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नीतिवचन 15:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 मधुर वचन बोलनेवाली जिह्‍वा जीवन का वृक्ष है; पर छल-कपट की बातें बोलनेवाली जीभ से आत्‍मा को कष्‍ट होता है।

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पवित्र बाइबल

4 जो वाणी मन के घाव भर देती है, जीवन—वृक्ष होती है; किन्तु कपटपूर्ण वाणी मन को कुचल देती है।

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Hindi Holy Bible

4 शान्ति देने वाली बात जीवन-वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 शान्ति देनेवाली बात जीवन–वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

4 शांति देनेवाली जीभ जीवन का वृक्ष है, परंतु कुटिल बातों से आत्मा दुःखी होती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

4 सांत्वना देनेवाली बातें जीवनदायी वृक्ष है, किंतु कुटिलतापूर्ण वार्तालाप उत्साह को दुःखित कर देता है.

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नीतिवचन 15:4
15 क्रॉस रेफरेंस  

मैं पीड़ित हूं, दरिद्र हूं, मेरे भीतर मेरा हृदय घायल है।


धार्मिक मनुष्‍य का मुख जीवन का झरना है; पर दुर्जन के मुख में हिंसा निवास करती है!


बिना सोच-विचार के बोलनेवाले मनुष्‍य के शब्‍द तलवार की तरह बेधते हैं; पर बुद्धिमान की बातें मलहम का काम करती हैं।


प्रभु की दृष्‍टि सर्वव्‍यापी है; प्रभु हमारे प्रत्‍येक कार्य को देखता है, चाहे हम भला करें, चाहे बुरा!


मूर्ख पुत्र अपने पिता की शिक्षाप्रद बातों का तिरस्‍कार करता है; परन्‍तु जो पुत्र अपने पिता की डांट-डपट को स्‍वीकार करता है, वह व्‍यवहारकुशल बन जाता है।


मीठे वचन मधु की तरह हैं जो प्राण को मीठा लगता है, जो शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है।


बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?


कान भरनेवाले की बातें स्‍वादिष्‍ट भोजन की तरह लगती हैं; वे पेट में हजम हो जाती हैं।


कानाफूसी करनेवाले की बातें कानों को प्रिय लगती हैं, वे सीधे मन में उतर जाती हैं, स्‍वादिष्‍ट भोजन के समान हजम हो जाती हैं।


जो मनुष्‍य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्‍सन्‍देह सुखी हैं।


पर तुम मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखते हो, इसलिए तुम पर धार्मिकता का सूर्य उदय होगा, उसके पंखों में रोग-निवारण की किरणें होंगी, जिनके स्‍पर्श से तुम स्‍वस्‍थ होगे। जैसे पशुशाला से छूटकर बछड़ा आनन्‍द से कूदता-फांदता है, वैसे ही तुम मुक्‍त होकर आनन्‍द से विचरण करोगे।


यदि कोई भिन्न शिक्षा देता है और हमारे प्रभु येशु मसीह के हितकारी उपदेशों में और भक्‍ति-सम्‍मत शिक्षा में मन नहीं लगाता,


“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्‍मा कलीसियओं से क्‍या कहता है। जो विजय प्राप्‍त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्‍वर की स्‍वर्ग-वाटिका के बीच में है।


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