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व्यवस्थाविवरण 27:26 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 “जो व्यक्‍ति इस व्‍यवस्‍था के वचनों के अनुसार आचरण नहीं करता और इस प्रकार उसको पूरा नहीं करता, वह शापित है।” सब लोग प्रत्‍युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!” ’

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पवित्र बाइबल

26 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो इन नियमों का समर्थन नहीं करता और पालन करना स्वीकार नहीं करता!’ “तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

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Hindi Holy Bible

26 शापित हो वह जो इस व्यवस्था के वचनों को मानकर पूरा न करे। तब सब लोग कहें, आमीन॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 ‘शापित हो वह जो इस व्यवस्था के वचनों को मानकर पूरा न करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’

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सरल हिन्दी बाइबल

26 “शापित है वह, जो इस विधान संहिता का पालन करने के द्वारा इनकी पुष्टि नहीं करता.” तब सारी सभा उत्तर में कहेगी, “आमेन!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

26 ‘श्रापित हो वह जो इस व्यवस्था के वचनों को मानकर पूरा न करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’

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व्यवस्थाविवरण 27:26
13 क्रॉस रेफरेंस  

परन्‍तु जो व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्‍योंकि लिखा है: “जो व्यक्‍ति व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”


मूसा व्‍यवस्‍था पर आधारित धार्मिकता के विषय में लिखते हैं, “जो मनुष्‍य इन बातों का पालन करेगा, उसे इनके द्वारा जीवन प्राप्‍त होगा।”


किन्‍तु दूसरी ओर, जब धार्मिक व्यक्‍ति अपने सदाचरण को छोड़कर अधर्म के काम करने लगता है, वह दुर्जन के समान दुराचरण करने लगता है, तो क्‍या ऐसा व्यक्‍ति जीवित रहेगा? न्‍याय के दिन उसका एक भी पुण्‍य कर्म स्‍मरण नहीं किया जाएगा। उसने मेरे प्रति विश्‍वासघात किया है, इसलिए वह दोषी है। उसने पाप किया है; अत: वह निस्‍सन्‍देह मरेगा।


तू अभिमानियों और शापितों को डांटता है, वे तेरी आज्ञाओं से भटक जाते हैं।


यदि आप लोगों में कोई “प्रभु” से प्रेम नहीं करता, वह “शापित” हो। प्रभु!आइए!


“तब राजा अपनी बायीं ओर के लोगों से कहेगा, ‘शापित लोगो! मुझ से दूर हो और उस अनन्‍त आग में जा पड़ो, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है;


“जो व्यक्‍ति खोदकर अथवा गढ़कर मूर्ति बनाता है, और गुप्‍त स्‍थान में उसको प्रतिष्‍ठित करता है, वह शापित है। ऐसे कारीगर का यह हस्‍तकार्य प्रभु की दृष्‍टि में घृणित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”


यदि दोषी ठहराने की प्रक्रिया में सेवाकार्य इतना तेजस्‍वी था, तो दोषमुक्‍त करने की प्रक्रिया में सेवाकार्य कहीं अधिक तेजोमय होगा।


‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्‍त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्‍तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्‍नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्‍योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्‍तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्‍होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’


जो व्यक्‍ति तुम्‍हारे परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था तथा सम्राट के कानून का उल्‍लंघन करेगा, उसे कठोर दण्‍ड दिया जाएगा; उसे मृत्‍यु-दण्‍ड, अथवा देश-निष्‍कासन, अथवा सम्‍पत्ति की जब्‍ती, अथवा कैद की सजा दी जाएगी।’


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