नीतिवचन 15:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) बुद्धिमान अपनी वाणी से ज्ञान का प्रसार करता है; पर मूर्ख का मस्तिष्क ऐसा नहीं कर पाता। पवित्र बाइबल बुद्धिमान की वाणी ज्ञान फैलाती है, किन्तु मूर्खो का मन ऐसा नहीं करता है। Hindi Holy Bible बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता। नवीन हिंदी बाइबल बुद्धिमानों का मुँह ज्ञान फैलाता है, परंतु मूर्खों का मन ऐसा नहीं करता। सरल हिन्दी बाइबल बुद्धिमान के होंठों से ज्ञान का प्रसरण होता है, किंतु मूर्ख के हृदय से ऐसा कुछ नहीं होता. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता। |
आप पुरुषों में सर्वसुन्दर हैं। आपके ओंठों से माधुर्य टपकता है। अत: परमेश्वर ने युग-युगांत आपको आशिष दी है।
बुद्धिमान के कंठ से ज्ञान की धारा प्रवाहित होती है; किन्तु मूर्ख अपने मुंह से केवल मूर्खता ही निकालता है।
मूर्ख का बलि चढ़ाना भी प्रभु पसन्द नहीं करता। किन्तु निष्कपट मनुष्य की प्रार्थना से वह हर्षित होता है।
बुद्धिमान मनुष्य का मन उसके वचन को ज्ञान से परिपूर्ण करता है, और उसकी वाणी में विद्या की वृद्धि करता है।
बुद्धिमान का हृदय उसे उचित मार्ग की ओर उन्मुख करता है, किन्तु मूर्ख का मन बुराई की ओर उसे प्रेरित करता है।
ओ मेरी वधू, तेरे ओंठों से मधु टपकता है, तेरी जीभ के नीचे शहद और दूध की मिठास है। तेरे वस्त्रों की सुगन्ध मानो लबानोन की सुगन्ध है।
जो मैं तुम से अंधेरे में कहता हूँ, उसे तुम उजाले में सुनाओ। जो तुम्हें कानों में कहा जाता है, उसे तुम छतों पर से पुकार-पुकार कर कहो।
साँप के बच्चो! तुम बुरे हो कर अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।
तब येशु ने उन से कहा, “संसार के कोने-कोने में जाओ और प्रत्येक प्राणी को शुभ समाचार सुनाओ।
आपके मुख से कोई अश्लील बात नहीं, बल्कि ऐसे शब्द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्याण में सहायक हों।
तुम्हें अनेक सािक्षयों के सामने मुझ से जो शिक्षा मिली, उसे तुम ऐसे विश्वस्त व्यक्तियों को सौंप दो, जो स्वयं दूसरों को शिक्षा देने योग्य हों।
जीभ भी एक आग है। उसमें अधर्म का संसार भरा पड़ा है। हमारे अंगों में जीभ ही है जो हमारा समस्त शरीर दूषित करती और नरकाग्नि से प्रज्वलित हो कर हमारे भव-चक्र में आग लगा देती है।