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नीतिवचन 15:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 मूर्ख का बलि चढ़ाना भी प्रभु पसन्‍द नहीं करता। किन्‍तु निष्‍कपट मनुष्‍य की प्रार्थना से वह हर्षित होता है।

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पवित्र बाइबल

8 यहोवा दुष्ट के चढ़ावे से घृणा करता है किन्तु उसको सज्जन की प्रार्थना ही प्रसन्न कर देती है।

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Hindi Holy Bible

8 दुष्ट लोगों के बलिदान से यहोवा धृणा करता है, परन्तु वह सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 दुष्‍ट लोगों के बलिदान से यहोवा घृणा करता है, परन्तु वह सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

8 दुष्‍ट लोगों के बलिदान से यहोवा घृणा करता है, परंतु सीधे लोगों की प्रार्थना से वह प्रसन्‍न‍ होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 दुष्ट द्वारा अर्पित की गई बलि याहवेह के लिए घृणास्पद है, किंतु धर्मी द्वारा की गई प्रार्थना उन्हें स्वीकार्य है.

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नीतिवचन 15:8
26 क्रॉस रेफरेंस  

जब अबशालोम बलि चढ़ा रहा था तब उसने अहीतोफल को उसके नगर, गिलोह से बुलाया। अहीतोफल दाऊद का मन्‍त्री था। वह गिलोह नगर में रहता था। इस प्रकार षड्‍यन्‍त्र बल पकड़ता गया। अबशालोम के सहयोगियों की संख्‍या बढ़ती गई।


प्रभु परमेश्‍वर को अपनी दृष्‍टि में यह बात अच्‍छी लगी कि सुलेमान ने उससे यह मांगा।


हे मेरे परमेश्‍वर! मैं जानता हूं, तू हृदय को परखता है। तू निष्‍कपट हृदय के व्यक्‍ति से प्रसन्न होता है। मैं निष्‍कपट हृदय से यह सब भेंट स्‍वेच्‍छापूर्वक तुझे अर्पित करता हूँ। अब मैंने तेरे निज लोगों को भी देखा जिन्‍होंने आनन्‍दपूर्वक स्‍वेच्‍छा से तुझे भेंट चढ़ाई।


मेरी प्रार्थना तेरे सम्‍मुख सुगन्‍धित धूप, और मेरा हाथ जोड़ना सान्‍ध्‍य-बलि माना जाए!


हे प्रभु, सत्‍य पक्ष को सुन; मेरी पुकार पर ध्‍यान दे। मेरी प्रार्थना पर कान दे, क्‍योंकि यह मेरी निष्‍कपट जीभ से निकली है।


जिस बात से दुर्जन डरता है, वह उस पर आती है; पर धार्मिक मनुष्‍य की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


प्रभु धार्मिक व्यक्‍ति की प्रार्थना सुनता है, पर वह दुर्जन की ओर ध्‍यान नहीं देता।


बुद्धिमान अपनी वाणी से ज्ञान का प्रसार करता है; पर मूर्ख का मस्‍तिष्‍क ऐसा नहीं कर पाता।


दुर्जनों के द्वारा चढ़ाई गई बलि प्रभु की दृष्‍टि में घृणित वस्‍तु है; तब बुरे उद्देश्‍य से चढ़ाई गई बलि कितनी घृणित होगी।


पशु-बलि की अपेक्षा धर्म और न्‍याय के कार्य करना प्रभु को अधिक पसन्‍द है।


जो मनुष्‍य व्‍यवस्‍था-पाठ को नहीं सुनता, उसकी प्रार्थना भी परमेश्‍वर नहीं सुनता।


जब तुम परमेश्‍वर के मन्‍दिर में जाते हो तब अपने आचरण का ध्‍यान रखो। मूर्ख द्वारा चढ़ाई गई बलि की अपेक्षा परमेश्‍वर के मन्‍दिर में आना, और उसका वचन सुनना श्रेष्‍ठ है। क्‍योंकि मूर्ख यह नहीं जानता है कि जो कार्य वह करता है, वह दुष्‍कर्म है।


ओ मेरी कपोती। चट्टानों की खोहों में पहाड़ों की गुप्‍त दरारों में मुझे तेरे रूप के दर्शन करने दे, मुझे तेरी आवाज सुनने दे। क्‍योंकि तेरा मुख सुन्‍दर है, तेरी आवाज मधुर है।”


प्रभु कहता है : ‘मैं न्‍याय से प्रेम करता हूं, मुझे अन्‍याय और लूटमार से घृणा है। मैं अपने निज लोगों को सच्‍चाई से उनका प्रतिफल दूंगा। मैं उनके साथ स्‍थायी विधान स्‍थापित करूंगा।


‘जो आराधक बलि चढ़ाने के लिए बैल का वध करता है, वह मानो मनुष्‍य की हत्‍या करता है; जो आराधक मेमने की बलि करता है वह मानो कुत्ते की गरदन तोड़ता है; जो आराधक अन्न-बलि चढ़ाता है, वह मानो सूअर का रक्‍त अर्पित करता है; जो आराधक ‘स्‍मृति-बलि’ में लोबान जलाता है वह मानो मूर्ति की पूजा करता है। ऐसे आराधक आराधना की अपनी ही पद्धति चुनते हैं, उनके प्राण ऐसी ही घृणित आराधना से प्रसन्न होते हैं।


ओ यरूशलेम के निवासियो, शबा देश से लाया गया लोबान, दूर देश से लाए गए सुगन्‍धित द्रव्‍य मेरे किस काम के? इन्‍हें मुझे मत चढ़ाओ। मुझे तुम्‍हारी अग्‍नि-बलि स्‍वीकार नहीं है। मैं तुम्‍हारी पशु-बलि पसन्‍द नहीं करता हूं।’


तूने याचना करना आरम्‍भ किया था कि मुझे आदेश प्राप्‍त हुआ। मैं तुझको वही बताने आया हूं, क्‍योंकि तू परमेश्‍वर को परमप्रिय है। अब तू मेरे शब्‍दों को ध्‍यान से सुन और अपने दर्शन को समझ।


तीसरे दिन सहभागिता-बलि के पशु का मांस खाने वाला, उसको चढ़ाने वाला व्यक्‍ति ग्रहण नहीं किया जाएगा, और न उसका फल ही उसको मिलेगा। यह अखाद्य वस्‍तु होगी। उसको खानेवाला व्यक्‍ति अपने अधर्म का भार स्‍वयं वहन करेगा।


मैं हाथ में कौन-सी भेंट लेकर प्रभु के सामने जाऊं और उच्‍च सिंहासन पर विराजमान परमेश्‍वर के सम्‍मुख आराधना करूं? क्‍या मैं उसके सम्‍मुख अन्नबलि, और एक-वर्षीय बछड़ा लेकर जाऊं?


क्‍या प्रभु हजार मेढ़ों की बलि से, क्‍या वह तेल की लाखों नदियों की भेंट से प्रसन्न होगा? क्‍या मुझे अपने अपराध की क्षमा के लिए ज्‍येष्‍ठ पुत्र की बलि देना चाहिए? क्‍या मुझे अपने ही पाप के लिए अपने पौरुष के प्रथम फल को चढ़ाना चाहिए? कदापि नहीं!


तब हग्‍गय ने कहा, ‘प्रभु का यह कथन है: मेरी दृष्‍टि में यह कौम, यह राष्‍ट्र भी ऐसा ही अशुद्ध है। इसका हर काम भी अशुद्ध है। जो चढ़ावा यह चढ़ाता है, वह भी अशुद्ध है।


‘काश! तुम्‍हारे मध्‍य कोई ऐसा व्यक्‍ति होता जो मेरे मन्‍दिर के दरवाजों को बन्‍द कर देता, जिससे तुम मेरी वेदी पर व्‍यर्थ अग्‍नि नहीं जलाते। मैं, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: मुझे तुममें कोई रुचि नहीं रही। मैं तुम्‍हारे हाथ से भेंट स्‍वीकार नहीं करूंगा।


परमेश्‍वर आत्‍मा है और यह आवश्‍यक है कि उसके आराधक आत्‍मा और सत्‍य में उसकी आराधना करें।”


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