मनुष्य की हस्ती ही क्या है कि वह पाप से स्वयं शुद्ध हो सके? जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है, क्या वह कभी धार्मिक बन सकता है?
अय्यूब 11:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि जंगली गदही से मनुष्य का बच्चा पैदा हो सकता है, तो मूर्ख मनुष्य को भी सद्बुद्धि प्राप्त हो सकती है! पवित्र बाइबल किन्तु कोई मूढ़ जन कभी बुद्धिमान नहीं होगा, जैसे बनैला गधा कभी मनुष्य को जन्म नहीं दे सकता है। Hindi Holy Bible परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्चे के समान होता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्चे के समान होता है। सरल हिन्दी बाइबल जैसे जंगली गधे का बच्चा मनुष्य नहीं बन सकता, वैसे ही किसी मूर्ख को बुद्धिमान नहीं बनाया जा सकता. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 निर्बुद्धि मनुष्य बुद्धिमान हो सकता है; यद्यपि मनुष्य जंगली गदहे के बच्चे के समान जन्म ले; |
मनुष्य की हस्ती ही क्या है कि वह पाप से स्वयं शुद्ध हो सके? जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है, क्या वह कभी धार्मिक बन सकता है?
परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’
वह चालाक को उसकी चालाकी के जाल में फंसाता है, कुटिल लोगों की योजानाएँ शीघ्र असफल हो जाती हैं।
“तू डांट-डपट से व्यक्ति को कुकर्म के लिए दंडित करता है- जैसा कीड़ा वस्तुओं को खा जाता है, तू उसकी इच्छित वस्तुओं को नष्ट कर देता है। निस्सन्देह प्रत्येक मनुष्य श्वास मात्र है। सेलाह
तूने मेरे जीवन-काल को बित्ता भर बनाया है। मेरी आयु तेरे सम्मुख कुछ भी नहीं है। वस्तुत: प्रत्येक मनुष्य की स्थिति श्वास मात्र है। सेलाह
सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्यर्थ है, सब निस्सार है। निस्सन्देह सब व्यर्थ है, सब निस्सार है; सब कुछ व्यर्थ है!
ओ तरुण! अपने हृदय से परेशानी को निकाल दे, शरीर में दर्द न होने दे; क्योंकि तेरी तरुणाई, जीवन की यह उषा, व्यर्थ है।
मैंने मानव-सन्तान के विषय में यह सोचा : परमेश्वर उन्हें यह सच्चाई सिखाने के लिए परख रहा है कि वे पशु के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं।
तू निर्जन प्रदेश की कामातुर जंगली गदही की तरह यहां-वहां हवा सूंघती फिरती थी। उसकी वासना को कौन रोक सकता था? उसे ढूंढ़नेवाले व्यर्थ परिश्रम न करें; क्योंकि वे उसको ऋतुकाल में पा लेंगे।
आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाये रखें। घमण्डी न बनें, बल्कि दीन-दु:खियों से मिलते-जुलते रहें। अपने आप को बुद्धिमान् न समझें।
हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्मिलित थे, जब हम अपनी कुप्रवृत्तियों के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की वासनाओं को तृप्त करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्वभाव के कारण परमेश्वर के कोप के पात्र थे।