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1 तीमुथियुस 6:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 और निरन्‍तर झगड़े उत्‍पन्न होते हैं। यह सब ऐसे लोगों के योग्‍य है, जिनका मन विकृत और सत्‍य से वंचित हो गया है और यह समझते हैं कि भक्‍ति लाभ का एक साधन है।

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पवित्र बाइबल

5 एवम् उन लोगों के बीच जिनकी बुद्धि बिगड़ गयी है, निरन्तर बने रहने वाले मतभेद पैदा होते हैं, वे सत्य से वंचित हैं। ऐसे लोगों का विचार है कि परमेश्वर की सेवा धन कमाने का ही एक साधन है।

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Hindi Holy Bible

5 और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिन की बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्ति कमाई का द्वार है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े–झगड़े उत्पन्न होते हैं जिनकी बुद्धि बिगड़ गई है, और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्‍ति कमाई का द्वार है।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 और उन मनुष्यों में निरंतर झगड़े उत्पन्‍न‍ होते हैं, जिनकी बुद्धि भ्रष्‍ट हो गई है और जो सत्य से वंचित रह गए हैं और सोचते हैं कि भक्‍ति कमाई का साधन है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 तथा बिगड़ी हुई बुद्धि और सच से अलग व्यक्तियों में व्यर्थ झगड़े उत्पन्‍न हो जाते है. ये वे हैं, जो परमेश्वर की भक्ति को कमाई का साधन समझते हैं.

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1 तीमुथियुस 6:5
34 क्रॉस रेफरेंस  

कुत्तों की भूख शान्‍त नहीं होती, उनका पेट कभी नहीं भरता। चरवाहों में भी समझ नहीं है, वे अपने-अपने मार्ग पर चल रहे हैं, उन सबको केवल अपने लाभ की चिन्‍ता है।


‘बच्‍चों से बूढ़ों तक, गरीब से अमीर तक हर कोई अन्‍याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्‍य झूठ का सौदा करते हैं।


अत: मैं उनकी स्‍त्रियां और उनके खेत विजेता शत्रुओं के हाथ में सौंप दूंगा। क्‍योंकि छोटे से बड़े तक, हर कोई मनुष्‍य अन्‍याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्‍य झूठ का सौदा करते हैं।


वे झुण्‍ड के झुण्‍ड तेरे पास आते हैं। वे मेरे निज लोगों के समान तेरे सामने बैठते हैं। वे तेरी बातें सुनते हैं, पर मेरे सन्‍देश के अनुसार आचरण नहीं करते। “वाह! कितने सुन्‍दर वचन हैं!” , वे मुंह से यह कहते हैं, किन्‍तु उनका हृदय स्‍वार्थ में डूबा हुआ है।


“यदि तुम किसी पेड़ को अच्‍छा मानते हो, तो उसके फल को भी अच्‍छा मानो। अथवा यदि पेड़ को बुरा मानते हो, तो उसके फल को भी बुरा मानो; क्‍योंकि पेड़ तो अपने फल से पहचाना जाता है।


और उन से कहा, “धर्मग्रन्‍थ में लिखा है : ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा,’ परन्‍तु तुम लोग उसे लुटेरों का अड्डा बना रहे हो।”


“ढोंगी शास्‍त्रियो और फरीसियो! धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम मनुष्‍यों के लिए स्‍वर्ग-राज्‍य का द्वार बन्‍द कर देते हो; न तो तुम स्‍वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।


यदि कोई इसके विषय में विवाद करना चाहे, तो वह यह जान ले कि न तो हमारे यहाँ कोई दूसरी प्रथा प्रचलित है और न परमेश्‍वर की कलीसियाओं में ही।


प्‍यारो! हम आप को अपने प्रभु येशु मसीह के नाम पर आदेश देते हैं कि आप उन भाई-बहिनों से अलग रहें, जो काम नहीं करते और उस परम्‍परा के अनुसार नहीं चलते, जो आप लोगों को हम से प्राप्‍त हुई है।


कुछ लोग इस मार्ग को छोड़ कर निरर्थक वाद-विवाद में भटक गये हैं।


वह मद्यसेवी या क्रोधी नहीं, बल्‍कि सहनशील हो। वह झगड़ालू या लोभी न हो।


इसी तरह धर्मसेवक आचरण में गम्‍भीर तथा निष्‍कपट हों। वे न तो मद्यसेवी हों और न लोभी।


अधार्मिक एवं निस्‍सार कल्‍पित कथाओं से दूर रहो और भक्‍ति की साधना में लगे रहो।


शरीर के व्‍यायाम से कुछ लाभ तो होता है, किन्‍तु भक्‍ति से जो लाभ मिलता है, वह असीम है; क्‍योंकि वह जीवन का आश्‍वासन देती है, इहलोक में भी और परलोक में भी।


वैसे भक्‍ति है भी महान लाभ का साधन, यदि वह संतोष से युक्‍त हो।


वे भक्‍ति का स्‍वांग तो रचेंगे ही, किन्‍तु इसका वास्‍तविक स्‍वरूप अस्‍वीकार करेंगे। तुम ऐसे लोगों से दूर रहो।


जिस तरह यन्नेस और यम्‍ब्रेस ने मूसा का विरोध किया था, उसी तरह ये लोग सच्‍चाई का विरोध करते हैं। इनकी बुद्धि भ्रष्‍ट हो गयी है और इनका विश्‍वास कच्‍चा है।


ऐसे लोगों का मुँह बन्‍द कर देना चाहिए, क्‍योंकि वे घिनावने लाभ के लिए अनुचित बातें सिखाते हैं और इस प्रकार परिवार के परिवार चौपट कर देते हैं।


सन्‍मार्ग छोड़ कर बोसोर के पुत्र बिलआम के मार्ग पर भटक गयी है। बिलआम अधर्म की मजदूरी चाहता था,


वे लोभ के कारण अपनी मनगढ़न्‍त बातों द्वारा आप से अनुचित लाभ उठायेंगे। उनकी दण्‍डाज्ञा का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और वह उनका पीछा कर रहा है। उनका विनाश सोया हुआ नहीं है!


धिक्‍कार इन लोगों को! ये काइन के मार्ग पर चल रहे हैं। ये तुच्‍छ लाभ के लिए बिलआम की तरह भटक गये और कोरह की तरह विद्रोह करने के कारण विनष्‍ट हो गये हैं।


दालचीनी, इलायची, धूप और लोबान; मदिरा, तेल, मैदा और गेहूँ; बैल और भेड़ें; घोड़े और रथ; दास और युद्धबन्‍दी भी।


क्‍योंकि सभी राष्‍ट्रों ने उसके व्‍यभिचार की तीखी मदिरा पी ली है, पृथ्‍वी के राजाओं ने उसके साथ व्‍यभिचार किया है और पृथ्‍वी के व्‍यापारी उसके अपार वैभव से धनी हो गये हैं।”


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