, जो देखने में सुन्दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
प्रकाशितवाक्य 2:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) “जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्वर की स्वर्ग-वाटिका के बीच में है। पवित्र बाइबल “जिसके पास कान हैं, वह उसे सुने जो आत्मा कलीसियाओं से कह रहा है। जो विजय पाएगा मैं उसे परमेश्वर के उपवन में लगे जीवन के वृक्ष से फल खाने का अधिकार दूँगा। Hindi Holy Bible जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा। नवीन हिंदी बाइबल “जिसके पास कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है : जो जय पाए उसे मैं जीवन के वृक्ष में से, जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, खाने को दूँगा। सरल हिन्दी बाइबल जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्र आत्मा का संबोधन क्या है. जो विजयी होगा, उसे मैं जीवन के पेड़ में से, जो परमेश्वर के परादीस (स्वर्गलोक) में है, खाने के लिए दूंगा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा। (प्रका. 2:11) |
प्रभु परमेश्वर ने समस्त वृक्षों को, जो देखने में सुन्दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!
मधुर वचन बोलनेवाली जिह्वा जीवन का वृक्ष है; पर छल-कपट की बातें बोलनेवाली जीभ से आत्मा को कष्ट होता है।
जो मनुष्य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्सन्देह सुखी हैं।
तू मानो परमेश्वर के उद्यान अदन में रहता था। तू मणि-मुक्ताओं से जड़े वस्त्र पहिनता था: माणिक, पद्मराग, हीरा, फिरोजा, सुलेमानी मणि, यशब, नील-मणि, मरकत, और लाल-मणि। तेरे आभूषण और तेरी पोशाक सोने से मढ़ी थी। जिस दिन तेरा जन्म हुआ उसी दिन वे भी तैयार किए गए।
इस देवदार की तुलना में परमेश्वर के उद्यान के देवदार कुछ भी नहीं हैं; और न सनोवर के पेड़ उसकी टहनियों की बराबरी कर सकते हैं। उसकी शाखाओं की तुलना में चिनार पेड़ भी तुच्छ हैं। वह इतना सुन्दर है कि परमेश्वर के उद्यान का एक भी वृक्ष उसकी सुन्दरता की बराबरी नहीं कर सकता है।
ऐसा कुछ नहीं है, जो बाहर से मनुष्य में प्रवेश कर उसे अशुद्ध कर सके; बल्कि जो मनुष्य में से बाहर निकलता है, वही उसे अशुद्ध करता है। [
पर कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे और उग कर सौ गुना फल लाए।” इतना कहने के बाद वह पुकार कर बोले, “जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।”
मैंने तुम से यह सब इसलिए कहा है कि तुम मुझ में शान्ति प्राप्त कर सको। संसार में तुम्हें क्लेश सहना पड़ेगा। परन्तु धैर्य रखो; मैंने संसार पर विजय पायी है।”
परमेश्वर ने अपने आत्मा द्वारा हम पर वही प्रकट किया है, क्योंकि आत्मा सब कुछ की, परमेश्वर के रहस्य की भी, थाह लेता है।
उस मनुष्य ने ऐसी बातों की चर्चा सुनी, जो अनिर्वचनीय हैं और जिन्हें प्रकट करने की किसी मनुष्य को अनुमति नहीं है।
पिताओ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है। युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुमने दुष्ट पर विजय पायी है।
मैंने स्वर्ग में किसी को मुझ से यह कहते सुना, “लिखो : धन्य हैं वे मृतक, जो अब से प्रभु में विश्वास करते हुए मरते हैं!” आत्मा कहता है, “ऐसा ही हो, ताकि वे अपने परिश्रम के बाद विश्राम करें, क्योंकि उनके सत्कर्म उनके साथ जाते हैं।”
मैंने आग से मिश्रित काँच के समुद्र-सा कुछ देखा। वे व्यक्ति जिन्होंने पशु पर, उसकी प्रतिमा पर और उसके नाम की संख्या पर विजय पाई थी, काँच के समुद्र के तट पर खड़े थे। वे परमेश्वर की वीणाएँ लिये
“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको द्वितीय मृत्यु से कोई हानि नहीं होगी।
“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं थोड़ा-सा गुप्त “मन्ना” और अनुग्रह का प्रतीक श्वेत पत्थर प्रदान करूँगा। उस पत्थर पर एक नया नाम अंकित होगा, जिसको पानेवाले के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता।
धन्य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।
आत्मा तथा वधू, दोनों कहते हैं, “आइए।” जो सुनता है, वह उत्तर दे, “आइए।” जो प्यासा है, वह आये। जो चाहता है, वह उपहार में संजीवन जल ग्रहण करे।
नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्ट्रों की चिकित्सा होती है।