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कुलुस्सियों 3:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 अब तो आप लोगों को क्रोध, उत्तेजना, द्वेष, परनिन्‍दा और अश्‍लील बातचीत सर्वथा छोड़ देनी चाहिए।

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पवित्र बाइबल

8 किन्तु अब तुम्हें इन सब बातों के साथ साथ क्रोध, झुँझलाहट, शत्रुता, निन्दा-भाव और अपशब्द बोलने से छुटकारा पा लेना चाहिए।

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Hindi Holy Bible

8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 पर अब तुम भी इन सब को, अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुँह से गालियाँ बकना ये सब बातें छोड़ दो।

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नवीन हिंदी बाइबल

8 परंतु अब तुम इन सब बातों को अर्थात् क्रोध, रोष, बुराई, निंदा और गालियाँ जो तुम्हारे मुँह से निकलती हैं, छोड़ दो।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 किंतु अब तुम सभी क्रोध, रोष, बैरभाव, निंदा तथा गंदी भाषा का भी त्याग कर दो.

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कुलुस्सियों 3:8
35 क्रॉस रेफरेंस  

क्रोध से दूर रहो, और रोष को त्‍याग दो। स्‍वयं को क्षुब्‍ध न करो; क्षोभ केवल बुराई की ओर ले जाता है।


लड़ाई-झगड़े का आरम्‍भ मानो बान्‍ध के छेद के समान है, अत: उसके फूटने के पहले ही वहाँ से हट जाओ!


जो मनुष्‍य बड़ा क्रोधी है, उसे क्रोध का फल भोगना ही पड़ेगा; यदि तुम उसे एक बार बचाओगे, तो उसे बार-बार बचाना पड़ेगा।


जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का है, वह लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है, जो क्रोध के वश में है, वह अपराध-पर-अपराध करता है।


परन्‍तु मैं तुम से कहता हूँ, जो कोई अपने भाई अथवा बहिन पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दण्‍ड के योग्‍य ठहराया जाएगा। यदि वह अपने भाई अथवा बहिन से अपशब्‍द कहे, तो वह धर्म-महासभा में दण्‍ड के योग्‍य ठहराया जाएगा और जो कोई अपने भाई अथवा बहिन से कहेगा, ‘अरे मूर्ख’, तो वह नरक की आग के योग्‍य ठहराया जाएगा।


परस्‍त्री-गमन, लोभ, विद्वेष, छल-कपट, लम्‍पटता, ईष्‍र्या, झूठी निन्‍दा, अहंकार और धर्महीनता−


हम दिन के योग्‍य सदाचरण करें। हम रंगरेलियों और नशेबाजी, व्‍यभिचार और भोगविलास, झगड़े और ईष्‍र्या से दूर रहें।


आप इस समय भी इसे पचा नहीं सकते, क्‍योंकि आप अब तक शारीरिक स्‍वभाव के हैं। आप लोगों में ईष्‍र्या और झगड़ा होता है। क्‍या यह इस बात का प्रमाण नहीं कि आप शारीरिक स्‍वभाव के हैं और निरे मनुष्‍यों-जैसा आचरण करते हैं?


मुझे आशंका है-कहीं ऐसा न हो कि आने पर मैं आप लोगों को जैसा पाना चाहता, वैसा नहीं पाऊं और आप मुझे जैसा नहीं चाहते, वैसा ही पाएँ। कहीं ऐसा न हो कि मैं आपके यहाँ फूट, ईष्‍र्या, बैर, स्‍वार्थपरता, परनिन्‍दा, चुगलख़ोरी, अहंकार और उपद्रव पाऊं।


यदि आप लोग एक दूसरे को काटने और फाड़ डालने की चेष्‍टा करेंगे, तो सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप एक दूसरे का सर्वनाश कर दें।


मूर्ति-पूजा, जादू-टोना, बैर, फूट, ईष्‍र्या, क्रोध, स्‍वार्थपरता, मनमुटाव, दलबन्‍दी,


हम मिथ्‍याभिमानी न बनें, एक दूसरे को न भड़कायें और एक दूसरे से ईष्‍र्या न करें।


तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्‍वभाव त्‍याग देना चाहिए, क्‍योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है।


इसलिए आप लोग झूठ बोलना छोड़ दें और अपने-अपने पड़ोसी से सत्‍य बोलें, क्‍योंकि हम एक दूसरे के अंग हैं।


यदि आप क्रुद्ध हो जायें, तो इस कारण पाप न करें-सूरज के डूबने तक अपना क्रोध कायम नहीं रहने दें।


आपके मुख से कोई अश्‍लील बात नहीं, बल्‍कि ऐसे शब्‍द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्‍याण में सहायक हों।


और न भद्दी, मूर्खतापूर्ण या अश्‍लील बातचीत; क्‍योंकि यह अशोभनीय है-बल्‍कि आप परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया करें।


इसलिए आप लोग अपने शरीर में इन बातों को निर्जीव करें जो संसार की हैं, अर्थात् व्‍यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, विषयवासना और लोभ को जो मूर्तिपूजा के सदृश है।


कभी एक दूसरे से झूठ नहीं बोलें। आप लोगों ने अपना पुराना स्‍वभाव और उसके कर्मों को उतार कर


मैं तो पहले ईश-निन्‍दक, अत्‍याचारी और उद्दण्‍ड था; किन्‍तु मुझ पर दया की गयी है, क्‍योंकि अविश्‍वास के कारण मैं यह नहीं जानता था कि मैं क्‍या कर रहा हूँ।


इन में हुमिनयुस और सिकन्‍दर हैं। मैंने उन्‍हें शैतान के हवाले कर दिया, जिससे वे यह शिक्षा लें कि परमेश्‍वर की निन्‍दा नहीं करनी चाहिए।


जब विश्‍वास के साक्षी इतनी बड़ी संख्‍या में हमारे चारों ओर विद्यमान हैं, तो हम हर प्रकार की बाधा दूर कर, और उस पाप को छोड़ कर जो लक्ष्य से सहज ही हमारा ध्‍यान हटा देता है, और येशु पर अपनी दृष्‍टि लगा कर धैर्य के साथ उस दौड़ में आगे बढ़ते जायें, जिस में हमारा नाम लिखा गया है।


क्‍या वे उस सुन्‍दर नाम की निन्‍दा नहीं करते, जिस से आप पुकारे जाते हैं?


आप लोग हर प्रकार की बुराई, छल-कपट, पाखण्‍ड, ईष्‍र्या और परनिन्‍दा को सर्वथा छोड़ दें।


जो लोग अभी-अभी भ्रान्‍ति का जीवन बिताने वालों से अलग हुए हैं, वे उन्‍हें व्‍यर्थ शब्‍दाडम्‍बर और शरीर की घृणित वासनाओं द्वारा लुभाते हैं।


किन्‍तु उसने धर्मी लोट को बचाया, जो उन दुष्‍ट लोगों के व्‍यभिचारपूर्ण आचरण के कारण दु:खी था।


ये समुद्र की उद्दाम लहरें हैं, जो अपनी लज्‍जाजनक वासनाओं का फेन उछालती हैं। ये उल्‍काओं के सदृश हैं। इनके लिए गहरा अन्‍धकार अनन्‍त काल तक रख छोड़ा गया है।


फिर भी ये व्यक्‍ति अपने उन्‍माद में शरीर को अपवित्र करते, प्रभुत्‍व को तुच्‍छ समझते और स्‍वर्गिक सत्‍वों की निन्‍दा करते हैं।


मनुष्‍य प्रचण्‍ड ताप से जल गये। उन्‍होंने उन विपत्तियों पर अधिकार रखने वाले परमेश्‍वर के नाम की निन्‍दा की, लेकिन उन्‍होंने पश्‍चात्ताप नहीं किया और परमेश्‍वर की स्‍तुति करना नहीं चाहा।


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