Biblia Todo Logo
ऑनलाइन बाइबिल
- विज्ञापनों -




उत्पत्ति 2:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

9 प्रभु परमेश्‍वर ने समस्‍त वृक्षों को, जो देखने में सुन्‍दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्‍य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबल

9 यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

Hindi Holy Bible

9 और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

9 और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

नवीन हिंदी बाइबल

9 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब प्रकार के वृक्ष उगाए जो देखने में मनोहर और भोजन के लिए अच्छे थे; और उसने वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को तथा भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

सरल हिन्दी बाइबल

9 याहवेह परमेश्वर ने सुंदर पेड़ और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए और बगीचे के बीच में जीवन का पेड़ और भले या बुरे के ज्ञान के पेड़ भी लगाया.

अध्याय देखें प्रतिलिपि




उत्पत्ति 2:9
19 क्रॉस रेफरेंस  

पर भले-बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल न खाना; क्‍योंकि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे, तुम अवश्‍य मर जाओगे।’


प्रभु परमेश्‍वर ने कहा, ‘देखो, मनुष्‍य भले और बुरे को जानकर हममें से एक के समान बन गया है। अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल तोड़ ले, और उसे खाकर अमर हो जाए।’


उसने मनुष्‍य को निकाल दिया। उसने जीवन के वृक्ष की ओर जाने वाले मार्ग की रखवाली करने के लिए अदन के उद्यान की पूर्व दिशा में करूबों को तथा चारों ओर घूमने वाली ज्‍वालामय तलवार को नियुक्‍त किया।


परन्‍तु परमेश्‍वर ने कहा है, “उद्यान के मध्‍य में लगे पेड़ का फल न खाना, उसे स्‍पर्श भी नहीं करना, अन्‍यथा तुम मर जाओगे।” ’


परमेश्‍वर जानता है कि जब तुम उसे खाओगे तब तुम्‍हारी आंखें खुल जाएंगी। तुम भले और बुरे को जानकर परमेश्‍वर के समान बन जाओगे।’


धार्मिक व्यक्‍ति के आचरण का फल है: जीवन वृक्ष! पर दुष्‍कर्मी के कार्य का फल है: हिंसा!


जो मनुष्‍य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्‍सन्‍देह सुखी हैं।


मैं मिथ्‍याविचारकों के शकुन-विचार व्‍यर्थ कर देता हूं; भविष्‍य बतानेवालों को मूर्ख सिद्ध करता हूं; बुद्धिमान कहलानेवालों की मूर्खता प्रकट करता हूं, उनके ज्ञान को अज्ञान सिद्ध कर देता हूं।


तूने अपनी दुष्‍टता के कारण स्‍वयं को सुरक्षित समझा था, तू कहती थी, ‘मुझे कोई नहीं देखता।’ तेरी बुद्धि और तेरे ज्ञान ने तुझे धोखा दिया। तूने अपने हृदय में यह कहा, ‘केवल मैं ही हूं, मुझे छोड़ दूसरी स्‍वामिनी है ही नहीं।’


जब वह जड़ से उखड़ेगा और भूमि पर गिरेगा तब उसके धमाके से सब राष्‍ट्रों के दिल कांप उठेंगे। मैं कबर में जानेवाले मृतक के समान उसको अधोलोक में फेंक दूंगा। तब अदन की वाटिका के वृक्ष तथा लबानोन के सर्वोत्तम वृक्ष, जिनको भरपूर पानी मिलता है, अधोलोक में शान्‍ति की सांस लेंगे।


“ओ देवदार, तेरी महानता और गौरव की तुलना में अदन की वाटिका के वृक्ष कुछ भी नहीं हैं। किन्‍तु तू भी उनके समान अधोलोक में काट कर फेंक दिया जाएगा, और वहां तू तलवार से वध की गई बेख़तना जातियों के मध्‍य पड़ा रहेगा।” ‘फरओ और उसकी विशाल प्रजा का यही हाल होगा।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


नदी के दोनों किनारों पर अनेक प्रकार के पेड़ होंगे, जो आहार के लिए फल देंगे। उनके पत्ते कभी नहीं मुरझाएंगे, और न ही उनमें फल लगना बन्‍द होगा। किन्‍तु ये पेड़ हर महीने नए फल दिया करेंगे, क्‍योंकि उनको सींचनेवाला जल पवित्र-स्‍थान से निकला है! उनके फल आहार के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।’


जीवन की रोटी मैं हूँ।


अब मूर्तियों को अर्पित मांस के विषय में। इसके संबंध में हम सब को ज्ञान प्राप्‍त है-यह मानी हुई बात है; किन्‍तु वह ‘ज्ञान’ मनुष्‍य को अहंकारी बनाता है, जब कि प्रेम निर्माण करता है।


हमारे लिए धार्मिकता से जीवन व्‍यतीत करने का यह अर्थ है : अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख इन समस्‍त आज्ञाओं का पालन करना और इनके अनुसार कार्य करना, जैसी उसने हमें आज्ञा दी है।


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्‍वर की स्‍वर्ग-वाटिका के बीच में है।


धन्‍य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्‍त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।


नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्‍ट्रों की चिकित्‍सा होती है।


हमारे पर का पालन करें:

विज्ञापनों


विज्ञापनों