‘तब धरती में कम्पन हुआ, वह डोल उठी; आकाश के आधार-स्तम्भ कांप उठे, वे हिल गए; क्योंकि प्रभु अत्यन्त क्रुद्ध था।
नहूम 1:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु के सम्मुख पहाड़ कांपते हैं, पहाड़ियाँ हिलने लगती हैं। उसकी उपस्थिति से, पृथ्वी और उस पर रहनेवाले प्राणी, उजड़ जाते हैं। पवित्र बाइबल यहोवा का आगमन होगा और पर्वत भय से काँपेंगे और ये पहाड़ियाँ पिघलकर बह जायेंगी। यहोवा का आगमन होगा और यह धरती भय से काँप उठेगी। यहजगत और जो कुछ इसमें है जो जीवित है, भय से काँपेगा। Hindi Holy Bible उसके स्पर्श से पहाड़ कांप उठते हैं और पहाडिय़ां गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन सारा संसार अपने सब रहने वालों समेत थरथरा उठता है॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसके स्पर्श से पहाड़ काँप उठते हैं और पहाड़ियाँ गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन् सारा संसार अपने सब रहनेवालों समेत थरथरा उठता है। सरल हिन्दी बाइबल उनके सामने पर्वत कांप उठते हैं और पहाड़ियां पिघल जाती हैं. उनकी उपस्थिति में पृथ्वी, सारा संसार और उसमें रहनेवाले कांप उठते हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसके स्पर्श से पहाड़ काँप उठते हैं और पहाड़ियाँ गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन् सारा संसार अपने सब रहनेवालों समेत थरथरा उठता है। |
‘तब धरती में कम्पन हुआ, वह डोल उठी; आकाश के आधार-स्तम्भ कांप उठे, वे हिल गए; क्योंकि प्रभु अत्यन्त क्रुद्ध था।
वह पहाड़ों को उनके स्थानों से हटा देता है, और लोगों को इस बात का पता भी नहीं चलता! वह क्रोध में पहाड़ों को उलट-पुलट देता है।
वह पृथ्वी पर दृष्टिपात करता है, और वह कांप उठती है; वह पर्वतों को स्पर्श करता है, और वे धुआं उगलने लगते हैं।
तब धरती में कंपन हुआ, और वह डोल उठी; पर्वतों की नींव कंपित होकर हिल गई; क्योंकि प्रभु अति क्रुद्ध था।
उसके नथुनों से धुआं निकलने लगा, और उसके मुख से भस्म करने वाली अग्नि; उससे दहकते अंगारे निकल पड़े।
राष्ट्र क्रोध करते हैं, राज्य विचलित होते हैं; किन्तु परमेश्वर के शब्द बोलते ही पृथ्वी पिघल जाती है।
तब परमेश्वर, तेरी उपस्थिति से भूमि कांपने लगी और आकाश बरसने लगा था। यह सीनय पर्वत भी, परमेश्वर, इस्राएल के परमेश्वर की उपस्थिति से थर्राने लगा था।
सीनय पर्वत धुएं से आच्छादित था, क्योंकि प्रभु अग्नि में उस पर उतरा था। सहसा भट्ठे के धुएँ के सदृश उसका धुआँ ऊपर उठा और सारा पहाड़ बहुत कांपने लगा।
देखो, प्रभु पृथ्वी को निर्जन और उजाड़ बना देगा; वह उसकी सतह को उलट देगा, और उस पर रहनेवालों को तितर-बितर कर देगा।
पृथ्वी शराबी के समान लड़खड़ा रही है; वह झोपड़ी जैसी डोल रही है। उस पर उसके अपराधों का भारी बोझ है, वह बोझ से दबकर गिर रही है; वह फिर नहीं उठेगी।
अत: प्रभु का क्रोध अपने लोगों के विरुद्ध भड़क उठा। उसने उन पर हाथ उठाया, और उन पर प्रहार किया। पहाड़ हिल उठे। उनकी लाशें कूड़ा-कचरा-सी सड़कों पर बिछ गईं। इस विनाश के बाद भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और प्रहार के निमित्त उसका हाथ उठा रहा।
किन्तु प्रभु ही सच्चा ईश्वर है। वह जीवंत परमेश्वर है, और शाश्वत महाराजाधिराज है। जब वह क्रुद्ध होता है, तब पृथ्वी कांप उठती है; उसके क्रोध को सहन करने की शक्ति किसी राष्ट्र में नहीं है।
मेरी उपस्थिति के कारण सागर की मछलियां, आकाश के पक्षी, और जंगल के पशु, भूमि पर रेंगनेवाले जीव-जन्तु, तथा पृथ्वी की सतह पर रहने वाले सब मनुष्य कांप उठेंगे। पहाड़ फटकर नीचे गिर पड़ेंगे। खड़ी चट्टानें ढह जाएंगी, तथा मकानों और नगरों की सब दीवारें भूमि पर गिर पड़ेंगी।
उनके सम्मुख पृथ्वी थर्राती है, आकाश कांपता है। सूर्य और चन्द्रमा काले पड़ गए, तारे बुझ गए।
स्वर्गिक सेनाओं के स्वामी-प्रभु के स्पर्श से धरती पिघलती है, और उस पर रहनेवाले सब शोक करते हैं। नील नदी की बाढ़ के समान धरती उछलती; और मिस्र देश की नील नदी के समान वह फिर शान्त हो जाती है।
उसके पैरों तले पहाड़ पिघल जाएंगे, जैसे आग से मोम पिघल जाता है। घाटियाँ और गहरी बनेंगी, जैसे पानी ढाल को काटकर उसे गहरा बनाता है।
पहाड़ों ने तुझे देखा, वे कांप उठे। जल-प्रलय की धाराएँ फूट पड़ीं। अथाह सागर चिल्ला पड़ा, उसने अपने हाथ ऊपर उठा लिए।
ओ महापर्वत, जरूब्बाबेल के सामने तू क्या है? तू सपाट मैदान हो जाएगा। जरूब्बाबेल शिखर का पत्थर लाएगा, और लोग यह जय-जयकार करेंगे: “प्रभु की कृपा...... प्रभु की कृपा इस पत्थर पर हो।” ’
देखो, वह दिन आ रहा है, जो धधकते तन्दूर के समान है। उस दिन सब अभिमानी और दुष्कर्मी भूसे के सदृश भस्म हो जाएंगे। स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता है: ‘आनेवाला दिन उन्हें जलाकर राख कर देगा, वे जड़-मूल से नष्ट हो जाएंगे।
उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। पृथ्वी काँप उठी। चट्टानें फट गयीं।
एकाएक भारी भूकम्प हुआ और प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा। वह कबर के पास आया और पत्थर लुढ़का कर उस पर बैठ गया।
इसके बाद मैंने एक विशाल श्वेत सिंहासन और उस पर विराजमान व्यक्ति को देखा। पृथ्वी और आकाश उसके सामने लुप्त हो गये और उनका कहीं भी पता नहीं चला।
आकाश विलीन हो गया, मानो किसी ने कागज के पुलिन्दे को लपेट लिया हो। सभी पर्वत और द्वीप अपने-अपने स्थान से हटा दिये गये।
इस्राएल के प्रभु परमेश्वर के सम्मुख, सीनय पर्वत के प्रभु के सामने, पर्वत कंपित हो गए!