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नीतिवचन 4:24 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

अपने मुंह से कुटिल बातें मत निकालना, और न ओंठों पर धोखा-धड़ी की बातें आने देना।

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पवित्र बाइबल

तू अपने मुख से कुटिलता को दूर रख। तू अपने होठों से भ्रष्ट बात दूर रख।

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Hindi Holy Bible

टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाज़ी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।

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नवीन हिंदी बाइबल

अपने मुँह से कुटिल बात न बोल, और अपने होठों से छल की बातों को दूर रख।

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सरल हिन्दी बाइबल

कुटिल बातों से दूर रहना; वैसे ही छल-प्रपंच के वार्तालाप में न बैठना.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।

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नीतिवचन 4:24
16 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तुम्‍हारे हाथ अधर्म से रंगे हैं, तो उनको धो डालो; दुष्‍कर्म को अपने घर में टिकने मत दो।


बुराई को छोड़ों, और भलाई करो; शांति को खोजो, और उसका अनुसरण करो।


धार्मिक मनुष्‍य समझ-बूझकर ग्रहणयोग्‍य बातें ही बोलता है, पर दुर्जन के ओंठों से कुटिल बातें ही निकलती हैं।


जो मनुष्‍य कुटिल हृदय का है, वह कभी सफल न होगा; कुटिल वचन बोलनेवाला विपत्ति के गड्ढे में गिरता है।


जो गरीब मनुष्‍य सच्‍चाई के मार्ग पर चलता है, वह उस मूर्ख मनुष्‍य से श्रेष्‍ठ है जो छल-कपट की बातें करता है।


तेरी आंखें सामने की ओर देखें, तेरी पलकें सीधी दिशा में खुली रहें।


दुर्जन किसी काम का आदमी नहीं होता; बकवादी यहां-वहां कुटिल बातें कहता फिरता है।


बुराई से घृणा करना ही प्रभु की भक्‍ति करना है; मैं घमण्‍ड, अहंकार और दुराचरण से, छल-कपटपूर्ण बातों से घृणा करती हूं।


मेरे मुख के सब वचन धार्मिक होते हैं, उनमें छल-कपट और उलट-फेर नहीं होता।


तुमने मेरे विरुद्ध अनेक कुकर्म किए हैं। उन-सब को अपने से दूर करो; और तब अपने भीतर नया हृदय और नई आत्‍मा धारण करो। ‘ओ इस्राएल के कुल, तू क्‍यों मरना चाहता है?


अब तो आप लोगों को क्रोध, उत्तेजना, द्वेष, परनिन्‍दा और अश्‍लील बातचीत सर्वथा छोड़ देनी चाहिए।


और निरन्‍तर झगड़े उत्‍पन्न होते हैं। यह सब ऐसे लोगों के योग्‍य है, जिनका मन विकृत और सत्‍य से वंचित हो गया है और यह समझते हैं कि भक्‍ति लाभ का एक साधन है।


इसलिए आप लोग हर प्रकार की मलिनता और समस्‍त बुराई को दूर कर नम्रतापूर्वक परमेश्‍वर का वह वचन ग्रहण करें, जो आप में रोपा गया है और आपकी आत्‍मा का उद्धार करने में समर्थ है।


यदि कोई अपने को धर्मात्‍मा मानता है, किन्‍तु अपनी जीभ पर नियन्‍त्रण नहीं रखता, तो वह अपने आप को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्‍यर्थ है।


आप लोग हर प्रकार की बुराई, छल-कपट, पाखण्‍ड, ईष्‍र्या और परनिन्‍दा को सर्वथा छोड़ दें।