प्रभु परमेश्वर ने समस्त वृक्षों को, जो देखने में सुन्दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
उत्पत्ति 2:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पर भले-बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल न खाना; क्योंकि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे, तुम अवश्य मर जाओगे।’ पवित्र बाइबल लेकिन तुम अच्छे और बुरे की जानकारी देने वाले पेड़ का फल नहीं खा सकते। यदि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया तो तुम मर जाओगे।” Hindi Holy Bible पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना : क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा।” नवीन हिंदी बाइबल परंतु भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल तू कभी न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा तू अवश्य मर जाएगा।” सरल हिन्दी बाइबल लेकिन भले या बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तुम कभी न खाना, क्योंकि जिस दिन तुम इसमें से खाओगे, निश्चय तुम मर जाओगे.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा।” |
प्रभु परमेश्वर ने समस्त वृक्षों को, जो देखने में सुन्दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
अब तू उस पुरुष की पत्नी लौटा दे। वह एक नबी है। वह तेरे लिए प्रार्थना करेगा, और तू जीवित रहेगा। यदि तू उस स्त्री को नहीं लौटाएगा, तो जान ले, कि तू और तेरे नगर के सब लोग मर जाएंगे।’
प्रभु परमेश्वर ने पूछा, ‘किसने तुझसे कहा कि तू नंगा है? क्या तूने उस पेड़ का फल खाया है, जिसे न खाने के लिए मैंने तुझे आज्ञा दी थी?’
प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, ‘तूने अपनी पत्नी की बात सुनी, और उस पेड़ का फल खाया जिसके विषय में मैंने आज्ञा दी थी कि “उसका फल न खाना।” अतएव तेरे कारण भूमि शापित हुई। उसकी फसल खाने के लिए तुझे जीवनभर कठोर परिश्रम करना पड़ेगा।
तू तब तक अपने पसीने की रोटी खाएगा, जब तक उस भूमि में न लौटे जिससे तू बनाया गया था। तू तो मिट्टी है, और मिट्टी में ही मिल जाएगा।’
जिस दिन तुम नगर से बाहर निकलोगे, और किद्रोन की घाटी को पार करोगे, उसी दिन तुम्हें निश्चय ही मृत्यु-दण्ड मिलेगा। तुम यह बात अच्छी तरह से जान लो। तुम्हारी हत्या का दोष तुम्हारे ही सिर पर पड़ेगा।’
राजा ने दूत भेजा, और शिमई को बुलाया। उसने उससे कहा, ‘क्या मैंने तुम्हें प्रभु की शपथ नहीं दी थी? क्या मैंने तुम्हें यह गम्भीर चेतावनी नहीं दी थी: “जिस दिन तुम नगर से बाहर निकलोगे, कहीं जाओगे, तो तुम्हें निश्चय ही मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। तुम यह बात अच्छी तरह से जान लो!” तुमने मुझसे कहा था, “आपकी बात ठीक है। मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा।”
जब यिर्मयाह प्रभु का यह वचन सब लोगों को सुना चुके जिसका आदेश प्रभु ने उनको दिया था, तब पुरोहितों और नबियों ने तथा मन्दिर में उपस्थित लोगों ने उनको पकड़ लिया, और कहा, ‘तुम जीवित नहीं रह सकते।
वह ब्याज पर रुपया उधार देता है, और सूदखोर है। क्या उस धार्मिक मनुष्य का ऐसा पुत्र जीवित रहेगा? कदापि नहीं। वह निश्चय ही मरेगा; क्योंकि उसने ये घृणित कार्य किये हैं। उसकी हत्या का दोष उसी के सिर पर होगा।
मैं किसी भी दुर्जन की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। इसलिए तुम अपना दुराचरण छोड़कर मेरी ओर लौटो, और सदा जीवित रहो।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
देखो, सब प्राणी मेरे ही हैं। पिता का प्राण और पुत्र का प्राण, दोनों पर मेरा ही अधिकार है। इसलिए जो प्राणी पाप करता है, केवल वही मरेगा।
‘मैं दुर्जन से यह कहूँ, “तू निस्सन्देह मरेगा,” और वह अपना पापमय आचरण छोड़ दे, न्याय और धर्म का यह आचरण अपना ले:
यदि मैं दुर्जन से कहूंगा, “ओ दुर्जन, तू निस्सन्देह मरेगा” , और यदि तू दुर्जन को सावधान नहीं करेगा कि वह अपना बुरा मार्ग छोड़ दे, तो ओ मानव-पुत्र, वह दुर्जन तो अपने अधर्म में मरेगा ही, किन्तु मैं उसकी मौत का जिम्मेदार तुझे ठहराऊंगा, और उसके खून का लेखा तुझ से लूंगा।
क्योंकि प्रभु ने उनके विषय में कहा था, ‘वे निर्जन प्रदेश में मर जाएंगे।’ उनमें यपून्ने के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशुअ को छोड़कर एक भी व्यक्ति नहीं बचा था।
वे परमेश्वर का यह निर्णय जानते हैं कि ऐसे कुकर्म करने वालों का उचित दण्ड मृत्यु है। फिर भी वे न केवल स्वयं ये ही कार्य करते हैं, बल्कि ऐसे कुकर्म करने वालों की प्रशंसा भी करते हैं।
क्या आप यह नहीं समझते कि आप अपने को आज्ञाकारी दास के रूप में जिसके प्रति अर्पित करते हैं और जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं, आप उसी के दास बन जाते हैं? यह दासता चाहे पाप की हो, जिसका परिणाम मृत्यु है; चाहे परमेश्वर की हो, जिसके आज्ञापालन का परिणाम धार्मिकता है।
क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु परमेश्वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्वत जीवन।
क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
परन्तु जो व्यवस्था के कर्मकाण्ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्योंकि लिखा है: “जो व्यक्ति व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”
ज्योति जिसे आलोकित करती है, वह स्वयं ज्योति बन जाता है। इसलिए कहा गया है : “हे सोने वाले, जाग! मृतकों में से जी उठ और मसीह तुम को आलोकित करेंगे।”
“जो व्यक्ति इस व्यवस्था के वचनों के अनुसार आचरण नहीं करता और इस प्रकार उसको पूरा नहीं करता, वह शापित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!” ’
मैं आज आकाश और पृथ्वी को तेरे विरुद्ध साक्षी देने के लिए बुलाऊंगा कि मैंने तेरे सम्मुख जीवन और मृत्यु, आशिष और अभिशाप रख दिए हैं! इसलिए जीवन को चुन, जिससे तू और तेरे वंशज जीवित रहें,
आप लोग पापों के कारण और अपने स्वभाव के खतने के अभाव के कारण मर गये थे। परमेश्वर ने आप लोगों को मसीह के साथ पुनर्जीवित किया है। उसने हमारे सब अपराधों को क्षमा किया है।
यदि कोई अपने भाई अथवा बहिन को ऐसा पाप करते देखता है जो प्राणघातक न हो, तो वह उसके लिए प्रार्थना करे और परमेश्वर उसका जीवन सुरक्षित रखेगा। यह उन लोगों पर लागू है जिनका पाप प्राणघातक नहीं है; क्योंकि एक पाप ऐसा भी होता है जो प्राणघातक है। उसके विषय में मैं नहीं कहता कि प्रार्थना करनी चाहिए।
“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको द्वितीय मृत्यु से कोई हानि नहीं होगी।
इसके बाद मृत्यु और अधोलोक, दोनों को अग्निकुण्ड में डाल दिया गया। यह अग्निकुण्ड द्वितीय मृत्यु है।
धन्य और पवित्र वह है, जो पहले पुनरुत्थान में सहभागी है। ऐसे लोगों पर द्वितीय मृत्यु का कोई अधिकार नहीं है। वे परमेश्वर और मसीह के पुरोहित होंगे और उनके साथ एक हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।
लेकिन कायरों, अविश्वासियों, नीचों, हत्यारों, व्यभिचारियों, ओझों, मूर्तिपूजकों और हर प्रकार के मिथ्यावादियों का अंत यह होगा − धधकती आग और गन्धक के कुण्ड में द्वितीय मृत्यु!”
यह इस्राएल की पीढ़ियों के हित में था कि वे युद्ध का ज्ञान प्राप्त करें। कम से कम वे इस्राएली लोग युद्ध-कला को सीखें जिन्हें पहले से युद्ध का व्यावहारिक ज्ञान नहीं था।
इस्राएल को विजय प्रदान करने वाले जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! जिस व्यक्ति ने पाप किया है, यदि वह मेरा पुत्र योनातन ही क्यों न हो, उसको निश्चय ही मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’ उनमें से किसी भी व्यक्ति ने उसको उत्तर नहीं दिया।
शाऊल ने कहा, ‘परमेश्वर मेरे साथ ऐसा ही व्यवहार करे; नहीं, इससे अधिक कठोर व्यवहार करे! योनातन, तुम्हें निश्चय ही मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’
जब तक यिशय का पुत्र धरती पर जीवित है तब तक तू राजा नहीं बन सकता है, और न तेरा राज्य स्थापित हो सकता है। अब तू दूतों को भेज, और उसको पकड़ कर मेरे पास ला। उसे निश्चय ही मरना होगा।’
राजा ने कहा, ‘अहीमेलक, तुम्हें तथा तुम्हारे पिता के गोत्र के सब पुरोहितों को मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’