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नीतिवचन 3:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 जो मनुष्‍य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्‍सन्‍देह सुखी हैं।

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पवित्र बाइबल

18 बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं!

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Hindi Holy Bible

18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उसको पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

18 जो उसे ग्रहण करते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है; और जो उसे थामे रहते हैं, वे धन्य हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 जो उसे अपना लेते हैं, उनके लिए वह जीवन वृक्ष प्रमाणित होता है; जो उसे छोड़ते नहीं, वे धन्य होते हैं.

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नीतिवचन 3:18
11 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु परमेश्‍वर ने समस्‍त वृक्षों को, जो देखने में सुन्‍दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्‍य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।


प्रभु परमेश्‍वर ने कहा, ‘देखो, मनुष्‍य भले और बुरे को जानकर हममें से एक के समान बन गया है। अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल तोड़ ले, और उसे खाकर अमर हो जाए।’


धार्मिक व्यक्‍ति के आचरण का फल है: जीवन वृक्ष! पर दुष्‍कर्मी के कार्य का फल है: हिंसा!


जब आशा पूरी होने में विलम्‍ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्‍छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!


मधुर वचन बोलनेवाली जिह्‍वा जीवन का वृक्ष है; पर छल-कपट की बातें बोलनेवाली जीभ से आत्‍मा को कष्‍ट होता है।


मेरी शिक्षा को कस कर पकड़े रह, उसकी रक्षा कर, वह तेरा जीवन है।


अब, हे मेरे शिष्‍यों, मेरी बात सुनो: मेरे मार्ग पर चलनेवाले लोग धन्‍य हैं!


मेरी बात को सुननेवाला मनुष्‍य धन्‍य है। वह प्रतिदिन मेरे द्वार पर आस लगाए खड़ा रहता है; वह मेरी प्रतीक्षा में द्वार पर पलकें बिछाए रहता है।


बुद्धि का संरक्षण धन के संरक्षण के तुल्‍य है। ज्ञान से यह लाभ है कि वह अपने धारक का जीवन सुरक्षित रखता है।


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्‍वर की स्‍वर्ग-वाटिका के बीच में है।


नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्‍ट्रों की चिकित्‍सा होती है।


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